62. मैंने एक मसीह-विरोधी की रिपोर्ट कैसे की

कुछ साल पहले, अपना कर्तव्य निभाने, मैं अपनी स्थानीय कलीसिया लौट आई। जब अगुआ झैंग शिन ने यह कहा कि सिंचन उपयाजिका शाओ लियू थी, तो मैं भौंचक्की रह गई। मुझे मालूम था कि शाओ लियू फूट डालती थी, लोगों का दमन करती थी, कलीसिया में सत्ता हथियाने के लिए, उसने कुछ दुष्कर्मियों के साथ मिलकर, अगुआओं और कर्मियों को झूठा बताकर कलीसिया में उपद्रव मचाया था। तब भाई-बहनों ने उसके बर्ताव से पहचान लिया था कि वो दुष्कर्मी है, वे उसके निष्कासन की तैयारी कर रहे थे। तो अब वह सिंचन उपयाजिका कैसे बन गई? मैंने झैंग शिन से पूछा, तो उसने बताया कि शाओ लियू अब बदल गई थी, कर्तव्य की जिम्मेदारी उठाती थी, मुझे विकास के नजरिए से उसे प्रेम से देखना चाहिए। हालाँकि मुझे शंका थी, पर मैं हाल ही में लौटी थी, तो मुझे कुछ पता नहीं था, मैंने सोचा कि एक अगुआ के नाते, झैंग शिन सिद्धांतों के खिलाफ लोगों को नहीं चुनेगी, इसलिए मैंने ज्यादा कुछ नहीं पूछा। झैंग शिन ने यह भी कहा कि अगुआ के रूप में उसकी सहयोगी रही बहन फैन्ग लिंग ने बर्खास्त होने के बाद से, न कोई कर्तव्य निभाया था, न सभाओं में भाग लिया, इसलिए उसे हटाया जाना था, झैंग शिन ने मुझे बहन फैन्ग लिंग के बुरे बर्ताव की जानकारी जुटाने को कहा। इससे मुझे शक हुआ। बहन फैन्ग लिंग अपने कर्तव्य की जिम्मेदारी नहीं उठाती थी। वह व्यावहारिक कार्य न करने वाली एक झूठी अगुआ थी। लेकिन बर्खास्त होने के बाद सुसमाचार प्रचार कर रही थी, सामान्य मामले देखती थी, बुरे काम नहीं करती थी। उसे हटाना क्यों जरूरी था? मैंने जितना सोचा, उतना ही गलत लगा। मुझे याद आया कि पहले झैंग शिन की बदले की भावना बहुत मजबूत हुआ करती थी। बहन फैन्ग लिंग ने एक बार उच्च-स्तर के अगुआओं को रिपोर्ट की कि झैंग शिन बिना जिम्मेदारी के कर्तव्य निभाती थी। कहीं ऐसा तो नहीं कि इसे लेकर वह बैर पाले हुए थी और बहन फैन्ग लिंग से बदला लेना चाहती थी? अगर बात यह थी, तो झैंग शिन बहन फैन्ग लिंग को दंड दे रही थी, और यह दुष्कर्म करना था! लेकिन फिर लगा कि मुझे बहन फैन्ग लिंग का हाल का बर्ताव मालूम नहीं था, इसलिए मैं निश्चित नहीं थी कि समस्या झैंग शिन में थी। पक्का होने तक मैंने रुकने का फैसला किया।

बाद में, मैंने सुना कि झैंग शिन ने एक सभा में तथ्य तोड़-मरोड़ कर बहन फैन्ग लिंग की आलोचना की थी, एक बहन के खंडन करने पर, उसने उस बहन और बहन फैन्ग लिंग की निंदा कर कहा कि वे अगुआ पर हमला कर रहे हैं, और उस बहन को अलग कर दिया। एक दूसरी बहन ने कहा कि बहन फैन्ग लिंग दूसरों से प्रेम से पेश आती थी। झैंग शिन ने तब झूठ बोला कि बहन की सुरक्षा खतरे में थी, और उसे तीन महीने के लिए घर में बंद कर दिया। एक बहन थी, जो सामान्य मामलों की प्रभारी थी, उसे झैंग शिन ने कर्तव्य निभाने से सिर्फ इसलिए रोक दिया क्योंकि उसने उसे सलाह दी थी। मैं भी चौंक गई थी। कैसे झैंग शिन परमेश्वर से जरा भी नहीं डरती थी? उसने लोगों को दबाने के बहुत-से बुरे काम किए थे। उसने जिन्हें दबाया, वे कलीसिया में सत्य का अनुसरण करते थे। निश्चित रूप से झैंग शिन के साथ समस्या थी। मैं मसला समझने के लिए, सिंचनकर्मी बहन ली शिंरूई के पास गई। बहन शिंरूई ने मुझे बताया, "शाओ लियू को जरा भी पछतावा नहीं है। वह अब भी हर सभा में अपनी पैरवी और बचाव करती है, और कलीसियाई जीवन में बाधा डालती है। जब बहन फैन्ग लिंग अगुआ थी, तो उसने शाओ लियू के बुरे बर्ताव की जाँच की थी, इसलिए शाओ लियू उससे बदला लेना चाहती है।" मुझे बहुत बुरा लगा। झैंग शिन ने कहा था कि शाओ लियू ने प्रायश्चित्त किया था। वह कलीसिया को बाधित करने वाली एक दुष्कर्मी को माफ कर रही थी। क्या यह झूठी अगुआई की अभिव्यक्ति नहीं है? लेकिन फिर सोचा कि झैंग शिन ज्यादा समय से अगुआ नहीं थी, मैंने संगति कर उसकी कोई मदद भी नहीं की थी। मैंने पहले उसे ये बातें बतानी चाही। मैंने झैंग शिन को बताया कि उसने इन बहनों को कर्तव्य निभाने से रोककर सिद्धांतों का उल्लंघन किया था। मुझे उम्मीद नहीं थी कि वह मुझ पर चिल्लाने लगेगी, "कुछ लोग मेरी बात नहीं मानते, पीठ पीछे मेरी बुराई करते हैं! मुझे सब पता है कि कौन मेरे बारे में क्या सोचता है। अगर वे मेरी बात नहीं मानना चाहते, तो जाकर उच्च अगुआओं को रिपोर्ट करें! मेरा हर काम न्याय-संगत और सच्चा है। कोई कुछ भी कहे, मैं नहीं डरती।" लेकिन उसके बुरे जवाब से मैं सहम गई। अब कलीसिया में सिर्फ वो ही फैसला लेती थी, जो उसकी बात न मानता, उसे दबाकर दंडित करती थी। वह एक अत्याचारी थी, और कुछ नहीं। मैंने उसकी एक समस्या बताई तो उसने इतनी दुष्टता दिखाई, मुझे डर लगा कि अगर मैंने और समस्याएँ बताकर उसे उजागर किया, तो वह मुझे कर्तव्य निभाने से रोक देगी। फिर क्या मेरे जीवन का नुकसान नहीं होगा? यह ख्याल आते ही, मैंने उसकी समस्याएँ बताना बंद कर दिया। घर पहुँचकर मैंने बहुत दोषी महसूस किया। एक दुष्कर्मी कलीसिया को बाधित कर रही थी, भाई-बहनों का दमन हो रहा था। मामला निपटाने के बजाय झैंग शिन लोगों का दमन कर रही थी, जब मैंने उसकी समस्याएँ बताईं, तो वह नहीं मानी। मैं जानती थी कि मुझे उच्च अगुआओं से इसकी रिपोर्ट करनी चाहिए। इसके बाद, मैं बहन शिंरूई से मिलने गई। रिपोर्ट-लेटर लिखने के सिद्धांतों पर चर्चा कर हमने झैंग शिन की रिपोर्ट की तैयारी की। लेकिन जब हमने उसके बुरे बर्ताव के बारे में लिख लिया और उसे सौंपने की बात आई, तो मैं फिर से झिझकने लगी। अगर झैंग शिन को हमारे रिपोर्ट-लेटर का पता चल गया, और उसने आरोप लगाकर हमें निष्कासित करवा दिया, तो हम क्या करेंगे? अगर मुझे निष्कासित कर दिया गया, तो कैसे बचाई जा सकूँगी? यह सोचकर, मैंने लंबे समय तक रिपोर्ट नहीं सौंपी। लेकिन कलीसिया में हो रहा उपद्रव देखकर, मुझे रिपोर्ट न करने का बुरा लगा।

