51. मैंने प्रभु की वापसी का स्वागत किया है!
मेरा परिवार चार पीढ़ियों से कैथोलिक रहा है, और 70 के दशक के अंत में हमारा घर एक सभा-स्थल बन गया; मेरे पिता और चाचा दोनों ने कलीसिया के उपयाजक के रूप में सेवा की। हर बड़े पवित्र दिन, बड़े लोग मुझे साइकिल पर बैठाकर पवित्र दिन मनाने के लिए लगभग 20 मील दूर एक स्थान पर जाते थे। मुझे याद है, याजक अक्सर मिस्से में हमसे कहते थे : “अंत के दिन पहले ही आ चुके हैं, हमें हर समय सतर्क रहना है, अपनी आत्मा शुद्ध रखनी है, और कोई बड़ा पाप नहीं करना, क्योंकि प्रभु किसी भी क्षण बादल पर सवार होकर वापस आ सकता है और हमें स्वर्ग ले जा सकता है।” उस दौरान सभी ग्रामवासी, जवान और बूढ़े, हर दिन प्रभु की वापसी की लालसा करते हुए जोश से भरे थे, माला जप रहे थे, मिस्से में भाग ले रहे थे, और सत्कर्म कर रहे थे।
मेरे पिता और चाचा दोनों का 90 के दशक की शुरुआत में निधन हो गया और मैंने उपयाजक की भूमिका सँभाल ली। मैंने सेवाओं में, माला जपने में गाँववालों का मार्गदर्शन किया, पवित्र शास्त्र पढ़े और उपदेश दिए। फिर 1999 के वसंत में, हमारे याजक ने मुझे हांगकांग का एक सुसमाचार-पत्रक दिया और मुझसे कहा कि सभी को तुरंत इस सुसमाचार के साथ लामबंद करो कि प्रभु की वापसी निकट है। मैंने सभी को बुलाकर उनसे दिन में तीन बार माला जपने को कहा। मैंने उन्हें बाइबल में बताए गए प्रभु के आने के संकेतों के बारे में बताया। मैंने कहा, “आस्था रखने वाले साथियो, प्रभु बहुत जल्दी लौटने वाला है। प्रभु यीशु ने कहा था : ‘तब मनुष्य के पुत्र का चिह्न आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे’ (मत्ती 24:30)। जब प्रभु आएगा, तब आकाश में एक बड़ा चिह्न दिखाई देगा। हम सब अपनी आँखों से प्रभु को हमें स्वर्ग में ले जाने के लिए तेज और प्रताप के साथ एक बादल पर सवार होकर उतरते देखेंगे। वर्ष 2000 आने में कुछ ही महीने बचे हैं। हम अविश्वासी मित्रों, रिश्तेदारों और परिचितों के साथ सुसमाचार साझा करने में देरी नहीं कर सकते। अधिक आत्माओं को बचाना प्रभु की दृष्टि में हमारे लिए एक बड़ा श्रेय होगा।” यह सुनकर सभी में खलबली मच गई, और वे सब इस बात पर चर्चा करने लगे कि कैसे उन्हें सांसारिक चीजों के लिए ललचाना बंद करने और मित्रों और परिवार के साथ अधिक से अधिक सुसमाचार साझा करने की आवश्यकता है। नवंबर आने में बिलकुल भी समय नहीं लगा, तब मैंने गौर करना शुरू किया कि मेरी पत्नी सामान्य से थोड़ी अलग लग रही है। वह हमारे गाँव में रात के खाने के बाद हर रोज बहन टियान शाओ के घर बाइबल पढ़ने जाने लगी थी, और उसने काफी दिनों से मेरे साथ संध्या-वंदना भी नहीं की थी। मैं काफी भ्रमित था, और सोच रहा था कि कहीं वह किसी अन्य संप्रदाय में तो धर्मांतरित नहीं हो जाएगी। एक दोपहर मेरी पत्नी ने मुझसे पूछा, “हम कई वर्षों से विश्वासी हैं। क्या आप प्रभु की वापसी की आशा कर रहे हैं?” बिना किसी झिझक के मैंने कहा, “भला यह भी कोई पूछने की बात है? बेशक मैं आशा कर रहा हूँ!” तब उसने मुझसे बहुत गंभीरता से कहा, “मेरे पास आपके लिए एक खुशखबरी है। प्रभु फिर से देहधारण करके लौट आया है, और उसने प्रकाशितवाक्य में वर्णित पुस्तक खोल दी है।” मुझे बड़ी हैरानी हुई। मैंने आवाज ऊँची कर उससे कहा, “तुम कह क्या रही हो? प्रभु यीशु निश्चित रूप से बादलों पर सवार होकर आने वाला है। उसके देह में लौटने का सवाल ही नहीं उठता!” तब मेरी पत्नी ने कहा, “आपने जाँच तक नहीं की। आप भला आँख मूँदकर कैसे तय कर सकते हैं कि वह देह में वापस नहीं आ सकता? अपनी आस्था के तमाम वर्षों में क्या हम प्रभु की वापसी का स्वागत करने की आशा नहीं कर रहे? अपनी धारणाओं के आधार पर यह अंधा अनुमान लगाकर आप स्वर्गारोहण का अपना अवसर गँवा सकते हैं। मुझे लगता है कि आपको शांत होकर वास्तव में इसकी जाँच करनी चाहिए।” लेकिन उसने जो कुछ भी कहा, वह मेरे पल्ले नहीं पड़ा। इसके बाद मुझे चिंता हुई कि कहीं वह भटक न जाए, इसलिए मैं उसे यह कहते हुए प्रभु के दूसरे आगमन की भविष्यवाणियों के बारे में बताता रहा, “प्रभु यीशु के सूली पर चढ़ने और फिर पुनर्जीवित होने के बाद, उसका गौरवशाली शरीर एक बादल पर सवार होकर स्वर्ग चला गया। जब वह लौटेगा, तो आत्मा के रूप में प्रकट होगा और सारी महिमा के साथ बादलों पर सवार होकर आएगा। वह देह में वापस कैसे आ सकता है? बाइबल कहती है : ‘देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी’ (प्रकाशितवाक्य 1:7)। ‘उन दिनों के क्लेश के तुरन्त बाद सूर्य अन्धियारा हो जाएगा, और चन्द्रमा का प्रकाश जाता रहेगा, और तारे आकाश से गिर पड़ेंगे और आकाश की शक्तियाँ हिलाई जाएँगी। तब मनुष्य के पुत्र का चिह्न आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे’ (मत्ती 24:29-30)। हम यहाँ देख सकते हैं कि जब वह लौटेगा, तो सूर्य अंधकारमय हो जाएगा और चंद्रमा अपना प्रकाश खो देगा। तारे आकाश से गिर जाएँगे और प्रभु बादल पर सवार होकर आएगा। लेकिन अभी तक इनमें से कोई भी चिह्न दिखाई नहीं दिया है। तुम कैसे कह सकती हो कि वह पहले ही आ चुका है?” तब उसने बहुत शांति से उत्तर दिया, “प्रभु की सभी भविष्यवाणियाँ छिपे हुए रहस्य हैं। अगर हम अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के आधार पर आँखें मूँदकर उनकी शाब्दिक व्याख्या करते हैं, तो हम उसके वचनों की गलत व्याख्या कर सकते हैं। जरा फरीसियों के बारे में सोचो। वे बाइबल के शाब्दिक अर्थ और अपनी धारणाओं के अनुसार चले, और सोचा कि मसीहा किसी शाही महल में पैदा होगा और सत्ता ग्रहण करेगा, लेकिन प्रभु यीशु का जन्म महल में नहीं हुआ था। वह एक बढ़ई के पुत्र के रूप में एक नाँद में पैदा हुआ था, और इतना ही नहीं, वह किसी तरह का शासक भी नहीं था। फरीसियों ने देखा कि प्रभु यीशु का जन्म और कार्य उनकी धारणाओं के अनुरूप नहीं है, इसलिए उन्होंने यह मानने से बिलकुल इनकार कर दिया कि यह मसीहा का आगमन है; उन्होंने उसकी निंदा की और उसका विरोध किया। हम फरीसियों जैसी गलती नहीं कर सकते!” जब उसने यह कहा, तो मुझे यह सोचते हुए गुस्सा आ गया, “जो भी हो, मैं कलीसिया का उपयाजक हूँ और इससे ज्यादा शिक्षित हूँ, लेकिन यह मेरी बात सुनने से इनकार करती है, और यह तक कह रही है कि मैं प्रभु की भविष्यवाणियों का आँख मूँदकर गलत अर्थ लगा रहा हूँ।” थोड़ा नाराज होकर