तुम विश्वास के बारे में क्या जानते हो?
मनुष्य में केवल विश्वास का अनिश्चित शब्द मौजूद है, फिर भी वह यह नहीं जानता कि विश्वास क्या होता है, और यह तो बिलकुल भी नहीं जानता कि उसे विश्वास क्यों है। मनुष्य बहुत कम जानता है, और स्वयं मनुष्य में बहुत सारी कमियाँ हैं; मुझ पर उसका विश्वास नासमझी और अज्ञानता से भरा है। यद्यपि वह नहीं जानता कि विश्वास क्या होता है, न ही वह यह जानता है कि वह मुझमें विश्वास क्यों करता है, फिर भी वह सनकियों की तरह मुझें विश्वास किए चला जाता है। मैं मनुष्य से मात्र यह नहीं चाहता कि वह मुझे सनकियों की तरह इस तरीके से पुकारे या मुझ पर असंगत तरीके से विश्वास करे, क्योंकि जो काम मैं करता हूँ, वह इसलिए करता हूँ कि वह मुझे देख और जान सके, इसलिए नहीं कि वह मुझसे प्रभावित हो और एक नई रोशनी में मुझे देखे। मैंने एक बार कई चिह्न और अचंभे दिखाए थे और कई चमत्कार प्रदर्शित किए थे, और उस समय के इजराइलियों ने मेरी बहुत प्रशंसा की थी तथा बीमारों को चंगा करने तथा दुष्टात्माओं को निकालने की मेरी विलक्षण क्षमता का बड़ा सम्मान किया था। उस समय यहूदी सोचते थे कि मेरी चंगाई की शक्तियाँ अति उत्तम और असाधारण हैं—और मेरे अनेक कर्मों के कारण उन्होंने मेरा बड़ा सम्मान किया, और मेरी सारी शक्तियों की बहुत प्रशंसा की। इस प्रकार, जिन्होंने भी मुझे चमत्कार करते देखा, उन सबने निकटता से मेरा अनुसरण किया, यहाँ तक कि बीमारों को चंगा करते देखने के लिए हज़ारों लोग मेरे इर्द-गिर्द इकट्ठे हो गए। मैंने इतने सारे चिह्न और चमत्कार प्रकट किए, फिर भी लोगों ने मुझे एक महान चिकित्सक ही माना; मैंने उस समय लोगों को शिक्षा देने के लिए बहुत सारे वचन भी कहे, फिर भी उन्होंने मुझे मात्र अपने चेलों से बेहतर एक अच्छा शिक्षक ही समझा। यहाँ तक कि आज भी, जबकि मनुष्य मेरे कार्य के ऐतिहासिक दस्तावेज देख चुके हैं, उनकी व्याख्या यही चली आ रही है कि मैं बीमारों को चंगा करने वाला एक महान चिकित्सक और अज्ञानियों का शिक्षक हूँ, और उन्होंने मुझे दयावान प्रभु यीशु मसीह के रूप में परिभाषित किया है। पवित्र शास्त्र की व्याख्या करने वाले हो सकता है, चंगाई की मेरी कुशलता को पार कर गए हों, या चेले अपने गुरु से आगे निकल गए हों, फिर भी ऐसे प्रसिद्ध मनुष्य, जिनका नाम सारे संसार में जाना जाता है, मुझे मात्र चिकित्सक जितना छोटा समझते हैं। मेरे कर्मों की संख्या समुद्र-तटों की रेत के कणों से भी ज़्यादा है, और मेरी बुद्धि सुलेमान के सभी पुत्रों से बढ़कर है, फिर भी लोग मुझे मामूली हैसियत का मात्र एक चिकित्सक और मनुष्यों का कोई अज्ञात शिक्षक समझते हैं। बहुत-से लोग केवल इसलिए मुझ पर विश्वास करते हैं कि मैं उनको चंगा कर सकता हूँ। बहुत-से लोग सिर्फ इसलिए मुझ पर विश्वास करते हैं कि मैं उनके शरीर से अशुद्ध आत्माओं को निकालने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करूँगा, और बहुत-से लोग मुझसे बस शांति और आनंद प्राप्त करने के लिए मुझ पर विश्वास करते हैं। बहुत-से लोग मुझसे सिर्फ और अधिक भौतिक संपदा माँगने के लिए मुझ पर विश्वास करते हैं। बहुत-से लोग मुझसे सिर्फ इस जीवन को शांति से गुज़ारने और आने वाले संसार