प्रश्न 5: मैं सोचा करती थी कि सीसीपी के दिन अब सीमित हैं और शीघ्र ही उसका पतन हो जाएगा, अगर विश्वास करने से पूर्व मैं उसके पतन की प्रतीक्षा करूं, तो क्या ढेरों मुश्किलों से मेरा बचाव नहीं हो जाएगा? लेकिन मैं अब देख रही हूं कि हमें प्रताड़ित और गिरफ़्तार करने में सीसीपी का उद्देश्य हमें नरक में भेजना है! अगर हम सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर में विश्वास करने के पूर्व सीसीपी के नष्ट होने की प्रतीक्षा करते हैं, तो भी क्या हम अंत के दिनों में परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश कर परमेश्‍वर का उद्धार पा सकेंगे? क्या हम उद्धार का हमारा अवसर खो देंगे?

उत्तर: आज, क्योंकि हम परमेश्‍वर में विश्वास करते हैं, सत्य की खोज करते हैं और जीवन में सच्‍चे मार्ग पर चलते हैं, हम सीसीपी के उग्र अत्याचार और उत्पीड़न का सामना करते हैं। ये बहुत अर्थपूर्ण बात है! ऐसा इसलिये कि परमेश्‍वर सीसीपी की शैतानी सत्ता का उपयोग विजेताओं के एक समूह को पूर्ण करने में कर रहे हैं, और साथ ही उन लोगों का खुलासा और विनाश कर रहे हैं, जो परमेश्‍वर में ईमानदारी से विश्वास और सत्य से प्रेम नहीं करते हैं। सच्चे विजेता वे हैं जो सीसीपी की दमनकारी सत्ता के अंदर रहते हुए, परमेश्‍वर के वचनों को सच्चे विश्वास के साथ अनुभव कर सकते हैं, सीसीपी के उग्र दबाव और क्रूर उत्पीड़न को अनुभव करते हुए, दुष्ट शैतान के असली रंगों को पूरी तरह देख पाते हैं, और फिर शैतान से घृणा कर, उसका परित्याग कर, ईमानदारी से परमेश्‍वर की ओर मुड़ कर, उद्धार प्राप्त कर सकते हैं और पूर्ण किये जा सकते हैं! विजेता सीसीपी की शैतानी सत्ता द्वारा परमेश्‍वर के विरोध और परमेश्‍वर के चुने हुए लोगों के उत्पीड़न के विशेष वातावरण में बनाए जाते हैं। सीसीपी के शैतानों के अत्याचार और उत्पीड़न से बने हुए कठोर वातावरण के बिना, सच्चे विजेता नहीं बनाए जा सकते। जो लोग सच्चाई से परमेश्‍वर को पाना चाहते हैं, उन पर सीसीपी चाहे कितना भी अत्याचार करे, चाहे कितना ही कड़ा वातावरण क्यों न हो जाए, वे फिर भी परमेश्‍वर का अनुसरण करेंगे, अपना कर्तव्य निभाएंगे, सत्य की खोज में अपना सब कुछ दांव पर लगा देंगे, और परमेश्‍वर में अधिक से अधिक विश्वास करेंगे! वे सीसीपी के न्याय के दमन और दुष्टता के समर्थन, उसके न्यायहीन, विकृत एवं दुष्ट, प्रतिक्रियावादी सार को समझ पाएंगे। वे साफ़ तौर पर देख पाएंगे कि सीसीपी वो शैतान है जो मानवजाति को भ्रष्ट और पीड़ित करती है और उसे निगल जाती है, इसलिए वे उससे और अधिक घृणा करेंगे, उसके विरूद्ध बगावत करेंगे और सच्चाई के साथ परमेश्‍वर की ओर मुड़ जाएंगे। हालांकि सीसीपी की शैतानी सत्ता द्वारा लाई गई विषमता के माध्यम से, वे परमेश्‍वर की धार्मिकता, पवित्रता, सुंदरता और अच्छाई को भी जान गए हैं। मानवजाति को परमेश्‍वर सिर्फ प्रेम और उद्धार प्रदान करते हैं! परमेश्‍वर के प्रति उनका जो प्रेम और विश्वास है वो बढ़ गया है, और उनके हृदय परमेश्‍वर के ज्यादा करीब आ गए हैं। ये लोग सीसीपी की शैतानी सत्ता के अंधकारमय प्रभाव से पूरी तरह टूट चुके हैं और विजेता की गवाही देते हैं। ये परमेश्‍वर द्वारा दारूण दुःख के बीच विजेता बनाए गए लोग हैं, ये ऐसे लोगों का समूह भी हैं जो मसीह के "दुःख, राज्य और धैर्य" का हिस्सा हैं। वे मसीह के सच्चे गवाह हैं, वे 144,000 विजेता जिनका प्रकाशितवाक्य में उल्लेख है, वे जो परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश करेंगे और शाश्वत जीवन प्राप्त करेंगे! इसीलिए विश्वास और सत्य की खोज के लिए हमारा सीसीपी के अत्याचार का अनुभव करना कितना अर्थपूर्ण है! जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा थाः "धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएँ और झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें" (मत्ती 5:10-11)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "तुम सब लोगों को शायद ये वचन स्मरण हों : 'क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है।' तुम सब लोगों ने पहले भी ये वचन सुने हैं, किंतु तुममें से कोई भी इनका सच्चा अर्थ नहीं समझा। आज, तुम उनकी सच्ची महत्ता से गहराई से अवगत हो। ये वचन परमेश्वर द्वारा अंत के दिनों के दौरान पूरे किए जाएँगे, और वे उन लोगों में पूरे किए जाएँगे जिन्हें बड़े लाल अजगर द्वारा निर्दयतापूर्वक उत्पीड़ित किया गया है, उस देश में जहाँ वह कुण्डली मारकर बैठा है। बड़ा लाल अजगर परमेश्वर को सताता है और परमेश्वर का शत्रु है, और इसीलिए, इस देश में, परमेश्वर में विश्वास करने वाले लोगों को इस प्रकार अपमान और अत्याचार का शिकार बनाया जाता है, और परिणामस्वरूप, ये वचन तुम लोगों में, लोगों के इस समूह में, पूरे किए जाते हैं" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, क्या परमेश्वर का कार्य उतना सरल है जितना मनुष्य कल्पना करता है?)। अब परमेश्‍वर द्वारा विजेताओं को पूर्ण किये जाने का स्वर्णिम समय है। जब सीसीपी का पतन होगा, तो ये विजेता परमेश्‍वर के विजय की गवाही देने के लिए जनसाधारण के बीच खड़े होंगे! जब परमेश्‍वर की उनकी गवाही चरम पर पंहुच जाएगी, परमेश्‍वर का राज्य आधिकारिक रूप से पृथ्वी पर कायम हो जाएगा! मानवजाति को बचाने का परमेश्‍वर का कार्य तब पूरा हो जाएगा। जो लोग बचाए जा चुके होंगे और परिशुद्ध हो चुके होंगे वे तब तक व्यवस्थित हो चुके होंगे। अगर हम तब तक विश्वास करने की प्रतीक्षा करते हैं, तो हम परमेश्‍वर द्वारा विजेता बनाए जाने के अवसर को चूक जाएंगे। ऐसे लोग विजेता की गवाही न दे पाएंगे और न ही परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश कर पाएंगे। अगर वे बच भी जाते हैं, तो वे सिर्फ "सेवा करने" वालों के रूप में गिने जाएंगे और परमेश्‍वर के राज्य के सदस्य न होंगे।

