iii. यह क्यों कहा जाता है कि धार्मिक पादरी और एल्डर सभी फरीसियों के मार्ग पर चल रहे हैं, और उनका सार क्या है

अंतिम दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन

मनुष्य भ्रष्ट हो चुका है और शैतान के फंदे में जी रहा है। सभी लोग देह में जीते हैं, स्वार्थपूर्ण अभिलाषाओं में जीते हैं, और उनके मध्य एक भी व्यक्ति नहीं, जो मेरे अनुकूल हो। ऐसे लोग भी हैं, जो कहते हैं कि वे मेरे अनुकूल हैं, परंतु वे सब अस्पष्ट मूर्तियों की आराधना करते हैं। हालाँकि वे मेरे नाम को पवित्र मानते हैं, पर वे उस रास्ते पर चलते हैं जो मेरे विपरीत जाता है, और उनके शब्द घमंड और आत्मविश्वास से भरे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मूलतः वे सब मेरे विरोध में हैं और मेरे अनुकूल नहीं हैं। प्रतिदिन वे बाइबल में मेरे निशान ढूँढ़ते हैं, और यों ही “उपयुक्त” अंश तलाश लेते हैं, जिन्हें वे अंतहीन रूप से पढ़ते रहते हैं और उनका वाचन पवित्रशास्त्र के रूप में करते हैं। वे नहीं जानते कि मेरे अनुकूल कैसे बनें, न ही वे यह जानते हैं कि मेरे विरुद्ध होने का क्या अर्थ है। वे केवल पवित्रशास्त्रों को आँख मूँदकर पढ़ते रहते हैं। वे बाइबल के भीतर एक ऐसे अज्ञात परमेश्वर को कैद कर देते हैं, जिसे उन्होंने स्वयं भी कभी नहीं देखा है, और जिसे देखने में वे अक्षम हैं, और जिसे वे फ़ुरसत के समय में ही निगाह डालने के लिए बाहर निकालते हैं। वे मेरा अस्तित्व मात्र बाइबल के दायरे में ही सीमित मानते हैं, और वे मेरी बराबरी बाइबल से करते हैं; बाइबल के बिना मैं नहीं हूँ, और मेरे बिना बाइबल नहीं है। वे मेरे अस्तित्व या क्रियाकलापों पर कोई ध्यान नहीं देते, बल्कि पवित्रशास्त्र के हर एक वचन पर परम और विशेष ध्यान देते हैं। बहुत से लोग तो यहाँ तक मानते हैं कि अपनी इच्छा से मुझे ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जो पवित्रशास्त्र द्वारा पहले से न कहा गया हो। वे पवित्रशास्त्र को बहुत अधिक महत्त्व देते हैं। कहा जा सकता है कि वे निरे शब्दों को बहुत महत्वपूर्ण समझते हैं, इस हद तक कि हर एक वचन जो मैं बोलता हूँ, वे उसे मापने और मेरी निंदा करने के लिए बाइबल के छंदों का उपयोग करते हैं। वे मेरे साथ अनुकूलता का मार्ग या सत्य के साथ अनुकूलता का मार्ग नहीं खोजते, बल्कि बाइबल के वचनों के साथ अनुकूलता का मार्ग खोजते हैं, और विश्वास करते हैं कि कोई भी चीज जो बाइबल के अनुसार नहीं है, बिना किसी अपवाद के, मेरा कार्य नहीं है। क्या ऐसे लोग फरीसियों के कर्तव्यपरायण वंशज नहीं हैं? यहूदी फरीसी यीशु को दोषी ठहराने के लिए मूसा की व्यवस्था का उपयोग करते थे। उन्होंने उस समय के यीशु के साथ अनुकूल होने की कोशिश नहीं की, बल्कि कर्मठतापूर्वक व्यवस्था का इस हद तक अक्षरशः पालन किया कि—यीशु पर पुराने विधान की व्यवस्था का पालन न करने और मसीहा न होने का आरोप लगाते हुए—निर्दोष यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। उनका सार क्या था? क्या यह ऐसा नहीं था कि उन्होंने सत्य के साथ अनुकूलता के मार्ग की खोज नहीं की? उनके दिमाग़ में पवित्रशास्त्र का एक-एक वचन घर कर गया था, जबकि मेरी इच्छा और मेरे कार्य के चरणों और विधियों पर उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। वे सत्य की खोज करने वाले लोग नहीं, बल्कि सख्ती से पवित्रशास्त्र के वचनों से चिपकने वाले लोग थे; वे परमेश्वर में विश्वास करने वाले लोग नहीं, बल्कि बाइबल में विश्वास करने वाले लोग थे। दरअसल वे बाइबल की रखवाली करने वाले कुत्ते थे। बाइबल के हितों की रक्षा करने, बाइबल की गरिमा बनाए रखने और बाइबल की प्रतिष्ठा बचाने के लिए वे यहाँ तक चले गए कि उन्होंने दयालु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। ऐसा उन्होंने सिर्फ़ बाइबल का बचाव करने के लिए और लोगों के हृदय में बाइबल के हर एक वचन की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए किया। इस प्रकार उन्होंने अपना भविष्य त्यागने और यीशु की निंदा करने के लिए उसकी मृत्यु के रूप में पापबलि देने को प्राथमिकता दी, क्योंकि यीशु पवित्रशास्त्र के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं था। क्या वे लोग पवित्रशास्त्र के एक-एक वचन के नौकर नहीं थे?

