46. बुद्धिमान कुँवारियों ने प्रभु का स्वागत कैसे किया
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "जहाँ कहीं भी परमेश्वर प्रकट होता है, वहाँ सत्य व्यक्त होता है, और वहाँ परमेश्वर की वाणी होगी। केवल वे लोग ही परमेश्वर की वाणी सुन पाएँगे, जो सत्य को स्वीकार कर सकते हैं, और केवल इस तरह के लोग ही परमेश्वर के प्रकटन को देखने के योग्य हैं। अपनी धारणाओं को जाने दो! स्वयं को शांत करो और इन वचनों को ध्यानपूर्वक पढ़ो। यदि तुम सत्य के लिए तरसते हो, तो परमेश्वर तुम्हें प्रबुद्ध करेगा और तुम उसकी इच्छा और उसके वचनों को समझोगे। 'असंभव' के बारे में अपनी राय जाने दो! लोग किसी चीज़ को जितना अधिक असंभव मानते हैं, उसके घटित होने की उतनी ही अधिक संभावना होती है, क्योंकि परमेश्वर की बुद्धि स्वर्ग से ऊँची उड़ान भरती है, परमेश्वर के विचार मनुष्य के विचारों से ऊँचे हैं, और परमेश्वर का कार्य मनुष्य की सोच और धारणा की सीमाओं के पार जाता है। जितना अधिक कुछ असंभव होता है, उतना ही अधिक उसमें सत्य होता है, जिसे खोजा जा सकता है; कोई चीज़ मनुष्य की धारणा और कल्पना से जितनी अधिक परे होती है, उसमें परमेश्वर की इच्छा उतनी ही अधिक होती है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'परमेश्वर के प्रकटन ने एक नए युग का सूत्रपात किया है')। प्रभु का स्वागत करने की कुंजी प्रभु की वाणी को सुनने पर ध्यान देना, और फिर उसके आधार पर प्रभु को पहचान कर उसका स्वागत करना है। जिन लोगों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में परमेश्वर की वाणी को पहचान लिया है, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने स्वर्गारोहित किये जाते हैं और उसके साथ प्रभु के भोज में शामिल होते हैं। वे ही बुद्धिमान कुँवारियाँ हैं, लोगों में सबसे धन्य। पहले की अपनी आस्था में, मैं बाइबल के शाब्दिक अर्थ से चिपकी रही, अपनी कल्पना के अनुसार, प्रभु के बादल पर आकर मुझे राज्य में ले जाने को लालायित थी। प्रभु के वापस आ जाने की बात सुनकर भी मैंने न तो इसकी खोजबीन की और न ही परमेश्वर की वाणी को सुना। मैं क़रीब-क़रीब एक मूर्ख कुँवारी बन गयी, प्रभु की वापसी का स्वागत करने से चूक गयी। परमेश्वर के मार्गदर्शन से ही, मैं परमेश्वर की वाणी को सुन पायी और मेमने के विवाह-भोज में शामिल हो पायी।
अप्रैल 2018 में एक दिन, प्रभु में आस्था रखने वाली एक बहन ने मेरी अच्छी मित्र मिरेइल को एक फिल्म भेजी, जिसका नाम था कहाँ है घर मेरा, और कहा कि यह बहुत बढ़िया और वास्तविकता पर आधारित फिल्म है। मिरेइल मेरे घर आ गयी ताकि हम साथ बैठ कर फ़िल्म देख सकें। फिल्म की मुख्य किरदार जब दुखी और मायूस थी, तब मैंने देखा कि उसने एक मोटी-सी क़िताब खोली, उसके पृष्ठों में उसे फिर से जीवन की आशा मिल गयी। लेकिन उसके हाथ में बाइबल नहीं थी, उस क़िताब की सामग्री हमारे लिए बिल्कुल नयी थी। हम दोनों हैरान होकर देखती रहीं। बाद में, जब मुख्य किरदार मुश्किल में पड़ी, तो कलीसिया के भाई-बहन उसकी मदद करने के लिए आ गये। उन्होंने इस क़िताब को साथ मिलकर पढ़ा, एक-दूसरे को प्रोत्साहित कर मदद भी की। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ी, मेरी आँखों में आंसू आने लगे। मुझे लगा कि फिल्म के किरदार हमारे अँधेरे समाज के तमाम स्वार्थी लोगों से अलग हैं, लगा, वे जो पढ़ रहे थे, वह ख़ास है। हम वाकई जानना चाहती थीं कि इस क़िताब में क्या है, इसलिए हमने वीडियो के नीचे लिखी जानकारी पढ़ी। लेकिन उसमें यह देखकर कि प्रभु यीशु प्रकट हो चुका है, मैं यकीन नहीं कर पायी, सोचा, "हो ही नहीं सकता! प्रेरितों 1:11 में कहा गया है : 'हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।' प्रभु यीशु एक बादल पर गया था, अंत के दिनों में वापस आते समय वह भव्य महिमा के साथ फिर बादल पर आयेगा। ऐसा तो नहीं हुआ, लेकिन यहाँ कहा गया है कि प्रभु यीशु प्रकट हो गया है। यह बाइबल से मेल नहीं खाता है।" मैंने मिरेइल को अपने मन की बात बतायी, उसे मेरी बात ठीक लगी। इसके बाद, हमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में ज़्यादा कुछ भी मालूम नहीं किया, बस उस फिल्म को दो-चार बार और देखा।
कुछ समय तक, मैं प्रभु की वापसी की ख़बर के बारे में सोचती रही, फिर दो-चार महीने बाद ही मिरेइल और मेरे बीच यह विषय दोबारा उठा। हमने इस बारे में बात की कि फिल्म में पढ़े हुए वचनों से उनका विश्वास कितना बढ़ा और उनमें कैसी आशा जगी, कैसे ये वचन किसी ऐसे-वैसे इंसान के कहे हुए नहीं लग रहे थे। पूरी धार्मिक दुनिया में, सिर्फ़ सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ही प्रभु के लौटकर आने की गवाही दे रही है, यानी शायद बात इतनी सरल नहीं है। फिर हमें याद आया कि बाइबल में साफ़ तौर पर कहा गया है, प्रभु बादल पर वापस आयेगा, पादरियों और एल्डरों ने भी यही कहा है। तो फिर यह कलीसिया क्यों कह रही है कि प्रभु वापस आ चुका है? ये सब किस बारे में है? इस पर हमें गौर करना चाहिए या नहीं? मैं बड़े पशोपेश में थी, इसलिए मिरेइल और मैंने साथ में प्रार्थना की, प्रभु से सही विकल्प चुनने के लिये राह दिखाने की विनती की। बाद में, मैंने सोचा, "परमेश्वर हर चीज़ का शासक है, उसमें अपनी हर इच्छा पूरी करने की सामर्थ्य है। हम उसके कार्य को अपनी सोच और कल्पना तक ही सीमित कैसे कर सकते हैं? अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर सच में वापस आया हुआ प्रभु यीशु है, और मैं खोजबीन न करूं, प्रभु का स्वागत करने का अपना मौक़ा गँवा दूं, तो पूरी ज़िंदगी पछताती रहूँगी।" हमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य पर गौर करने का फैसला किया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की वेबसाइट के जरिये हमने बहन आना से संपर्क किया। उन्होंने भाई पियर से हमारा परिचय करवाया और हम सबने मिलकर प्रभु की वापसी के बारे में चर्चा की।
उस सभा में, मैंने उन्हें अपनी उलझन के बारे में बताया, मैंने कहा, "प्रेरितों 1:11 में कहा गया है कि प्रभु उसी तरह से वापस आयेगा जैसे वह गया था। वह सफ़ेद बादल पर गया था, इसलिए अंत के दिनों में वापस आते समय यकीनन वह सफ़ेद बादल पर ही आयेगा। कलीसिया में हमारे पादरी और एल्डर हमेशा यही कहते हैं और हम भी इसी पर यकीन करते हैं। हमने अभी तक प्रभु को सफ़ेद बादल पर आते नहीं देखा है, फिर आप कैसे कह सकते हैं कि वह वापस आ चुका है?"
