प्रश्न 3: ऐसा लिखा है, "अत: अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं ..." (रोमियों 8:1)। चूँकि हम मसीह यीशु को मानते हैं, तो पहले ही ये गारंटी दे दी गई है कि हम तिरस्कृत नहीं किए जाएंगे और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकेंगे।

उत्तर: तुम्हें लगता है जो यीशु मसीह में विश्वास करता है, वो तो पहले ही यीशु मसीह में है। ये इंसानी धारणा है। "जो मसीह यीशु में हैं" का मतलब प्रभु यीशु में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति नहीं है प्रभु यीशु में आस्था रखने वाले अधिकतर व्यक्ति परमेश्वर की प्रशंसा नहीं पा सकते, जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा है, "बहुत बुलाए जाते हैं, पर कुछ ही चुने जाते हैं।" जिन्हें परमेश्वर ने चुना नहीं है, उनमें से अधिकतर लोग केवल अस्थायी लाभ पाने के लिये परमेश्वर में आस्था रखते हैं; कुछ को न तो सत्य से प्रेम है और न ही वे सत्य पर अमल करते हैं; कुछ लोग तो परमेश्वर के विरोध के लिये दुष्टता भी करते हैं। ख़ासतौर से अधिकतर धार्मिक नेता, फरीसियों के मार्ग पर चलते हैं और वे सब मसीह विरोधी हैं। उनमें से कुछ तो खाली नाम के लिये परमेश्वर में विश्वास करते हैं; वे लोग नास्तिक हैं। तुम्हारा कहना है कि जो लोग प्रभु यीशु में विश्वास रखते हैं, वो पहले ही मसीह यीशु में हैं; इन वचनों का कोई मतलब नहीं है। "अत: अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं।..." इसका इशारा लोगों के किस समूह की ओर है? वे लोग जो परमेश्वर का आदेश मान सकें, सत्‍य पर अमल कर सकें और परमेश्वर की आज्ञा का पालन कर सकें, यानी कि वो लोग जो सत्‍य का पालन करते हैं और जीवन प्राप्त करते हैं, जो मसीह की बात मान सकते हैं, परमेश्वर का विरोध करने के लिये बुरे कामों से दूर रह सकते हैं और जो पूरी तरह से मसीह के अनुकूल हैं। ऐसे लोग मसीह में हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि जो लोग प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं, वे मसीह यीशु में हैं। कुछ विश्वासी ऐसे भी हैं जिनकी आस्था को परमेश्‍वर की मंज़ूरी नहीं मिली है। मिसाल के तौर पर, प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्‍चर्यकर्म नहीं किए?' तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, 'मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ" (मत्ती 7:22-23)। क्या तुम कह सकते हो कि जिनका यहां उल्लेख है, जिन्होंने भविष्यवाणी की, शैतान को दर-किनार किया, और प्रभु के नाम पर अनेक अद्भुत कार्य किये, सब मसीह में हैं? क्या ये वो लोग नहीं हैं जिन्हें परमेश्वर ने तिरस्कृत कर दिया था? इसलिये, "यीशु में आस्था" और "मसीह में होना" दो अलग बातें हैं। जिनकी आस्था तो प्रभु में है लेकिन जो उसकी प्रशंसा नहीं पा सकते, मसीह में नहीं हैं, क्योंकि परमेश्वर का उद्धार का कार्य उस ढंग से आगे नहीं बढ़ता, जिस ढंग से लोग सोचते हैं। जैसे ये सोचना कि परमेश्वर में आस्था रखने वाले हर व्यक्ति को बचाया जा सकता है। उनमें से कइयों का सफाया हो जाएगा, ख़ासतौर से उनका जो सत्य का ज्ञान पाने के बाद भी जानबूझकर पाप करते हैं। इन पापों में, भेंटें चुराना, परमेश्वर को नकारना, परमेश्वर को धोखा देना, सच्चाई पर अमल न करना, डरपोक होना या व्यभिचारी होना शामिल है। परमेश्वर ऐसे लोगों को अभी भी निंदित करेंगे और त्याग देंगे। जो लोग भयंकर बुराइयां करते हैं, उन्हें सज़ा मिलेगी। जैसा कि इब्रानियों 10:26 में कहा गया है: "क्योंकि सच्‍चाई की पहिचान प्राप्‍त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं" (इब्रानियों 10:26)। इसलिये, प्रभु में विश्वास रखने वाला हर व्यक्ति मसीह में नहीं है। सत्‍य को प्यार करने वाले आस्थवान ही सत्‍य का अनुसरण कर सकते हैं, और इस तरह मसीह की आज्ञा का पालन करते हैं और वास्तव में मसीह को जानते हैं, मसीह को लेकर उनकी कोई धारणा नहीं है और उनसे विद्रोह या उनका विरोध नहीं करते हैं, मसीह के दिल को अपना दिल समझते हैं और परमेश्वर की इच्छा को पूरा कर सकते हैं वही लोग मसीह में हैं। वही लोग परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्त करेंगे और उनके राज्य में प्रवेश करेंगे।

"मर्मभेदी यादें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 2: बाइबल में कहा गया है, "परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्‍वर ही है जो उनको धर्मी ठहरानेवाला है। फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा?" (रोमियों 8:33-34)। इससे सिद्ध होता है कि प्रभु यीशु ने सलीब पर चढ़कर हम सबके पापों को क्षमा कर दिया। प्रभु यीशु अब हमें पापी नहीं मानते। अब हम पर इल्ज़ाम कौन लगाएगा?

अगला: प्रश्न 4: लोग पापी होते हैं लेकिन प्रभु यीशु को अपने पाप अर्पित करना हमेशा कारगर सिद्ध होता है। अगर हम प्रभु यीशु के सामने अपने पाप स्वीकार कर लें तो वो हमें क्षमा कर देंगे। हम प्रभु की नज़रों में पापरहित हैं, इसलिये हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पा सकते हैं!

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1. प्रभु ने हमसे यह कहते हुए, एक वादा किया, "मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)। प्रभु यीशु पुनर्जीवित हुआ और हमारे लिए एक जगह तैयार करने के लिए स्वर्ग में चढ़ा, और इसलिए यह स्थान स्वर्ग में होना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु लौट आया है और पृथ्वी पर ईश्वर का राज्य स्थापित कर चुका है। मुझे समझ में नहीं आता: स्वर्ग का राज्य स्वर्ग में है या पृथ्वी पर?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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