एक रात, जब मैं बहन शिंरूई के घर गई थी, तो झैंग शिन अचानक पहुँच गई, उसने बहन शिंरूई पर कलीसिया में उसे उजागर करने का आरोप लगाया। उसका खराब रवैया देखकर मुझे बहुत गुस्सा आया। वह सच में बहुत अत्याचारी थी। वह कलीसिया में उपद्रव मचा रही थी, दूसरों को उसे उजागर करने से भी रोक रही थी। लोगों को बोलने तक का हक़ नहीं था, और पूरी कलीसिया उसके काबू में थी। मुझे न्याय के लिए खड़े होकर कलीसिया कार्य को बचाने के लिए झैंग शिन को उजागर करना था। लेकिन यह सोचकर कि वह कितनी घमंडी है, किसी की नहीं सुनती और बदले की तीव्र इच्छा रखती है, मुझे लगा कि अगर मैंने उसे उकसाया तो दंड पाने वाली अगली इंसान मैं ही बनूंगी। वह मुझे निष्कासित करने के लिए कोई भी आरोप लगा देगी। मैं बड़ी दुविधा में पड़ गई, इसलिए मैंने मन-ही-मन परमेश्वर से हिम्मत और हौसला मांगा। मुझे परमेश्वर का वचन याद आया, "हर कलीसिया में ऐसे लोग होते हैं जो कलीसिया के लिए मुसीबत पैदा करते हैं या परमेश्वर के कार्य में व्यवधान डालते हैं। ये सभी लोग शैतान के छ्द्म वेष में परमेश्वर के परिवार में घुस आए हैं। ... ऐसे लोग कलीसिया में उपद्रव मचाते हैं, नकारात्मकता फैलाते हुए मौत का तांडव करते हैं, मनमर्जी करते हैं, जो चाहे बकते हैं; किसी में इन्हें रोकने की हिम्मत नहीं होती है, ये शैतानी स्वभाव से भरे होते हैं। जैसे ही ये लोग व्यवधान पैदा करते हैं, कलीसिया में मुर्दनी छा जाती है। कलीसिया के भीतर सत्य का अभ्यास करने वाले लोगों की काट-छाँट की जाती है और वे अपना सर्वस्व अर्पित करने में असमर्थ हो जाते हैं, जबकि कलीसिया में परेशानियाँ खड़ी करने वाले, मौत का वातावरण निर्मित करने वाले लोग यहां उपद्रव मचाते फिरते हैं, और इतना ही नहीं, अधिकतर लोग उनका अनुसरण करते हैं। साफ बात है, ऐसी कलीसियाएँ शैतान के कब्ज़े में होती है; हैवान इनका सरदार होता है। यदि समागम के सदस्य विद्रोह नहीं करेंगे और उन प्रधान राक्षसों को खारिज नहीं करेंगे, तो देर-सवेर वे भी बर्बाद हो जाएँगे। अब ऐसी कलीसियाओं के ख़िलाफ़ कदम उठाए जाने चाहिए। जो लोग थोड़ा भी सत्य का अभ्यास करने में सक्षम हैं यदि वे खोज नहीं करते हैं, तो उस कलीसिया को मिटा दिया जाएगा। यदि कलीसिया में ऐसा कोई भी नहीं है जो सत्य का अभ्यास करने का इच्छुक हो, और परमेश्वर की गवाही दे सकता हो, तो उस कलीसिया को पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया जाना चाहिए और अन्य कलीसियाओं के साथ उसके संबंध समाप्त कर दिये जाने चाहिए। इसे 'मृत्यु दफ़्न करना' कहते हैं; इसी का अर्थ है शैतान को ठुकराना" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जो सत्य का अभ्यास नहीं करते हैं उनके लिए एक चेतावनी)। परमेश्वर के वचन ने मुझे हिम्मत और ताकत दी, अब मुझे डर नहीं लग रहा था। परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव अपमान सहन नहीं करता, इन अति दुष्कर्मियों और मसीह-विरोधियों से परमेश्वर को सिर्फ घृणा और चिढ़ है! वे कलीसिया में भले ही कुछ समय तक सत्ता पाकर उपद्रव मचाएँ, अंत में उनका खुलासा कर निकाल दिया जाता है। परमेश्वर के वचन बहुत स्पष्ट हैं। जब दुष्ट और मसीह-विरोधी कलीसिया में सत्ताधारी हों, जब कोई भी सत्य पर अमल न करे, तो ये लोग कलीसिया में उपद्रव मचाने वाली बुरी ताकतों को माफी देते हैं। ऐसी कलीसिया में शैतान का राज होता है, और सदस्यों के प्रायश्चित्त न करने पर परमेश्वर उन्हें त्यागकर निकाल देता है। मैं सिहर गई। झैंग शिन एक अत्याचारी थी, भाई-बहनों पर हमला कर उन्हें दंड देती थी, फिर भी खुद को बचाने के लिए मैंने उसे उजागर कर नहीं रोका, उसे और शाओ लियू को कलीसिया के कार्य को बिगाड़ने दिया। मैं शैतान के साथ परमेश्वर का प्रतिरोध कर रही थी। दुष्कर्मों में उनका साथ दे रही थी। इसका एहसास होने पर, मैंने हिम्मत करके झैंग शिन को उजागर किया कि उसने एक दुष्कर्मी को बचाया, अपने पद का लाभ उठाकर दूसरों को दंडित किया, मसीह-विरोधी का रास्ता अपनाया। यह सुन, झैंग शिन जवाब नहीं दे पाई। उसने तुरंत विषय बदल दिया, बहन फैन्ग लिंग को कलीसिया में वापस लेने को राजी हो गई, फिर वह चली गई।