परमेश्‍वर सर्वशक्तिमान हैं। परमेश्‍वर की बुद्धिमत्ता सदैव शैतान की योजना पर काम करती है। सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के अंत के दिनों के कार्य को किसी भी शत्रुतापूर्ण ताकत के द्वारा रोका नहीं जा सकता है। जबसे सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर ने अपने अंत के दिनों के कार्य प्रारंभ किए, उन्होंने निरंतर शैतानी सीसीपी के उग्र विरोध और धार्मिक मंडलियों की निंदा का सामना किया है। परंतु परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार फिर भी चीन की मुख्य भूमि पर फैल कर, एक अभूतपूर्व सीमा तक पंहुच गया है, पूरे देश में हज़ारों की संख्या में कलीसिया स्थापित हो गए हैं लाखों लोग सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के नाम को स्वीकार कर चुके हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर ने लोगों का एक समूह बनाया है जो उनके समान मन वाले हैं। अब, सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के सुसमाचार की वेबसाइट को दुनिया भर के कई देशों और स्थानों में खोला जा चुका है। सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के वचन स्वीकार किए जा रहे हैं और अधिक से अधिक लोगों द्वारा प्रसारित किए जा रहे हैं। राज्य के विस्तार का सुसमाचार पूर्ण रूप से परमेश्‍वर की सर्वशक्तिमत्ता और बुद्धिमत्ता को उजागर करता है!

