51. प्रभु की वापसी के बारे में किसकी सुनें?

हन्ना, म्यांमार

प्रभु की वापसी के स्वागत के संबंध में हमें किसकी बात सुननी चाहिए? हमें परमेश्वर की वाणी सुननी चाहिए या अपने पादरियों की बातें? मैंने अपनी आस्था में इसे पहले कभी नहीं समझा, बल्कि आँख बंद करके अपने पादरी की बात सुनी और प्रभु की वापसी का स्वागत करने का मौका लगभग गंवा ही दिया। जून 2017 में, मैं जर्मनी की बहन मिंडीऔर भाई डेकर से फेसबुक पर मिली। उनसे बातचीत करके, मैंने देखा कि वे विनम्र और भरोसेमंद लोग हैं, उनके पास बाइबल की शुद्ध समझ और प्रबुद्ध करने वाली सहभागिता है। इससे मुझे बहुत फायदा हुआ। हमने कुछ सभाएं की। मैंने बहुत सारे सत्य जान लिए जिन्हें मैं पहले कभी नहीं समझ पायी थी, जैसे कि सच्चा विश्वास और सच्चा पश्चाताप क्या है, परमेश्वर का अनुसरण और उसके प्रति समर्पण क्या है, लोगों का अनुसरण और उनके प्रति समर्पण क्या है, फरीसियों के प्रभु यीशु का विरोध करने का सार और मूल क्या है, परमेश्वर की वाणी सुनकर प्रभु का स्वागत कैसे करें, और ऐसी कई सारी बातें। लगा कि मुझे इससे बहुत सारा पोषण मिला। मेरा हृदय रोशन हुआ। मैंने इन सभाओं का आनंद लिया। एक सभा में, डेकर ने बाइबल के कुछ पद पढ़े : “क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ(लूका 17:24-25)। उन्होंने कहा कि अंत के दिनों में, प्रभु धरती पर आकर कार्य करने के लिए मनुष्य के पुत्र के रूप में फिर से देहधारण करता है, और यह भविष्यवाणी पहले ही कुछ समय पूर्व पूरी हो चुकी थी। उन्होंने कहा, "प्रभु देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में लौट आया है, वह सत्य व्यक्त कर रहा है और परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय का कार्य कर रहा है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने वे सारे सत्य व्यक्त किए हैं जो मनुष्य को शुद्ध करके बचाते हैं। यह पूरब में चमकने वाले महान प्रकाश की तरह है, और यही चमकती पूर्वी 'बिजली' है।" यह सुनकर मैं थोड़ी चौंक गई। मैंने सोचा, "प्रभु यीशु पहले ही लौट आया है?" फिर मुझे पादरी समूह की कही हुई बात याद आई, केवल चमकती पूर्वी बिजली ही इस बात की गवाह है कि परमेश्वर देह में लौट आया है, हमें इस पर विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि केवल प्रभु यीशु ही मसीह है। यह सुनकर मैं बहुत बेचैन हो उठी। मैं डेकर की सहभागिता पर ध्यान नहीं दे सकी। मैंने सोचा, "पादरी और एल्डर परमेश्वर की सेवा करते हैं और बाइबल को अच्छी तरह से जानते हैं। उन्हें प्रभु के वापस लौटने जैसी बड़ी घटना की स्पष्ट स्पझ होगी, इसलिए मैं पहले उनसे पूछूंगी।"