और आज के लोगों के बारे में क्या कहूँ? मसीह सत्य बताने के लिए आया है, फिर भी वे निश्चित ही उसे इस दुनिया से निष्कासित कर देंगे, ताकि वे स्वर्ग में प्रवेश हासिल कर सकें और अनुग्रह प्राप्त कर सकें। वे बाइबल के हितों की रक्षा करने के लिए सत्य के आगमन को पूरी तरह से नकार देंगे और बाइबल का चिरस्थायी अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए देह में लौटे मसीह को फिर से सूली पर चढ़ा देंगे। मनुष्य मेरा उद्धार कैसे प्राप्त कर सकता है, जब उसका हृदय इतना अधिक द्वेष से भरा है और उसकी प्रकृति मेरे इतनी विरोधी है? मैं मनुष्य के मध्य रहता हूँ, फिर भी मनुष्य मेरे अस्तित्व के बारे में नहीं जानता। जब मैं मनुष्य पर अपना प्रकाश डालता हूँ, तब भी वह मेरे अस्तित्व से अनभिज्ञ रहता है। जब मैं लोगों पर क्रोधित होता हूँ, तो वे मेरे अस्तित्व को और अधिक प्रबलता से नकारते हैं। मनुष्य वचनों और बाइबल के साथ अनुकूलता की खोज करता है, लेकिन सत्य के साथ अनुकूलता का मार्ग खोजने के लिए एक भी व्यक्ति मेरे समक्ष नहीं आता। मनुष्य मुझे स्वर्ग में खोजता है और स्वर्ग में मेरे अस्तित्व की विशेष चिंता करता है, लेकिन देह में कोई मेरी परवाह नहीं करता, क्योंकि मैं जो देह में उन्हीं के बीच रहता हूँ, बहुत मामूली हूँ। जो लोग सिर्फ़ बाइबल के वचनों के साथ अनुकूलता की खोज करते हैं और जो लोग सिर्फ़ एक अज्ञात परमेश्वर के साथ अनुकूलता की खोज करते हैं, वे मेरे लिए एक घृणित दृश्य हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे मृत शब्दों की आराधना करते हैं, और एक ऐसे परमेश्वर की आराधना करते हैं, जो उन्हें अनकहा खज़ाना देने में सक्षम है; जिस परमेश्वर की वे आराधना करते हैं, वह एक ऐसा परमेश्वर है, जो अपने आपको मनुष्य के नियंत्रण में छोड़ देता है—ऐसा परमेश्वर, जिसका अस्तित्व ही नहीं है। तो फिर, ऐसे लोग मुझसे क्या प्राप्त कर सकते हैं? मनुष्य बस वचनों के लिए बहुत नीच है। जो मेरे विरोध में हैं, जो मेरे सामने असीमित माँगें रखते हैं, जिनमें सत्य के लिए कोई प्रेम नहीं है, जो मेरे प्रति विद्रोही हैं—वे मेरे अनुकूल कैसे हो सकते हैं?