भाई पियर ने कहा, "प्रभु के बादल पर आने की भविष्यवाणी ज़रूर पूरी होगी, लेकिन हम प्रभु के वापस आने के तरीके को सिर्फ़ एक भविष्यवाणी की सीमा में नहीं बाँध सकते। बाइबल में भविष्यवाणियाँ सिर्फ़ प्रभु के बादल पर सवार होकर आने के बारे में नहीं, उसके गुप्त रूप से आने के बारे में भी हैं। उदाहरण के लिए, प्रकाशितवाक्य 3:3 में कहा गया है : 'यदि तू जागृत न रहेगा तो मैं चोर के समान आ जाऊँगा, और तू कदापि न जान सकेगा कि मैं किस घड़ी तुझ पर आ पड़ूँगा।' फिर प्रकाशितवाक्य 16:15 में कहा है : 'देख, मैं चोर के समान आता हूँ।' मत्ती 25:6 में कहा है : 'आधी रात को धूम मची : "देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।"' फिर मरकुस 13:32 है, जिसमें कहा गया है : 'उस दिन या उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र; परन्तु केवल पिता।' इन भविष्यवाणियों में 'एक चोर की तरह' कहा गया है। 'चोर की तरह' यानी चुपचाप, गुप्त रूप से, किसी के जाने बिना, उसे देखकर भी किसी के पहचाने बिना। इन भविष्यवाणियों का अर्थ है कि प्रभु गुप्त रूप से आयेगा। बाइबल में अनेक भविष्यवाणियाँ हैं, जिनमें मनुष्य के पुत्र के आने का ज़िक्र किया गया है, जैसे कि लूका 12:40 : 'तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।' और 17:24-25 : 'क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।' यहाँ मनुष्य के पुत्र का अर्थ इंसान से पैदा हुआ, सामान्य इंसानियत वाला है। किसी आत्मा या आत्मिक देह को 'मनुष्य का पुत्र' नहीं कहा जा सकता। यहोवा परमेश्वर आत्मा है, इसलिए उसे 'मनुष्य का पुत्र' नहीं कहा जा सकता। प्रभु यीशु को मनुष्य का पुत्र और मसीह कहा जाता है, क्योंकि वह देहधारी रूप में परमेश्वर का आत्मा है, जिसने एक साधारण मनुष्य के पुत्र के रूप में जीवन जिया। इसलिए प्रभु द्वारा बतायी गयी मनुष्य के पुत्र के आने की बात का अर्थ है कि परमेश्वर वापस आते समय मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारी होगा। ख़ास तौर से एक पद में कहा गया है, 'परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।' यह और भी ठोस सबूत है कि वापस आते समय प्रभु देहधारी होकर आयेगा। अगर प्रभु पुनर्जीवित होने के बाद देहधारी होकर आने के बजाय प्रभु यीशु के आत्मा के रूप में आये, तो सब इतने भयभीत हो जाएंगे कि कोई भी उसका प्रतिरोध या निंदा नहीं करेगा। उसे इस पीढ़ी से कष्ट झेलने या ठुकराये जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इसलिए परमेश्वर के देहधारी होकर मनुष्य के पुत्र के रूप में गुप्त रूप से आना प्रभु के अंत के दिनों में आने का एक और तरीका है।"
इस बिंदु पर मैंने सोचा, "इसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। यह वैसा नहीं है जैसा मैंने सोचा था। लेकिन भाई पियर ने अपनी संगति सबूत के साथ पेश की थी, उनकी हर बात का बाइबल और प्रभु की भविष्यवाणियों के साथ तालमेल था। उनकी बातें बहुत आश्वस्त करने वाली थीं।" मैंने इन पदों को कई-कई बार पढ़ा, लेकिन मुझे कभी एहसास नहीं हुआ कि ये प्रभु के अंत के दिनों में गुप्त रूप से देहधारी होने के बारे में हैं। मेरी पुरानी सोच टूट कर बिखर गयी।
मिरेइल भी सोच में डूबी सिर हिला रही थी, उसने कहा, "हाँ, आपकी बात प्रभु के वचनों के अनुरूप है।"
लेकिन मैं एक बात को लेकर उलझन में थी, इसलिए मैंने उनसे पूछा, "अगर प्रभु मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारी होकर गुप्त रूप से आता है, तो उसके बादल पर आने की भविष्यवाणी कैसे पूरी होगी? यह तो विरोधाभास है, है न?"
