88 अंत के दिनों का देहधारी परमेश्वर मुख्य रूप से वचनों का कार्य करता है
1 अंत के दिनों के देहधारी परमेश्वर का आगमन अनुग्रह के युग का अंत लेकर आया है। वह मुख्य रूप से अपने वचन बोलने, मनुष्य को पूर्ण बनाने के लिए वचनों का उपयोग करने, मनुष्य को रोशन और प्रबुद्ध करने, और मनुष्य के हृदय के भीतर से अज्ञात परमेश्वर का स्थान हटाने के लिए आया है। यह कार्य का वह चरण नहीं है, जो यीशु ने तब किया था, जब वह आया था। जब यीशु आया, तब उसने कई चमत्कार किए, उसने बीमारों को चंगा किया और दुष्टात्माओं को बाहर निकाला, और सलीब पर चढ़कर छुटकारा दिलाने का कार्य किया। परिणामस्वरूप, लोग अपनी धारणाओं के अनुसार यह मानते हैं कि परमेश्वर को ऐसा ही होना चाहिए। क्योंकि जब यीशु आया, उसने मनुष्य के हृदय से अज्ञात परमेश्वर की छवि हटाने का कार्य न किया; जब वह आया, उसे सलीब पर चढ़ा दिया गया, उसने बीमारों को चंगा किया और दुष्टात्माओं को बाहर निकाला, और उसने स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार फैलाया।
2 एक दृष्टि से, अंत के दिनों के दौरान परमेश्वर का देहधारण मनुष्य की धारणाओं में अज्ञात परमेश्वर द्वारा ग्रहण किए गए स्थान को हटाता है, ताकि मनुष्य के हृदय में अज्ञात परमेश्वर की छवि अब और न रहे। अपने व्यावहारिक कार्य और वचनों, समस्त देशों में अपने आवागमन, और मनुष्यों के बीच वह जो असाधारण रूप से व्यावहारिक और सामान्य कार्य करता है, उस सबके माध्यम से वह मनुष्य के लिए परमेश्वर की व्यावहारिकता जानने का निमित्त बनता है, और मनुष्य के हृदय से अज्ञात परमेश्वर का स्थान हटाता है। दूसरी दृष्टि से, परमेश्वर अपने देह द्वारा कहे गए वचनों का उपयोग मनुष्य को पूर्ण बनाने के लिए, और समस्त कामों को पूरा करने के लिए करता है। अंत के दिनों के दौरान परमेश्वर यही कार्य संपन्न करेगा।
3 अंत के दिनों में जब परमेश्वर देहधारी होता है, तो सब-कुछ संपन्न और प्रकट करने के लिए वह मुख्य रूप से वचन का उपयोग करता है। केवल उसके वचनों में ही तुम उसका स्वरूप देख सकते हो; केवल उसके वचनों में ही तुम देख सकते हो कि वह स्वयं परमेश्वर है। जब देहधारी परमेश्वर पृथ्वी पर आता है, तो वह वचन बोलने के अलावा कोई अन्य कार्य नहीं करता— इसलिए तथ्यों की कोई आवश्यकता नहीं है; वचन पर्याप्त हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वह मुख्य रूप से इसी कार्य को करने के लिए आया है, ताकि मनुष्य को अपने वचनों से अपनी सामर्थ्य और सर्वोच्चता देखने दे, ताकि मनुष्य को अपने वचनों से यह देखने दे कि वह कैसे विनम्रतापूर्वक अपने आपको छिपाता है, और ताकि मनुष्य को अपने वचनों से अपनी समग्रता जानने दे।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आज परमेश्वर के कार्य को जानना