मैंने उससे कठोर स्वर में कहा, “मैंने तुमसे बार-बार कहा है, लेकिन तुम नहीं सुनती। तुम वाकई झाँसे में आ गई हो! तुम्हें उन सभाओं में जाना बंद करना होगा।” लेकिन उसने दृढ़ता से कहा, “मैंने पहले ही स्पष्ट रूप से जाँच कर ली है, और मेरी आस्था लौटे हुए प्रभु में है। अगर आप विश्वास नहीं करते, तो आप जानें, लेकिन मेरे आड़े मत आएँ।” उसकी यह बात सुनकर मैं नाराज हो गया और मुझे गुस्सा आ गया। उसे बचाने के प्रयास में, मैंने कलीसिया के कुछ अन्य उपयाजक उसे मनाने के लिए बुलाए। उनमें से एक उपयाजक ने उससे बेहद आत्मविश्वास से कहा, “कैथोलिक धर्म ही एकमात्र सही धर्म है। जब प्रभु वापस आएगा, तो अन्य सभी संप्रदाय कैथोलिक धर्म में वापस आ जाएँगे। यह ईसाई-जगत का संघ है। मुझे यकीन है कि तुम इस बारे में जानती हो, क्योंकि हम दोनों की कई पीढ़ियाँ कैथोलिक रही हैं।” लेकिन मेरी पत्नी ने मुँहतोड़ जवाब दिया, “क्या प्रभु के लौटने पर सभी संप्रदायों के कैथोलिक कलीसिया में वापस आने का पवित्र आत्मा के वचनों में कोई आधार है? क्या प्रभु यीशु ने कभी ऐसा कहा था? क्या प्रोटेस्टेंट कलीसियाओं और पूर्वी रूढ़िवादी कलीसियाओं के सदस्य कैथोलिक कलीसिया के साथ फिर से जुड़ना चाहते हैं? बाइबल ने बहुत पहले भविष्यवाणी की थी : ‘अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, और सब पहाड़ियों से अधिक ऊँचा किया जाएगा; और हर जाति के लोग धारा के समान उसकी ओर चलेंगे’ (यशायाह 2:2)। यहाँ ‘पहाड़ियों’ का मतलब है विभिन्न संप्रदाय। जब प्रभु पुनर्मिलन का कार्य करता है, तो यह प्रोटेस्टेंट धर्म का कैथोलिक धर्म में या कैथोलिक धर्म का प्रोटेस्टेंट धर्म में लौटना नहीं होता, बल्कि यह सभी संप्रदायों के सच्चे विश्वासियों का परमेश्वर के सिंहासन के सामने आना है। इस तरह सभी आस्थाओं के एक होने से प्रभु की धार्मिकता स्पष्ट हो जाएगी और सभी लोग पूरी तरह से आश्वस्त हो जाएँगे।” जब मैंने उसे यह कहते हुए सुना, तो मुझे यह सब बहुत नया और प्रबोधक लगा। उपयाजक भी अवाक् रह गए, और उनमें से एक ने जोर देकर कहा, “तुम सिर्फ एक गाँववासी हो—तुम्हें लगता है कि तुम किसी याजक से ज्यादा जानती हो? तुम कुछ भी कहो, अंत में सभी संप्रदाय कैथोलिक धर्म में लौट आएँगे। कैथोलिक धर्म से मुँह मोड़ने वाले परमेश्वर के साथ विश्वासघात करते हैं, उन्हें बचाया नहीं जाएगा, और उनकी आत्माएँ स्वर्ग नहीं जाएँगी। तुम्हें गुमराह किया गया है। मैं तुम्हें तुरंत पाप स्वीकार करने की सलाह देता हूँ। अभी इतनी देर नहीं हुई कि लौट न सको।” उसने दृढ़ता से जवाब दिया, “मुझे गुमराह नहीं किया गया है। मैंने कलीसियाओं से कहे गए पवित्र आत्मा के वचन सुने हैं और मैं मेमने के पदचिह्नों का अनुसरण कर रही हूँ। मैंने परमेश्वर का नया कार्य स्वीकार कर लिया है। मैं इस मार्ग पर चल रही हूँ, और कोई मेरे आड़े नहीं आ सकता।” मैंने शुरू में चाहा था कि वे दो उपयाजक उसे रोकें, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि न केवल वे उसे मना नहीं पाएँगे, बल्कि उसके मुँहतोड़ जवाबों से अवाक् भी रह जाएँगे। इसके बाद मेरी पत्नी की आस्था और मजबूत हो गई। उसने कहा कि पहले तो वह मेरे आगे थोड़ा बेबस महसूस कर रही थी और झिझक रही थी, लेकिन जब उपयाजकों ने उसे बाधित करने की कोशिश की, तो उसने स्पष्ट रूप से देखा कि वे सत्य नहीं समझते, वे वास्तव में घमंडी हैं, और विनम्रतापूर्वक सत्य खोजना नहीं चाहते। फिर उसने बेबस महसूस नहीं किया और रोज सभाओं में भाग लेने लगी।
मैंने मन ही मन सोचा : “यह बहुत पढ़ी-लिखी नहीं है, और बाइबल भी अच्छी तरह से नहीं जानती, तो वे दोनों उपयाजक इसके तर्कों से इतने अवाक् कैसे हो सकते हैं? यह किस तरह के प्रवचन सुन रही है, जो इतने अविश्वसनीय हैं?” मैं अपनी पत्नी के बदलाव से बहुत हैरान था। मैंने उसके कहे पर ध्यान से सोचा, तो मुझे लगा कि उसकी बात में कुछ वजन है। कहीं ऐसा तो नहीं कि जिस पर उसने विश्वास किया है, वह वास्तव में पवित्र आत्मा से आया हो? मुझे लगा कि यह संभव नहीं है। अगर वह प्रभु की ओर से आया होता, तो हमारे याजकों को उसके बारे में सब पता होना चाहिए था, तो फिर मैंने उन्हें उसका उल्लेख करते क्यों नहीं सुना? मैं इस बारे में अपने साले से बात करने गया। वह भी कलीसिया का उपयाजक था। लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ कि जैसे ही मैंने अपनी बात खत्म की, उसने गुस्से से कहा, “प्रभु संभवतः देह में वापस नहीं आ सकता! चमकती पूर्वी बिजली नामक एक कलीसिया उभरी है। वह कहती है कि प्रभु देह में लौट आया है और उसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहा जाता है। उसकी शिक्षाएँ वास्तव में ऊँची हैं और उसने बहुत-से उत्साही विश्वासी चुरा लिए हैं। अकेली हमारी कलीसिया के ही एक दर्जन से अधिक लोग गुमराह किए गए हैं, यहाँ तक कि एक याजक भी। हम कुछ भी कहें, वे वापस नहीं आएँगे। कुछ भी हो, उनके उपदेश मत सुनना।” अपने साले की बात सुनकर मुझे पता चला कि मेरी पत्नी चमकती पूर्वी बिजली के उपदेश सुन रही है। अपने साले के घर से मैं सीधे दूसरे उपयाजक के घर गया और उनसे कहा कि वे अन्य गाँववालों को चमकती पूर्वी बिजली से दूर रहने के लिए कहें। साथ ही, मैं और ज्यादा उत्सुक होने लगा और मुझमें इसके बारे में इस तरह की अवज्ञा की भावना उभरने लगी। मैंने सोचा, “चमकती पूर्वी बिजली का वास्तव में क्या कहना है? इतने सारे विश्वासी उसके पास क्यों गए हैं? वह याजकों तक को कैसे गुमराह कर सकती है? उनके उपदेश कितने भी अच्छे क्यों न हों, क्या वे वास्तव में हमारे कैथोलिक सत्यों से बढ़कर हो सकते हैं? अगर मुझे मौका मिला, तो मैं देखना चाहूँगा कि वे वास्तव में क्या उपदेश दे रहे हैं।”
