20. परमेश्वर की तरफ मुड़ने के लिए झूठ के जाल से निकलना

केमु, दक्षिण कोरिया

2017 में, मेरी पत्नी और बेटी मेरे साथ रहने दक्षिण कोरिया आयीं। तो मैं बहुत जोश में था, मेरी पत्नी अलग माहौल और भाषा के कारण वहां पर बिलकुल भी रम नहीं पायी। उसे अपने बूढ़े माता-पिता और पसंदीदा काम को छोड़कर एक अजनबी जगह पर आना पड़ा, जहां उसका कोई मित्र नहीं था। उसके लिए हर चीज़ अनजानी थी। वो हमेशा उदास और चुप रहती। मैं जानता था कि वो दुखी है, पर समझ नहीं आ रहा था कि उसे कैसे आराम दूँ। मार्च में एक दिन, उसने कहा कि वह परमेश्वर में विश्वास करने लगी है। मुझे लगा ये तो अच्छी बात है। मेरी दादी भी एक विश्वासी थी। मुझे कोई आपत्ति नहीं हुई। कुछ समय बाद, मैंने देखा कि वो हमेशा खुश रहने लगी है, उसका पूरा आचरण पहले से बिल्कुल अलग हो गया है। मैं बहुत खुश हुआ। धीरे-धीरे मुझे उसकी कलीसिया को लेकर जिज्ञासा होने लगी, मैंने सोचा इससे किसी में इतना बड़ा बदलाव कैसे आ सकता है।

एक दिन मैंने उससे पूछा कि वो किस कलीसिया में भाग ले रही है। उसने कहा यह सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया है। इससे मुझे 2014 की शांदोंग की झाओयुआन घटना की याद आ गयी, मैं बहुत नाराज़ हो गया। मैंने उससे सख्ती से कहा, "तुम अब उन विश्वासियों के साथ कोई सम्बन्ध नहीं रखोगी अगर उनसे संपर्क किया, तो मैं तुम्हारा फोन तोड़ दूंगा!" उसके चेहरे पर हैरानी का भाव था, उसने पूछा कि मैं उसे रोक क्यों रहा हूँ। मैंने गुस्से से कहा, "क्यों? यह तुम्हारे और हमारे परिवार के भले के लिए है। क्या तुम्हें नहीं पता कि सीसीपी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर कार्रवाई कर उसका दमन कर रही है? तुम्हें 28 मई 2014 के झाओयुआन मामले के बारे में नहीं पता? इस मामले का मुख्य आरोपी झांग लिदोंग इसी कलीसिया का सदस्य है। इन लोगों के साथ मेल-जोल रखने से क्या तुम मुसीबत मोल नहीं ले रही?" उसने दृढ़ता के साथ कहा, "झांग लिदोंग और बाकी लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के साथ नहीं हैं। आपको इस बात पर यकीन नहीं करना चाहिए। मैं कलीसिया के भाई-बहनों से पिछले दो महीनों से संपर्क में हूँ, वो सब ईमानदार लोग हैं, जो दूसरों के प्रति दयालु और निष्ठावान हैं। किसी भी तकलीफ़ में वो एक-दूसरे की मदद करते हैं। ऑनलाइन कही बातों जैसा कुछ भी नहीं है।" लेकिन उसकी तमाम बातें सुनकर मैंने जवाब दिया, "खुद ही ऑनलाइन देख लो, जान जाओगी मैं सही हूँ या नहीं।"

