अध्याय 32
प्रकाश क्या है? अतीत में तुम लोग वास्तव में पवित्र आत्मा के कार्य के रूपांतरण को प्रकाश मानते थे। सच्चा प्रकाश हर समय है : अर्थात्, मेरे निकट आने और मेरे साथ संगति करने के माध्यम से वह प्राप्त करना जो परमेश्वर है। परमेश्वर के वचनों में अंतर्दृष्टि होना और परमेश्वर के वचनों में उसकी इच्छा को समझना—अर्थात्, परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते समय उनमें आत्मा को महसूस करना और अपने भीतर परमेश्वर के वचनों को प्राप्त करना; अनुभव के माध्यम से तुम यह समझते हो कि वह क्या है, और परमेश्वर के साथ संवाद करते समय उसकी रोशनी प्राप्त करते हो; यह सब प्रकाश है। विचार और चिंतन करते हुए तुम किसी भी क्षण परमेश्वर के वचनों में प्रबुद्ध हो सकते हो और नई अंतर्दृष्टि पा सकते हो। यदि तुम परमेश्वर के वचन को समझते हो और नया प्रकाश महसूस करते हो, तो क्या तुम्हारी सेवा में सामर्थ्य नहीं होगा? तुम लोग सेवा देते हुए बहुत चिंता करते हो! ऐसा इसलिए है, क्योंकि तुम लोगों ने वास्तविकता को नहीं छुआ है, और तुम्हें वास्तविक अनुभव या अंतर्दृष्टि नहीं है। यदि तुम्हारे पास वास्तविक अंतर्दृष्टि होती, तो क्या तुम यह न जानते कि सेवा कैसे की जाए? जब तुम पर कुछ चीजें आकर पड़ती हैं, तो तुम्हें उन्हें तत्परता से अनुभव करना चाहिए। यदि एक आसान और सुविधाजनक माहौल में तुम परमेश्वर के मुख-मंडल के प्रकाश में भी रह सकते हो, तो तुम हर दिन परमेश्वर का चेहरा देखोगे। यदि तुमने परमेश्वर का चेहरा देखा होता और परमेश्वर के साथ संवाद किया होता, तो क्या तुम्हारे पास प्रकाश न होता? तुम लोग वास्तविकता में प्रवेश नहीं करते, और तुम खोज करते हुए सदैव बाहर ही रहते हो; परिणामस्वरूप तुम्हें कुछ नहीं मिलता और जीवन में तुम्हारी प्रगति में विलंब होता है।
बाहर ध्यान केंद्रित मत करो; बल्कि, बस भीतर परमेश्वर के निकट आओ, पर्याप्त गहराई से संवाद करो और परमेश्वर की इच्छा को समझो; तब क्या तुम्हारे पास अपनी सेवा में कोई मार्ग नहीं होगा? तुम लोगों को तत्परतापूर्वक ध्यान देने और आज्ञापालन करने की आवश्यकता है। यदि तुम सभी चीजें केवल मेरे वचनों के अनुसार करते हो और उन मार्गों में प्रवेश करते हो, जिन्हें मैं इंगित करता हूँ, तो क्या तुम्हारे पास कोई मार्ग नहीं होगा? यदि तुम्हें वास्तविकता में प्रवेश करने का मार्ग मिल जाता है, तो तुम्हारे पास परमेश्वर की सेवा करने का मार्ग भी है। यह सरल है! परमेश्वर की उपस्थिति में और अधिक आओ, परमेश्वर के वचनों पर और अधिक विचार करो, और तुम वह प्राप्त करोगे जिसकी तुम्हारे अंदर कमी है। तुम्हारे पास नई अंतर्दृष्टि, नई प्रबुद्धता भी होगी, और तुम्हारे पास प्रकाश होगा।