फिर ईश-वचनों के कुछ अंशों से थोड़ी समझ मिली, और मैं झैंग शिन के सार को स्पष्टता से समझी। परमेश्वर के वचन में कहा गया है, "एक मसीह-विरोधी के सार की सबसे स्पष्ट विशेषताओं में से एक यह होती है कि वे अपनी तानाशाही चलाने वाले किसी तानाशाह की तरह होते हैं : वे किसी की नहीं सुनते, वे हर किसी को तुच्छ समझते हैं, और लोगों की क्षमता की परवाह किए बिना, या वे क्या कहते हैं और क्या करते हैं, या उनके पास क्या अंतर्दृष्टि और राय है, वे कोई ध्यान नहीं देते; यह ऐसा है मानो कोई भी उनके साथ काम करने, या उनके किसी भी काम में भागीदारी के योग्य न हो। यह एक मसीह-विरोधी की तरह का स्वभाव है। कुछ लोग कहते हैं कि यह खराब मानवता वाला होना है—यह सिर्फ सामान्य खराब मानवता कैसे हो सकती है? यह पूर्णत: एक शैतानी स्वभाव है; इस तरह का स्वभाव अत्यंत उग्र होता है। मैं क्यों कहता हूँ कि उनका स्वभाव अत्यंत उग्र होता है? मसीह-विरोधी कलीसिया और परमेश्वर के घर के हितों को पूरी तरह से अपना मानते हैं, व्यक्तिगत संपत्ति की तरह, जिसका प्रबंधन पूरी तरह से उन्हीं के द्वारा किया जाना चाहिए, उसमें किसी और का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। कलीसिया के घर का कार्य करते समय वे केवल अपने ही हितों, अपनी ही हैसियत, और अपनी ही छवि के बारे में सोचते हैं। वे किसी को भी अपने हितों को नुकसान नहीं पहुंचाने देते, जिसमें क्षमता है और जो अपने अनुभवों और गवाही के बारे में बात करने में सक्षम है, उसे अपने रुतबे और प्रतिष्ठा को जोखिम में डालने देने की तो बात ही छोड़ दें। और इसलिए, वे प्रतिस्पर्धियों के रूप में उन लोगों को कमजोर कर अलग-थलग करने की कोशिश करते हैं, जो अनुभवों और गवाही के बारे में बात करने में सक्षम होते हैं, साथ ही उन्हें भी जो सत्य की संगति कर सकते हैं और परमेश्वर के चुने हुए लोगों को पोषण प्रदान कर सकते हैं, वे उग्रता से उन्हें सबसे अलग करने, उनके नाम पर कीचड़ उछालने और उन्हें नीचे गिराने की कोशिश करते हैं। तभी मसीह-विरोधी शांति का अनुभव करते हैं। ... क्या वे परमेश्वर के घर के हितों पर विचार कर रहे हैं? नहीं। वे किस बारे में सोच रहे हैं? वे केवल यही सोचते हैं कि अपनी हैसियत को कैसे बनाए रखें। हालाँकि वे जानते हैं कि वे वास्तविक कार्य करने में असमर्थ हैं, फिर भी वे सत्य का अनुसरण करने और अच्छी योग्यता वाले लोगों को विकसित नहीं करते या बढ़ावा नहीं देते; वे केवल उन्हीं को बढ़ावा देते हैं जो उनकी चापलूसी करते हैं, जो दूसरों की पूजा करने को तत्पर हैं, जो अपने दिलों में उनकी प्रशंसा और सराहना करते हैं, वे लोग जो सहज संचालक हैं, जिन्हें सत्य की कोई समझ नहीं है और जो अंतर करने में असमर्थ हैं। मसीह-विरोधी इन लोगों को अपने पक्ष में अपनी सेवा करवाने के लिए बढ़ावा देते हैं, और वे लोग हर जगह उनके साथ जाते हैं, हर दिन उनके आदेश पूरे करने में बिताते हैं, जिससे कलीसिया में मसीह-विरोधियों को ताकत मिलती है, जिसका अर्थ है कि बहुत-से लोग उनके करीब आते हैं और उनका अनुसरण करते हैं, और कोई उनकी निंदा करने की हिम्मत नहीं करता। ये सभी लोग, जिन्हें मसीह-विरोधी विकसित करते हैं, वे सत्य का अनुसरण नहीं करते। उनमें से ज्यादातर लोग आध्यात्मिक मामले नहीं समझते और नियम-पालन के सिवा कुछ नहीं जानते। वे रुझानों और शक्तिशाली लोगों का अनुसरण करना पसंद करते हैं। वे शक्तिशाली मालिक के होने से हिम्मत पाने वाले—मूर्ख-मंडली के सदस्य होते हैं। मसीह-विरोधी खुद को इन लोगों के सरगना के रूप में स्थापित करते हैं, अपना कहा करवाने के लिए उन्हें विशेष रूप से तैयार करते हैं। जब भी किसी कलीसिया में कोई मसीह-विरोधी सत्ता में होता है, तो वह हमेशा अपने सहायकों के रूप में मूर्खों और अज्ञानियों को भर्ती करता है, और उन क्षमतावान लोगों को छोड़ देता और दबाता है, जो सत्य समझकर उसका अभ्यास कर सकते हैं, जो काम सँभाल सकते हैं—विशेष रूप से उन अगुआओं और कार्यकर्ताओं को, जो व्यावहारिक कार्य करने में सक्षम होते हैं" (वचन, खंड 4, मसीह-विरोधियों को उजागर करना, मद आठ : वे दूसरों से केवल अपना आज्ञापालन करवाएँगे, सत्य या परमेश्वर का नहीं (भाग एक))। "वे कौन लोग होते हैं, जिन्हें मसीह-विरोधी अपने विरोधी समझता है? कम से कम, वे वो लोग होते हैं जो अगुआ के रूप में मसीह-विरोधी को गंभीरता से नहीं लेते; वे वो लोग होते हैं जो उनका आदर या आराधना नहीं करते, जो उन्हें सामान्य व्यक्ति समझते हैं। यह एक किस्म है। फिर ऐसे लोग भी होते हैं, जो सत्य से प्रेम करते हैं, सत्य का अनुसरण करते हैं, अपने स्वभाव में बदलाव लाने की कोशिश करते हैं, और परमेश्वर से प्रेम करने का प्रयास करते हैं; वे मसीह-विरोधी के मार्ग से भिन्न मार्ग अपनाते हैं, और वे मसीह-विरोधी की दृष्टि में विरोधी होते हैं। इसके अलावा, जो कोई मसीह-विरोधी को अपने सुझाव देने और उसे उजागर करने का साहस करता है, या जिसके विचार उसके विचारों से भिन्न होते हैं, उसे उसके द्वारा विरोधी समझा जाता है। एक किस्म और है : वे जो क्षमता और काबिलियत में मसीह-विरोधी के बराबर होते हैं, जिनकी बोलने और कार्य करने की क्षमता उनके समान होती है, या जिन्हें वे खुद से ऊँचा समझते और पहचानने में सक्षम होते हैं। मसीह-विरोधी के लिए यह असहनीय है, उसकी हैसियत के लिए खतरा है। ऐसे लोग मसीह-विरोधी के सबसे बड़े विरोधी होते हैं। मसीह-विरोधी ऐसे लोगों की उपेक्षा करने की हिम्मत नहीं करता या उनके प्रति जरा भी शिथिल नहीं होता। वह उन्हें अपने पाँव का काँटा समझता है, और हर समय उनसे सावधान और सँभलकर रहता है। वह अपने हर काम में उनसे बचता है। जब मसीह-विरोधी देखता है कि कोई विरोधी उन्हें पहचानकर उजागर करने वाला है, तो एक खास दहशत उन्हें जकड़ लेती है; वह इस तरह के विरोधी को बाहर करने और उस पर हमला करने के लिए बेताब हो जाता है, और तब तक संतुष्ट नहीं होता, जब तक कलीसिया से उस विरोधी को हटा नहीं देता। ऐसी मानसिकता और इन चीजों से भरे दिल के साथ, वे किस तरह की चीजों में सक्षम हैं? क्या वे इन भाई-बहनों को दुश्मन समझेंगे, और इन्हें नीचे गिराने और इनसे छुटकारा पाने के तरीके सोचेंगे? वे निश्चित रूप से ऐसा करेंगे। क्या उनका ऐसा कर सकना सबसे बड़ा दुष्कर्म नहीं है? क्या यह परमेश्वर के स्वभाव के प्रति अपराध नहीं है?" (वचन, खंड 4, मसीह-विरोधियों को उजागर करना, मद दो : वे विरोधियों पर आक्रमण करते हैं और उन्हें निकाल देते हैं)। मसीह-विरोधियों की प्रकृति खासतौर पर डरावनी और बुरी होती है। सत्ता अपने हाथों में लेकर एक स्वतंत्र राज्य बनाने के लिए, वे अपने पसंदीदा लोगों को दाहिना हाथ बना लेते हैं, जो उनकी कमियाँ बताए, उन्हें उजागर करे या उनके रुतबे के लिए खतरा बने, वे उन्हें अपने रास्ते का काँटा मान, उन पर हमले कर उन्हें किसी तरीके से दूर कर देते हैं, यहाँ तक कि उन्हें कलीसिया से निष्कासित कर देते हैं। मसीह-विरोधियों का सार दुष्कर्मियों का सार है। वे सत्य से ऊबते हैं, उनमें जमीर या समझ नहीं होती, वे दूसरों को कितना भी दंडित करें, उनके मन में कुछ नहीं खटकता। एक अगुआ के तौर पर झैंग शिन का बर्ताव देखें, तो उसने कलीसिया कार्य को बिल्कुल बनाए नहीं रखा, अपनी सत्ता का इस्तेमाल चापलूसों को बढ़ाने और विरोधियों को हटाने के लिए किया ताकि कलीसिया पर काबू कर सके। शाओ लियू एक दुष्कर्मी थी, उसे निष्कासित करना था, लेकिन चूंकि उसने झैंग शिन का बचाव किया, उसने उसकी तरक्की की, अपना अपराध-बोध दूर करने के लिए बहाने बनाए। जब बहन फैन्ग लिंग ने उसकी समस्याएँ बताईं, तो उसने उससे बैर रखा। बहन फैन्ग लिंग के बर्खास्त होने में झैंग शिन ने बदले का एक मौका देखा, और उसे कलीसिया से निकाल देने की हरसंभव कोशिश की। जब दूसरी बहनों ने बहन फैन्ग लिंग की निंदा का विरोध किया, तो उसने उन्हें भी दबाया और दंडित किया। झैंग शिन डरावनी और बुरी थी, जो उसकी नहीं सुनते थे, उसके रुतबे के लिए खतरा थे, उन्हें दंडित करती थी, कलीसिया में उपद्रव मचाने वाली अत्याचारी थी, जिसे जरा भी पछतावा नहीं था। वह एक कट्टर मसीह-विरोधी थी। झैंग शिन को समझने के बाद, हमने रिपोर्ट लेटर सौंप दिया।