फिर मेरी पत्नी ने मुझे एक जगह बिठा कर कहा कि, "आप बातों को अच्छे से समझने वाले इंसान हैं। आपको इस पर ठीक से गौर करके सच्चाई के अनुसार बोलना चाहिए— एक ही पक्ष की बात मत सुनिये! क्या आपको 1989 के टियानमेन स्क्वेयर विरोध प्रदर्शन याद हैं? छात्र भ्रष्टाचार के विरुद्ध प्रदर्शन कर लोकतांत्रिक आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, लेकिन सीसीपी ने कुछ अनजाने लोगों से छात्र होने का नाटक करवा कर, उनसे तोड़-फोड़ सैनिक वाहन पलटवाये। उन्होंने बहुत अराजकता फैलायी, और सीसीपी ने आरोप छात्रों पर डाल दिया। इसके बाद, सीसीपी ने सीसीटीवी और रेडियो का इस्तेमाल कर अपनी झूठी रिपोर्ट फैलायीं, उन छात्रों को क्रान्ति-विरोधी दंगाइयों के रूप में बदनाम किया, फिर हज़ारों जीवित छात्रों को अपने टैंकों के नीचे दबा कर कुचल दिया। जिस किसी को सीसीपी का इतिहास मालूम है, वो जानता है कि यह ऐसी तानाशाही है, जिसके न्याय-विरोधी होने का इतिहास है। जब भी किसी का कोई अलग राजनीतिक विचार या नज़रिया होता है, उसे हमेशा दबाया जाता है, उसका दमन कर उसे मिटा दिया जाता है। जब भी सीसीपी किसी धार्मिक आस्था, लोकतांत्रिक अधिकारों के अभियान, अल्पसंख्यकों के विरोध प्रदर्शनों का दमन करती है, तो वो झूठे मामले गढ़कर लोगों को बरगलाती है, विरोध खड़ा करती है, फिर हिंसक दमन करती है। यह एक सच्चाई है। 28 मई का झाओयुआन मामला सीसीपी द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को फंसाने का मामला था— उन्होंने सावधानी से एक और झूठा मामला गढ़ डाला।" लेकिन मैं उसकी बात नहीं सुनना चाहता था। मैंने गुस्से से कहा, "तुम अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास नहीं रख सकती। मुझे अपने परिवार की सुरक्षा का ख़याल रखना है, मैं तुम्हें और अपनी बेटी को मुसीबत में नहीं देख सकता। मुझे किसी और बात की फ़िक्र नहीं। मैं तुम्हें आखिरी बार बता रहा हूँ : तुम अब उनसे कोई संपर्क नहीं रख सकती। बस घर पर एक अच्छी पत्नी और माँ बन कर रहो, वरना तुम्हें अंदर बंद कर दूं, तो मुझे दोष मत देना" फिर मैं दरवाज़ा ज़ोर से बंद कर घर से बाहर चला गया।

मुझे वाकई बहुत बुरा लग रहा था। शादी के पिछले दस साल में, मैं इस तरह उस पर कभी भी नाराज़ नहीं हुआ। पहली बार मिलने से लेकर, प्यार करने और शादी की रस्में निभाने तक, हमने बहुत-कुछ झेला : हमारे माता-पिता का विरोध, सांस्कृतिक अंतर, उम्र का फ़र्क और दूर का रिश्ता। हमने तमाम मुश्किलों को पार किया हमारे परिवार के लिए उसने कई साल बहुत-कुछ सहा। ये सब सोचकर मुझे वाकई पीड़ा हुई, मगर मैं सिर्फ़ परमेश्वर में विश्वास रखने की वजह से उसपर इतना गुस्सा हो गया। जानता हूँ मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था, मगर मुझे लगा कि ये हमारे परिवार के भले के लिए है। वो मुझे क्यों नहीं समझ सकी? मैंने अपना फोन देखा, उसमें हम तीनों की बड़ी खुशनुमा फोटो थी, जिसमें हमारी बेटी मीठी मुस्कान दे रही थी। मैंने मन में सोचा, "मैं परिवार का मुखिया हूँ, मुझे उनकी रक्षा करनी होगी। उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता।"

अगले कुछ दिनों में, इस डर से कि मेरे प्रति मेरी पत्नी की भावनाओं को चोट न पहुंचे, मैंने उससे बस इतना कहा कि परमेश्वर से जुड़ी कोई भी बात मुझसे न करे। भले ही ऊपर से ऐसा लग रहा था कि हमारे बीच सब ठीक है, मगर हमारे बीच एक खाई बन गयी थी।