उस रविवार कलीसिया जाकर मैंने पादरी से पूछा, उन्होंने कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विश्वासी जो प्रचार करते हैं उसमें तथ्य है, लेकिन वे गवाही देते हैं कि प्रभु सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में देह में लौट आया है। यह संभव नहीं है। केवल हमारा प्रभु यीशु ही देहधारी परमेश्वर है, वे एक मनुष्य में विश्वास करते हैं। उनकी कलीसिया को चीनी कम्युनिस्ट सरकार द्वारा सताया जा रहा है, चमकती पूर्वी बिजली में विश्वास करना प्रभु यीशु के साथ विश्वासघात होगा।" यह सुनकर डर के मारे मेरे हाथ-पैर ढीले पड़ गए। मैंने सोचा, अगर यह बात सही है तो मिंडी और डेकर प्रभु के मार्ग से जरूर भटक चुके हैं। मेरे मन में उनके बारे में शक पैदा होने लगा और मैं चौकन्नी हो गई। अब उनसे मिलने की हिम्मत नहीं थी। लेकिन जब मैंने उनकी गवाही के बारे में सोचा कि प्रभु यीशु लौट आए हैं तो मैं दुविधा में पड़ गई। अगर यह सच है और मैं इस पर गौर नहीं करती, तो क्या प्रभु मुझे त्याग नहीं देगा? लेकिन फिर, अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही देहधारी परमेश्वर है, तो पादरी ने इस बात को क्यों नहीं मान लिया, उल्टा कहने लगे कि वे एक मनुष्य में विश्वास करते हैं? मुझे लगा कि पादरी बाइबल को जानते हैं और चीज़ों को मुझसे ज्यादा समझते हैं, इसलिए मुझे भटकने से बचने के लिए मिंडी और डेकर से दूर रहना चाहिए। लेकिन घर जाने के बाद मुझे बड़ी बेचैनी और परेशानी महसूस हुई। मैं दुखी थी और उदास महसूस कर रही थी। मैंने प्रभु से प्रार्थना की, "हे प्रभु, मैंने आज पादरी की बात सुनी, अब मैं मिंडी और डेकर पर शक करने और उनसे बचकर रहने लगी हूँ। अब चमकती पूर्वी बिजली के बारे में और जानने से मुझे डर लगता है। प्रभु, मैं तुम्हारी वापसी के लिए तरस रही हूं, लेकिन मैं गलत रास्ता अपनाने और तुम्हें धोखा देने से डरती हूं। मैं सच में नहीं जानती मुझे क्या करना चाहिए। मुझे प्रबुद्ध कर और मेरा मार्गदर्शन कर, ताकि मैं सही-गलत का भेद जान सकूं।" प्रार्थना करने के बाद मुझे धीरे-धीरे शांति का एहसास हुआ, फिर मिंडी की सहभागिता में कही हुई एक बात मुझे याद आई, “अपनी आस्था में परमेश्वर को महान मानकर उसका आदर करना चाहिए और सब कुछ, परमेश्वर के वचनों पर आधारित होना चाहिए, ख़ासकर जब बात सच्चे मार्ग की जांच करने जैसी महत्वपूर्ण हो। अगर हम चीजों को मानवीय शब्दों के अनुसार करेंगे, हर बात में दूसरे लोगों की बात सुनेंगे और उनसे परामर्श लेंगे, तो हम लोगों पर विश्वास कर रहे हैं और उनका अनुसरण कर रहे हैं, जो कि प्रभु के मार्ग से भटकना है।” फिर मैंने आत्ममंथन करना शुरू कर दिया। जब मैंने सुना कि प्रभु लौट आया है, तो मैंने पहले प्रभु का इरादा जानने के लिए प्रार्थना नहीं की या यह नहीं देखा कि प्रभु के वचन इसके बारे में क्या कहते हैं या फिर यह मार्ग परमेश्वर से आया है या नहीं। इसके बजाय मैंने पादरी की पूजा की और उसकी बात सुनी। यह प्रभु के इरादे के अनुरूप नहीं है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहनों के साथ हर सभा में उनकी सहभागिता साधार और बाइबल के अनुरूप थी और रोशन करने वाली थी। परमेश्वर के इरादों के बारे में उनकी व्याख्या स्पष्ट थी। कुछ ही सभाओं से मैंने कई सारे सत्य समझ लिए, जिन्हें मैं पहले कभी नहीं जानती थी, मुझे लगा कि मैं परमेश्वर के और करीब आ गई हूं, मेरी आस्था बढ़ गई है। यह साफ़ तौर पर परमेश्वर से आया हुआ पवित्र आत्मा का कार्य है। लेकिन मैंने यह नहीं देखा कि कलीसिया में पवित्र आत्मा का कार्य या सत्य का पोषण था या नहीं। इसके बजाय, मैंने अनुमान लगा लिया कि पादरी बाइबल अच्छी तरह से जानते हैं, और पादरी ने जो कहा उस आधार पर मैंने तय किया कि प्रभु वापस लौटा है या नहीं। मुझे यकीन था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में सत्य और पवित्र आत्मा का कार्य है लेकिन फिर भी मैंने इस पर गौर करने की हिम्मत नहीं की। क्या यह पादरी में विश्वास करने जैसा नहीं था? इसे परमेश्वर में विश्वास या उसका अनुसरण करना कैसे कहा जा सकता है? मैंने उस समय के बारे में सोचा जब प्रभु यीशु ने प्रकट होकर कार्य किया। मंदिर में परमेश्वर की सेवा करने वाले मुख्य याजक, शास्त्री और फरीसी, सभी धर्मशास्त्रों और नियमों की बारीकियों को जानते थे, लेकिन उन्होंने प्रभु यीशु को आने वाला मसीहा नहीं माना। उल्टा, उन्होंने उसका विरोध करके उसकी निंदा की और उसे सूली पर चढ़ा दिया। मुझे एहसास हुआ कि बाइबल से अच्छी तरह परिचित होना परमेश्वर को जानने के समान नहीं है, अगर मैंने आंखें बंद करके पादरी की बात सुनी, तो वह परमेश्वर के इरादे के विरुद्ध होगा। शायद मैं परमेश्वर का विरोध कर दूं! इन विचारों के साथ, मैंने मिंडी और डेकर के साथ सभाओं में भाग लेते रहने का फैसला किया, अगर मुझे यकीन हुआ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है, तो मैं उसे स्वीकार करके उसका अनुसरण करूंगी।