मैंने बाइबल और ज्यादा पढ़नी शुरू कर दी, ताकि मैं चमकती पूर्वी बिजली के किसी भी अनुयायी का खंडन करने के लिए और ज्यादा तैयार हो सकूँ। मैंने प्रभु की वापसी से संबंधित भविष्यवाणियों की खोज की और उन्हें बार-बार पढ़ा। मैंने पढ़ा कि प्रभु यीशु ने कहा था : “मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं” (यूहन्ना 10:27)। प्रभु के वचन पढ़ते हुए मैंने सोचा : “यह सही है, प्रभु की भेड़ें उसकी वाणी सुनेंगी। इतने उत्साही विश्वासियों ने चमकती पूर्वी बिजली के उपदेश सुनकर उसे स्वीकार कर लिया है, और वे वापस आने से मना करते हैं। यह काफी अर्थपूर्ण है! वे सभी लंबे समय से कैथोलिक हैं, जिनके पास अंतर्दृष्टि और आस्था में एक मजबूत नींव है। उन्होंने चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकार करने से पहले जाँच-पड़ताल की होगी। कहीं ऐसा तो नहीं कि जो पुस्तक वे पढ़ते हैं, उसमें सत्य हो, कि वह परमेश्वर की वाणी हो? और अगर मैं इसकी जाँच नहीं करता, तो मुझे कैसे पता चलेगा कि वे जो उपदेश देते हैं, वह वास्तव में परमेश्वर की ओर से आता है या नहीं? मैं पहले देखूँगा कि यह आखिर है क्या, और फिर अगर इसमें सत्य हुआ और यह बाइबल के अनुरूप हुआ, तो मैं इसकी जाँच करता रहूँगा। अगर यह कैथोलिक आस्था के अनुरूप न हुआ, तो मैं इसे फिर भी अस्वीकार कर सकता हूँ।”
फिर एक सुबह नाश्ते के ठीक बाद मैंने पाया कि मेरी पत्नी फिर बाहर गई है। मैं जानता था कि वह फिर टियान शाओ के घर गई है। मैंने मन ही मन सोचा, “अगर वह रोज सभाओं में जा रही है, तो ये उपदेश वाकई आकर्षक होंगे! मैं देखना चाहता हूँ कि वे वास्तव में क्या कह रहे हैं।” जब मैं टियान शाओ के घर गया, तो मैंने न केवल कुछ अन्य गाँववासी देखे, बल्कि भाई वांग मिंगयी को भी देखा। उसने मुझे सभा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। मैं सुनने के लिए बैठ गया और चुपचाप प्रभु से मेरे दिल की निगरानी करने और मुझे समझ देने की प्रार्थना करने लगा, ताकि मैं गुमराह न हो जाऊँ। मिंगयी ने कहा, “बाइबल में तीन भाग हैं : पुराना नियम, नया नियम और प्रकाशितवाक्य। प्रत्येक भाग में परमेश्वर का एक अलग युग का कार्य दर्ज है। पुराने नियम में उसका व्यवस्था के युग का कार्य दर्ज है, जब परमेश्वर ने मूसा के जरिये दस आज्ञाएँ और अपनी व्यवस्थाएँ और आदेश जारी किए थे, ताकि लोगों को पता चले कि पाप क्या होता है और पृथ्वी पर कैसे रहना है। नए नियम में उसका अनुग्रह के युग का कार्य दर्ज है, जब लोगों को पाप से छुड़ाने और उन्हें अपने पापों के लिए व्यवस्था के तहत निंदित और दंडित होने से बचाने के लिए प्रभु यीशु को मानवजाति के लिए एक शाश्वत पापबलि के रूप में सूली पर चढ़ाया गया था। प्रकाशितवाक्य में अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य, राज्य के युग के कार्य की भविष्यवाणी की गई है, जब परमेश्वर हमें पाप के बंधनों से पूरी तरह से मुक्त करने, मानवजाति का न्याय करने और उसे शुद्ध करने के लिए सत्य व्यक्त करते हुए देहधारी होकर गुप्त रूप से आता है। यह सत्य के सभी खोजियों के लिए एक बहुत बड़ा उद्धार है।” उसने यह भी कहा, “वास्तव में, परमेश्वर ने बहुत पहले भविष्यवाणी कर दी थी कि वह अंत के दिनों में देहधारण करके आएगा। बाइबल में इसके बारे में कई भविष्यवाणियाँ हैं। प्रभु ने कहा था : ‘तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा’ (लूका 12:40), और प्रकाशितवाक्य में यह भविष्यवाणी है : ‘देख, मैं चोर के समान आता हूँ’ (प्रकाशितवाक्य 16:15)। यहाँ, ‘तुम नहीं सोचते’ और ‘चोर के समान,’ उस समय ‘मनुष्य के पुत्र’ के गुप्त रूप से आने के बारे में हैं, जब लोग इसकी उम्मीद नहीं कर रहे होते। ‘मनुष्य का पुत्र’ परमेश्वर के देहधारण को दर्शाता है। ठीक प्रभु यीशु की तरह—अंत के दिनों के देहधारी परमेश्वर का जन्म मनुष्य से हुआ, जो आम लोगों के परिवार में पैदा हुआ। वह बिलकुल आम आदमी की तरह दिखता है, लेकिन उसके भीतर पवित्र आत्मा है, और उसका सार दिव्य है। वह स्वयं परमेश्वर का देहधारण है। अगर वह परमेश्वर का आत्मा है, तो उसे मनुष्य का पुत्र नहीं कहा जा सकता, जैसे यहोवा परमेश्वर को मनुष्य का पुत्र नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वह आत्मा है।” मिंगयी को यह गवाही देते हुए सुनना कि परमेश्वर देह में वापस आ गया है, मेरे लिए एक प्रकार से खीझ पैदा करने वाला था, मैं अब और नहीं सुनना चाहता था। मैंने खड़े होकर उसका खंडन करते हुए कहा : “तुम प्रभु यीशु के देह में लौटने के बारे में जो कुछ कह रहे हो, मैं उसे स्वीकार नहीं कर सकता। बाइबल में भविष्यवाणी की गई है : ‘हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा’ (प्रेरितों 1:11)। पादरी अक्सर हमें बताते हैं कि प्रभु आत्मा के रूप में एक बादल पर होकर स्वर्ग गया था, इसलिए जब वह लौटेगा, तो यह आत्मा के रूप में ही होना चाहिए, और उसे पूरी महिमा के साथ बादल पर सवार होकर आना चाहिए। प्रभु यीशु को हमारे लिए सूली पर चढ़ा दिया गया था और उसने अकल्पनीय कष्ट सहा था। वह देह में वापस नहीं आने वाला।” जवाब में मिंगयी ने शांति से मुझे प्रोत्साहित किया, “भाई, आओ, बैठकर इस पर और संगति करते हैं। परमेश्वर के वचन सत्य हैं और हमारे सारे संदेहों का समाधान कर सकते हैं।” मैंने मिंगयी के साथ अभद्र व्यवहार किया था, लेकिन वह अभी भी धैर्यपूर्वक मुझे सलाह देने की कोशिश कर रहा था, इसलिए उसे शर्मिंदा न करने के लिए मेरे पास बैठने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। लेकिन मैं अभी भी गुमराह किए जाने से डर रहा था; मैंने मन ही मन सोचा, “मिंगयी अच्छा बोलता है, मैं बाइबल के अपने ज्ञान से इसे मात नहीं दे सकता। अगर मैं सुनता रहूँ और यह न बता सकूँ कि मुझे गुमराह किया जा रहा है या नहीं, तो मुझे क्या करना चाहिए? मुझे डर है कि मैं बचाया नहीं जाऊँगा और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर पाऊँगा। ऐसा नहीं हो सकता। मैं अब इसकी बात नहीं सुन सकता। मुझे घर जाना चाहिए और वाकई पहले ध्यान से बाइबल पढ़नी चाहिए।” तो, मैंने एक बहाना किया और वहाँ से निकल गया।
घर जाने के बाद मैंने प्रभु के देह में लौटने के विचार के बारे में सोचा, तो मेरे मन में बहुत खलबली मच गई। “शायद मेरी पत्नी को गुमराह किया जा सकता हो, लेकिन उन सभी अन्य समर्पित विश्वासियों को गुमराह करना संभव नहीं लगता! अगर प्रभु वास्तव में देह में लौट आया है और मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो मैं प्रभु का स्वागत करने का अपना मौका गँवा सकता हूँ। लेकिन अगर चमकती पूर्वी बिजली सच्चा मार्ग न हुई और मैं गलत रास्ता पकड़ बैठा, तो यह प्रभु के साथ विश्वासघात होगा और मेरी आत्मा बचाई नहीं जा सकेगी।” थोड़ी देर के लिए, मुझे पता ही नहीं चला कि मुझे क्या करना चाहिए, मेरे भोजन का स्वाद खो गया, और मेरी रातों की नींद हराम हो गई। अपने दुख में मैंने पवित्र हृदय की एक छवि के सामने घुटने टेक दिए और प्रार्थना की, “प्रभु यीशु, मैं नहीं जानता कि चमकती पूर्वी बिजली वास्तव में तुम्हारी वापसी है या नहीं। कृपया मुझे विवेक दो और मुझे अपना रास्ता भटकने और गलत रास्ते पर चलने से बचाओ। परमेश्वर, कृपया अपने बच्चे का मार्गदर्शन करो।”
