अध्याय 42
महान हैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कर्म! कितने आश्चर्यजनक! कितने अद्भुत! सात तुरहियाँ बजती हैं, सात गर्जनाएँ होती हैं, सात कटोरे उँड़ेले जाते हैं—ये तुरंत खुले तौर पर प्रकट होंगे, और इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता। परमेश्वर का प्रेम हमें रोज़ प्राप्त होता है। केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही हमें बचा सकता है; हमें दुर्भाग्य मिलता है या आशीष, यह पूरी तरह से उस पर निर्भर है, और हम मनुष्यों के पास इसका निर्णय करने का कोई उपाय नहीं है। जो लोग स्वयं को पूरे दिल से समर्पित करते हैं, वे निश्चित रूप से भरपूर आशीष प्राप्त करेंगे, जबकि अपने जीवन को संरक्षित रखने के आकांक्षी अपने जीवन को ही खो देंगे; सभी चीज़ें और सभी मामले सर्वशक्तिमान परमेश्वर के हाथों में हैं। अपने कदम अब और मत रोको। स्वर्ग और पृथ्वी में ज़बरदस्त बदलाव आ रहा है, जिससे बचने का मनुष्य के पास कोई उपाय नहीं है। उसके पास तीव्र पीड़ा से क्रंदन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। पवित्र आत्मा जो कार्य आज कर रहा है, उसका अनुसरण करो। उसके काम की प्रगति किस चरण तक पहुँच गई है, इसके बारे में तुम्हें खुद ही ठीक से पता होना चाहिए, दूसरों के द्वारा याद दिलाए जाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। अब जितनी ज्यादा बार संभव हो, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की उपस्थिति में लौटो। उससे सब-कुछ माँगो। वह निश्चित रूप से तुम्हें भीतर से प्रबुद्ध करेगा और संकट के क्षणों में तुम्हारी रक्षा करेगा। बिलकुल मत डरो! तुम्हारा संपूर्ण अस्तित्व पहले से ही उसके अधिकार में है। उसकी सुरक्षा और देखभाल के होते हुए तुम्हारे लिए डरने की क्या बात है? आज परमेश्वर की इच्छा फलित होने को है, और जो भी भयभीत है, वह केवल नुकसान में रहेगा। मैं तुमसे जो कह रहा हूँ, वह सच है। अपनी आध्यात्मिक आँखें खोलो : स्वर्ग एक पल में बदल सकता है, लेकिन तुम्हारे लिए डरने की क्या बात है? उसके हाथ की एक हलकी-सी हरकत से स्वर्ग और पृथ्वी तुरंत नष्ट हो जाते हैं। तो चिंतित होने से मनुष्य क्या हासिल कर सकता है? क्या सब-कुछ परमेश्वर के हाथों में नहीं है? अगर वह स्वर्ग और पृथ्वी को बदलने की आज्ञा देता है, तो वे बदल जाएँगे। अगर वह कहता है कि हमें पूर्ण किया जाना है, तो हम पूर्ण किए जाएँगे। मनुष्य को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि उसे शांति से आगे बढ़ना चाहिए। फिर भी, तुम्हें जितना हो सके, ध्यान देना चाहिए और सजग रहना चाहिए। स्वर्ग एक पल में बदल सकता है! मनुष्य चाहे कितनी भी आँखें फाड़-फाड़ कर देख ले, वह ज्यादा कुछ नहीं देख पाएगा। अब चौकस रहो। परमेश्वर की इच्छा पूरी हो गई है, उसकी परियोजना पूरी हो गई है, उसकी योजना सफल हो गई है, और उसके सभी पुत्र उसके सिंहासन पर पहुँच गए हैं। वे मिलकर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के साथ सभी राष्ट्रों और सभी लोगों का न्याय करने बैठते हैं। जो लोग कलीसिया को सताते रहे हैं, और परमेश्वर के पुत्रों को नुकसान पहुँचाते रहे हैं, उन्हें कड़ी सज़ा मिलेगी : यह निश्चित है! जो ईमानदारी से स्वयं को परमेश्वर को अर्पित कर देते हैं, जो अपनी हर बात पर खरे उतरते हैं, परमेश्वर निश्चित रूप से उन्हें, कभी भी बदले बिना, अनंत काल तक प्रेम करेगा!