झैंग शिन को हमसे बदला लेने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। झैंग शिन ने यह कहकर मुझे घर में बंद करवा दिया कि मुझे खतरा है, बहन शिंरूई और बहन युआन सियु भी झैंग शिन को समझते थे, तो उसने उन दोनों को भी घर में बंद करवा दिया। कुछ समय बाद, झैंग शिन ने मुझे और बहन शिंरूई को अगुआई के लिए लड़ने, कलीसिया में उपद्रव मचाने, और दुष्कर्मी होने के आरोप में फँसा दिया, और भाई-बहनों से हमें ठुकराने को कहा। कुछ भाई-बहनों ने बिना कुछ समझे झैंग शिन की बातें मान लीं, और मुझे रास्ते में देखकर आँखें फेरने लगे। इस पर, मेरा दिल दुखता, और लगता मेरे साथ गलत हो रहा था। सत्य पर अमल करने के बाद भी, हमें दबाया और दंडित किया जा रहा था, बुरी ताकतों द्वारा फँसाया जा रहा था, दुष्कर्मों के बावजूद झैंग शिन कलीसिया में क्यों बढ़ रही थी? भाई-बहनों ने हमें क्यों ठुकरा दिया था? मैं पीड़ा में थी, पता नहीं भविष्य में अपनी राह कैसे चलूँगी, मैं निराशा में फंस गई थी। सभाओं में, जब बहनें झैंग शिन का बर्ताव समझ लेतीं, तब भी मैं कुछ नहीं बोलना चाहती थी। मैं सोचती, "जब मैंने झैंग शिन को उजागर किया तो मुझे दबा दिया गया, भाई-बहनों ने गलत समझा कि मैं अगुआ बनना चाहती थी। अब मुझे अलग कर दबा दिया गया है। मेरा साथ कौन देगा? जाने दो, मैं कलीसिया के मामलों पर फिक्र नहीं करना चाहती।" मैं बहुत कमजोर महसूस कर रही थी, गहरे आध्यात्मिक अँधेरे में थी। अपने कष्ट में, आँखों में आंसू लिए मैंने घुटने टेककर परमेश्वर से विनती की, "हे परमेश्वर! इस माहौल में मुझे कष्ट हो रहा है। कलीसिया के हितों की रक्षा और सत्य पर अमल करने पर मुझे क्यों दबाया और ठुकराया जा रहा है? हे परमेश्वर, मुझे रास्ता दिखाओ, ताकि मैं तुम्हारी इच्छा को समझ सकूँ।"

बाद में, मैंने परमेश्वर के वचन में पढ़ा, "जीवन की वास्तविक समस्याओं का सामना करते समय, तुम्हें किस प्रकार परमेश्वर के अधिकार और उसकी संप्रभुता को जानना और समझना चाहिए? जब तुम्हारे सामने ये समस्याएँ आती हैं और तुम्हें पता नहीं होता कि किस प्रकार इन समस्याओं को समझें, सँभालें और अनुभव करें, तो तुम्हें समर्पण करने की नीयत, समर्पण करने की तुम्हारी इच्छा, और परमेश्वर की संप्रभुता और उसकी व्यवस्थाओं के प्रति समर्पण करने की तुम्हारी सच्चाई को दर्शाने के लिए तुम्हें किस प्रकार का दृष्टिकोण अपनाना चाहिए? पहले तुम्हें प्रतीक्षा करना सीखना होगा; फिर तुम्हें खोजना सीखना होगा; फिर तुम्हें समर्पण करना सीखना होगा। 'प्रतीक्षा' का अर्थ है परमेश्वर के समय की प्रतीक्षा करना, उन लोगों, घटनाओं एवं चीज़ों की प्रतीक्षा करना जो उसने तुम्हारे लिए व्यवस्थित की हैं, और उसकी इच्छा स्वयं को धीरे-धीरे तुम्हारे सामने प्रकट करे, इसकी प्रतीक्षा करना। 'खोजने' का अर्थ है परमेश्वर द्वारा निर्धारित लोगों, घटनाओं और चीज़ों के माध्यम से, तुम्हारे लिए परमेश्वर के जो विचारशील इरादें हैं उनका अवलोकन करना और उन्हें समझना, उनके माध्यम से सत्य को समझना, जो मनुष्यों को अवश्य पूरा करना चाहिए, उसे समझना और उन सच्चे मार्गों को समझना जिनका उन्हें पालन अवश्य करना चाहिए, यह समझना कि परमेश्वर मनुष्यों में किन परिणामों को प्राप्त करने का अभिप्राय रखता है और उनमें किन उपलब्धियों को पाना चाहता है। निस्सन्देह, 'समर्पण करने', का अर्थ उन लोगों, घटनाओं, और चीज़ों को स्वीकार करना है जो परमेश्वर ने आयोजित की हैं, उसकी संप्रभुता को स्वीकार करना और उसके माध्यम से यह जान लेना है कि किस प्रकार सृजनकर्ता मनुष्य के भाग्य पर नियंत्रण करता है, वह किस प्रकार अपना जीवन मनुष्य को प्रदान करता है, वह किस प्रकार मनुष्यों के भीतर सत्य गढ़ता है" (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III)। परमेश्वर के वचन पर मनन कर मुझे एकाएक समझ आया कि जब ऐसा कुछ होता है जो स्पष्टता से न समझ आए, तो मुझमें समर्पण का रवैया होना चाहिए। परमेश्वर की इच्छा खोजनी चाहिए, उसके समय के अनुसार चीजें होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। मुझे एहसास हुआ कि रिपोर्ट-लेटर देने के बाद, उससे निपटने के लिए उच्च अगुआओं की एक प्रक्रिया होती है। उनके निपटान करने तक, झैंग शिन दुष्कर्म करती रहेगी, विरोधियों पर हमले कर उन्हें अलग करेगी, जो उसकी दुष्कर्मी प्रकृति दिखाता है। इस दौरान, हमें धैर्य के साथ प्रतीक्षा करनी होगी। प्रक्रिया का यह एक जरूरी हिस्सा था। लेकिन मेरे हृदय बात मानने और प्रतीक्षा करने वाला नहीं था, इस माहौल में मैं सबक नहीं सीखना चाहती थी। यह देखकर कि झैंग शिन का निपटान तो हुआ नहीं, बल्कि मुझे ही दबाया और निंदित किया गया, मैंने परमेश्वर को गलत समझकर उसकी शिकायत की, उसे अन्यायी समझा, मुझे परमेश्वर से निराशा भी हुई। मैं बहुत नासमझ थी!