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "आज परमेश्वर अपना कार्य करने के लिए संसार में लौट आया है। उसका पहला पड़ाव तानाशाही शासन का नमूना है : नास्तिकता का कट्टर गढ़ चीन है। परमेश्वर ने अपनी बुद्धि और सामर्थ्य से लोगों का एक समूह प्राप्त कर लिया है। इस अवधि के दौरान चीन की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा उसका हर तरह से शिकार किया जाता रहा है और उसे अत्यधिक पीड़ा का भागी बनाया जाता रहा है, उसे अपना सिर टिकाने के लिए भी कोई जगह नहीं मिली और वह कोई आश्रय पाने में असमर्थ रहा। इसके बावजूद, परमेश्वर अभी भी वह कार्य जारी रखे हुए है, जिसे करने का उसका इरादा है : वह अपनी वाणी बोलता है और सुसमाचार का प्रसार करता है। कोई भी परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता की थाह नहीं पा सकता। चीन में, जो परमेश्वर को शत्रु माननेवाला देश है, परमेश्वर ने कभी भी अपना कार्य बंद नहीं किया है। इसके बजाय, और अधिक लोगों ने उसके कार्य और वचन को स्वीकार किया है, क्योंकि परमेश्वर मानवजाति के हर एक सदस्य को अधिक से अधिक बचाता है, जो वह कर सकता है। हमें विश्वास है कि परमेश्वर जो कुछ प्राप्त करना चाहता है, उसके मार्ग में कोई भी देश या शक्ति ठहर नहीं सकती। जो लोग परमेश्वर के कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं, परमेश्वर के वचन का विरोध करते हैं, और परमेश्वर की योजना में विघ्न डालते और उसे बिगाड़ते हैं, अंततः परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाएँगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है)

"राज्य मनुष्यों के मध्य विस्तार पा रहा है, यह मनुष्यों के मध्य बन रहा है और यह मनुष्यों के मध्य खड़ा हो रहा है; ऐसी कोई भी शक्ति नहीं है जो मेरे राज्य को नष्ट कर सके। ... अब मैं अपने लोगों के मध्य चल रहा हूँ, और उनके मध्य रह रहा हूँ। आज जो लोग मेरे लिए वास्तविक प्रेम रखते हैं, ऐसे लोग धन्य हैं। धन्य हैं वे लोग जो मुझे समर्पित हैं, वे निश्चय ही मेरे राज्य में रहेंगे। धन्य हैं वे लोग जो मुझे जानते हैं, वे निश्चय ही मेरे राज्य में शक्ति प्राप्त करेंगे। धन्य हैं वे जो मुझे खोजते हैं, वे निश्चय ही शैतान के बंधनों से स्वतंत्र होंगे और मेरे आशीषों का आनन्द लेंगे। धन्य हैं वे लोग जो अपनी दैहिक-इच्छाओं को मेरे लिए त्यागते हैं, वे निश्चय ही मेरे राज्य में प्रवेश करेंगे और मेरे राज्य की प्रचुरता पाएंगे। जो लोग मेरी खातिर दौड़-भाग करते हैं उन्हें मैं याद रखूंगा, जो लोग मेरे लिए व्यय करते हैं, मैं उन्हें आनन्द से गले लगाऊंगा, और जो लोग मुझे भेंट देते हैं, मैं उन्हें आनन्द दूंगा। जो लोग मेरे वचनों में आनन्द प्राप्त करते हैं, उन्हें मैं आशीष दूंगा; वे निश्चय ही ऐसे खम्भे होंगे जो मेरे राज्य में शहतीर को थामेंगे, वे निश्चय ही मेरे घर में अतुलनीय प्रचुरता को प्राप्त करेंगे और उनके साथ कोई तुलना नहीं कर पाएगा। क्या तुम लोगों ने कभी मिलने वाले आशीषों को स्वीकार किया है? क्या कभी तुमने उन वादों को खोजा जो तुम्हारे लिए किए गए थे? तुम लोग निश्चय ही मेरी रोशनी के नेतृत्व में, अंधकार की शक्तियों के गढ़ को तोड़ोगे। तुम अंधकार के मध्य निश्चय ही मार्गदर्शन करने वाली ज्योति को नहीं खोओगे। तुम सब निश्चय ही सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी होगे। तुम लोग निश्चय ही शैतान के सामने विजेता बनोगे। तुम सब निश्चय ही बड़े लाल अजगर के राज्य के पतन के समय, मेरी विजय की गवाही देने के लिए असंख्य लोगों की भीड़ में खड़े होगे। तुम लोग निश्चय ही सिनिम के देश में दृढ़ और अटूट खड़े रहोगे। तुम लोग जो कष्ट सह रहे हो, उनसे तुम मेरे आशीष प्राप्त करोगे और निश्चय ही सकल ब्रह्माण्ड में मेरी महिमा का विस्तार करोगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 19)

"विजय गान" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 4: सीसीपी सरकार के शासन में, लोग गिरफ़्तार हो सकते हैं, उन पर अत्याचार हो सकते हैं और सच्चे मार्ग को स्वीकार करने के लिए उन्हें मार भी दिया जा सकता है। मुझे समझ नहीं आता कि सीसीपी सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के कार्य से इतनी भयभीत क्यों है?

अगला: प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

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1. प्रभु ने हमसे यह कहते हुए, एक वादा किया, "मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)। प्रभु यीशु पुनर्जीवित हुआ और हमारे लिए एक जगह तैयार करने के लिए स्वर्ग में चढ़ा, और इसलिए यह स्थान स्वर्ग में होना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु लौट आया है और पृथ्वी पर ईश्वर का राज्य स्थापित कर चुका है। मुझे समझ में नहीं आता: स्वर्ग का राज्य स्वर्ग में है या पृथ्वी पर?

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