इसके बाद, मैंने प्रभु की वापसी के बारे में सभी प्रकार के पद पढ़ने शुरू किए; पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन से मुझे प्रभु के गुप्त रूप से आने के बारे में कुछ भविष्यवाणियाँ मिलीं, और एक रहस्य का पता लगा। मैंने जाना कि बहुत सारे पदों में उल्लेख किया गया है कि जो लोग प्रभु के गुप्त रूप से आने का स्वागत करेंगे, वे उसके साथ भोज में शामिल होंगे, और उन्हें आशीष मिलेगा। उदाहरण के लिए, “आधी रात को धूम मची : ‘देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।’ तब वे सब कुँवारियाँ उठकर अपनी मशालें ठीक करने लगीं। ... दूल्हा आ पहुँचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ विवाह के घर में चली गईं और द्वार बन्द किया गया” (मत्ती 25:6-7, 10)। “देख, मैं चोर के समान आता हूँ; धन्य वह है जो जागता रहता है, और अपने वस्त्र की चौकसी करता है कि नंगा न फिरे, और लोग उसका नंगापन न देखें” (प्रकाशितवाक्य 16:15)। “और तुम उन मनुष्यों के समान बनो, जो अपने स्वामी की बाट देख रहे हों कि वह विवाह से कब लौटेगा, कि जब वह आकर द्वार खटखटाए तो तुरन्त उसके लिये खोल दें। धन्य हैं वे दास जिन्हें स्वामी आकर जागते पाए; मैं तुम से सच कहता हूँ कि वह कमर बाँध कर उन्हें भोजन करने को बैठाएगा, और पास आकर उनकी सेवा करेगा। यदि वह रात के दूसरे पहर या तीसरे पहर में आकर उन्हें जागते पाए, तो वे दास धन्य हैं” (लूका 12:36-38)। “देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ” (प्रकाशितवाक्य 3:20)। मैंने इन पदों पर बार-बार विचार किया और प्रार्थना की। मैंने ये वचन देखे, “आधी रात को धूम मची,” “चोर के समान,” “दूसरे पहर में आएगा,” और “तीसरे पहर में आएगा,” ये सब प्रभु के उस वक्त गुप्त रूप से आने के बारे में थे, जब लोगों को इसकी जानकारी नहीं होगी। वे लोग प्रभु के मानवजाति को बचाने के लिए गुप्त रूप से आने के बारे में जो कुछ कह रहे थे, वह वाकई बाइबल और प्रभु के वचनों के अनुसार था! अगर मैं प्रभु के गुप्त आगमन का स्वागत कर पाऊँ, तो क्या मैं धन्य लोगों में से एक नहीं हो जाऊँगा? यह पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता थी, जिसने मुझे प्रभु के आने के इस रहस्य की खोज करने दी। मेरा हृदय प्रभु के प्रति अपार कृतज्ञता से भर गया। मैं बाइबल में खोजता रहा। प्रभु यीशु ने कहा है : “क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ” (लूका 17:24-25)। पहले मैं मानता था कि प्रभु यीशु आत्मा के रूप में वापस आएगा, लेकिन प्रभु ने स्पष्ट रूप से कहा था : “पहले अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।” अगर प्रभु आत्मा के रूप में लौटता, तो लोग उसे देखकर भय से काँप उठते और जमीन पर गिर जाते, उस हालत में वह लोगों द्वारा सताया या ठुकराया कैसे जा सकता? केवल मनुष्य के पुत्र के रूप में परमेश्वर का देहधारण ही सताया या नकारा जा सकता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि चमकती पूर्वी बिजली की गवाही सही हो, और प्रभु देहधारी होकर मनुष्य के पुत्र के रूप में लौट आया हो? लेकिन फिर मुझे प्रकाशितवाक्य 1:7 याद आया, जो कहता है : “देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे।” इस पद के अनुसार प्रभु हमें लेने के लिए बादलों पर महिमापूर्वक लौटेगा, और हर कोई उसे देखेगा। अगर प्रभु गुप्त रूप से देह में उतरा हो, तो बाइबल के इस पद की व्याख्या कैसे की जा सकती है? क्या गुप्त रूप से आने और बादलों पर आने की भविष्यवाणियाँ परस्पर-विरोधी नहीं हैं? मैं इसे बिलकुल नहीं समझ पाया।
पलक झपकते ही वर्ष 2000 का नववर्ष-दिवस आ गया, लेकिन प्रभु के बादल पर सवार होकर आने की मेरी सँजोई हुई आशा पूरी नहीं हुई। मैं जानता था कि प्रभु की वापसी के सभी चिह्न मूल रूप से दिखाई दे चुके हैं। मैंने नई सहस्राब्दी से पहले प्रभु के बादल पर सवार होकर वापस आने के विचार पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। अपने दिल में, मैं प्रभु के गुप्त रूप से आगमन के विचार की ओर ज्यादा से ज्यादा झुक रहा था। मैं इसके बारे में भविष्यवाणियाँ खोजता रहा। मैंने प्रभु यीशु से प्रार्थना भी की, “हे प्रभु, सहस्राब्दी आ गई है, लेकिन मैंने तुम्हें बादल पर सवार होकर आते नहीं देखा। मैं निराश और दुखी हूँ। अब केवल चमकती पूर्वी बिजली ही इस बात की गवाही देती है कि तुम वापस आ गए हो। प्रभु यीशु, क्या तुम सचमुच वापस आ गए हो? कृपया मुझे प्रबुद्ध करो, ताकि मैं तुम्हारे कार्य को पहचान सकूँ।” इस समय मैं वाकई मिंगयी की संगति और ज्यादा सुनना चाहता था, क्योंकि मैं सोच रहा था कि अगर चमकती पूर्वी बिजली वास्तव में प्रभु की वापसी है, और अगर मैंने इसे स्वीकार नहीं किया तो परमेश्वर के कार्य के जरिए निकाल दिया जाऊँगा। जितना ज्यादा मैं इस बारे में सोचता, उतना ही ज्यादा चिंतित महसूस करता। जनवरी में एक दिन मैं वाकई शांत नहीं बैठ सका। मैंने अपनी पत्नी से कहा कि मैं मिंगयी की बात सुनना चाहता हूँ। उससे मिलने पर मैंने उससे कहा, “हाल ही में मैं घर पर बाइबल के बहुत सारे अंश पढ़ता रहा हूँ और मुझे ऐसा लगता है कि तुमने जो कहा वह भविष्यवाणियों से मेल खाता है। अब मैं प्रभु के गुप्त रूप से मनुष्य के पुत्र के रूप में आने का विचार स्वीकार सकता हूँ, लेकिन यह भविष्यवाणी भी है : ‘देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे’ (प्रकाशितवाक्य 1:7)। यह कहता है कि प्रभु बड़ी महिमा के साथ बादलों पर आएगा। क्या यह प्रभु के गुप्त रूप से आने का खंडन नहीं करता? प्रभु भरोसेमंद है, और इसमें कोई संदेह नहीं है कि उसके सभी वचन सच साबित होंगे। इसमें कोई रहस्य जरूर होना चाहिए।”