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम्हें मसीह के साथ अनुकूलता का तरीका खोजना चाहिए

ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते और याद करके सुनाते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें परेशान करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे “मज़बूत देह” वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को तैयार बैठे हैं? जो लोग परमेश्वर के सामने अपने आपको बड़ा मूल्य देते हैं, वे सबसे अधिक अधम लोग हैं, जबकि जो खुद को तुच्छ समझते हैं, वे सबसे अधिक आदरणीय हैं। जो लोग यह सोचते हैं कि वे परमेश्वर के कार्य को जानते हैं, और दूसरों के आगे परमेश्वर के कार्य की धूमधाम से उद्घोषणा करते हैं, जबकि वे सीधे परमेश्वर को देखते हैं—ऐसे लोग बेहद अज्ञानी होते हैं। ऐसे लोगों में परमेश्वर की गवाही नहीं होती, वे अभिमानी और अत्यंत दंभी होते हैं। परमेश्वर का वास्तविक अनुभव और व्यवहारिक ज्ञान होने के बावजूद, जो लोग ये मानते हैं कि उन्हें परमेश्वर का बहुत थोड़ा-सा ज्ञान है, वे परमेश्वर के सबसे प्रिय लोग होते हैं। ऐसे लोग ही सच में गवाह होते हैं और परमेश्वर के द्वारा पूर्ण बनाए जाने के योग्य होते हैं। जो परमेश्वर की इच्छा को नहीं समझते वे परमेश्वर के विरोधी हैं, जो परमेश्वर की इच्छा को समझते तो हैं मगर सत्य का अभ्यास नहीं करते हैं, वे परमेश्वर के विरोधी हैं; जो परमेश्वर के वचनों को खाते-पीते हैं, फिर भी परमेश्वर के वचनों के सार के विरुद्ध जाते हैं, वे परमेश्वर के विरोधी हैं; जिनमें देहधारी परमेश्वर के प्रति धारणाएँ हैं और जिनका दिमाग विद्रोह में लिप्त रहता है, वे परमेश्वर के विरोधी हैं; जो लोग परमेश्वर की आलोचना करते हैं, वे परमेश्वर के विरोधी हैं; और जो कोई भी परमेश्वर को जानने या उसकी गवाही देने में असमर्थ है, वो परमेश्वर का विरोधी है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं

प्रत्येक धर्म और संप्रदाय के अगुआओं को देखो। वे सभी अभिमानी और आत्म-तुष्ट हैं, और बाइबल की उनकी व्याख्या में संदर्भ का अभाव है और वे अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के अनुसार चलते हैं। वे सभी अपना काम करने के लिए प्रतिभा और ज्ञान पर भरोसा करते हैं। यदि वे उपदेश देने में पूरी तरह अक्षम होते, तो क्या लोग उनका अनुसरण करते? कुछ भी हो, उनके पास कुछ ज्ञान तो है ही और वे धर्म-सिद्धांत के बारे में थोड़ा-बहुत बोल सकते हैं, या वे जानते हैं कि दूसरों को कैसे जीता जाए, और कुछ चालों का उपयोग कैसे करें। इन चीजों के माध्यम से वे लोगों को धोखा देते हैं और उन्हें अपने सामने ले आते हैं। नाममात्र के लिए, वे लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, लेकिन वास्तव में वे इन अगुआओं का अनुसरण करते हैं। जब वे उन लोगों का सामना करते हैं जो सच्चे मार्ग का प्रचार करते हैं, तो उनमें से कुछ कहेंगे, “हमें परमेश्वर में अपने विश्वास के मामले में हमारे अगुआ से परामर्श करना है।” देखो, परमेश्वर में विश्वास करने और सच्चा मार्ग स्वीकारने की बात आने पर कैसे लोगों को अभी भी दूसरों की सहमति और मंजूरी की जरूरत होती है—क्या यह एक समस्या नहीं है? तो फिर, वे सब अगुआ क्या बन गए हैं? क्या वे फरीसी, झूठे चरवाहे, मसीह-विरोधी, और लोगों के सही मार्ग को स्वीकारने में अवरोध नहीं बन चुके हैं? इस तरह के लोग पौलुस जैसे ही हैं।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन

हमने धार्मिक मंडलियों के भीतर अनेक अगुआओं को बार-बार सुसमाचार का उपदेश दिया है, किन्तु हम उनके साथ सत्य पर कैसे भी संगति क्यों न करें, वे इसे स्वीकार नहीं करते। ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए है कि उनका घमंड उनकी प्रवृत्ति बन गया है और उनके हृदयों में परमेश्वर का अब और स्थान नहीं रह गया है। कुछ लोग कह सकते हैं, “धार्मिक दुनिया में कुछ पादरियों के नेतृत्व में लोगों में वास्तव में बहुत अधिक प्रेरणा होती है; यह ऐसा है मानो उनके बीच में परमेश्‍वर हो।” क्‍या तुम उत्‍साह होने को प्रेरणा होना मानते हो? उन पादरियों के सिद्धांत भले ही कितने भी उच्‍च क्यों न प्रतीत होते हों, क्या वे परमेश्वर को जानते हैं? यदि उनके अंतरतम में परमेश्वर के प्रति सच में भय होता, तो क्या वे लोगों से अपना अनुसरण और प्रशंसा करवाते? क्या वे दूसरों पर नियंत्रण कर पाते? क्या वे अन्य लोगों को सत्य की तलाश करने और सच्चे मार्ग की जाँच करने से रोकने की हिम्मत करते? यदि वे मानते हैं कि परमेश्वर की भेड़ें वास्तव में उनकी हैं और उन सभी को उनकी बात सुननी चाहिए, तो क्या बात ऐसी नहीं है कि वे स्वयं को परमेश्वर मानते हैं? ऐसे लोग फरीसियों से भी बदतर हैं। क्या वे असली मसीह विरोधी नहीं हैं?