एक दिन जैसे ही मैं काम ख़त्म करके घर के अंदर आया, मैंने कमरे से आते संगीत के आनंदमय सुर और मेरी पत्नी और बेटी के ठहाके सुने। मैंने सोचा, कमाल है "लंबे वक्त से मैंने घर में आनंद के ऐसे स्वर नहीं सुने। यह कौन-सा गाना है, जो उन्हें इतनी खुशी दे रहा है?" मैंने बहुत धीरे-से दरवाज़ा खोला, कंप्यूटर पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का वीडियो चल रहा था, परमेश्वर का सच्चा प्रेम। छह युवतियां भावना और आनंद में डूबी डांस करते हुए गा रही थीं, उनके चेहरे खुशियों से खिली मुस्कान से ऐसे दमक रहे थे कि मैं तुरंत आकर्षित हो गया। मुझे बड़ी जिज्ञासा हुई, मैंने सोचा, "यह कैसी कलीसिया है, ये कैसे लोग हैं? ये गाना और डांस इतना आकर्षक क्यों है क्यों इतना सुकून दे रहा है? अगर वो सचमुच बुरे लोग हैं, तो उनकी मुस्कान इतनी उदार और सच्ची कैसे हो सकती है?" मेरी बेटी ने मुझे आते हुए देख लिया, और मेरी पत्नी को मेरे लिए एक और गाने और डांस का वीडियो चलाने को कहा, जिसका नाम था पूरब की ओर लाया है परमेश्वर अपनी महिमा। मैं उसे रोकना नहीं चाहता था— हमारे घर में ऐसा खुशनुमा माहौल मुश्किल से आया था। अपनी बेटी का हाथ पकड़े हुए मैं अपनी पत्नी के साथ बैठ कर देखने लगा। उस वीडियो ने मुझे वाकई अपनी और खींचा, उसमें टैप डांसिंग जैसा ही स्टाइल था, वे बड़ी मनोहरता से नाच रहे थे, ये बहुत आकर्षित करने वाला था।

मुझे इतना मगन देख कर, मेरी पत्नी ने मुझसे कहा, "ये सब सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहनों द्वारा बनाये गये हैं। ये कोई प्रोफेशनल नहीं हैं।" मैंने सोचा, "ये कैसे संभव है? प्रोफेशनल ट्रेनिंग के बिना लोग इतना बढ़िया डांस कैसे कर सकते हैं? और इन सभी वीडियो में ऐसी सकारात्मक भावना है। ये प्रेरक हैं, दिल को छूते और स्फूर्ति देते हैं। बुरे लोगों में ऐसी सकारात्मक शक्ति कैसे हो सकती है? मैंने जो कुछ ऑनलाइन देखा, ये उससे अलग क्यों है? असल में चल क्या रहा है?" मुस्कराते हुए, मेरी पत्नी ने कहा, "है न शानदार! परमेश्वर के कार्य और मार्गदर्शन के बिना, क्या नॉन-प्रोफेशनल लोग इस तरह डांस कर सकते हैं? उनकी बनायी फ़िल्में देख कर आप और भी हैरान होंगे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में पवित्र आत्मा का कार्य है। इसलिए ही उनके डांस और फ़िल्में इतनी अच्छी हैं, इनमें की गयी सत्य पर संगति से लोगों को लाभ होता है। कलीसिया के बारे में ऑनलाइन मौजूद नकारात्मक प्रचार सीसीपी द्वारा फैलाया गया झूठ है। उसमें सच्चाई नहीं है। सीसीपी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को बदनाम करती है, ताकि लोग गुमराह होकर उसे अपना दुश्मन मानें। फिर वो परमेश्वर के कार्य की जांच नहीं करेंगे, उसका उद्धार खो देंगे।"