भाई पियर ने यह कह कर जवाब दिया, "इन दो तरह की भविष्यवाणियों में कोई विरोधाभास नहीं है, क्योंकि प्रभु के वचन कभी व्यर्थ नहीं हो सकते। उसकी भविष्यवाणियाँ हमेशा पूरी होंगी। बात सिर्फ़ इतनी है कि ये परमेश्वर के कार्य के चरणों के अनुरूप पूरी होती हैं। वापस आये हुए प्रभु के प्रकटन और कार्य के कुछ चरण हैं। पहले, वह मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारी होकर दुनिया में गुप्त रूप से आता है, फिर वह एक बादल पर खुले तौर पर प्रकट होता है।"
मैंने पशोपेश में पड़ कर पूछा, "पहले वह गुप्त रूप से आता है, फिर खुले तौर पर प्रकट होता है? भाई, क्या आप इसे विस्तार से समझा सकते हैं?"
भाई पियर ने बात जारी रखी, "दरअसल बाइबल में भविष्यवाणी की गयी है कि परमेश्वर अंत के दिनों में विजेताओं का एक समूह बनाएगा। इस समूह को बनाना, गुप्त रूप से आने पर परमेश्वर द्वारा किये गये कार्य के लिए बहुत अहम है। परमेश्वर सत्य व्यक्त करने और परमेश्वर के घर से शुरू करके न्याय का कार्य करने, और विपत्तियों के आने से पहले विजेताओं का समूह बनाने के लिए, पहले देहधारी होकर अंत के दिनों में गुप्त रूप से आता है। फिर, परमेश्वर विपत्ति बरसायेगा, नेक लोगों को पुरस्कृत करेगा, दुष्ट लोगों को दंड देगा। विपत्तियों के बाद, परमेश्वर बादल पर आयेगा और सभी राष्ट्रों और लोगों को खुले तौर पर दिखाई देगा। जब परमेश्वर गुप्त रूप से देहधारी होकर कार्य करता है, तब सभी सच्चे विश्वासी जो उसके आने को लालायित रहते हैं, उसकी वाणी को सुनकर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर मुड़ जाते हैं। ये बुद्धिमान कुँवारियाँ हैं, जिनका परमेश्वर के वचनों से न्याय और शुद्धिकरण होता है और जो विजेता बनाये जाते हैं, ये विपत्तियों से बच जाते हैं। जो लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार नहीं करते, जो उसका प्रतिरोध और निंदा करते हैं, वे परमेश्वर के बादल पर आने और खुले में प्रकट होने पर देखेंगे कि उन्होंने जिसका विरोध किया, निंदा की, वह वापस आया हुआ प्रभु यीशु है। तब वे अपनी छाती पीटेंगे, रोयेंगे और दांत पीसेंगे। इससे प्रभु के बादल पर सवार होकर आने की भविष्यवाणियाँ पूरी होंगी, जिनमें कहा गया है : 'तब मनुष्य के पुत्र का चिह्न आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे' (मत्ती 24:30)। 'देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे' (प्रकाशितवाक्य 1:7)।"
फिर भाई पियर ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ा : "बहुत से लोगों को शायद इसकी परवाह न हो कि मैं क्या कहता हूँ, किंतु मैं ऐसे हर तथाकथित संत को, जो यीशु का अनुसरण करते हैं, बताना चाहता हूँ कि जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते अपनी आँखों से देखोगे, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते देखोगे, यही वह समय भी होगा जब तुम दंडित किए जाने के लिए नीचे नरक में जाओगे। वह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति का समय होगा, और वह समय होगा, जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और दुष्ट को दंड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति होगी। वे जो सत्य को स्वीकार करते हैं और