अध्याय 90

वे सब लोग जो अंधे हैं, उन्हें मेरे पास से अवश्य ही चले जाना चाहिए और एक पल के लिए भी नहीं ठहरना चाहिए, क्योंकि जिन लोगों को मैं चाहता हूँ वे ऐसे लोग हैं जो मुझे जान सकते हैं, जो मुझे देख सकते हैं और जो मुझसे सभी चीजें प्राप्त कर सकते हैं। और कौन मुझसे सभी चीजें सचमुच प्राप्त कर सकता है? इस तरह के लोग निश्चित ही बहुत कम हैं और वे अवश्य ही मेरे आशीषों को प्राप्त करेंगे। मैं इन लोगों से प्रेम करता हूँ और मैं इन्हें एक-एक करके मेरा दायाँ हाथ बनने, मेरी अभिव्यक्तियाँ बनने के लिए चुनूँगा। मैं सभी राष्ट्रों और सभी लोगों से इन लोगों की खातिर अपना निरंतर गुणगान और जयकार करवाऊँगा। हे, पर्वत सिय्योन! जीत का झंडा उठा और मेरी जयजयकार कर! क्योंकि मैं, एक बार फिर यहाँ वापस लौटने से पहले, पर्वतों, नदियों के कोने-कोने और सभी चीजों को लांघते हुए, पूरे ब्रह्मांड और पृथ्वी के अंत तक जाता हूँ। मैं धार्मिकता, न्याय, कोप और दहन के साथ और उससे भी बढ़कर अपने ज्येष्ठ पुत्रों के साथ विजेता के रूप में लौटता हूँ। उन सभी चीजों को जिनसे मैं घृणा करता हूँ और उन सभी लोगों, मामलों, और पदार्थों को जिनसे मैं घृणा करता हूँ, मैं बहुत दूर फेंक देता हूँ। मैं विजेता हूँ और मैंने वह सब कार्य पूरा कर लिया है जो मैं करना चाहता हूँ। कौन ऐसा कहने का साहस करता है कि मैंने अपना कार्य पूरा नहीं किया है? कौन ऐसा कहने का साहस करता है कि मैंने अपने ज्येष्ठ पुत्रों को प्राप्त नहीं किया है? कौन ऐसा कहने का साहस करता है कि मैं विजयी होकर नहीं लौटा हूँ? ऐसे लोग निश्चित रूप से शैतान के किस्म के लोग हैं; वे ऐसे लोग हैं जिन्हें मेरी क्षमा पाना मुश्किल लगता है। वे अंधे हैं, वे घिनौने राक्षस हैं और मैं उनसे सर्वाधिक घृणा करता हूँ। इन चीजों पर मैं अपने कोप और अपने न्याय की समग्रता को प्रकट करना शुरू करूँगा और, अपनी धधकती हुई ज्वाला से, ब्रह्मांड और पृथ्वी को एक छोर से दूसरे छोर तक जला दूँगा, कोने-कोने को रोशन करते हुए—यह मेरा प्रशासनिक आदेश है।