उसकी बात सुनकर मेरी जिज्ञासा वाकई बढ़ गयी। मैं सोचने लगा यह कैसी कलीसिया है, ऑनलाइन कही गयी बातें सच हैं या नहीं। अपनी पत्नी को उसकी आस्था का पालन करने दूं या नहीं। वही संघर्ष मेरे मन में फिर से होने लगा। इस संघर्ष के बाद इसकी जांच का सोचा इस काम के लिए मैं द्वारपाल की भूमिका निभा सकता हूँ। अगर मैंने कलीसिया के लोगों को अनुचित बर्ताव करते देखा, या उन्हें कुछ भी अनुचित करते देखा, तो मैं उसे वहां से बाहर ले आऊँगा, और फिर कभी नहीं जाने दूंगा। अगर वैसा कुछ नहीं हुआ जिसका मुझे डर है तो मैं उसे कभी नहीं रोकूँगा। उस हफ्ते के अंत में, मैंने अपनी पत्नी से कहा कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को देखना चाहता हूँ— तो वो बहुत खुश हुई

वहां पहुँचने पर भाई-बहनों ने गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया, उनकी बातचीत से मुझे लगा कि वे दयावान और निष्ठावान हैं। मेरी घबराहट धीरे-धीरे कम हो गयी। फिर एक बहन ने एक संगीत नाटिका चलायी, जिसका नाम था एंजेलिना की कहानी। मैंने उसे दिलचस्पी से देखा। एंजेलिना के उतार-चढ़ाव को देख कर मैं गहराई से प्रेरित हुआ मैं अपनी ज़िंदगी के बारे में सोचने लगा। मेरे परिवार में घटी घटनाओं के कारण मैं बचपन में जगह-जगह भटका था, गुज़ारा करने के लिए मैंने दबंगई, बेइज़्ज़ती और उदासीनता झेली थी। अब मैं ज़िंदगी चलाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूँ, बीते वर्षों में दुख झेलकर, उतार-चढ़ाव से गुज़र कर थका हुआ और दुखी होने पर भी, मैं अपनी पत्नी और मित्रों के सामने खुद को मज़बूत दिखाता हूँ। मेरे दिल का दर्द सच में भला कौन समझ सकता है? संगीत नाटिका के अंत से पहले यह गाना चला : "सर्वशक्तिमान ने हुरी तरह से पीड़ित इन लोगों पर दया की है; साथ ही, वह उन लोगों से तंग आ गया है, जिनमें चेतना की कमी है, क्योंकि उसे मनुष्य से जवाब पाने के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ा है। वह तुम्हारे हृदय की, तुम्हारी आत्मा की तलाश करना चाहता है, तुम्हें पानी और भोजन देना और तुम्हें जगाना चाहता है, ताकि अब तुम भूखे और प्यासे न रहो। जब तुम थक जाओ और तुम्हें इस दुनिया की बेरंग उजड़ेपन का कुछ-कुछ अहसास होने लगे, तो तुम हारना मत, रोना मत। द्रष्टा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, किसी भी समय तुम्हारे आगमन को गले लगा लेगा" (मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ)। हर एक सुर में यूं लगा जैसे एक माँ लंबे अरसे से खोये हुए अपने बच्चे की तरफ अपना हाथ बढ़ा रही है। मुझे प्रेम की पुकार महसूस हुई—मेरा दिल रो पड़ा। जब वो ख़त्म हुई, मैंने दिल से कहा, "संगीत नाटिका वाकई अद्भुत है!" मेरी पत्नी ने मुझे देखा और भावुकता से बोली, "एंजेलिना की कहानी का आपके दिल को छूना परमेश्वर का आपको प्रेरित करना है! मैं जानती हूँ कि 28 मई के झाओयुआन मामले का आप पर प्रभाव पड़ा है, आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को ग़लत समझते हैं। आप हमारी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, इसलिए आज हम ये समझ सकते हैं कि उस मामले में सच में क्या हुआ था।"

