अध्याय 74
धन्य हैं वे, जिन्होंने मेरे वचन पढ़े हैं और जो यह विश्वास करते हैं कि वे पूरे होंगे। मैं तुम्हारे साथ बिलकुल भी दुर्व्यवहार नहीं करूंगा; जो तुम विश्वास करते हो, उसे तुम्हारे भीतर पूरा करूँगा। ये तुम पर आता हुआ मेरा आशीष है। मेरे वचन हर व्यक्ति के भीतर छिपे रहस्यों पर सटीकता से वार करते हैं; सभी में प्राणघातक घाव हैं, और मैं वह अच्छा चिकित्सक हूँ, जो उन्हें चंगा करता है : बस मेरी उपस्थिति में आ जाओ। मैंने क्यों कहा कि भविष्य में कोई दुःख नहीं होगा और न ही कोई अश्रु होंगे? उसका कारण यही है। मुझमें सभी चीज़ें संपन्न होती हैं, परंतु मनुष्य में सभी बातें दूषित, खोखली और मनुष्यों को धोखा देने वाली हैं। मेरी उपस्थिति में तुम निश्चित रूप से सभी चीज़ें पाओगे, और निश्चित रूप से उन सभी आशीषों को देखोगे और उनका आनंद भी उठाओगे, जिनकी तुम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते। जो मेरे समक्ष नहीं आते, वे निश्चित रूप से विद्रोही हैं और पूरी तरह से मेरा विरोध करने वाले हैं। मैं निश्चित रूप से उन्हें हलके में नहीं छोडूंगा; मैं ऐसे लोगों को कठोरता से ताड़ित करूंगा। इसे स्मरण रखो! लोग जितना अधिक मेरे सामने आएँगे, उतना ही अधिक वे प्राप्त करेंगे—हालाँकि वह सिर्फ़ अनुग्रह होगा। बाद में वे और बड़े आशीष प्राप्त करेंगे।
संसार के सृजन के समय से मैंने लोगों के इस समूह को—अर्थात् आज के तुम लोगों को—पूर्वनिर्धारित करना तथा चुनना प्रारंभ कर दिया है। तुम लोगों का मिज़ाज, क्षमता, रूप-रंग, कद-काठी, वह परिवार जिसमें तुमने जन्म लिया, तुम्हारी नौकरी और तुम्हारा विवाह—अपनी समग्रता में तुम, यहां तक कि तुम्हारे बालों और त्वचा का रंग, और तुम्हारे जन्म का समय—सभी कुछ मेरे हाथों से तय किया गया था। यहां तक कि हर एक दिन जो चीज़ें तुम करते हो और जिन लोगों से तुम मिलते हो, उसकी व्यवस्था भी मैंने अपने हाथों से की थी, साथ ही आज तुम्हें अपनी उपस्थिति में लाना भी वस्तुतः मेरा ही आयोजन है। अपने आप को अव्यवस्था में न डालो; तुम्हें शांतिपूर्वक आगे बढ़ना चाहिए। आज जिस बात का मैं तुम्हें आनंद लेने देता हूँ, वह एक ऐसा हिस्सा है जिसके तुम योग्य हो, और यह संसार के सृजन के समय मेरे द्वारा पूर्वनिर्धारित किया गया है। सभी मनुष्य बहुत चरमपंथी हैं : या तो वे अत्यधिक दुराग्रही हैं या पूरी तरह से निर्लज्ज। वे मेरी योजना और व्यवस्था के अनुसार कार्य करने में असमर्थ हैं। अब और ऐसा न करो। मुझमें सभी मुक्ति पाते हैं; स्वयं को बांधो मत, क्योंकि इससे तुम्हारे जीवन के संबंध में हानि होगी। इसे स्मरण रखो!