उसने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़कर सुनाए, धैर्यपूर्वक मेरे साथ संगति की, और मुझे रहस्य समझ में आ गया।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं : “विश्व भर में वे सभी, जो उद्धारकर्ता यीशु के उद्धार को जानते हैं, यीशु मसीह के अचानक आकर, पृथ्वी पर कहे अपने ये वचन पूरे करने की लालसा कर रहे हैं : ‘मैं जैसे गया था वैसे ही मैं वापस आऊँगा।’ मनुष्य मानता है कि सलीब पर चढ़ने और पुनरुत्थान के बाद यीशु सर्वोच्च परमेश्वर की दाईं ओर अपना स्थान ग्रहण करने के लिए सफेद बादल पर सवार होकर स्वर्ग वापस चला गया था। इसी प्रकार यीशु फिर से सफेद बादल पर सवार होकर (यह बादल उस बादल को संदर्भित करता है, जिस पर यीशु तब सवार हुआ था, जब वह स्वर्ग वापस गया था), उन लोगों के बीच वापस आएगा, जिन्होंने हज़ारों सालों से उसके लिए बेतहाशा लालसा की है, और वह यहूदियों का स्वरूप और उनके कपड़े धारण करेगा। मनुष्यों के सामने प्रकट होने के बाद वह उन्हें भोजन प्रदान करेगा, उनके लिए जीवन के जल की बौछार करवाएगा और मनुष्यों के बीच में रहेगा, अनुग्रह और प्रेम से भरा हुआ, जीवंत और वास्तविक। ये सभी वे धारणाएँ हैं, जिन्हें लोग मानते हैं। किंतु उद्धारकर्ता यीशु ने ऐसा नहीं किया; उसने मनुष्य की कल्पना के विपरीत किया। वह उन लोगों के बीच में नहीं आया, जिन्होंने उसकी वापसी की लालसा की थी, और वह सफेद बादल पर सवार होकर सभी मनुष्यों के सामने प्रकट नहीं हुआ। वह पहले ही आ चुका है, किंतु मनुष्य नहीं जानता, वह अनभिज्ञ बना रहता है। मनुष्य केवल निरुद्देश्य होकर उसका इंतज़ार कर रहा है, इस बात से अनभिज्ञ कि वह तो पहले ही ‘सफेद बादल’ पर सवार होकर आ चुका है (वह बादल, जो उसका आत्मा, उसके वचन, उसका संपूर्ण स्वभाव और उसका स्वरूप है), और वह अब उन विजेताओं के समूह के बीच है, जिसे वह अंत के दिनों के दौरान बनाएगा” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, उद्धारकर्ता पहले ही एक “सफेद बादल” पर सवार होकर वापस आ चुका है)।
“बहुत से लोगों को शायद इसकी परवाह न हो कि मैं क्या कहता हूँ, किंतु मैं ऐसे हर तथाकथित संत को, जो यीशु का अनुसरण करते हैं, बताना चाहता हूँ कि जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते अपनी आँखों से देखोगे, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते देखोगे, यही वह समय भी होगा जब तुम दंडित किए जाने के लिए नीचे नरक में जाओगे। वह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति का समय होगा, और वह समय होगा, जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और कुकर्मी को दंड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति होगी। वे जो सत्य को स्वीकार करते हैं और संकेतों की खोज नहीं करते और इस प्रकार शुद्ध कर दिए गए हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट चुके होंगे और सृष्टिकर्ता के आलिंगन में प्रवेश कर चुके होंगे। सिर्फ़ वे जो इस विश्वास में बने रहते हैं कि ‘ऐसा यीशु जो श्वेत बादल पर सवारी नहीं करता, एक झूठा मसीह है’ अनंत दंड के अधीन कर दिए जाएँगे, क्योंकि वे सिर्फ़ उस यीशु में विश्वास करते हैं जो संकेत प्रदर्शित करता है, पर उस यीशु को स्वीकार नहीं करते, जो कड़े न्याय की घोषणा करता है और जीवन और सच्चा मार्ग प्रकट करता है। इसलिए केवल यही हो सकता है कि जब यीशु खुलेआम श्वेत बादल पर वापस लौटे, तो वह उनके साथ निपटे। वे बहुत हठधर्मी, अपने आप में बहुत आश्वस्त, बहुत अभिमानी हैं। ऐसे अधम लोग यीशु द्वारा कैसे पुरस्कृत किए जा सकते हैं? यीशु की वापसी उन लोगों के लिए एक महान उद्धार है, जो सत्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं, पर उनके लिए जो सत्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं, यह दंडाज्ञा का संकेत है। तुम लोगों को अपना स्वयं का रास्ता चुनना चाहिए, और पवित्र आत्मा के खिलाफ निंदा नहीं करनी चाहिए और सत्य को अस्वीकार नहीं करना चाहिए। तुम लोगों को अज्ञानी और अभिमानी व्यक्ति नहीं बनना चाहिए, बल्कि ऐसा बनना चाहिए, जो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का पालन करता हो और सत्य की खोज के लिए लालायित हो; सिर्फ इसी तरीके से तुम लोग लाभान्वित होगे” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नया बना चुका होगा)।
परमेश्वर के वचन पढ़ने के बाद मिंगयी ने संगति की, “अंत के दिनों में परमेश्वर की वापसी के दो चरण हैं। पहला, वह मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारण करता है और गुप्त रूप से आता है। वह सत्य व्यक्त करता है और न्याय और शुद्धिकरण का कार्य करता है; अंततः लोगों के एक समूह को विजेता बना देता है। तब परमेश्वर के गुप्त देहधारण का कार्य समाप्त हो जाएगा। फिर वह बड़ी आपदाएँ बरसाएगा, सज्जनों को पुरस्कार और दुर्जनों को दंड देगा। जब बड़ी आपदाएँ समाप्त हो जाएँगी, तो परमेश्वर एक बादल पर सवार होकर आएगा और सभी राष्ट्रों के सभी लोगों को दिखाई देगा। यह पूरी तरह से प्रभु की यह भविष्यवाणी पूरी करता है : ‘तब मनुष्य के पुत्र का चिह्न आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे’ (मत्ती 24:30)। मानव-मन में प्रभु का एक बादल पर सवार होकर आना सभी राष्ट्रों के लोगों के लिए बड़े हर्ष का समय होना चाहिए, तो उसने ऐसा क्यों कहा कि पीड़ा की पुकार होगी? ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे देखेंगे कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर, जिसका उन्होंने विरोध किया था, वास्तव में लौटकर आया प्रभु यीशु है। लेकिन तब तक मानवजाति को बचाने का परमेश्वर का कार्य पहले ही पूरा हो चुका होगा। चूँकि वे ‘प्रभु यीशु के सफेद बादल पर सवार होकर आने’ के अलावा और कुछ भी स्वीकार करने से इनकार करते रहे, इसलिए उन्होंने प्रभु का स्वागत करने और बचाए जाने का मौका गँवा दिया। वे रोने और अपने दाँत पीसने, और दंडित होने के सिवाय कुछ भी नहीं कर पाएँगे। हम देख सकते हैं कि देहधारी परमेश्वर का गुप्त रूप से कार्य करने के लिए लौटना सिर्फ इंसान के उद्धार के लिए ही नहीं है, बल्कि लोगों को उजागर करने और उन्हें निकाल बाहर करने के लिए भी है। परमेश्वर की भेड़ें उसकी वाणी सुनती हैं, और वे सभी जो उसके गुप्त रूप से देह में कार्य करने के दौरान उसकी वाणी सुनते हैं और उसे स्वीकार करते हैं, परमेश्वर के सिंहासन के सामने आते हैं। ये लोग परमेश्वर की भेड़ें हैं, वे बुद्धिमान कुँवारियाँ हैं, वे प्रतिदिन परमेश्वर के वचन पढ़ते हैं, और उनका न्याय मसीह के आसन के सामने किया जाएगा। जो लोग स्वयं को भ्रष्टता से मुक्त कर सकते हैं और परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के जरिये शुद्ध किए जा सकते हैं, वे आपदाओं से सुरक्षा प्राप्त करेंगे और जीवित रहेंगे। लेकिन दुष्ट लोग और बुराई की ताकतें, जो परमेश्वर की वाणी नहीं सुनतीं और परमेश्वर का विरोध करती हैं, उन्हें परमेश्वर के देहधारण के कार्य के माध्यम से उजागर कर निकाल दिया जाएगा और अंततः बड़ी आपदाओं में दंडित किया जाएगा। गुप्त रूप से किया जाने वाला परमेश्वर का कार्य भेड़ों को बकरियों से, गेहूँ को मोठ घास से, बुद्धिमान कुँवारियों को मूर्ख कुँवारियों से, सच्चे विश्वासियों को झूठे विश्वासियों से, भलाई के सेवकों को बुराई के सेवकों से अलग करता है—इन सारी चीजों का खुलासा किया जाता है। सभी को अनजाने ही उनकी किस्म के अनुसार छाँटा जाएगा। यह परमेश्वर के कार्य की बुद्धिमत्ता है!” उसकी यह संगति सुनकर सच में मेरी आँखें अचानक खुल गईं। मैंने देखा कि प्रभु की वापसी के बारे में बाइबल की भविष्यवाणियाँ ऐसे पूरी होंगी, और मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के भीतर परमेश्वर का अधिकार देख सकता था। परमेश्वर की अपमानित न की जा सकने वाली धार्मिकता की इस भावना ने मुझे भय से काँपने पर मजबूर कर दिया। मैं जान गया कि अगर मैं प्रभु के बादलों पर सवार होकर लौटने की धारणा से चिपका रहा और मैंने देहधारी परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए सत्य स्वीकार नहीं किए, तो मैं उद्धार का मौका खो दूँगा! आंतरिक रूप से मैं इस बात से प्रसन्न था कि मैं कितना भाग्यशाली हूँ कि मैंने सच्चे मार्ग की तलाश करने की पहल की, और खुद को प्रभु द्वारा त्यागे जाने और निकाल बाहर किए जाने से बचाया। उस दिन मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़कर प्रभु की वापसी के रहस्य के बारे में कुछ जाना। कोई आश्चर्य नहीं कि इतने सारे विश्वासियों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करने के बाद वापस आने से इनकार कर दिया।
मैं अपना भ्रम और दूर करने के लिए उत्सुक था, इसलिए मैं मिंगयी से और प्रश्न पूछता रहा। मैंने कहा, “प्रभु यीशु अपने पुनरुत्थान के बाद 40 दिनों के लिए अपने शिष्यों के सामने प्रकट हुआ, और फिर अपने पुनरुत्थित आध्यात्मिक शरीर में आकाश में चढ़ गया। हमने हमेशा सोचा है कि जब प्रभु अंत के दिनों में दुनिया का न्याय करने के लिए वापस आएगा, तो वह एक महान सफेद सिंहासन पर बैठा हुआ, सभी लोगों का न्याय करता हुआ, प्रतापी और विस्मयकारी, आत्मा के रूप में प्रकट होगा, ताकि बड़े पापी नरक चले जाएँ, जबकि अच्छे काम करने वाले स्वर्ग जाएँ। लेकिन तुम इस बात की गवाही देते हो कि प्रभु अंत के दिनों में अपना न्याय-कार्य करने के लिए देहधारण करके आता है। क्या इसका बाइबल में कोई आधार है?” उसने कहा, “न्याय का कार्य करने के लिए अंत के दिनों में परमेश्वर के मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारण करने के बारे में बाइबल की भविष्यवाणियाँ हैं। उदाहरण के लिए, ‘क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा’ (मत्ती 24:27)। ‘पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है’ (यूहन्ना 5:22)। ‘वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है, इसलिये कि वह मनुष्य का पुत्र है’ (यूहन्ना 5:27)। ‘वो जो मुझे नकार देता है, और मेरे वचन नहीं स्वीकारता, उसका भी न्याय करने वाला कोई है : मैंने जो वचन बोले हैं वे ही अंत के दिन उसका न्याय करेंगे’ (यूहन्ना 12:48)। ‘मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा’ (यूहन्ना 16:12-13)। ‘क्योंकि वह समय आ चुका है कि परमेश्वर के घर से न्याय शुरू किया जाए’ (1 पतरस 4:17)। ‘पुत्र’ और ‘मनुष्य के पुत्र’ के सब उल्लेख परमेश्वर को उसके देहधारी रूप में संदर्भित करते हैं। अंत के दिनों में, परमेश्वर का आत्मा मनुष्य के पुत्र के रूप में देह बन जाता है और अपना न्याय-कार्य करने के लिए सत्य व्यक्त करता है, और यह परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय है। कहने का तात्पर्य यह है कि अंत के दिनों का मसीह सत्य व्यक्त करता है और उन लोगों को शुद्ध करने और बचाने के लिए उनके बीच न्याय करता है, जो उसका न्याय-कार्य स्वीकार करते हैं, और उन्हें सभी सत्यों में प्रवेश कराने के लिए उनकी अगुआई करता है। यह वह कार्य है, जिसे देहधारी परमेश्वर गुप्त रूप से करता है। जहाँ तक उन सभी लोगों का प्रश्न है जो परमेश्वर का विरोध करते हैं, तो वह उनसे निपटने के लिए आपदाओं का उपयोग करते हुए सीधे उन्हें दंडित करेगा और नष्ट कर देगा। अंत के दिनों का मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय का कार्य करते हुए, इंसान को शुद्ध करने और बचाने वाले सभी सत्य व्यक्त करता है। इससे अंत के दिनों में प्रभु की वापसी की भविष्यवाणियाँ पूरी तरह से साकार होती हैं।” यह सुनकर मैं और भी प्रबुद्ध हो गया। इसके बाद मिंगयी ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ और अंश पढ़े और इस बारे में मेरे साथ संगति की कि क्यों परमेश्वर अंत के दिनों में अपना न्याय-कार्य आत्मा के रूप में नहीं करता, बल्कि उसे व्यक्तिगत रूप से देह में पूरा करता है।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं : “परमेश्वर द्वारा मनुष्य को सीधे पवित्रात्मा की पद्धति और पवित्रात्मा की पहचान का उपयोग करके नहीं बचाया जाता, क्योंकि उसके पवित्रात्मा को मनुष्य द्वारा न तो छुआ जा सकता है, न ही देखा जा सकता है, और न ही मनुष्य उसके निकट जा सकता है। यदि उसने पवित्रात्मा के दृष्टिकोण के उपयोग द्वारा सीधे तौर पर मनुष्य को बचाने का प्रयास किया होता, तो मनुष्य उसके उद्धार को प्राप्त करने में असमर्थ होता। यदि परमेश्वर एक सृजित मनुष्य का बाहरी रूप धारण न करता, तो मनुष्य के लिए इस उद्धार को प्राप्त करने का कोई उपाय न होता। क्योंकि मनुष्य के पास उस तक पहुँचने का कोई तरीका नहीं है, बहुत हद तक वैसे ही जैसे कोई मनुष्य यहोवा के बादल के पास नहीं जा सकता था। केवल एक सृजित मनुष्य बनकर, अर्थात् अपने वचन को उस देह में, जो वह बनने वाला है, रखकर ही वह व्यक्तिगत रूप से वचन को उन सभी लोगों में ढाल सकता है, जो उसका अनुसरण करते हैं। केवल तभी मनुष्य व्यक्तिगत रूप से उसके वचन को देख और सुन सकता है, और इससे भी बढ़कर, उसके वचन