फिर, मैंने अपनी दशा के बारे में परमेश्वर से प्रार्थना की, उसके धार्मिक स्वभाव को जानने के लिए मार्गदर्शन माँगा। फिर मैंने परमेश्वर के वचन का यह अंश पढ़ा। "लोग परमेश्‍वर के धार्मिक स्‍वभाव को कैसे जानते और समझते हैं? जब धार्मिक व्‍यक्ति उसके आशीष प्राप्‍त करते हैं और दुष्ट उसके द्वारा शापित होते हैं—वे समझते हैं कि ये परमेश्‍वर की धार्मिकता के उदाहरण हैं। परमेश्‍वर अच्छाई को पुरस्‍कृत और बुराई को दण्डित करता है, और वह प्रत्‍येक मनुष्‍य की उसके कर्मों के अनुसार भरपाई करता है। यह सही है, लेकिन वर्तमान में कुछ घटनाएँ ऐसी हैं जो मनुष्य की धारणाओं के अनुरूप नहीं हैं, जैसे कि जो लोग परमेश्‍वर पर विश्वास और उसकी आराधना करते हैं, वे उसके द्वारा मारे या शापित किए जाते हैं, या कभी धन्य या स्‍वीकार नहीं किए गए; वे उसकी चाहे जितनी आराधना करें, वह उन्हें अनदेखा करता है। परमेश्‍वर दुष्‍टों को न धन्य करता है, न उन्‍हें दण्ड देता है, तब भी वे समृद्ध हैं और उनकी कई संततियाँ हैं, और उनके लिए सब अच्छा ही होता है; वे हर चीज़ में सफल होते हैं। क्‍या यही परमेश्‍वर की धार्मिकता है? कुछ लोग कहते हैं, 'हम परमेश्वर की आराधना करते हैं, फिर भी हमें उससे आशीष प्राप्त नहीं हुए, जबकि परमेश्वर की आराधना न करने वाले, यहाँ तक कि उसका विरोध करने वाले दुष्ट लोग भी हमसे बेहतर और अधिक समृद्ध जीवन जी रहे हैं। परमेश्वर धार्मिक नहीं है!' यह तुम लोगों को क्‍या दर्शाता है? मैंने अभी तुम्‍हें दो उदाहरण दिए। इनमें से कौन-सा परमेश्‍वर की धार्मिकता की बात करता है? कुछ लोग कहते हैं, 'वे दोनों परमेश्‍वर की धार्मिकता को सामने लाते हैं!' वे यह क्‍यों कहते हैं? परमेश्वर के कार्यों के सिद्धांत हैं—बस लोग उन्हें स्पष्ट रूप से देख नहीं पाते, और उन्हें स्पष्ट रूप से न देख पाने के कारण वे यह नहीं कह सकते कि परमेश्वर धार्मिक नहीं है। मनुष्य केवल वही देख सकता है जो सतह पर होता है; वे चीजों को उनके सही रूप में नहीं देख पाते। इसलिए, परमेश्वर जो करता है वह धार्मिक होता है, चाहे वह मनुष्य की धारणाओं और कल्पनाओं के कितना भी कम अनुरूप क्यों न हो। ऐसे बहुत-से लोग हैं, जो लगातार विलाप करते रहते हैं कि परमेश्वर धार्मिक नहीं है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे स्थिति की असलियत नहीं समझते। चीजों को हमेशा अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के आलोक में देखने पर व्यक्ति का गलतियाँ करना आसान होता है। लोगों का ज्ञान उनके विचारों और दृष्टिकोणों के भीतर, या अच्छे और बुरे, सही और गलत के संबंध में उनके दृष्टिकोणों या तर्क के भीतर मौजूद होता है। जब कोई चीजों को ऐसे दृष्टिकोणों से देखता है, तो उनका परमेश्वर को गलत समझना और धारणाओं को जन्म देना आसान होता है, और वह व्यक्ति परमेश्वर का विरोध और उसके बारे में शिकायत करेगा" (वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन)। "तुम लोग क्‍या कहोगे—परमेश्‍वर द्वारा शैतान का विनाश क्‍या उसकी धार्मिकता की अभिव्‍यक्ति है? (हाँ।) अगर उसने शैतान को बने रहने दिया होता, तब तुम क्‍या कहते? तुम हाँ कहने का दुस्‍साहस तो नहीं करते? परमेश्‍वर का सार धार्मिकता है। हालाँकि वह जो करता है उसे बूझना आसान नहीं है, तब भी वह जो कुछ भी करता है वह सब धार्मिक है; बात सिर्फ़ इतनी है कि लोग समझते नहीं हैं। जब परमेश्‍वर ने पतरस को शैतान के सुपुर्द कर दिया था, तब पतरस की प्रतिक्रिया क्‍या थी? 