104  सत्य को जितना अधिक अमल में लाओगे उतनी तेज़ी से प्रगति करोगे

1

जिस सत्य की ज़रूरत है इंसान को, वो मिलता है परमेश्वर के वचन में।

सत्य जो लाभकारी है, सहायक है, इंसान के लिये सबसे ज़्यादा।

तुम्हारे तन को ज़रूरत जिसकी ऐसा पोषक-तत्व है सत्य,

सत्य जो समाहित हो इंसान में।

उसे मिलती है मदद इससे, सामान्य इंसानियत फिर से पाने में।

अमल करोगे जितना ज़्यादा परमेश्वर के वचन पर,

उतनी तेज़ी से खिलेगा जीवन तुम्हारा।

परमेश्वर के वचन पर, अमल करोगे जितना ज़्यादा

सत्य साफ़ होगा उतना ज़्यादा।


2

जितना ज़्यादा तुम्हारा कद बढ़ेगा, आध्यात्मिक जगत उतना साफ़ दिखेगा।

शैतान पर जीत का तुम्हारा सामर्थ्य बढ़ेगा।

परमेश्वर के वचन पर अमल करो, तुम सत्य को ग्रहण कर लोगे।

समझ लिया परमेश्वर के वचन का पाठ,

बस इतने से ही संतुष्ट हो जाते हैं अधिकतर लोग।

फरीसियों की तरह, अभ्यास में इसकी गहराई का अनुभव किये बिना,

देते हैं ध्यान सिद्धांतों पर।


3

"परमेश्वर का वचन जीवन है"

कैसे हो सकता है सत्य ये कथन उनके लिये?

अमल करके ही परमेश्वर के वचन पर,

खिल सकता है जीवन इंसान का असल में।

परमेश्वर के वचन को पढ़ने भर से, खिल नहीं सकता जीवन।

परमेश्वर के वचन को पढ़ने भर से, खिल नहीं सकता जीवन।


4

परमेश्वर के वचन को समझना, जीवन और कद पाना समझते हो अगर,

तो तुम्हारी सोच विकृत है।

अमल तुम करते हो जब सत्य पर,

तो परमेश्वर के वचन की असल समझ तब आती है।

अच्छी तरह समझ लो तुम इस बात को,

अमल जब सत्य पर होगा, तभी समझोगे सच्चाई।

अमल जब सत्य पर होगा, तभी समझोगे सच्चाई।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सत्य को समझने के बाद, तुम्हें उस पर अमल करना चाहिए से रूपांतरित

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