को ग्रहण कर सकता है, और इसके माध्यम से पूरी तरह से बचाया जा सकता है। यदि परमेश्वर देह नहीं बना होता, तो कोई भी देह और रक्त से युक्त मनुष्य ऐसे बड़े उद्धार को प्राप्त न कर पाता, न ही एक भी मनुष्य बचाया गया होता। यदि परमेश्वर का आत्मा मनुष्यों के बीच सीधे तौर पर काम करता, तो पूरी मानवजाति खत्म हो जाती या फिर परमेश्वर के संपर्क में आने का कोई उपाय न होने के कारण शैतान द्वारा पूरी तरह से बंदी बनाकर ले जाई गई होती। प्रथम देहधारण मनुष्य को पाप से छुटकारा देने के लिए था, उसे यीशु की देह के माध्यम से छुटकारा देने के लिए था, अर्थात् यीशु ने मनुष्य को सलीब से बचाया, किंतु भ्रष्ट शैतानी स्वभाव फिर भी मनुष्य के भीतर रह गया। दूसरा देहधारण अब पापबलि के रूप में कार्य करने के लिए नहीं है, अपितु उन लोगों को पूरी तरह से बचाने के लिए है, जिन्हें पाप से छुटकारा दिया गया था। इसे इसलिए किया जा रहा है, ताकि जिन्हें क्षमा किया गया था, उन्हें उनके पापों से मुक्त किया जा सके और पूरी तरह से शुद्ध बनाया जा सके, और वे एक परिवर्तित स्वभाव प्राप्त करके शैतान के अंधकार के प्रभाव को तोड़कर आज़ाद हो जाएँ और परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट आएँ। केवल इसी तरीके से मनुष्य को पूरी तरह से पवित्र किया जा सकता है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (4))।
“यदि परमेश्वर का आत्मा मनुष्यों से सीधे बात करता, तो समस्त मानवजाति उस वाणी के प्रति समर्पित हो जाती, प्रकाशन के वचनों के बिना नीचे गिर जाती, बिलकुल वैसे ही जैसे पौलुस दमिश्क की राह पर ज्योति के मध्य भूमि पर गिर गया था। यदि परमेश्वर इसी तरीके से काम करता रहता, तो मनुष्य वचन के न्याय के माध्यम से अपनी भ्रष्टता को जानने और इसके परिणामस्वरूप उद्धार प्राप्त करने में कभी समर्थ न होता। केवल देह बनकर ही परमेश्वर व्यक्तिगत रूप से अपने वचनों को हर मनुष्य के कानों तक पहुँचा सकता है, ताकि वे सभी, जिनके पास कान हैं, उसके वचनों को सुन सकें और वचन के द्वारा उसके न्याय के कार्य को प्राप्त कर सकें। मनुष्य को समर्पण हेतु डराने के लिए पवित्रात्मा के प्रकटन के बजाय यह केवल उसके वचन के द्वारा प्राप्त किया गया परिणाम है। केवल इस व्यावहारिक और असाधारण कार्य के माध्यम से ही मनुष्य के पुराने स्वभाव को, जो अनेक वर्षों से उसके भीतर गहराई में छिपा हुआ है, पूरी तरह से उजागर किया जा सकता है, ताकि मनुष्य उसे पहचान सके और बदलवा सके। ये सब चीज़ें देहधारी परमेश्वर का व्यावहारिक कार्य हैं, जिसमें वह एक व्यावहारिक तरीके से बोलकर और न्याय करके वचन के द्वारा मनुष्य पर न्याय के परिणाम प्राप्त करता है। यह देहधारी परमेश्वर का अधिकार है और परमेश्वर के देहधारण का महत्व है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (4))।
फिर उसने मेरे साथ संगति की, “हम परमेश्वर के वचनों से देख सकते हैं कि जब पहली बार परमेश्वर देहधारी हुआ, तो उसे इंसान के पाप अपने ऊपर लेने के लिए पापबलि के रूप में सूली पर चढ़ा दिया गया था, इसलिए जब हम प्रभु में विश्वास करते हैं, तो हमारे पाप क्षमा हो जाते हैं। लेकिन हमारे पाप की जड़, हमारी पापी प्रकृति अभी भी हमारे भीतर है। हम लगातार पाप करते हैं; अहंकार, कुटिलता और बुराई जैसे भ्रष्ट स्वभाव प्रकट करते हैं। हम झूठ बोलते हैं और धोखा देते हैं, हम ईर्ष्या और घृणा करते हैं। आपदा का सामना होने पर या जब हमारे परिवार में कठिनाई होती है, हम परमेश्वर को दोष देते हैं और उसकी आलोचना करते हैं, यहाँ तक कि उसे नकार भी देते हैं। यह एक निर्विवाद तथ्य है। परमेश्वर पवित्र है, इसलिए जो कोई भी अशुद्ध है, वह उसे नहीं देख सकता। हम इतने गंदे और भ्रष्ट हैं, हम पाप करते हैं और परमेश्वर का विरोध करते हैं, तो फिर हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के योग्य कैसे हो सकते हैं? जब प्रभु यीशु अंत के दिनों में लौटता है, तो वह इंसान को शुद्ध करने और बदलने के लिए सत्य व्यक्त करता है और न्याय का कार्य करता है, ताकि लोग अपने पाप और भ्रष्टता पूरी तरह से दूर कर सकें, परमेश्वर द्वारा बचाए जा सकें, और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकें। अंत के दिनों में उसका न्याय मानवजाति को शुद्ध करने और बचाने के लिए है। इसलिए देह में अपना कार्य करना उसके लिए सबसे उपयुक्त है। अगर परमेश्वर का आत्मा लोगों का न्याय करता, तो वे शुद्ध किए या बचाए न जाते। कारण, लोग नश्वर हैं, देही हैं, और हम सभी शैतान द्वारा भ्रष्ट कर दिए गए हैं, इसलिए हम शैतानी स्वभाव, गंदगी और भ्रष्टता से भरे हुए हैं। हम कभी परमेश्वर के आत्मा के निकट नहीं हो सकते। अगर उसका आत्मा सीधे तौर पर हमारा न्याय करता, तो हम अपने विद्रोह और अवज्ञा के कारण मिटा दिए जाते। परमेश्वर के आत्मा का सीधे इंसान से बात करना गरज और बिजली के समान होगा। न केवल हम समझ नहीं पाएँगे, बल्कि डर भी जाएँगे। मानवजाति के उस प्रकार के न्याय-कार्य से वांछित लक्ष्य प्राप्त नहीं होंगे। मैं तुम्हें एक उदाहरण देता हूँ। कल्पना करो, एक छोटी-सी चिड़िया घायल हो गई है और हम उसकी मदद करना चाहते हैं, लेकिन वह हमसे डरती है और हमें अपने पास नहीं आने देती, क्योंकि वह हमसे बिलकुल अलग है, और हम जो कहते हैं उसे वह समझ नहीं सकती, न ही वह हमारे इरादे समझती है। लेकिन अगर हम एक छोटी चिड़िया में बदल जाते और फिर मदद के लिए उसके पास जाते, तो वह हमसे न डरती या हमारा विरोध न करती। इसी तरह, हम जैसे गहरे भ्रष्ट इंसानों को बचाने के लिए, परमेश्वर देह बन जाता है और एक आम आदमी का बाहरी आवरण ओढ़ लेता है। वह सत्य व्यक्त करता है, ऐसी भाषा में बोलता है जिसे इंसान समझ सकते हैं, और हमें अपना धार्मिक स्वभाव दिखाते हुए हमारी भ्रष्टता और विद्रोहशीलता के साथ-साथ परमेश्वर का विरोध करने की हमारी पापी प्रकृति भी उजागर करता है, ताकि हम देख सकें कि परमेश्वर बहुत वास्तविक है। तब वह बहुत स्पष्ट रूप से अपनी इच्छा और अपेक्षाएँ, और वे सत्य जिनका लोगों को अभ्यास करना चाहिए और जिनमें उन्हें प्रवेश करना चाहिए, हमारे साथ साझा कर सकता है, और हमें अपने स्वभाव बदलकर शुद्ध होने का मार्ग दिखा सकता है। देह में अपना कार्य करके परमेश्वर हमारी धारणाओं और विद्रोह का बेहतर ढंग से खुलासा कर सकता है। पहली बार जब परमेश्वर देहधारण