अगली सभा में मैंने उनको अपनी उलझनों के बारे में बताया। डेकर ने कहा, "आपके पादरी ने कहा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया एक व्यक्ति में विश्वास करती है, क्या इसका कोई आधार है? क्या उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ा है या उसके कार्य पर गौर किया है? क्या उन्हें इस तरह आँखें मूंदकर कलीसिया की आलोचना और निंदा करके परमेश्वर का विरोध करने का डर नहीं लगता? फरीसियों ने प्रभु यीशु को सिर्फ एक सामान्य व्यक्ति समझ लिया था। उन्होंने उसके व्यक्त किए हुए सत्य को नहीं सुना, बल्कि पागलों की तरह उसका विरोध करके उसकी निंदा की, सांठ-गांठ करके उसे सूली पर चढ़ा दिया और वे परमेश्वर के दंड के हकदार बन गए। आज के पादरी समूह यह नहीं देखते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य हैं या नहीं, वे परमेश्वर की वाणी हैं या नहीं, बल्कि वे केवल उसे नकारकर उसकी निंदा करते हैं। क्या यही गलती फरीसियों ने नहीं की थी? क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर वास्तव में देहधारी परमेश्वर है, क्या वह लौटकर आया हुआ प्रभु यीशु है, इसका निर्णय धार्मिक जगत या किसी सरकार की मंजूरी या नामंजूरी से नहीं होता है। इसके बजाय, हमें यह देखना होगा कि क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य हैं, क्या वह परमेश्वर का कार्य करता है। यही सबसे अहम है।" देहधारण को बेहतर ढंग से समझाने के लिए, डेकर ने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़कर सुनाए। “‘देहधारण’ परमेश्वर का देह में प्रकट होना है; परमेश्वर सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करता है। चूँकि वह परमेश्वर का देहधारण है, तो उसे सबसे पहले देह बनना होगा, सामान्य मानवता वाली देह; यह सबसे मौलिक पूर्वापेक्षा है। वास्तव में, परमेश्वर के देहधारण का निहितार्थ यह है कि परमेश्वर देह में रह कर कार्य करता है, परमेश्वर अपने सार में देहधारी बन जाता है, वह मनुष्य बन जाता है(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार)। “देहधारी हुए परमेश्वर को मसीह कहा जाता है, और इसलिए वह मसीह जो लोगों को सत्य दे सकता है, परमेश्वर कहलाता है। इसमें कुछ भी अतिशयोक्ति नहीं है, क्योंकि उसमें परमेश्वर का सार होता है, और उसमें परमेश्वर का स्वभाव और उसके कार्य में बुद्धि होती है, जो मनुष्य के लिए अप्राप्य हैं। जो अपने आप को मसीह कहते हैं, परंतु परमेश्वर का कार्य नहीं कर सकते, वे धोखेबाज हैं। मसीह पृथ्वी पर परमेश्वर की अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, बल्कि वह विशेष देह भी है, जिसे धारण करके परमेश्वर मनुष्यों के बीच रहकर अपना कार्य पूरा करता है। कोई मनुष्य इस देह की जगह नहीं ले सकता, बल्कि यह वह देह है जो पृथ्वी पर परमेश्वर के कार्य का पर्याप्त रूप से बीड़ा उठा सकती है और परमेश्वर का स्वभाव व्यक्त कर सकती है, और परमेश्वर का अच्छी तरह प्रतिनिधित्व कर सकती है, और मनुष्य को जीवन प्रदान कर सकती है(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है)। “जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह स्वयं है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं। अगर मनुष्य यह पता करना चाहता है कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, तो इसकी पुष्टि उसे उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा बोले गए वचनों से करनी चाहिए। इसे ऐसे कहें, व्यक्ति को इस बात का निश्चय कि यह देहधारी परमेश्वर है या नहीं और कि यह सही मार्ग है या नहीं, तो उसे इसकी पहचान उसके सार के आधार पर करनी चाहिए। और इसलिए, यह निर्धारित करने की कुंजी कि यह देहधारी परमेश्वर की देह है या नहीं, उसके बाहरी स्वरूप के बजाय उसके सार (उसका कार्य, उसके कथन, उसका स्वभाव और कई अन्य पहलू) में निहित है। यदि मनुष्य केवल उसके बाहरी स्वरूप की ही जाँच करता है, और परिणामस्वरूप उसके सार की अनदेखी करता है, तो इससे उसके अज्ञ और अज्ञानी होने का पता चलता है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)