भाई-बहनों ने तब मेरे लिए एक वीडियो चलाया, 28 मई के झाओयुआन मामले के पीछे का सत्य उजागर हुआ। इसमें अनेक संदेहास्पद पहलुओं पर प्रकाश डाला गया, उनका गहन विश्लेषण किया गया। सीसीपी का झूठ पकड़ा गया और सच्चाई सामने आ गयी। मैंने देखा कि आरोपी झांग लिदोंग और झांग फैन ने अदालत में साफ़-साफ़ कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया से मेरा कोई संपर्क नहीं। शासन झाओ वीशान के सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर कार्रवाई करता है, हमारे परमेश्वर पर नहीं।" उन्होंने नकारा कि वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सदस्य हैं, और कहा कि कलीसिया से वो बिल्कुल भी संबद्ध नहीं हैं। लेकिन सीसीपी ने आरोपियों की गवाहियों की परवाह नहीं की और सत्य को पलट दिया, जबरन अपराध सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के लोगों पर थोप दिया। क्या यह कलीसिया को बदनाम करने के लिए बोला गया सफ़ेद झूठ नहीं था?

फिर एक बहन ने मेरे साथ यह संगति साझा की : "सीसीपी सालों से अपनी कपटता के लिए कुख्यात रही है, देश-विदेश में यह बहुत बदनाम है। दुनिया भर में, ज़्यादातर लोग इसकी असलियत देख सकते हैं, अब शायद ही कोई इस पर भरोसा करता है। हम सब जानते हैं, चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की तानाशाही है। न न्याय पालिका को आज़ादी है, और न ही प्रेस को। चीनी मीडिया और अदालतें पूरी तरह से सीसीपी सरकार द्वारा नियंत्रित हैं, वे सिर्फ़ तानाशाही के मुखपत्र और साधन बन कर रह गये हैं। यह एक जग-ज़ाहिर सच्चाई है। झाओयुआन घटना के तीन दिन बाद, बिना किसी अदालाती सुनवाई या फैसले के, सीसीपी ने टीवी और ऑनलाइन मीडिया तंत्र का इस्तेमाल करके सार्वजनिक रूप से निंदा कर दी। मध्य-जून में, उन्होंने अपना 'सौ दिन का युद्ध' शुरू कर दिया, ताकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का दमन और कार्रवाई की जा सके। उन्होंने कलीसिया को लक्ष्य बनाकर राष्ट्रव्यापी खोजबीन की, ईसाइयों को गिरफ़्तार किया। शांदोंग में 28 मई को हुआ झाओयुआन मामला, सीसीपी द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को मिटा देने के लिए गढ़ा गया झूठा मामला था।"

इसे सुनकर मैंने सोचा : "सीसीपी कितनी घिनौनी है। यह सत्य को उलट कर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को फंसाती है, ताकि सत्य न जानने वाले लोग इसके झूठ के फेर में आ जाएं और कलीसिया को पूरी तरह से गलत समझें। मैं भी सीसीपी के झूठ में फंस गया। लेकिन एक बात नहीं समझा, सीसीपी कलीसिया का इस तरह से उत्पीड़न क्यों करती है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर खून का मामला थोपना क्यों चाहती है, उसके सदस्यों को गिरफ़्तार क्यों करना चाहती है ये आखिर चल क्या रहा है?" अपनी उलझन के बारे में मैंने उनसे पूछा