जब मेरे वचन तुम्हारी समझ में आ जाएँ तो तुम्हें उनसे सान्त्वना मिलनी चाहिए; तुम्हें उन्हें ध्यान में धरे बिना नहीं जाने देना चाहिए। न्याय के कथन हर दिन बरसते हैं, तो फिर तुम लोग इतने मंदबुद्धि और सुन्न क्यों हो? तुम मेरे साथ सहयोग क्यों नहीं करते हो? क्या तुम नरक में जाने के इतने इच्छुक हो? मैं कहता हूँ कि मैं अपने ज्येष्ठ पुत्रों के लिए, अपने पुत्रों और लोगों के लिए, दया का परमेश्वर हूँ, तो तुम सब इसका क्या अर्थ समझते हो? यह कोई साधारण वक्तव्य नहीं है, और इसे एक सकारात्मक परिप्रेक्ष्य से समझा जाना चाहिए। ओह, अंधी मानवजाति! मैंने, तुम लोगों को शैतान के चंगुल से छुड़ाया है और ताड़ना से बाहर निकाला है, ताकि तुम मेरा वादा पा सको, तो तुम लोग मेरे हृदय के प्रति कोई सम्मान क्यों नहीं दिखाते? क्या इस तरह से तुम लोगों में से किसी को भी बचाया जा सकता है? मेरी धार्मिकता, प्रताप और न्याय शैतान के प्रति कोई दया नहीं दिखाते हैं। लेकिन जहाँ तक तुम लोगों की बात है, इन चीजों का उद्देश्य तुम्हें बचाना है, फिर भी तुम लोग मेरे स्वभाव को समझने में अक्षम हो, और न ही तुम मेरे कार्यों के पीछे के सिद्धांतों को जानते हो। तुम लोगों ने सोचा था कि मैं अपने विभिन्न कृत्यों की गंभीरता में कोई भेद नहीं करता, या इन कृत्यों के लक्ष्यों में कोई भेद नहीं करता—कितने अज्ञानी हो! मैं सभी लोगों, घटनाओं और चीज़ों को स्पष्ट रूप से देखने में समर्थ हूँ। मैं हर व्यक्ति के सार को पूरी स्पष्टता के साथ समझता हूँ, जिसका अर्थ है कि, मैं हर व्यक्ति के भीतर की सभी चीजों को आर-पार से पूरी तरह भाँप लेता हूँ। मैं स्पष्ट रूप से देख सकता हूँ कि कोई व्यक्ति इजेबेल है या वेश्या, और मैं जानता हूँ कि कौन गुप्त रूप से क्या करता है। मेरे सामने अपने आकर्षण का दिखावा न करो—कमबख्तो! यहाँ से अभी दफा हो जाओ! ताकि मेरा नाम लज्जित न हो, मेरे पास इस तरह के व्यक्तियों के लिए कोई उपयोग नहीं है! वे मेरे नाम की गवाही नहीं दे सकते हैं, बल्कि इसकी बजाय वे प्रतिकूल ढंग से कार्य और व्यवहार करते हैं और मेरे परिवार को लज्जित करते हैं! उन्हें तुरंत मेरे घर से निष्कासित कर दिया जाएगा। मुझे वे नहीं चाहिए। मैं एक पल का विलंब भी सहन नहीं करूँगा! क्योंकि ये लोग कैसे भी खोजें, सब व्यर्थ है। मेरे राज्य में सभी पवित्र और हर तरह से निष्कलंक हैं। यदि मैं कहता हूँ कि मुझे कोई व्यक्ति नहीं चाहिए, जिसमें मेरे अपने लोग भी शामिल हैं, तो मुझे वह सच में नहीं चाहिए; मेरा मन बदलने की प्रतीक्षा मत करो। मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि तुम मेरे प्रति पहले कितने अच्छे थे!

मैं हर दिन तुम लोगों के सामने रहस्यों को प्रकट करता हूँ। क्या तुम लोग मेरे बोलने की विधि को जानते हो? मैं किस आधार पर अपने रहस्यों को प्रकट करता हूँ? क्या तुम लोग यह जानते हो? तुम अक्सर कहते हो कि मैं वह परमेश्वर हूँ जो सही समय पर तुम्हारा भरण-पोषण करता है, तो तुम इन पहलुओं को कैसे समझते हो? मैं अपने कार्य के चरणों के अनुसार एक-एक करके तुम लोगों पर अपने रहस्यों को प्रकट करता हूँ, और मैं अपनी योजनानुसार और उससे भी ज्यादा तुम लोगों की वास्तविक आध्यात्मिक कद-काठी के अनुसार तुम्हारा भरण-पोषण करता हूँ, (जब भी मेरे द्वारा भरण-पोषण का उल्लेख होता है, यह राज्य के हर एक व्यक्ति के संदर्भ में होता है)। मेरे बोलने की विधि इस प्रकार है : अपने घर के लोगों को मैं सुख-सुविधा प्रदान करता हूँ, मैं उनका भरण-पोषण करता हूँ और उनका न्याय करता हूँ; शैतान के लिए मैं दया नहीं दिखाता, जरा-सी भी नहीं, उसके लिए केवल कोप और दहन है। जिन लोगों को मैंने पूर्वनियत या चयनित नहीं किया है, उन्हें एक-एक करके अपने घर से बाहर फेंकने के लिए मैं अपने प्रशासनिक आदेशों का उपयोग करूँगा। चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है। जब मैं उनसे उनके मूल स्वरूप प्रकट करवा लूँगा (अंत समय आने पर उनके द्वारा मेरे पुत्रों को सेवा प्रदान किए जाने के बाद), तो वे अथाह गड्ढे में लौट जाएँगे, नहीं तो मैं इस मामले को खत्म नहीं होने दूँगा और इसे कभी नहीं छोड़ूँगा। लोग अक्सर नरक और अधोलोक का उल्लेख करते हैं। किंतु ये दोनों शब्द क्या इंगित करते हैं, और उनके बीच क्या अंतर है? क्या ये सचमुच किसी ठंडे, अंधकारमय कोने को इंगित करते हैं? मानव मस्तिष्क मेरे प्रबंधन में हमेशा गड़बड़ी करता रहता है, वे अपने निरुद्देश्य विचारों को बहुत अच्छी चीज मानते हैं। पर ये उनकी अपनी कपोल-कल्पनाओं के अलावा और कुछ भी नहीं हैं। अधोलोक और नरक दोनों गंदगी के मंदिर को संदर्भित करते हैं जहाँ पहले शैतान या दुष्ट आत्माओं का वास था। कहने का अर्थ है कि जिस किसी पर भी पहले शैतान या बुरी आत्माओं का कब्जा रह चुका है, वही वे लोग हैं जो अधोलोक हैं और वही वे लोग हैं जो नरक हैं—इसमें कोई संदेह नहीं है! यही कारण है कि मैंने अतीत में बार-बार जोर दिया है कि मैं गंदगी के मंदिर में नहीं रहता हूँ। क्या मैं (परमेश्वर स्वयं) अधोलोक में, या नरक में रह सकता हूँ? क्या यह हास्यास्पद बकवास नहीं होगी? मैंने यह कई बार कहा है लेकिन तुम लोगों की समझ में अभी भी नहीं आता है कि मेरा मतलब क्‍या है। नरक की तुलना में, अधोलोक को शैतान द्वारा कहीं ज्यादा दूषित किया जाता है। जो लोग अधोलोक के लिए हैं वे सबसे गंभीर मामले हैं, और मैंने इन लोगों को पूर्वनियत किया ही नहीं है; जो लोग नरक के लिए हैं ये वे ऐसे लोग हैं जिन्हें मैंने पूर्वनियत किया है, किंतु उन्हें निकाल दिया गया है। आसान भाषा में कहें तो, मैंने इन लोगों में से एक को भी नहीं चुना है।