करके काम करने आया, तो फरीसी अच्छी तरह से जानते थे कि प्रभु यीशु का कार्य और वचन अधिकार और सामर्थ्य से परिपूर्ण है, लेकिन उन्होंने देखा कि वह किसी महान व्यक्ति की तरह नहीं दिखता, वह एक बढ़ई का पुत्र है, और वह जो कहता और करता है, वह उनकी धारणाओं और कल्पनाओं के अनुरूप नहीं है, इसलिए उन्होंने उस पर गौर करने से भी इनकार कर दिया, और बस उसका विरोध और निंदा की, और दूसरों को भी परमेश्वर के कार्य की जाँच-पड़ताल करने से रोक दिया। अंततः उन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। अंत के दिनों में परमेश्वर ने अपना न्याय का कार्य करने के लिए फिर से देहधारण किया है, और चूँकि परमेश्वर का बोलने और अपना कार्य करने के लिए देहधारण करना लोगों की धारणाओं के अनुरूप नहीं है, इसलिए हम परमेश्वर को अपने अहंकार से सीमाओं में बाँधते हैं, उसकी आलोचना करते हैं, और उसके कार्य का विरोध करते हैं। खासकर धार्मिक दुनिया का याजक-वर्ग परमेश्वर का पागलों की तरह विरोध, निंदा और तिरस्कार कर रहा है। अगर यह कार्य करने के लिए परमेश्वर ने देहधारण न किया होता, बल्कि उसका आत्मा न्याय का कार्य करने के लिए आया होता, तो कौन उसके प्रति इतना ढीठ होने की हिम्मत करता? क्या इससे लोगों की भ्रष्टता का पता चल सकता था? केवल देहधारी परमेश्वर ही है, जो परमेश्वर के प्रति हमारी सारी विद्रोहशीलता, भ्रष्टता और धारणाओं का खुलासा कर सकता है। जो लोग सत्य से प्रेम करते हैं, वे परमेश्वर के न्याय और प्रकाशनों के माध्यम से अपने भ्रष्ट स्वभाव और परमेश्वर के प्रति अपनी अवज्ञा और विद्रोहशीलता की शैतानी प्रकृति को पहचान सकते हैं। वे पश्चात्ताप करने और खुद से नफरत करने में सक्षम होते हैं, और अंततः वे परमेश्वर के वचनों के माध्यम से जीतकर शुद्ध कर दिए जाते हैं, और परमेश्वर उन्हें अपने राज्य में ले जाता है। लेकिन जो लोग अपनी धारणाओं और कल्पनाओं से चिपके रहते हैं, परमेश्वर को नकारते और उसका विरोध करते हैं, जो सत्य को स्वीकारने से इनकार करते हैं, और परमेश्वर से लड़ने पर जोर देते हैं, उन्हें परमेश्वर मोठ घास के रूप में उजागर करेगा। वे अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य से उजागर किए गए बुराई के सेवक और मसीह-विरोधी हैं। न केवल वे बचाए नहीं जाएँगे, बल्कि फरीसियों की तरह परमेश्वर द्वारा शापित और दंडित किए जाएँगे। इसलिए, अंत के दिनों में अपना न्याय-कार्य करने के लिए देहधारी परमेश्वर का आना भ्रष्ट मानवजाति को बचाने के लिए सबसे उपयोगी है।”
मिंगयी की संगति वास्तव में मेरे लिए प्रबोधक थी। मैंने व्यवस्था के युग के बारे में सोचा। जब यहोवा परमेश्वर ने सीनाई पर्वत पर प्रकट होकर इस्राएलियों से बात की, तो उन सबने परमेश्वर की वाणी इस तरह सुनी, मानो कोई बिजली कड़की हो, और वे भय से काँप उठे। उन्होंने मूसा से कहा : “तू ही हम से बातें कर, तब तो हम सुन सकेंगे; परन्तु परमेश्वर हम से बातें न करे, ऐसा न हो कि हम मर जाएँ” (निर्गमन 20:19)। परमेश्वर पवित्र है, और हम भ्रष्ट इंसान हैं। हम वास्तव में परमेश्वर के आत्मा के साथ सीधा संपर्क नहीं कर सकते। मैंने वह दिन याद किया, जब मैंने पहली बार यह खबर सुनी थी कि प्रभु देह में वापस आ गया है। मैं धारणाओं और प्रतिरोध से भरा हुआ था और असहनीय रूप से अहंकारी था। सत्य खोजे या जाने बिना मैंने बस आँख मूँदकर तय और निर्णय कर लिया था कि प्रभु संभवतः देह में वापस नहीं आ सकता। मैंने कलीसिया बंद कर दी, दूसरों को सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करने से रोक दिया, और अपनी पत्नी को सभाओं में जाने से रोकने की कोशिश की। मेरे क्रियाकलाप फरीसियों द्वारा प्रभु यीशु का विरोध किए जाने से किस प्रकार भिन्न थे? मैं बहुत अहंकारी और विद्रोही था। अगर परमेश्वर के आत्मा ने न्याय का कार्य किया होता, तो मैं पहले ही मिटा दिया जाता, तब मुझे परमेश्वर का उद्धार पाने का मौका कैसे मिलता? देहधारी परमेश्वर द्वारा न्याय का कार्य किया जाना वास्तव में इंसान के लिए उसका उद्धार है! देहधारी परमेश्वर का अंत के दिनों में अपना कार्य करना नितांत आवश्यक है!
उसके बाद मिंगयी ने मेरे साथ कुछ और बार संगति की और मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत सारे वचन पढ़े। उसके वचनों से मैंने मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के पीछे की आंतरिक कहानी और अर्थ, परमेश्वर के देहधारण के रहस्य, उसके नामों के रहस्य, बाइबल के आंतरिक सत्य, उसकी वाणी कैसे सुनी जाए, सच्चे मसीह को झूठे मसीहों से अलग कैसे पहचाना जाए, परमेश्वर किस प्रकार के लोगों को बचाता है, किस प्रकार के लोगों को वह बाहर निकाल देता है, आदि के बारे में जाना। जितने ज्यादा मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़े, उतना ही बेहतर मैं उसके कार्य और उसकी इच्छा को समझ पाया। मैंने बाइबल के बहुत-से रहस्य समझे, जिन्हें मैं पहले नहीं समझ पाया था, बहुत सारी बातें स्पष्ट हो गईं जो मुझे पहले कभी समझ नहीं आती थीं। यह मेरे लिए बहुत पोषक था। मुझे अपने दिल में यकीन हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य हैं, परमेश्वर की वाणी हैं, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही एकमात्र सच्चा परमेश्वर है! ऐसा इसलिए है क्योंकि केवल परमेश्वर ही सत्य व्यक्त कर सकता है, रहस्य प्रकट कर सकता है और हमें अनंत सत्य और जीवन प्रदान कर सकता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर वास्तव में लौटकर आया प्रभु है! मैं बाइबल के शब्दों से चिपका रहता था, मैंने अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के आधार पर परमेश्वर को निरूपित किया था। मैंने परमेश्वर के नए कार्य की छानबीन नहीं ही, बल्कि लौटकर आए परमेश्वर को हठपूर्वक नकार दिया था। मैं लगभग परमेश्वर का विरोध करने वाला फरीसी बन गया था, लौटकर आए प्रभु का स्वागत करने और स्वर्ग में प्रवेश करने का अवसर खो रहा था। अगर पवित्र आत्मा ने समय पर मेरा मार्गदर्शन कर मुझे बचाया नहीं होता, तो मैं निश्चित रूप से अपनी धारणाओं के कारण बरबाद हो जाता। यह सब परमेश्वर की दया और उद्धार की बदौलत है कि मैं उसकी वापसी का स्वागत कर पाया और उसके विवाह-भोज में शामिल हो पाया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का धन्यवाद!