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, परमेश्वर के प्रति मनुष्य के प्रतिरोध की जड़ में अहंकारी स्वभाव है

क्या तुम लोग कारण जानना चाहते हो कि फरीसियों ने यीशु का विरोध क्यों किया? क्या तुम फरीसियों के सार को जानना चाहते हो? वे मसीहा के बारे में कल्पनाओं से भरे हुए थे। इससे भी ज़्यादा, उन्होंने केवल इस पर विश्वास किया कि मसीहा आएगा, फिर भी जीवन सत्य का अनुसरण नहीं किया। इसलिए, वे आज भी मसीहा की प्रतीक्षा करते हैं क्योंकि उन्हें जीवन के मार्ग के बारे में कोई ज्ञान नहीं है, और नहीं जानते कि सत्य का मार्ग क्या है? तुम लोग क्या कहते हो, ऐसे मूर्ख, हठधर्मी और अज्ञानी लोग परमेश्वर का आशीष कैसे प्राप्त करेंगे? वे मसीहा को कैसे देख सकते हैं? उन्होंने यीशु का विरोध किया क्योंकि वे पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा नहीं जानते थे, क्योंकि वे यीशु द्वारा बताए गए सत्य के मार्ग को नहीं जानते थे और इसके अलावा क्योंकि उन्होंने मसीहा को नहीं समझा था। और चूँकि उन्होंने मसीहा को कभी नहीं देखा था और कभी मसीहा के साथ नहीं रहे थे, उन्होंने मसीहा के बस नाम के साथ चिपके रहने की ग़लती की, जबकि हर मुमकिन ढंग से मसीहा के सार का विरोध करते रहे। ये फरीसी सार रूप से हठधर्मी एवं अभिमानी थे और सत्य का पालन नहीं करते थे। परमेश्वर में उनके विश्वास का सिद्धांत था : इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा उपदेश कितना गहरा है, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा अधिकार कितना ऊँचा है, जब तक तुम्हें मसीहा नहीं कहा जाता, तुम मसीह नहीं हो। क्या यह सोच हास्यास्पद और बेतुकी नहीं है?