फिर डेकर ने यह सहभागिता की, "देहधारी परमेश्वर शरीर धारण किया हुआ परमेश्वर का आत्मा है। मनुष्यों को बचाने के लिए वह पृथ्वी पर वचन बोलने और कार्य करने वाला एक सामान्य व्यक्ति बन जाता है। देहधारी परमेश्वर बहुत साधारण, बहुत मामूली दिखाई देता है। उसमें सामान्य मानवता होती है। वह किसी भी इंसान की तरह साधारण ढंग से खाना खाता है और कपड़े पहनता है, उसमें सामान्य मानवीय भावनाएं होती हैं। लेकिन उसका सार दिव्य होता है। वह कभी भी, कहीं भी लोगों की जरूरतों के अनुसार उनका पोषण करने के लिए सत्य व्यक्त कर सकता है। वह परमेश्वर का कार्य करता है, परमेश्वर के स्वभाव और परमेश्वर के स्वरूप को व्यक्त करता है। यह ऐसा कार्य है जो कोई सृजित प्राणी नहीं कर सकता। यह बिलकुल प्रभु यीशु की तरह है, जो एक सामान्य व्यक्ति की तरह दिखता था, लेकिन उसने सत्य को व्यक्त किया और पश्चाताप का रास्ता दिखाया। उसने मनुष्य के पापों को क्षमा किया, परमेश्वर के दयालु और प्रेमपूर्ण दया को व्यक्त किया। उसने बीमारों को चंगा किया, राक्षसों को निकाल भगाया, कई संकेत और चमत्कार दिखाए, जैसे पांच रोटियों और दो मछलियों से 5,000 लोगों को खाना खिलाना, एक शब्द से तूफान और समुद्र को शांत करना, मुरदों को जिन्दा करना, आदि आदि। उसने परमेश्वर की सामर्थ्य और अधिकार को दिखाया। आखिरकार उसे सूली पर चढ़ा दिया गया, जिससे मानवजाति को पाप से छुटकारा दिलाने का उसका कार्य पूरा हुआ। प्रभु के कार्य, उसके वचन और उसके व्यक्त किए हुए स्वभावों से हम देख सकते हैं कि वह देहधारी परमेश्वर था—वह मसीह था। अंत के दिनों में परमेश्वर एक बार फिर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में देहधारी हुआ है। प्रभु यीशु की तरह, वह बाहर से किसी सामान्य व्यक्ति की तरह दिखता है, वह वास्तव में मनुष्यों के बीच रहता है, लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर उन सभी सत्यों को व्यक्त करता है जो मनुष्यों को शुद्ध करके बचाते हैं। वह मनुष्यों को शुद्ध करके और उन्हें बचाकर और पाप के बंधन से पूरी तरह छुड़ाकर परमेश्वर के राज्य में ले जाने के लिए, अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय-कार्य करता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन मनुष्य को बचाने की परमेश्वर की प्रबंधन योजना के सभी रहस्यों को खोल देते हैं। इनमें व्यवस्था, अनुग्रह और राज्य के युगों में परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों का सत्य और उनसे क्या हासिल होता है, परमेश्वर के नाम और उसके देहधारण के रहस्य, अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय का अर्थ, परमेश्वर युग का अंत कैसे करता है और लोगों को किस तरह चुनता है, अलग-अलग लोगों के परिणाम और मंजिल, पृथ्वी पर मसीह का राज्य कैसे साकार होगा, और अन्य कई रहस्य शामिल हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने शैतान द्वारा हमारी भ्रष्टता के सत्य और परमेश्वर-विरोध की हमारी शैतानी प्रकृति का भी खुलासा किया है, ताकि हम अहंकार, दंभ, कुटिलता, धोखेबाज़ी, स्वार्थ और घिनौनेपन जैसे अपने शैतानी स्वभावों को जान सकें। उसने परमेश्वर के धार्मिक, अपमान न किए जा सकने वाले स्वभाव को भी हमारे सामने प्रकट करके हमें अपने स्वभावों को बदलने के लिए विशिष्ट रास्ता दिखाया है। परमेश्वर के अलावा सत्य को व्यक्त करके परमेश्वर की प्रबंधन योजना के रहस्यों को और कौन खोल सकता है? मनुष्यों को शुद्ध करके बचाने के लिए न्याय का कार्य और कौन कर सकता है? परमेश्वर के धार्मिक, अपमान न किए जा सकने वाले स्वभाव को और कौन प्रकट कर सकता है? साथ ही, लोगों के परिणाम व मंजिलों को और कौन निश्चित कर सकता है? सिर्फ देहधारी परमेश्वर मनुष्यों के उद्धार के लिए इस तरह का व्यावहारिक कार्य कर सकता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सभी कार्य और वचनों की नींव प्रभु यीशु का छुटकारे का कार्य है। यह कार्य का एक नया, अधिक ऊंचा चरण है। यह प्रभु यीशु की भविष्यवाणियों को सम्पूर्ण रूप से पूरा करता है : ‘मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा(यूहन्ना 16:12-13)। ‘मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। वो जो मुझे नकार देता है, और मेरे वचन नहीं स्वीकारता, उसका भी न्याय करने वाला कोई है : मैंने जो वचन बोले हैं वे ही अंत के दिन उसका न्याय करेंगे(यूहन्ना 12:47-48)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए हुए सत्य, उसका न्याय कार्य और उसका स्वभाव, सभी साबित करते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर देहधारी परमेश्वर है, वह लौटकर आया प्रभु यीशु है। वह अंत के दिनों में प्रकट होने वाला मसीह है। वह मसीह है या नहीं, यह हम उसके रूप-रंग से निश्चित नहीं कर सकते। अहम बात यह है कि वह सत्य व्यक्त कर सकता है या नहीं, और मनुष्यों को छुटकारा दिलाकर बचा सकता है या नहीं।"