संकेतों की खोज नहीं करते और इस प्रकार शुद्ध कर दिए गए हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट चुके होंगे और सृष्टिकर्ता के आलिंगन में प्रवेश कर चुके होंगे। सिर्फ़ वे जो इस विश्वास में बने रहते हैं कि 'ऐसा यीशु जो श्वेत बादल पर सवारी नहीं करता, एक झूठा मसीह है' अनंत दंड के अधीन कर दिए जाएँगे, क्योंकि वे सिर्फ़ उस यीशु में विश्वास करते हैं जो संकेत प्रदर्शित करता है, पर उस यीशु को स्वीकार नहीं करते, जो कड़े न्याय की घोषणा करता है और जीवन का सच्चा मार्ग बताता है। इसलिए केवल यही हो सकता है कि जब यीशु खुलेआम श्वेत बादल पर वापस लौटे, तो वह उनके साथ निपटे। वे बहुत हठधर्मी, अपने आप में बहुत आश्वस्त, बहुत अभिमानी हैं। ऐसे अधम लोग यीशु द्वारा कैसे पुरस्कृत किए जा सकते हैं? ... यीशु की वापसी उन लोगों के लिए एक महान उद्धार है, जो सत्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं, पर उनके लिए जो सत्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं, यह दंडाज्ञा का संकेत है। तुम लोगों को अपना स्वयं का रास्ता चुनना चाहिए, और पवित्र आत्मा के ख़िलाफ़ निंदा नहीं करनी चाहिए और सत्य को अस्वीकार नहीं करना चाहिए। तुम लोगों को अज्ञानी और अभिमानी व्यक्ति नहीं बनना चाहिए, बल्कि ऐसा बनना चाहिए, जो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का पालन करता हो और सत्य की खोज के लिए लालायित हो; सिर्फ़ इसी तरीके से तुम लोग लाभान्वित होगे" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नया बना चुका होगा')।
तब मैं समझ पायी। वापसी के समय प्रभु पहले गुप्त रूप से आकर विजेताओं का एक समूह बनाता है, फिर वह महाविपत्तियाँ बरसाता है, पुरस्कार और दंड दोनों देता है। इसके बाद, वह भव्य महिमा के साथ एक बादल पर आता है और सभी राष्ट्रों और लोगों के सामने खुले में प्रकट होता है। इन दोनों भविष्यवाणियों में बिल्कुल भी विरोधाभास नहीं है। मैं बहुत अंधी थी! प्रभु का आना इतनी बड़ी बात है और मैं इस पर गौर करने से मना कर रही थी, इसके बजाय मैं प्रभु के बादल पर आने से जुड़े पदों से चिपकी रही, मैंने परमेश्वर की वाणी नहीं सुनी। मैंने करीब-करीब एक मूर्ख कुँवारी बन कर प्रभु की वापसी का स्वागत करने का मौक़ा ही गँवा दिया। बस गँवाने ही वाली थी!
इसलिए मैंने भाई पियर से पूछा, "आप गवाही देते हैं कि प्रभु देहधारी रूप में वापस आया है, लेकिन यह देहधारण क्या है?" फिर उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़े : "'देहधारण' परमेश्वर का देह में प्रकट होना है; परमेश्वर सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करता है। इसलिए, परमेश्वर को देहधारी होने के लिए, सबसे पहले देह बनना होता है, सामान्य मानवता वाला देह; यह सबसे मौलिक आवश्यकता है। वास्तव में, परमेश्वर के देहधारण का निहितार्थ यह है कि परमेश्वर देह में रह कर कार्य करता है, परमेश्वर अपने वास्तविक सार में देहधारी बन जाता है, वह मनुष्य बन जाता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार')। "सामान्य मानवता वाला मसीह ऐसा देह है जिसमें आत्मा साकार हुआ है, जिसमें सामान्य मानवता है, सामान्य बोध है और मानवीय विचार हैं। 'साकार होने' का अर्थ है परमेश्वर का मानव बनना, आत्मा का देह बनना; इसे और स्पष्ट रूप से कहें, तो यह तब होता है जब स्वयं परमेश्वर सामान्य मानवता वाले देह में वास करके उसके माध्यम से अपने दिव्य कार्य को व्यक्त करता है—यही साकार होने या देहधारी होने का अर्थ है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार')।