'तुम जो भी करते हो उसकी थाह तो मनुष्‍य नहीं पा सकता, लेकिन तुम जो भी करते हो उस सब में तुम्‍हारी सदिच्छा समाई है; उस सब में धार्मिकता है। यह कैसे सम्‍भव है कि मैं तुम्‍हारी बुद्धि और कर्मों की सराहना न करूँ?' अब तुम्हें यह देखना चाहिए कि मनुष्य के उद्धार के समय परमेश्वर द्वारा शैतान को नष्ट न किए जाने का कारण यह है कि मनुष्य स्पष्ट रूप से देख सकें कि शैतान ने उन्हें कैसे और किस हद तक भ्रष्ट किया है, और परमेश्वर कैसे उन्हें शुद्ध करके बचाता है। अंततः, जब लोग सत्य समझ लेंगे और शैतान का घिनौना चेहरा स्पष्ट रूप से देख लेंगे, और शैतान द्वारा उन्हें भ्रष्ट किए जाने का राक्षसी पाप देख लेंगे, तो परमेश्वर उन्हें अपनी धार्मिकता दिखाते हुए शैतान को नष्ट कर देगा। जब भी परमेश्वर शैतान को नष्ट करेगा, परमेश्वर का स्वभाव और बुद्धि उसमें होगी। वह सब जो परमेश्‍वर करता है धार्मिक है। हालाँकि वह मनुष्यों के लिए अज्ञेय हो सकता है, तब भी उन्हें मनमाने ढंग से आलोचना नहीं करनी चाहिए। अगर मनुष्यों को उसका कोई कृत्‍य अतर्कसंगत प्रतीत होता है, या उसके बारे में उनकी कोई धारणाएँ हैं, और उसकी वजह से वे कहते हैं कि वह धार्मिक नहीं है, तो वे सर्वाधिक अतर्कसंगत हो रहे हैं। तुम देखो कि पतरस ने पाया कि कुछ चीज़ें अबूझ थीं, लेकिन उसे पक्का विश्‍वास था कि परमेश्‍वर की बुद्धिमता विद्यमान थी और उन चीजों में उसकी इच्छा थी। मनुष्‍य हर चीज़ की थाह नहीं पा सकते; इतनी सारी चीज़ें हैं जिन्‍हें वे समझ नहीं सकते" (वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन)। परमेश्वर के वचन पर मनन करने से मुझे एहसास हुआ कि मेरी धारणा थी कि धार्मिकता का अर्थ निष्पक्षता और औचित्य होता है। एक दुष्कर्मी और मसीह-विरोधी ने कलीसिया कार्य को बाधित किया, और हमने उसे उजागर कर उसकी रिपोर्ट की, कलीसिया के हितों की सुरक्षा की, इसलिए परमेश्वर को हमारी निगरानी और रक्षा करनी चाहिए, हमारा दमन नहीं होने देना चाहिए, दुष्कर्मी और मसीह-विरोधी को फौरन निष्कासित किया जाना चाहिए। मुझे लगा, यही परमेश्वर की धार्मिकता है। हमारे रिपोर्ट-लेटर लिखने के बाद भी, जब दुष्कर्मी और मसीह-विरोधी का निपटान नहीं हुआ, वे कलीसिया में ऊँचे पदों पर बने रहे, हमें अलग कर हमारी निंदा करते रहे, तो मुझे परमेश्वर की धार्मिकता पर शक होने लगा, मैंने अनुचित ढंग से परमेश्वर की धार्मिकता पर सवाल किए। मैं बहुत घमंडी थी! मैंने सोचा कि जब पतरस की परीक्षा ली गई, वह दर्दनाक शोधन से गुजरा। परमेश्वर के कार्य को नहीं समझ पाया, पर उसे यकीन था कि परमेश्वर कुछ भी करे, वह धार्मिक ही था, और इसमें परमेश्वर की बुद्धिमत्ता थी। इसी वजह से वह परमेश्वर की आज्ञा मान पाया, अंत में, उसे परमेश्वर से अगाध प्रेम था, उसने मृत्यु तक आज्ञापालन किया और सुंदर गवाही दी। मैं सत्य नहीं समझती थी, जो कुछ मेरे सामने था, बस उस आधार पर, मैंने परमेश्वर की धार्मिकता मापी। जब परमेश्वर ने वो किया जो मैं चाहती था, जिससे मुझे लाभ हुआ, तो मैंने परमेश्वर को धार्मिक माना, उसकी प्रशंसा की। जब एक मसीह-विरोधी ने मेरा दमन किया, मेरा भविष्य और भाग्य इससे जुड़ गए, तो मैंने परमेश्वर में आस्था खो दी, परमेश्वर की धार्मिकता पर शक भी किया, नकार दिया कि उसके घर में सत्य और धार्मिकता का राज्य है। मैंने परमेश्वर की धार्मिकता का आकलन सिर्फ इस पर किया कि क्या मुझे लाभ हो रहा है। यह बिल्कुल बेतुका था। परमेश्वर सृजनकर्ता है, उसका सार धार्मिकता है, वह बुराई से घृणा करता है, जो उसके सार से तय होता है। हालाँकि कलीसिया ने दुष्कर्मी और मसीह-विरोधी को फिलहाल नहीं निकाला था, पर इसका अर्थ यह नहीं कि परमेश्वर को उनके कर्मों से घृणा नहीं, वह बुराई से घृणा नहीं करता, और कलीसिया में सत्य का राज्य नहीं था। जो भी हो रहा था, उसमें परमेश्वर की बुद्धिमत्ता और अच्छे इरादे थे। मैं इसे समझ ही नहीं पाई थी। मुझे समझदार होना होगा, सृजित प्राणी के स्थान से परमेश्वर की सार्वभौम व्यवस्थाओं को मानना चाहिए, खोजने के लिए परमेश्वर से प्रार्थना कर उसकी प्रबुद्धता और मार्गदर्शन की प्रतीक्षा करनी चाहिए। सब समझने पर, मेरा दिल उजला हो गया, परमेश्वर के बारे में गलतफहमी नहीं रही। मैं यह भी समझी कि कलीसिया के कुछ भाई-बहन अब भी झैंग शिन को नहीं जानते थे। इन हालात से वे झैंग शिन के सार को धीरे-धीरे स्पष्ट रूप से समझ जाएंगे। उसे ठुकराने से पहले उन्हें उसे जानना होगा। समझ-बूझ बढ़ाने के लिए यह माहौल बहुत लाभकारी है। यह समझने के बाद, मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की कि मैं उसकी व्यवस्थाओं को मानकर इस माहौल में सबक सीखना चाहती हूँ।