डेकर की सहभागिता मेरे लिए बड़ी प्रबोधक थी। देहधारी परमेश्वर एक सामान्य व्यक्ति का शरीर धारण किया हुआ स्वर्गिक परमेश्वर है। वह दिखने में सामान्य और साधारण है, लेकिन उसमें परमेश्वर का सार है। वह सत्य को व्यक्त करके परमेश्वर का कार्य कर सकता है। यह एक ऐसा कार्य है जो किसी मनुष्य के पास नहीं हो सकता या कोई मनुष्य इसे नहीं कर सकता। देहधारण के रहस्यों को इतने स्पष्ट रूप से देहधारी परमेश्वर के अलावा और कौन समझा सकता है? सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सत्यों को पढ़े बिना, केवल रूप-रंग से, मसीह को एक साधारण व्यक्ति समझ लेने की भूल करना वाकई आसान है, जिससे कोई परमेश्वर को अस्वीकार कर सकता और उसका विरोध कर सकता है!

फिर मिंडी ने कुछ सहभागिता की। उन्होंने कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रकटन और कार्य बाइबल की भविष्यवाणियों को संपूर्ण रूप से पूरा करते हैं। वह लौटकर आया प्रभु यीशु है। कई संप्रदायों के बहुत से सच्चे विश्वासियों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़कर यह निश्चित किया है कि वे सत्य और परमेश्वर की वाणी हैं, और वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर मुड़ गए हैं। उसके कार्य और वचनों ने पूरी धार्मिक दुनिया को हिलाकर रख दिया है। पादरी समूह के लोगों ने इस बारे में जरूर सुना या देखा है, तो फिर वे इस पर गौर करके सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्यों की खोज और जांच क्यों नहीं करते और उसके वचन क्यों नहीं पढ़ते? वे इसका विरोध और निंदा करने पर क्यों तुले हुए हैं? उस समय, फरीसी जानते थे कि प्रभु यीशु ने बीमारों को चंगा किया, राक्षसों को निकाल भगाया, और पश्चाताप के मार्ग का प्रचार किया। वे जानते थे ये चीजें परमेश्वर से आई हैं, लेकिन उन्होंने जानबूझकर उसे नकारा, यह कहते हुए कि वह एक नाजरीन, एक बढ़ई का बेटा था। उन्होंने उसका पागलों की तरह विरोध करके उसकी निंदा की, रोमन सरकार के साथ सांठ-गांठ करके उसे क्रूस पर चढ़ाया। उन्होंने मसीह को नकारकर उसकी निंदा की। वे उसके दुश्मन थे। वे परमेश्वर के कार्य से प्रकट हुए मसीह-विरोधी थे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में प्रकट हुआ और कार्य कर रहा है, अब पादरी और एल्डर जानते हैं कि वह अंत के दिनों का न्याय का कार्य करने के लिए सत्य व्यक्त करता है। वे न सिर्फ इसकी खोज और जांच करने से इनकार करते हैं, बल्कि वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर को नकारकर उसकी निंदा करने वाले विधर्म और भ्रम फैलाते हैं। वे अपनी कलीसियाओं में सीसीपी की निराधार अफवाहें और शैतानी शब्द फैलाकर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को बदनाम और इसकी निंदा करते हैं वे नास्तिक पार्टी से हाथ मिलाकर उसका