विश्वास करो कि सब-कुछ मेरे हाथों में है। अतीत में जो तुम लोगों को रहस्य लगते थे, वे आज खुले तौर पर प्रकट कर दिए गए हैं; वे अब छिपे नहीं रहे (क्योंकि मैंने कहा है कि भविष्य में कुछ भी छिपा नहीं रहेगा)। लोग अकसर धैर्यहीन होते हैं; वे चीज़ें पूरी करने के लिए बहुत उत्सुक रहते हैं, और इस बात का ध्यान नहीं रखते कि मेरे हृदय में क्या है। मैं तुम लोगों को प्रशिक्षित कर रहा हूँ, ताकि तुम मेरा बोझ बाँट सको और मेरे घर का प्रबंधन कर सको। मैं चाहता हूँ कि तुम लोग शीघ्रता से बड़े हो जाओ, ताकि अपने से छोटे भाइयों का नेतृत्व कर सको, और ताकि हम पिता और पुत्रों का शीघ्र पुनर्मिलन हो सके और हम फिर कभी अलग न हों। इससे मेरे इरादे पूरे होंगे। रहस्य पहले ही सभी लोगों पर प्रकट कर दिए गए हैं, और कुछ भी बिलकुल छिपा नहीं रहा है : मैं—स्वयं संपूर्ण परमेश्वर, जिसमें सामान्य मानवता और पूर्ण दिव्यता दोनों हैं—आज ठीक तुम लोगों की आंखों के सामने प्रकट कर दिया गया हूँ। मेरा पूरा अस्तित्व (वेशभूषा, बाहरी रूप-रंग, और शारीरिक आकार) स्वयं परमेश्वर की पूर्ण अभिव्यक्ति है; यह परमेश्वर के व्यक्तित्व का मूर्त रूप है जिसकी कल्पना मनुष्य ने संसार के सृजन के समय से की है, परंतु जिसे किसी ने देखा नहीं। मेरे कृत्य मेरे वचनों जितने ही अच्छे होने का यह कारण है कि मेरी सामान्य मानवता और मेरी संपूर्ण दिव्यता एक-दूसरे की पूरक हैं; इतना ही नहीं, इससे सभी लोग यह देख पाते हैं कि एक सामान्य व्यक्ति वास्तव में इतना ज़बर्दस्त सामर्थ्य रखता है। तुममें से जो लोग सचमुच मुझमें विश्वास रखते हैं, वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि मैंने तुममें से प्रत्येक को एक सच्चा हृदय दिया है ताकि तुम मुझसे प्रेम कर सको। जब मैं तुम्हारे साथ काट-छाँट करता हूँ, तो मैं तुम पर प्रकाश डालता हूँ और तुम्हें प्रबुद्ध करता हूँ, और इसी के माध्यम से मैं तुम्हें अपने को जानने देता हूँ। नतीजतन, मैं चाहे तुमसे कैसे भी काट-छाँट करूं, तुम भागोगे नहीं; बल्कि तुम मुझे लेकर अधिक से अधिक निश्चित हो जाओगे। जब तुम दुर्बल होते हो, तो वह भी मेरी व्यवस्था होती है, जो तुम्हें यह देखने देती है कि अगर तुम मुझे छोड़ोगे, तो तुम मुरझा जाओगे और मर जाओगे। उससे तुम यह सीख सकते हो कि मैं तुम्हारा जीवन हूँ। दुर्बल रहने के पश्चात् सबल बनने से तुम यह देख पाते हो कि दुर्बल या सबल होना तुम्हारे वश में नहीं है; यह पूरी तरह से मुझ पर निर्भर करता है।
सभी रहस्य पूर्ण रूप से प्रकट हैं। तुम लोगों की भावी गतिविधियों में मैं तुम्हें कार्य-दर-कार्य अपने निर्देश दूंगा। मैं अस्पष्ट नहीं रहूँगा; मैं सर्वथा सुस्पष्ट रहूँगा, यहां तक कि तुमसे सीधे बात करूंगा; ताकि तुम लोगों को चीज़ों पर स्वयं विचार करने की आवश्यकता न रहे, वरना कहीं तुम मेरा प्रबंधन अस्तव्यस्त न कर दो। इसीलिए मैं बार-बार इस बात पर ज़ोर देता हूँ कि अब से कुछ भी छिपा नहीं रहेगा।