तो एक बहन ने जवाब दिया, "वो इतने पागलपन से सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का दमन, और हत्या का झूठा मामला इसलिए गढ़ती है, क्योंकि वो एक नास्तिक पार्टी है। इसके संस्थापक कार्ल मार्क्स एक शैतानवादी थे, सीसीपी सभी धार्मिक आस्थाओं को मिटा देना चाहती है, ताकि लोग उसी में विश्वास रखें और उसे अपना उद्धारकर्ता मान लें। मार्क्स परमेश्वर का विरोध करने वाले वास्तविक जीवित दानव थे। सीसीपी ने सत्ता में आने के बाद से परमेश्वर को खुले तौर पर नकारा है, उसकी निंदा और उसका तिरस्कार किया है, वह ईसाई धर्म को एक कुपंथ कहती है। वह बाइबल की प्रतियों को कुपंथ साहित्य कह कर नष्ट कर देती है, वह धार्मिक समूहों को कुपंथ कहती है, ताकि उनका दमन कर सके। अब अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने चीन में प्रकट होकर कार्य किया है, वचन देह में प्रकट होता है में संपूर्ण सत्य व्यक्त किया है। इस क़िताब ने सभी धर्मों और संप्रदायों को झकझोर डाला है। बहुत-से सच्चे विश्वासियों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़े हैं, उन्होंने समझ लिया है कि ये वचन परमेश्वर की वाणी हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही वापस आया हुआ प्रभु यीशु है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार कर, वो परमेश्वर के सिंहासन के सामने आ गये हैं। करीब 20 साल में ही, चीन में, लाखों लोगों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया है, लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास कर रहे हैं, सीसीपी में नहीं, इससे पागल होकर वो परमेश्वर के कार्य की निंदा करती है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में झूठ फैलाती है। उसने कई गोपनीय दस्तावेज़ जारी किये हैं और सशस्त्र पुलिस बल की तैनाती की है। वह चीन में, परमेश्वर के अंत के दिनों के सुसमाचार को रोकने की कोशिश करती है, चीन में कलीसियाओं के लोगों को गिरफ़्तार करके उनका दमन करने पर तुली है। वह परमेश्वर के कार्य और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को मिटाना चाहती है। इससे सीसीपी की शैतानी और परमेश्वर से घृणा करने वाली प्रकृति साफ़ उजागर होती है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में कहा गया है, 'ऊपर से नीचे तक और शुरू से अंत तक शैतान परमेश्वर के कार्य को बाधित करता रहा है और उसके विरोध में काम करता रहा है। ... शैतान चाहता है कि एक ही झपट्टे में परमेश्वर से संबंधित सब-कुछ साफ़ कर दे, और एक बार फिर उसे अपवित्र कर उसका हनन कर दे; वह उसके कार्य को टुकड़े-टुकड़े करने और उसे बाधित करने का इरादा रखता है। वह कैसे परमेश्वर को समान दर्जा दे सकता है? कैसे वह पृथ्वी पर मनुष्यों के बीच अपने काम में परमेश्वर का "हस्तक्षेप" बरदाश्त कर सकता है? कैसे वह परमेश्वर को उसके घिनौने चेहरे को उजागर करने दे सकता है? शैतान कैसे परमेश्वर को अपने काम को अव्यवस्थित करने की अनुमति दे सकता है? क्रोध के साथ भभकता यह शैतान कैसे परमेश्वर को पृथ्वी पर अपने शाही दरबार पर नियंत्रण करने दे सकता है? कैसे वह स्वेच्छा से परमेश्वर के श्रेष्ठतर सामर्थ्य के आगे झुक सकता है? इसके कुत्सित चेहरे की असलियत उजागर की जा चुकी है, इसलिए किसी को पता नहीं है कि वह हँसे या रोए, और यह बताना वास्तव में कठिन है। क्या यही इसका सार नहीं है?' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (7))।"