लोग अक्सर दर्शाते हैं कि वे मेरे वचनों को गलत ढंग से समझने वाले विशेषज्ञ हैं। यदि मैं थोड़ा-थोड़ा करके चीजों को स्पष्ट रूप से नहीं दिखाता और समझाता, तो तुम लोगों में से कौन उसे समझता? मैं जो वचन बोलता हूँ उनमें भी तुम लोग केवल आधा ही विश्वास करते हो, उन चीजों की तो बात ही रहने दो जिनके बारे में पहले उल्लेख नहीं किया गया है। अब, सभी देशों के भीतर आंतरिक विवाद शुरू हो गए हैं : मजदूरों और नेताओं के बीच, छात्रों और शिक्षकों के बीच, नागरिकों और सरकारी पदाधिकारियों के बीच, और इस तरह की सभी गतिविधियाँ जो अशांति का कारण बनती हैं, पहले हर देश में उत्पन्न होती हैं, और यह सब मुझे प्रदान की गई सेवा का केवल एक हिस्सा है। और मैं क्यों कहता हूँ कि ये चीजें मुझे सेवा प्रदान करती हैं? क्या मैं लोगों के दुर्भाग्य में आनंद लेता हूँ? क्या मैं बेपरवाह बैठा रहता हूँ? निस्संदेह नहीं! क्योंकि यह शैतान है जो अपनी मौत की बिलबिलाहट में प्रहार कर रहा है, और इन सारी चीजों का लक्ष्य नकारात्मक शक्तियों का प्रयोग कर, मेरी सत्ता और मेरे अद्भुत कर्मों के विरुद्ध छद्मरूप में कार्य करना है। यह सब एक ठोस साक्ष्य है जो मेरी गवाही देता है, और यह शैतान पर हमला करने का एक हथियार है। जब दुनिया के सभी राष्ट्र भूमि और प्रभाव के लिए लड़ रहे होते हैं, तो मैं और मेरे ज्येष्ठ पुत्र साथ मिलकर राजाओं के रूप में शासन करते हैं और उनसे निपटते हैं, और यह सर्वथा उनकी कल्पनाओं से परे है कि इन दयनीय पर्यावरणीय परिस्थितियों में, मेरा राज्य मनुष्य के बीच पूरी तरह से साकार होता है। साथ ही, जब वे सत्ता के लिए होड करते हैं और दूसरों की आलोचना करने की इच्छा रखते हैं, तो दूसरे भी उनकी आलोचना करते हैं और वे मेरे कोप से भस्म हो जाते हैं—कितना दयनीय है! कितना दयनीय! मेरा राज्य मनुष्य के बीच साकार होता है—कितनी महिमामयी घटना है यह!

मनुष्य होने के नाते (चाहे मेरे राज्य के लोग हों या शैतान के वंशज), तुम सभी लोगों को मेरे अद्भुत कर्मों को अवश्य देखना चाहिए, अन्यथा मैं इस मामले को कभी भी खत्म नहीं करूँगा। भले ही तुम मेरे न्याय को स्वीकार करने के लिए तैयार हो, फिर भी अगर तुमने मेरे अद्भुत कर्मों को नहीं देखा है, तो काम नहीं चलेगा। सभी लोगों को मन से, वचन से और दृष्टि से अवश्य ही आश्वस्त होना चाहिए, और किसी को भी आसानी से नहीं छोड़ा जा सकता। सभी लोगों को मुझे महिमा प्रदान करनी होगी। अंत में, मैं बड़े लाल अजगर को भी उठकर मेरा विजय-गान करने के लिए बाध्य कर दूँगा। यह मेरा प्रशासनिक आदेश है—क्या यह तुम्हें याद रहेगा? सभी लोगों को अवश्य ही निरंतर मेरा गुणगान करना चाहिए और मुझे महिमामंडित करना चाहिए!

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