विरोध करते हैं। उनमें और प्रभु यीशु का विरोध करने वाले फरीसियों में क्या फर्क है? बाइबल कहती है ‘क्योंकि बहुत से ऐसे भरमानेवाले जगत में निकल आए हैं, जो यह नहीं मानते कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया; भरमानेवाला और मसीह-विरोधी यही है’ (2 यूहन्ना 1:7)। ‘जो आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्‍वर की ओर से नहीं; और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है, जिसकी चर्चा तुम सुन चुके हो कि वह आनेवाला है, और अब भी जगत में है’ (1 यूहन्ना 4:3)। अंत के दिनों के मसीह की निंदा करके और परमेश्वर का विरोध करने की जिद में पादरी समूह मसीह को नकारते और उसका विरोध करते हैं। क्या वे अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य से प्रकट हुए मसीह-विरोधी नहीं हैं?"

आखिरकार मेरा संदेह मिंडी की सहभागिता से दूर हो गया। मैं समझ गयी कि मसीह या देहधारण के बारे में पादरी समूह के लोग कुछ भी नहीं जानते। वे प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं, लेकिन उसके सार को बिल्कुल नहीं जानते। प्रभु यीशु देह धारण करके कार्य करने के लिए लौटा है, उसने कई सारे सत्य व्यक्त किए हैं, लेकिन वे इसकी खोज या जाँच नहीं करते, प्रभु लौट आया है, यह स्वीकार करना तो दूर की बात है। वे बेधड़क उसकी निंदा और विरोध करते हैं। वे परमेश्वर के दुश्मन हैं! मैं जान गयी कि अब उनका अनुसरण करने के बजाय मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करके परमेश्वर के पदचिह्नों पर चलना चाहिए। मेरे पादरी चाहे मुझे जैसे परेशान और गुमराह करें, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने की ठान ली।

जल्द ही मेरे पादरी को सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरी आस्था के बारे में पता चल गया। तुरंत गुस्से में आकर उन्होंने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने के लिए फटकार दिया। उन्होंने कहा कि मैं एक व्यक्ति में विश्वास कर रही हूँ, जो गलत बात है, उन्होंने मेरे पति को मेरा मन बदलने की कोशिश करने के लिए कहा। मेरे पति पादरी के दानवी शब्दों को समझ नहीं सके, इसलिए वे मेरी आस्था में बाधा डालने लगे। मानों उनकी जगह किसी दूसरे इंसान ने ले ली थी। जब उन्हें पता चलता कि मैं किसी सभा में गई थी तो वे आग बबूला हो उठते और चीजों की तोड़-फोड़ देते थे। अपनी आस्था का त्याग करने को मुझे मजबूर करने के लिए उन्होंने हमारे पारिवारिक व्यवसाय की भी उपेक्षा की। यह मेरे लिए बड़ा दर्दनाक था। पादरी की पत्नी भी मुझे रोकने की कोशिश कर रही थी। वह घंटों मेरे घर पर बैठी रहती। मैं परमेश्वर के वचनों को पढ़ नहीं पाती थी, क्योंकि मुझे उसके साथ बैठना पड़ता था। मैं घर का कामकज भी नहीं कर पाती थी। इन सब से मुझे बड़ी बेचैनी होती थी।