फिर बहन ने मेरे लिए साम्यवाद का झूठ नामक एक वीडियो चलाया। उसमें परमेश्वर के वचनों के एक अंश ने मुझे प्रेरणा दी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "हमें विश्वास है कि परमेश्वर जो कुछ प्राप्त करना चाहता है, उसके मार्ग में कोई भी देश या शक्ति ठहर नहीं सकती। जो लोग परमेश्वर के कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं, परमेश्वर के वचन का विरोध करते हैं, और परमेश्वर की योजना में विघ्न डालते और उसे बिगाड़ते हैं, अंततः परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाएँगे। जो परमेश्वर के कार्य की अवहेलना करता है, उसे नरक भेजा जाएगा; जो कोई राष्ट्र परमेश्वर के कार्य का विरोध करता है, उसे नष्ट कर दिया जाएगा; जो कोई राष्ट्र परमेश्वर के कार्य को अस्वीकार करने के लिए उठता है, उसे इस पृथ्वी से मिटा दिया जाएगा, और उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है)। उसके इन वचनों से मुझे परमेश्वर के अधिकार और प्रताप का अनुभव हो रहा था। इंसान परमेश्वर के कार्य को नहीं रोक सकता। सीसीपी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को बदनाम कर उसकी निंदा कर रही है, कलीसिया के ईसाइयों को गिरफ़्तार कर उत्पीड़ित कर रही है, फिर भी वे परमेश्वर का अनुसरण कर रहे हैं, उसके सुसमाचार को फैला रहे हैं। वे और भी ज़्यादा सुसमाचार फ़िल्में, सामूहिक (कोरल) कार्यक्रम, और डांस वीडियो बना रहे हैं, और ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखने लगे हैं। किसी इंसान का कोई काम, ऐसे गहरे उत्पीड़न के बावजूद इतनी तेज़ी से फ़ैल नहीं सकता। मुझे यकीन था कि ये परमेश्वर से आया है, सच्चा मार्ग है, जाँच के लायक है। ये सब बातें समझ लेने से सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में मेरी शंकाएं दूर हो गयीं, मुझे लगा जैसे मेरे दिल से बड़ा बोझ उतर गया है।

मैंने अपनी पत्नी की ओर देख कर कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास रखना सही है। मैं ही नासमझ था, मैंने आँखें बंद करके सीसीपी के झूठ को मान लिया, तुम्हें भी रोका। मुझसे गलती हो गयी।" उसकी आँखों में आंसू आ गए , उसने भावुक होकर कहा, "परमेश्वर की कृपा है कि आप सीसीपी के झूठ को समझ कर उलझन से बाहर निकल सके। यह परमेश्वर का मार्गदर्शन है!"

इसके बाद, मैं अपनी पत्नी के साथ बैठ कर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बनाये वीडियो देखता, उसकी आस्था के बारे में सुनता। कुछ समय बाद, मैं बहुत बीमार पड़ गया, तब कलीसिया के भाई-बहन मेरा हाल पूछने और हमारी मदद करने आये। ऐसे ठंडे, बेपरवाह समाज में, भाई-बहनों द्वारा मदद का हाथ बढ़ाने से मुझे महसूस हुआ कि हम एक परिवार के जैसे हैं। उनसे पहचान के कुछ समय बाद, मैं जान पाया कि वे सब बहुत ही दयालु लोग हैं, परमेश्वर के वचनों पर भरोसा करते हैं, अपनी बातों और कामकाज में ईमानदार और गरिमापूर्ण हैं। मैं जिनके साथ काम करता हूँ, ये उनसे बिल्कुल अलग हैं— दुनिया में उन जैसे लोग बहुत ही कम बचे हैं। मुझे लगा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन लोगों को बदलकर सही मार्ग दिखा सकते हैं। यह कलीसिया प्रेम से परिपूर्ण है, यह लोगों को अंदर से बहुत स्नेही बनाती है। मैंने परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया। मैं उस वक्त के बारे में सोचता हूँ जब मैं सीसीपी के झूठ से अंधा होकर अपनी पत्नी की आस्था के आड़े आया, फिर भी परमेश्वर ने मुझे बचाया। परमेश्वर के उन वचनों के जरिए, जो भाई-बहनों ने मुझे बताया, परमेश्वर ने मुझे सीसीपी के झूठ और उसके पीछे के सत्य को समझने दिया। अपने सामने आने का रास्ता दिखाया। मैं परमेश्वर का आभारी हूँ!

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