उन्होंने अपनी बात जारी रखी, "देहधारी परमेश्वर, देह में लिपटा परमेश्वर का आत्मा है, यानी स्वर्ग का परमेश्वर हमें बचाने की खातिर, इंसानों के बीच कार्य करने और वचन बोलने के लिए मनुष्य का पुत्र बना है। परमेश्वर का स्वभाव, उसका स्वरूप, यह सब देह में साकार होता है। देहधारी परमेश्वर पूरी तरह से साधारण दिखता है, प्रतापी और अलौकिक नहीं। उसमें सामान्य इंसानियत है, वह सच में लोगों के संपर्क में आता है, वह हमारे बीच रहता है। कोई नहीं कह सकता कि वह देहधारी परमेश्वर है। लेकिन मसीह परमेश्वर के आत्मा का मूर्तरूप है और उसमें पूर्ण दिव्यता है। वह सत्य व्यक्त कर सकता है, परमेश्वर का कार्य कर सकता है, परमेश्वर का स्वभाव और उसके स्वरूप को व्यक्त कर सकता है। वह इंसान को सत्य, मार्ग और जीवन देता है, वह भ्रष्ट इंसान को सदा के लिए शुद्ध करके बचा सकता है। किसी भी इंसान में ये गुण नहीं होते, न ही कोई ये चीज़ें हासिल कर सकता है। देहधारी प्रभु यीशु देखने में एक साधारण इंसान लगता था, लेकिन सार में, वह देह रूप में साकार हुआ परमेश्वर का आत्मा था। वह लोगों का पोषण और सिंचन करने के लिए हमेशा सत्य व्यक्त कर सकता था। उसने लोगों को प्रायश्चित का मार्ग दिया। वह परमेश्वर का अपना कार्य कर सकता था और इंसान को पाप से छुटकारा दिला सकता था। इसलिए देहधारी परमेश्वर किसी भी सृजित प्राणी जैसा नहीं होता, उसका सार स्वयं परमेश्वर का होता है।"
आखिरकार मैं समझ पायी कि देहधारण, इंसान बना हुआ परमेश्वर है, जो वचन बोलने और कार्य करने के लिए दुनिया में आता है। इस देह में सामान्य इंसानियत और पूर्ण दिव्यता होती है। हालांकि वह साधारण नज़र आता है, मगर वह सत्य व्यक्त करके इंसान को बचाने के लिए परमेश्वर का कार्य कर सकता है। यह मसीह है! मैंने हमेशा "यीशु मसीह" का नाम पुकारा, लेकिन मैंने सच में यह कभी नहीं जाना कि मसीह कौन है। मैं इतनी अनजान थी।
फिर भाई पियर ने हमें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ कर सुनाया : "परमेश्वर द्वारा मनुष्य को सीधे पवित्रात्मा की पद्धति और पवित्रात्मा की पहचान का उपयोग करके नहीं बचाया जाता, क्योंकि उसके पवित्रात्मा को मनुष्य द्वारा न तो छुआ जा सकता है, न ही देखा जा सकता है, और न ही मनुष्य उसके निकट जा सकता है। यदि उसने पवित्रात्मा के दृष्टिकोण के उपयोग द्वारा सीधे तौर पर मनुष्य को बचाने का प्रयास किया होता, तो मनुष्य उसके उद्धार को प्राप्त करने में असमर्थ होता। यदि परमेश्वर एक सृजित मनुष्य का बाहरी रूप धारण न करता, तो मनुष्य के लिए इस उद्धार को प्राप्त करने का कोई उपाय न होता। क्योंकि मनुष्य के पास उस तक पहुँचने का कोई तरीका नहीं है, बहुत हद तक वैसे ही जैसे कोई मनुष्य यहोवा के बादल के पास नहीं जा सकता था। केवल एक सृजित मनुष्य बनकर, अर्थात् अपने वचन को उस देह में, जो वह बनने वाला है, रखकर ही वह व्यक्तिगत रूप से वचन को उन सभी लोगों