बाद में, परमेश्वर के वचन में मैंने पढ़ा, "अगर तुम बचाए जाना चाहते हो, तो तुम्हें न केवल बड़े लाल अजगर की बाधा पार करनी होगी, और न केवल बड़े लाल अजगर को पहचानने, उसके भयानक चेहरे की असलियत देखने और उसे पूरी तरह से त्यागने में सक्षम होना होगा—बल्कि मसीह-विरोधियों की बाधा भी पार करनी होगी। कलीसिया में मसीह-विरोधी न केवल परमेश्वर का शत्रु होता है, बल्कि परमेश्वर के चुने हुए लोगों का भी शत्रु होता है। अगर तुम मसीह-विरोधी को नहीं पहचान सकते, तो तुम्हारे धोखा खाने और उनकी बातों में आ जाने, मसीह-विरोधी के मार्ग पर चलने, और परमेश्वर द्वारा शापित और दंडित किए जाने की संभावना है। अगर ऐसा होता है, तो परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास पूरी तरह से विफल हो गया है। उद्धार प्रदान किए जाने के लिए लोगों में क्या होना चाहिए? पहले, उन्हें कई सत्य समझने चाहिए, और मसीह-विरोधी का सार, स्वभाव और मार्ग पहचानने में सक्षम होना चाहिए। परमेश्वर में विश्वास करते हुए लोगों की आराधना या अनुसरण न करना सुनिश्चित करने का यह एकमात्र तरीका है, और अंत तक परमेश्वर का अनुसरण करने का भी यही एकमात्र तरीका है। मसीह-विरोधी की पहचान करने में सक्षम लोग ही वास्तव में परमेश्वर में विश्वास कर सकते हैं, उसका अनुसरण कर सकते हैं और उसकी गवाही दे सकते हैं। मसीह-विरोधी की पहचान करना कोई आसान बात नहीं है, इसके लिए उनका सार स्पष्ट रूप से देखने और उनके हर काम के पीछे की साजिशें, चालें और अभिप्रेत लक्ष्य देख पाने की क्षमता होनी आवश्यक है। इस तरह तुम उनसे धोखा नहीं खाओगे या उनके काबू में नहीं आओगे, और तुम अडिग होकर, सुरक्षित रूप से सत्य का अनुसरण कर सकते हो, और सत्य का अनुसरण करने और उद्धार प्राप्त करने के मार्ग पर दृढ़ रह सकते हो। यदि तुम मसीह-विरोधी को नहीं पहचान सकते, तो यह कहा जा सकता है कि तुम एक बड़े ख़तरे में हो, और तुम्हें मसीह-विरोधी द्वारा धोखा देकर अपने कब्जे में किया जा सकता है और तुम्हें शैतान के प्रभाव में जीवन व्यतीत करना पड़ सकता है। ... इसलिए, यदि तुम उस जगह पहुँचना चाहते हो जहाँ पर तुम्हें उद्धार प्राप्त हो सके, तो पहली परीक्षा जो तुम्हें पास करनी होगी वह है शैतान की पहचान करने में सक्षम होना, और तुम्हारे अंदर शैतान के विरुद्ध खड़ा होने, उसे बेनकाब करने और उसे छोड़ देने का साहस भी होना चाहिए। फिर, शैतान कहाँ है? शैतान तुम्हारे बाजू में और तुम्हारे चारों तरफ़ है; हो सकता है कि वह तुम्हारे हृदय के भीतर भी रह रहा हो। यदि तुम शैतान के स्वभाव के अधीन रह रहे हो, तो यह कहा जा सकता है कि तुम शैतान के हो। तुम आध्यात्मिक क्षेत्र के शैतान और दुष्ट आत्माओं को देख या छू नहीं सकते, लेकिन व्यावहारिक जीवन में मौजूद शैतान और दुष्ट आत्माएँ हर जगह हैं। जो भी व्यक्ति सत्य से चिढ़ता है, वह बुरा है, और जो भी अगुआ या कार्यकर्ता सत्य को स्वीकार नहीं करता, वह मसीह-विरोधी या नकली अगुआ है। क्या ऐसे लोग शैतान और जीवित दानव नहीं हैं? हो सकता है कि ये लोग वही हों, जिनकी तुम आराधना करते हो और जिनका सम्मान करते हो; ये वही लोग हो सकते हैं जो तुम्हारी अगुआई कर रहे हैं या वे लोग जिन्हें तुमने लंबे समय से अपने हृदय में सराहा है, जिन पर भरोसा किया है, जिन पर निर्भर रहे हो और जिनकी आशा की है। जबकि वास्तव में, वे तुम्हारे रास्ते में खड़ी बाधाएँ हैं और तुम्हें सत्य का अनुसरण करने और उद्धार पाने से रोक रहे हैं; वे नकली अगुआ और मसीह-विरोधी हैं। वे तुम्हारे जीवन और तुम्हारे मार्ग पर नियंत्रण कर सकते हैं, और वे तुम्हारे उद्धार के अवसर को बर्बाद कर सकते हैं। यदि तुम उन्हें पहचानने और उनकी वास्तविकता को समझने में विफल रहते हो, तो किसी भी क्षण तुम उनके जाल में फँस सकते हो या उनके द्वारा पकड़े और दूर ले जाए जा सकते हो। इस प्रकार, तुम बहुत बड़े ख़तरे में हो। अगर तुम इस खतरे से खुद को मुक्त नहीं कर सकते, तो तुम शैतान के बलि के बकरे हो। वैसे भी, जो लोग धोखे खाए हुए और नियंत्रित होते हैं, और मसीह-विरोधी के अनुयायी बन जाते हैं, वे कभी उद्धार प्राप्त नहीं कर सकते। चूँकि वे सत्य से प्रेम और उसका अनुसरण नहीं करते, इसलिए वे धोखा खा सकते हैं और मसीह-विरोधी का अनुसरण कर सकते हैं। यह परिणाम अपरिहार्य है" (वचन, खंड 4, मसीह-विरोधियों को उजागर करना, मद तीन : सत्य का अनुसरण करने वालों को वे निकाल देते हैं और उन पर आक्रमण करते हैं)। परमेश्वर के वचनों पर मनन कर, मैं उसकी इच्छा समझ सकी। दुष्कर्मियों और मसीह-विरोधियों को कलीसिया में प्रकट होने देने के पीछे उसकी बुद्धिमत्ता है। परमेश्वर उनकी बाधा और छल द्वारा लोगों को समझ-बूझ प्रदान करता है, ताकि लोग शैतान के काले प्रभाव से आजाद होकर उद्धार पा सकें। झैंग शिन ने मुझे दबाकर दंडित किया, भाई-बहनों ने मुझे गलत समझकर ठुकरा दिया। इससे मुझे थोड़ा कष्ट जरूर हुआ था, मगर इस प्रक्रिया में, मैंने व्यावहारिक रूप से देखा कि मसीह-विरोधी किस तरह लोगों से छल कर उन्हें हानि पहुँचाते हैं, मैंने ज्ञान और विवेक हासिल किया, साफ देखा कि झैंग शिन मसीह-विरोधी थी, सत्य से घृणा करती थी, परमेश्वर की विरोधी थी। अब मैं उससे लाचार और नियंत्रित नहीं थी, मैंने उसकी नाकामियों से सबक सीखा और गलत रास्ता पकड़ने से बच सकी। क्या यह सब परमेश्वर का प्रेम और उद्धार नहीं था? इस बारे में जितना सोचा, उतना ही एहसास हुआ कि परमेश्वर धार्मिक और बुद्धिमान है, उतना ही पछतावा हुआ कि मैं परमेश्वर की धार्मिकता नहीं समझती थी। एक मसीह-विरोधी ने मेरा दमन किया था, तो मैंने सारे अन्याय का दोष परमेश्वर पर डाल दिया, उसे गलत समझकर उसके बारे में शिकायत की। मैं बहुत विद्रोही थी। इसका एहसास होने पर, मैंने खुद को गहराई से परमेश्वर का ऋणी पाया, और प्रायश्चित्त करना चाहा। झूठे अगुआओं और मसीह-विरोधियों को उजागर करना एक अच्छा और धार्मिक कर्म है, यह मेरी जिम्मेदारी और दायित्व है। अगर दुष्कर्मी उजागर कर निष्कासित कर दिए जाएँ, भाई-बहनों का कलीसियाई जीवन अच्छा हो जाए, तो भले ही भाई-बहन मुझे गलत समझें, मसीह-विरोधी मुझे निकाल दें, यह अफसोस की बात नहीं। परमेश्वर के वचन के एक और अंश याद आया, "दुष्ट इंसान हमेशा दुष्ट ही बना रहेगा, वह कभी दण्ड के दिन से बच नहीं सकता। अच्छे लोग हमेशा अच्छे बने रहेंगे और उन्हें तब प्रकट किया जाएगा जब परमेश्वर का कार्य समाप्त हो जाएगा। किसी भी दुष्ट को धार्मिक नहीं समझा जाएगा, न ही किसी धार्मिक को दुष्ट समझा जाएगा। क्या मैं किसी इंसान पर गलत दोषारोपण होने दूँगा?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जो सच्चे हृदय से परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते हैं वे निश्चित रूप से परमेश्वर द्वारा हासिल किए जाएँगे)। परमेश्वर के वचन बिल्कुल स्पष्ट हैं। परमेश्वर धार्मिक है, उससे सच्चा प्रेम करने वालों को वह दया और उद्धार देता है, दुष्कर्मियों और मसीह-विरोधियों को शापित और दंडित करता है, जोकि परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव से तय होता है। मैं बचाई जाऊँगी या नहीं, यह परमेश्वर के हाथ में है, मसीह-विरोधियों के नहीं। अभी कलीसिया मसीह-विरोधियों के काबू में थी, हमारा दमन हो रहा था, पर यह कुछ समय के लिए था। परमेश्वर सब-कुछ देखता है, पवित्र आत्मा सबका खुलासा करता है, देर-सवेर, मसीह-विरोधियों को उजागर करके निकाल दिया जाएगा। उन दिनों मैं अक्सर ईश-वचन पर मनन करती थी, धीरे-धीरे, मुझे राहत मिली, और परमेश्वर के कार्य में मेरा विश्वास बढ़ गया।

