
मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ
खंड 6सर्वशक्तिमान परमेश्वर, अंत के दिनों का मसीह, सत्य व्यक्त करता है, परमेश्वर के घर से शुरूआत करते हुए न्याय का कार्य करता है और लोगों को शुद्ध करने और बचाने के लिए आवश्यक सभी सत्यों की आपूर्ति करता है। परमेश्वर के चुने हुए लोगों ने परमेश्वर की वाणी सुनी है, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लाए गए हैं, उन्होंने मेमने की दावत में भाग लिया है और राज्य के युग में परमेश्वर के लोगों के रूप में परमेश्वर के आमने-सामने अपना जीवन शुरू किया है। उन्होंने परमेश्वर के वचनों की सिंचाई, चरवाही, प्रकाशन और न्याय प्राप्त किया है, परमेश्वर के कार्य की एक नई समझ हासिल की है, शैतान द्वारा उन्हें भ्रष्ट किए जाने का असली तथ्य देखा है, सच्चे पश्चात्ताप का अनुभव किया है और सत्य का अभ्यास करने पर और स्वभाव में बदलाव से गुजरने पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया है; उन्होंने परमेश्वर के न्याय और ताड़ना का अनुभव करते हुए भ्रष्टता के शुद्धिकरण के बारे में विभिन्न गवाहियाँ तैयार की हैं। अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय कार्य ने विजेताओं का एक समूह बनाया है जो अपने व्यक्तिगत अनुभवों के जरिए यह गवाही देते हैं कि अंत के दिनों में महान श्वेत सिंहासन का न्याय पहले ही शुरू हो चुका है!
अनुभवजन्य गवाहियाँ
1जीवन प्रवेश छोटे या बड़े मामलों के बीच अंतर नहीं करता
3क्या कर्तव्यों में ऊँच-नीच का कोई भेद होता है?
5मसलों की रिपोर्ट करने के लिए संघर्ष
6पादरी के मार्गदर्शन के परिणाम
7क्या किस्मत के आधार पर चीजों के बारे में राय बनाना सही है
8मैं अब अपने बेटे से ज्यादा अपेक्षाएँ नहीं रखती
14मुझे खुद से बेहतर लोगों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए
18जब पदोन्नति की मेरी उम्मीद टूट गई
19हीनता की भावनाओं का समाधान कैसे करें
20आस्था के प्रति माता-पिता के विरोध का सामना करना
21किसी पर हमला करने और उसे बाहर करने के बाद आत्म-चिंतन
22एक छोटी सी बात ने मेरे असली स्वभाव को बेनकाब कर दिया
23अत्यधिक प्रतिस्पर्धी होना सभी को नुकसान पहुँचाता है
25महामारी के दौरान सुसमाचार का प्रसार
28क्या प्रसिद्धि और लाभ के पीछे भागने से जीवन खुशहाल होता है?
29परमेश्वर के वचनों ने मुझे अपनी गलतफहमियों को दूर करने का मार्ग दिखाया
33मैं अब खराब काबिलियत से बेबस नहीं होती
35पिता द्वारा देखरेख और सुरक्षा को कैसे लें
42मैं ईर्ष्या के जाल में फँस गई थी
45घमंड त्यागने से मुझे बहुत मुक्ति का एहसास हुआ
47झूठ बोलने के पीछे क्या छिपा है?
50अपने माता-पिता द्वारा पालन-पोषण किए जाने की दयालुता से कैसे पेश आएं
51प्रसिद्धि और लाभ की होड़ से मिला कष्ट
52बरखास्त होने के बाद मैंने क्या सीखा
53मैंने अपने कर्तव्य में जिम्मेदार होना सीखा
58मैं हमेशा पदोन्नति क्यों चाहती हूँ?
62दूसरों को विकसित करने से मैं बेनकाब हुआ
64समझने का दिखावा करने के परिणाम
65स्वार्थ और नीचता का थोड़ा ज्ञान
67दौलत, शोहरत और लाभ के पीछे भागने से क्या मिलता है?
68मुझे प्रसिद्धि और रुतबे के लिए कर्तव्य नहीं निभाना चाहिए
70सही लोगों की सिफारिश करने में अनिच्छा के पीछे की मंशा
72क्या परमेश्वर पर विश्वास केवल शांति और आशीष के लिए है?
73काट-छाँट से मिली अंतर्दृष्टि
75मैं अब अपनी मंजिल को लेकर विवश नहीं हूँ
78अपने माता-पिता के निधन के बारे में जानने के बाद
80कर्तव्य को लापरवाही से निभाने के परिणाम
82अपनी माँ के निधन के दुःख से मैं कैसे उबरी
83बुरे व्यक्ति का भेद पहचानने में सीखे गए सबक
85मैं अब अपनी कमजोरियों का सामना सही तरीके से कर सकता हूँ
87अपना कर्तव्य अच्छे से पूरा करना मेरा मिशन है
90मैंने ईमानदार होने का आनंद अनुभव किया
92पदोन्नति न चाहने के पीछे मेरी क्या चिंताएँ थीं?
97क्या मेजबानी का कर्तव्य निभाने वाला व्यक्ति तुच्छ होता है?