में ढाल सकता है, जो उसका अनुसरण करते हैं। केवल तभी मनुष्य व्यक्तिगत रूप से उसके वचन को देख और सुन सकता है, और इससे भी बढ़कर, उसके वचन को ग्रहण कर सकता है, और इसके माध्यम से पूरी तरह से बचाया जा सकता है। यदि परमेश्वर देह नहीं बना होता, तो कोई भी देह और रक्त से युक्त मनुष्य ऐसे बड़े उद्धार को प्राप्त न कर पाता, न ही एक भी मनुष्य बचाया गया होता। यदि परमेश्वर का आत्मा मनुष्यों के बीच सीधे तौर पर काम करता, तो पूरी मानवजाति खत्म हो जाती या फिर परमेश्वर के संपर्क में आने का कोई उपाय न होने के कारण शैतान द्वारा पूरी तरह से बंदी बनाकर ले जाई गई होती। प्रथम देहधारण मनुष्य को पाप से छुटकारा देने के लिए था, उसे यीशु की देह के माध्यम से छुटकारा देने के लिए था, अर्थात् यीशु ने मनुष्य को सलीब से बचाया, किंतु भ्रष्ट शैतानी स्वभाव फिर भी मनुष्य के भीतर रह गया। दूसरा देहधारण अब पापबलि के रूप में कार्य करने के लिए नहीं है, अपितु उन लोगों को पूरी तरह से बचाने के लिए है, जिन्हें पाप से छुटकारा दिया गया था। इसे इसलिए किया जा रहा है, ताकि जिन्हें क्षमा किया गया था, उन्हें उनके पापों से मुक्त किया जा सके और पूरी तरह से शुद्ध बनाया जा सके, और वे एक परिवर्तित स्वभाव प्राप्त करके शैतान के अंधकार के प्रभाव को तोड़कर आज़ाद हो जाएँ और परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट आएँ। केवल इसी तरीके से मनुष्य को पूरी तरह से पवित्र किया जा सकता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'देहधारण का रहस्य (4)')।
फिर उन्होंने यह संगति साझा की : "हालांकि प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य का अर्थ था कि हमारे पापों को क्षमा किया गया, मगर हमारी शैतानी प्रकृति बरकरार रही। हम अभी भी अहंकार और कपट जैसे अपने शैतानी भ्रष्ट स्वभाव के साथ जीते हैं। हम अपने हितों के लिए झूठ बोलते और धोखा देते हैं, फायदे के लिए दूसरों से होड़ लगाते हैं और एक-दूसरे के खिलाफ़ साजिश करते हैं। हम पाप करने और परमेश्वर का प्रतिरोध करने से बच नहीं पाते। भले ही ऐसा दिखे कि हम त्याग कर रहे हैं, कष्ट झेल रहे हैं, मगर दरअसल हम परमेश्वर के साथ सौदे कर रहे हैं, प्रतिफल के रूप में हम राज्य के आशीष पाने की आशा करते हैं। हम परमेश्वर की इच्छा का बिल्कुल भी पालन नहीं करते। परमेश्वर पवित्र है, हम जैसे गंदे और भ्रष्ट लोग परमेश्वर के राज्य में प्रवेश के बिल्कुल भी योग्य नहीं हैं। परमेश्वर अंत के दिनों में फिर से देहधारी हुआ है, इंसान को उसकी पापी प्रकृति से बचाने के लिए। उसका सच में हमसे संपर्क है, वह हमारा सिंचन करने और हमें रास्ता दिखाने के लिए सत्य व्यक्त करता है, वह हमारे शैतानी स्वभाव और प्रकृति को उजागर कर न्याय करता है। वह हमें अपना स्वभाव बदलने का रास्ता भी दिखाता है, हमें बताता है कि सामान्य इंसानियत के साथ कैसे जियें और उसे आनंद देने वाले ईमानदार लोग कैसे बनें। परमेश्वर के वचनों के न्याय का अनुभव करके, हम अपनी भ्रष्टता और शैतानी प्रकृति को सच में जान कर उससे घृणा करते हैं, प्रायश्चित करके उसके वचन के अनुसार जीना चाहते हैं। हमने धीरे-धीरे भ्रष्ट स्वभाव को छोड़ कर इंसानियत के साथ जीना शुरू किया है। सिर्फ़ देहधारी परमेश्वर ही