पादरी की इन करतूतों पर मुझे बड़ा गुस्सा आता था। प्रभु यीशु की वापसी की खोज और जांच करने के बजाय मुझे सत्य की राह पर चलने से रोकने के लिए उन्होंने मुझे विधर्मों और भ्रमों से गुमराह करने की कोशिश की। मेरी राह में बाधा डालने के लिए उन्होंने मेरे पति को भी उकसाया और इस्तेमाल किया ताकि मैं परमेश्वर का उद्धार गंवा दूं। कितना घिनौना है यह! मैंने प्रभु यीशु द्वारा फरीसियों को उजागर करके दंड दिये जाने के बारे में सोचा : “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो(मत्ती 23:13)। मुझे लगा कि आधुनिक समय के पादरी और एल्डर ऐसे ही होते हैं। परमेश्वर की वाणी सुनकर वे प्रभु का स्वागत नहीं करेंगे, बल्कि हममें से जो लोग प्रभु का स्वागत करके परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना चाहते हैं उन्हें गुमराह करने और रोकने के लिए निराधार अफवाहें और भ्रम फैलाते हैं। वे चाहते हैं कि हम नरक में जाएं। हम भी उनके साथ दण्डित हों, उनके साथ दफनाए जाएं। वे स्वर्ग के राज्य के मार्ग पर हमारे लिए रुकावटें हैं। वे आत्मा को भक्षण करने वाले मसीह-विरोधी और राक्षस हैं! जैसा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है : “ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते और याद करके सुनाते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर के इरादों के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें परेशान करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे मज़बूत देह वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को समर्पित हुए बैठे हैं?” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)। पादरी के पाखंडी, सत्य से घृणा करने वाले सार को पहचानकर, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए और भी ज्यादा प्रेरित हुई। मैं हमेशा से पादरियों को देवता मानती आई थी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि बाइबल अच्छे से जानने वाले और परमेश्वर की सेवा करने वाले ये लोग वास्तव में सत्य से घृणा करने वाले मसीह-विरोधी हैं जो परमेश्वर के राज्य में विश्वासियों के प्रवेश में बाधा डालते हैं। अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने देह में प्रकट होकर कार्य करके कलीसियाओं में छिपे हुए इन दुष्ट सेवकों और मसीह-विरोधियों को प्रकट नहीं किया होता तो उस पादरी ने मुझे गुमराह और बरबाद कर दिया होता और मुझे पता भी नहीं चलता। परमेश्वर की दया और उद्धार से ही मैं अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार सकी!

उसके बाद मैंने परमेश्वर का सहारा लेकर अपनी गवाही में मजबूती से खड़ी रही। मेरे पति ने मेरी राह में रुकावट बनना बंद कर दिया। अब मैं भाई-बहनों के साथ सभाओं में जाती हूं, साथ में परमेश्वर के वचनों पर संगति करती हूँ, और मैंने कलीसिया में अपना कर्तव्य भी निभाना शुरू कर दिया है। मेरा मन शांति और आनंद से सराबोर है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का धन्यवाद!

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झेंगशिन, अमेरिका2016 के अक्टूबर में, जब हम देश से बाहर थे, तब मेरे पति और मैंने अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकार किया था। कुछ...

26. अपने हृदय का द्वार खोलना और प्रभु की वापसी का स्वागत करना

योंगयुआन, अमेरिका1982 के नवंबर में, हमारा पूरा परिवार संयुक्त राज्य अमेरिका जाकर बस गया। मेरे दादा की पीढ़ी से ही हम सभी को परमेश्वर पर...

18. परमेश्वर का वचन जालों से निकलने में मेरी अगुवाई करता है

टिआँ'ना, हांगकांगपरमेश्वर के वचनों के लेख "क्या तुम जानते हो? परमेश्वर ने मनुष्यों के बीच एक बहुत बड़ा काम किया है" के पन्ने पलटते हुए, मुझे...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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