एक दिन, उच्च-स्तर के अगुआओं ने हमारी कलीसिया की गड़बड़ी के हल के लिए दो बहनों को भेजा। हम बहुत उत्साहित थे, हमने बार-बार परमेश्वर का धन्यवाद किया। झैंग शिन के बुरे बर्ताव की हमारी रिपोर्ट के बाद, अप्रत्याशित रूप से, उसे सिर्फ एक झूठी अगुआ होने के लिए बर्खास्त किया गया। हम सबका कलीसियाई जीवन बहाल हो जाने पर भी मेरी बेचैनी बनी हुई थी। झैंग शिन की मानवता बुरी थी। रुतबे के लिए, वह लोगों को आदतन दंडित करती और दबाती थी, कपटी लोगों को बचाती थी। वह सत्य बिल्कुल नहीं स्वीकारती थी, प्रायश्चित्त करने से मना करती थी। वह झूठी अगुआ नहीं, कट्टर मसीह-विरोधी थी। मगर फिर मैंने सोचा, "अगर मैंने यह मामला उठाया, तो क्या भाई-बहन कहेंगे कि मैं उसके पीछे ही पड़ गई हूँ? जाने दो, मुझे क्या। वह अब मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती।" यह सोचकर मैंने अब इन बातों का जिक्र न करने का फैसला किया। अपने धार्मिक कार्यों के दौरान, मैंने परमेश्वर के वचन में पढ़ा कि मसीह-विरोधी कभी प्रायश्चित्त नहीं करते। मुझे मालूम था कि झैंग शिन मसीह-विरोधी थी, अगर उसे निष्कासित नहीं किया गया, तो वह कलीसियाई जीवन जरूर बाधित करेगी, मौका मिलने पर गड़बड़ करेगी, तब भाई-बहन फिर से कष्ट झेलेंगे। मुझे खड़े होकर झैंग शिन को उजागर करना होगा। मैं खुद को बचाती नहीं रह सकती। परमेश्वर के वचन में मैंने पढ़ा, "एक बार जब सत्य तुम्हारा जीवन बन जाता है, तो जब तुम किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हो जो ईशनिंदा करता है, परमेश्वर का भय नहीं मानता, कार्य करते समय लापरवाह और अनमना होता है या कलीसिया के काम में बाधा डालता और हस्तक्षेप करता है, तो तुम सत्य के सिद्धांतों के अनुसार प्रतिक्रिया दोगे, तुम आवश्यकतानुसार उसे पहचानकर उजागर कर पाओगे। अगर सत्य तुम्हारा जीवन नहीं बना है और तुम अभी भी अपने शैतानी स्वभाव के भीतर रहते हो, तो जब तुम्हें उन दुष्ट लोगों और शैतानों का पता चलता है जो कलीसिया के कार्य में रुकावट डालते हैं और बाधाएँ खड़ी करते हैं, तुम उन पर ध्यान नहीं दोगे और उन्हें अनसुना कर दोगे; अपने विवेक द्वारा धिक्कारे जाए बिना, तुम उन्हें नजरअंदाज कर दोगे। यहाँ तक कि तुम यह भी सोचोगे कि जो कोई कलीसिया के कार्य में बाधाएँ खड़ी कर रहा है, तुम्हारा उससे कोई लेना-देना नहीं है। कलीसिया के काम और परमेश्वर के घर के हितों को चाहे कितना भी नुकसान पहुँचे, तुम परवाह नहीं करते, हस्तक्षेप नहीं करते, या दोषी महसूस नहीं करते—जो तुम्हें एक विवेकहीन या नासमझ व्यक्ति, एक गैर-विश्वासी, एक सेवाकर्ता बनाता है। तुम जो खाते हो वह परमेश्वर का है, तुम जो पीते हो वह परमेश्वर का है, और तुम परमेश्वर से आने वाली हर चीज का आनंद लेते हो, फिर भी तुम महसूस करते हो कि परमेश्वर के घर के हितों का नुकसान तुमसे संबंधित नहीं है—जो तुम्हें गद्दार बनाता है, जो उसी हाथ को काटता है जो उसे भोजन देता है। अगर तुम परमेश्वर के घर के हितों की रक्षा नहीं करते, तो क्या तुम इंसान भी हो? यह एक दानव है, जिसने कलीसिया में पैठ बना ली है। तुम परमेश्वर में विश्वास का दिखावा करते हो, चुने हुए होने का दिखावा करते हो, और तुम परमेश्वर के घर में मुफ्तखोरी करना चाहते हो। तुम एक इंसान का जीवन नहीं जी रहे, और स्पष्ट रूप से गैर-विश्वासियों में से एक हो। अगर तुम्हें परमेश्वर में सच्चा विश्वास है, तब यदि तुमने सत्य और जीवन नहीं भी प्राप्त किया है, तो भी तुम कम से कम परमेश्वर की ओर से बोलोगे और कार्य करोगे; कम से कम, जब परमेश्वर के घर के हितों का नुकसान किया जा रहा हो, तो तुम उस समय खड़े होकर तमाशा नहीं देखोगे। यदि तुम अनदेखी करना चाहोगे, तो तुम्हारा मन कचोटेगा, तुम असहज हो जाओगे और मन ही मन सोचोगे, 'मैं चुपचाप बैठकर तमाशा नहीं देख सकता, मुझे दृढ़ रहकर कुछ कहना होगा, मुझे जिम्मेदारी लेनी होगी, इस दुष्ट बर्ताव को उजागर करना होगा, इसे रोकना होगा, ताकि परमेश्वर के घर के हितों को नुकसान न पहुँचे और कलीसियाई जीवन अस्त-व्यस्त न हो।' यदि सत्य तुम्हारा जीवन बन चुका है, तो न केवल तुममें यह साहस और संकल्प होगा, और तुम इस मामले को पूरी तरह से समझने में सक्षम होगे, बल्कि तुम परमेश्वर के कार्य और उसके घर के हितों के लिए भी उस ज़िम्मेदारी को पूरा करोगे जो तुम्हें उठानी चाहिए, और उससे तुम्हारे कर्तव्य की पूर्ति हो जाएगी" (वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, केवल परमेश्वर के प्रति वास्तव में समर्पित होने वालों में ही उसका भय मानने वाला हृदय होता है)। परमेश्वर के वचन पढ़ने से समझी कि उसके मार्गदर्शन से ही मैं झैंग शिन और शाओ लियू के दुष्कर्मों को थोड़ा समझ पाई थी, अगर मैंने उन्हें उजागर नहीं किया, तो मुझमें जमीर नहीं होगा, मैं कलीसिया के कार्य की रक्षा में नाकाम हो जाऊँगी। मैं झैंग शिन को उजागर करने में नाकाम होकर स्वार्थी और घिनौनी नहीं हो सकती। मैंने एक प्रशासनिक आदेश के बारे में सोचा, "वह सब कुछ करो जो परमेश्वर के कार्य के लिए लाभदायक है और ऐसा कुछ भी न करो जो परमेश्वर के कार्य के हितों के लिए हानिकर हो। परमेश्वर के नाम, परमेश्वर की गवाही और परमेश्वर के कार्य की रक्षा करो" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, दस प्रशासनिक आदेश जो राज्य के युग में परमेश्वर के चुने लोगों द्वारा पालन किए जाने चाहिए)। मैं परमेश्वर की अपेक्षाएँ बेहतर समझने लगी हूँ। कलीसिया के सदस्य के तौर पर, कलीसिया के कार्य की बात हो तो, उसकी रक्षा करना मेरी जिम्मेदारी थी। बाद में, उच्च-स्तर के अगुआ जायजा लेने आए, मैंने झैंग शिन और शाओ लियू के बुरे बर्ताव की रिपोर्ट की, उच्च-स्तर के अगुआओं ने चीजों की पुष्टि के लिए फिर से जाँच की। एक सभा में, मसीह-विरोधियों को जानने के सत्य पर संगति द्वारा, सभी भाई-बहनों की समझ बढ़ी। बारी-बारी से उन्होंने झैंग शिन और शाओ लियू के दुष्कर्मों को उजागर कर उनकी रिपोर्ट की। तय हो गया कि झैंग शिन कट्टर मसीह-विरोधी थी, और उसे कलीसिया से निकाल दिया गया। बुराई करके प्रायश्चित्त न करने पर शाओ लियू को मसीह-विरोधी का साथी होने के लिए निकाल दिया गया। झैंग शिन से धोखा खाए कुछ भाई-बहनों को होश आया, उन सबने उसे ठुकरा कर उसका साथ देना बंदकर दिया। और, कलीसियाई जीवन फिर से सामान्य हो गया।

इस मसीह-विरोधी की रिपोर्ट करते हुए बहुत-से घुमावदार मोड़ आए, पर इस मसीह-विरोधी के दमन के जरिए, मैं मसीह-विरोधियों को थोड़ा जान पाई, थोड़ी अंतर्दृष्टि हासिल की, परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव का व्यावहारिक अनुभव और ज्ञान पाया, परमेश्वर में मेरी आस्था और अधिक बढ़ गई।

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झेंगलू, चीनमेरा जन्म एक ईसाई परिवार में हुआ था। मेरे पिता अक्सर कहते थे, "प्रभु में विश्वास करने से हमारे पाप क्षमा कर दिए जाते हैं और उसके...

45. खोया फिर पाया

लेखिका: शियेली, अमेरिकामैं एक खुशनुमा शानदार जीवन-स्तर की तलाश में अमेरिका आया। शुरू के कुछ सालों में तो काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा,...

21. अफ़वाहों के फन्‍दे से आज़ादी

शिआओयुन, चीनमैं सेना की एक स्‍त्री अधिकार हुआ करती थी! 1999 में एक दिन एक पादरी ने मुझे प्रभु यीशु के सुसमाचार का उपदेश दिया। मेरे संजीदा...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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