अपने कार्य में यह हासिल कर सकता है। अगर परमेश्वर, यहोवा परमेश्वर की तरह अंत के दिनों में, वचन बोल कर कार्य करने के लिए अपने आत्मा-रूप में आये, तो वह इंसान को शुद्ध करके बचाने में असमर्थ होगा। क्योंकि लोग परमेश्वर के आत्मा को देख या छू नहीं सकते, अगर वह उनसे सीधे बात करे, तो वे उसे समझ नहीं पायेंगे। यही नहीं, परमेश्वर का आत्मा इतना पवित्र है कि भ्रष्ट इंसान उसके क़रीब नहीं जा सकता, बल्कि गंदा और भ्रष्ट होने की वजह से उसे खत्म कर दिया जाएगा। पुराने नियम में कहा गया है कि यहोवा परमेश्वर गड़गड़ाहट की आवाज़ के साथ सिनाई पर्वत पर प्रकट हुआ। इस्राएलियों ने पर्वत पर धुआँ और कड़कती बिजली की चमक देखी, गड़गड़ाहट और भोंपू की आवाज़ सुनी। उन्होंने बहुत दूर खड़े होकर मूसा से कहा, 'तू ही हम से बातें कर, तब तो हम सुन सकेंगे; परन्तु परमेश्वर हम से बातें न करे, ऐसा न हो कि हम मर जाएँ' (निर्गमन 20:19)। और जब दाऊद यहूदा के बाला से इस्राएलियों की अगुआई करके परमेश्वर के संदूक को यरुशलम ला रहे था, तब एक बैल लड़खड़ा गया और जब उज्जा ने संदूक को संभालने की कोशिश की, तो परमेश्वर के आत्मा ने उसे मार दिया। (देखें 1 इतिहास 13:9-10) अंत के दिनों में शैतान ने इंसान को गहराई से भ्रष्ट कर दिया है। अगर परमेश्वर आत्मा के रूप में कार्य करने आया, तो कोई भी नहीं बच पायेगा। हम सभी गंदे और भ्रष्ट होने के कारण परमेश्वर के हाथों मार दिये जाएंगे। इसलिए भ्रष्ट इंसान के रूप में हमारी ज़रूरतों के अनुसार, परमेश्वर ने हमें बचाने के लिए सबसे फायदेमंद रास्ता चुना है—वह देहधारी बन जाता है, सत्य व्यक्त कर भ्रष्ट इंसान का न्याय और शुद्धिकरण करता है। यह इंसान के लिए परमेश्वर का महानतम प्रेम और उद्धार है!"
मैं इतनी अधिक प्रेरित हुई कि मैंने उत्साह से कहा, "सच में अंत के दिनों में कार्य करने के लिए हमें मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारी परमेश्वर की ज़रूरत है। यह भ्रष्ट इंसान के लिए सबसे बड़ा उद्धार है!" मैं परमेश्वर के कार्य करने के तरीकों के बारे में पहले जानती ही नहीं थी। मैंने उसकी वाणी को सुनने की कोशिश नहीं की, इसलिए न मैं उसे जान पायी न ही उसका स्वागत किया। मैं बेवकूफ़-सी प्रभु के बादल पर आने और हमें स्वर्ग में ले जाने का इंतज़ार करती रही। मैं कितनी बेवकूफ़ थी!
फिर, हमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अनेक वचन पढ़े और हमें पता चला कि बुद्धिमान कुँवारियाँ कौन हैं, मूर्ख कुँवारियाँ कौन हैं, परमेश्वर कैसे प्रकट होता है, परमेश्वर के नामों, उसके देहधारणों और अंत के दिनों में उसके न्याय-कार्य के रहस्य क्या हैं। हम ये समझ पायीं कि परमेश्वर इंसान को बचाने के लिए व्यवस्था के युग, अनुग्रह के युग और राज्य के युग में तीन चरणों का कार्य करता है। कार्य के ये तीन चरण ही इंसान को शैतान की ताक़त से बचा सकते हैं। हमने जाना कि यहोवा परमेश्वर, प्रभु यीशु, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर, सभी एक ही परमेश्वर हैं। हमने पहचान लिया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर वापस आया हुआ प्रभु यीशु है, और उसे स्वीकार कर लिया। हमने आखिरकार प्रभु का स्वागत किया! सर्वशक्तिमान परमेश्वर का धन्यवाद!