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नया बना चुका होगा

राक्षस और बुरी आत्माएँ काफी समय से पृथ्वी पर अंधाधुंध विचरण कर रही हैं, और उन्होंने परमेश्वर की इच्छा और कष्टसाध्य प्रयास दोनों को इतना कसकर बंद कर दिया है कि वे अभेद्य बन गए हैं। सचमुच, यह एक घातक पाप है! ऐसा कैसे हो सकता है कि परमेश्वर चिंतित महसूस न करे? परमेश्वर कैसे क्रोधित महसूस न करे? उन्होंने परमेश्वर के कार्य में गंभीर बाधा पहुँचाई है और उसका घोर विरोध किया है : कितने विद्रोही हैं वे! यहाँ तक कि वे छोटे-बड़े राक्षस भी शेर के पीछे चलते गीदड़ों जैसा व्यवहार करते हैं और बुराई की धारा में बहते हैं, और चलते हुए गड़बड़ी पैदा करते हैं। सत्य को जानने के बावजूद उसका जानबूझकर विरोध करते हैं, ये विद्रोह के बेटे! यह ऐसा है, मानो अब जबकि नरक का राजा राजसी सिंहासन पर चढ़ गया है, तो वे दंभी और बेपरवाह हो गए हैं और अन्य सभी की अवमानना करने लगे हैं। उनमें से कितने सत्य की खोज करते हैं और धार्मिकता का पालन करते हैं? वे सभी जानवर हैं, जो सूअरों और कुत्तों से बेहतर नहीं हैं, वे गोबर के एक ढेर के बीच में बदबूदार मक्खियों के एक समूह के ऊपर दंभपूर्ण आत्म-बधाई में अपने सिर हिलाते हैं और हर तरह का उपद्रव भड़काते[1] हैं। उनका मानना है कि नरक का उनका राजा सबसे बड़ा राजा है, और इतना भी नहीं जानते कि वे खुद बदबूदार मक्खियों से ज्यादा कुछ नहीं हैं। और फिर भी, वे अपने माता-पिता रूपी सूअरों और कुत्तों की ताकत का लाभ उठाकर परमेश्वर के अस्तित्व को बदनाम करते हैं। वे तुच्छ मक्खियाँ मानती हैं कि उनके माता-पिता नीली व्हेल[2] की तरह विशाल हैं। वे इतना भी नहीं जानते कि वे खुद बहुत छोटे हैं, और उनके माता-पिता उनसे लाखों गुना बड़े गंदे सूअर और कुत्ते हैं। अपनी नीचता से अनजान वे अंधाधुंध दौड़ने के लिए उन सूअरों और कुत्तों द्वारा छोड़ी गई सड़न की बदबू पर भरोसा करते हैं और शर्मिंदगी से बेखबर वे व्यर्थ ही भविष्य की पीढ़ियों को पैदा करने के बारे में सोचते हैं! अपनी पीठ पर हरे पंख लगाए (जो उनके परमेश्वर पर विश्वास करने के दावे का सूचक है), वे आत्मतुष्ट हैं और हर जगह अपनी सुंदरता और आकर्षण की डींग हाँकते हैं, जबकि वे चुपके से अपने शरीर की मलिनताओं को मनुष्य पर फेंक देते हैं। इतना ही नहीं, वे स्वयं से अत्यधिक प्रसन्न होते हैं, मानो वे इंद्रधनुष के रंगों वाले एक जोड़ी पंखों का इस्तेमाल कर अपनी मलिनताएँ छिपा सकते हों, और इस तरह वे सच्चे परमेश्वर के अस्तित्व पर अपना कहर बरपाते हैं (यह धार्मिक दुनिया में परदे के पीछे चलने वाली हकीकत बताता है)। मनुष्य को कैसे पता चलेगा कि मक्खी के पंख कितने भी खूबसूरत और आकर्षक हों, मक्खी एक अत्यंत छोटे प्राणी से बढ़कर कुछ नहीं है, जिसका पेट गंदगी से भरा हुआ और शरीर रोगाणुओं से ढका हुआ है? अपने माता-पिता रूपी सूअर और कुत्तों के बल पर वे देश-भर में हैवानियत में निरंकुश होकर अंधाधुंध दौड़ते हैं (यह उस तरीके को संदर्भित करता है, जिससे परमेश्वर को सताने वाले धार्मिक अधिकारी सच्चे परमेश्वर और सत्य से विद्रोह करने के लिए राष्ट्र की सरकार से मिले मजबूत समर्थन पर भरोसा करते हैं)। ऐसा लगता है, मानो यहूदी फरीसियों के भूत परमेश्वर के साथ बड़े लाल अजगर के देश में, अपने पुराने घोंसले में लौट आए हों। उन्होंने हजारों साल पहले का अपना काम फिर करते हुए उत्पीड़न का दूसरा दौर शुरू कर दिया है। पतितों के इस समूह का अंततः पृथ्वी पर नष्ट हो जाना निश्चित है! ऐसा प्रतीत होता है कि कई सहस्राब्दियों के बाद अशुद्ध आत्माएँ और भी चालाक और धूर्त हो गई हैं। वे गुप्त रूप से लगातार परमेश्वर के काम को क्षीण करने के तरीकों के बारे में सोच रही हैं। प्रचुर छल-कपट के साथ वे अपनी मातृभूमि में कई हजार साल पहले की त्रासदी की पुनरावृत्ति करना चाहती हैं और परमेश्वर को लगभग पुकार उठने की कगार तक ले आती हैं। परमेश्वर उन्हें नष्ट करने के लिए तीसरे स्वर्ग में लौट जाने से खुद को मुश्किल से रोक पाता है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (7)

फुटनोट :

1. “हर तरह का उपद्रव भड़काते” का मतलब है कि कैसे वे लोग, जो राक्षसी किस्म के होते हैं, दंगा फैलाते हैं और परमेश्वर के कार्य को बाधित करते हैं तथा उसका विरोध करते हैं।

2. “नीली व्हेल” का इस्तेमाल उपहास के रूप में किया गया है। यह एक रूपक है, जो बताता है कि कैसे मक्खियाँ इतनी छोटी होती हैं कि सूअर और कुत्ते भी उन्हें व्हेल की तरह विशाल नज़र आते हैं।


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