में सुरक्षित और स्वस्थ रहने के लिए मुझ पर विश्वास करते हैं। बहुत-से लोग केवल नरक की पीड़ा से बचने के लिए और स्वर्ग के आशीष प्राप्त करने के लिए मुझ पर विश्वास करते हैं। बहुत-से लोग केवल अस्थायी आराम के लिए मुझ पर विश्वास करते हैं और आने वाले संसार में कुछ हासिल करने की कोशिश नहीं करते। जब मैंने अपना क्रोध नीचे मनुष्यों पर उतारा और उसका सारा आनंद और शांति छीन ली जो उसके पास कभी थी, तो मनुष्य संदिग्ध हो गया। जब मैंने मनुष्य को नरक का कष्ट दिया और स्वर्ग के आशीष वापस ले लिए, तो मनुष्य की लज्जा क्रोध में बदल गई। जब मनुष्य ने मुझसे खुद को चंगा करने के लिए कहा, तो मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया और उसके प्रति घृणा महसूस की; तो मनुष्य मुझे छोड़कर चला गया और बुरी दवाइयों तथा जादू-टोने का मार्ग खोजने लगा। जब मैंने मनुष्य द्वारा मुझसे माँगा गया सब-कुछ वापस ले लिया, तो हर कोई बिना कोई निशान छोड़े गायब हो गया। इसलिए मैं कहता हूँ कि मनुष्य मुझ पर इसलिए विश्वास करता है, क्योंकि मैं बहुत अनुग्रह देता हूँ, और प्राप्त करने के लिए और भी बहुत-कुछ है। यहूदी मुझ पर मेरे अनुग्रह के कारण ही विश्वास करते थे और जहाँ कहीं मैं जाता था, मेरा अनुसरण करते थे। सीमित ज्ञान और अनुभव वाले वे अज्ञानी मनुष्य केवल वे चिह्न और चमत्कार देखना चाहते थे, जिन्हें मैं प्रकट करता था। वे मुझे यहूदियों के घराने के मुखिया के रूप में मानते थे, जो सबसे बड़े चमत्कार कर सकता था। और इसलिए जब मैंने मनुष्यों में से दुष्टात्माओं को निकाला, तो उनके बीच बड़ी चर्चा हुई : उन्होंने कहा कि मैं एलियाह हूँ, मैं मूसा हूँ, मैं सभी पैगंबरों में सबसे प्राचीन हूँ, कि मैं चिकित्सकों में सबसे महान हूँ। मेरे यह कहने के बावजूद कि मैं जीवन, मार्ग और सत्य हूँ, कोई मेरी हस्ती और मेरी पहचान को नहीं जान सका। मेरे यह कहने के बावजूद कि स्वर्ग वह जगह है जहाँ मेरा पिता रहता है, कोई यह नहीं जान पाया कि मैं परमेश्वर का पुत्र और स्वयं परमेश्वर हूँ। मेरे यह कहने के बावजूद कि मैं सारी मानव-जाति के लिए छुटकारा लाऊँगा और मनुष्यों को दाम देकर छुड़ाऊँगा, कोई नहीं जान पाया कि मैं मनुष्यों का उद्धारकर्ता हूँ; और मनुष्यों ने मुझे केवल एक उदार और दयालु मनुष्य के रूप में जाना। और यह स्पष्ट कर देने पर भी कि सब-कुछ मेरा है, किसी ने मेरे बारे में नहीं जाना, और किसी ने यह विश्वास नहीं किया कि मैं जीवित परमेश्वर का पुत्र हूँ। लोगों का मुझमें ऐसा विश्वास है, और इस तरह वे मुझे धोखा देते हैं। जब वे मेरे बारे में ऐसे विचार रखते हैं, तो वे मेरी गवाही कैसे दे सकते हैं?
लोग मुझ पर विश्वास करते हैं, लेकिन वे मेरे लिए गवाही देने में असमर्थ हैं, न ही वे मेरे द्वारा अपना परिचय देने से पहले मेरी गवाही दे सकते हैं। लोग केवल यह देखते हैं कि मैं सभी सृजित प्राणियों और सभी पवित्र मनुष्यों से श्रेष्ठ हूँ, और यह देखते हैं कि मैं जो करता हूँ, उसे मनुष्यों द्वारा नहीं किया जा सकता। इसलिए, यहूदियों से लेकर आज के लोगों तक, जिन्होंने भी मेरे गौरवशाली कर्मों को देखा है, वे मेरे प्रति जिज्ञासा से भर जाते हैं, फिर भी, एक भी सृजित प्राणी अपने मुँह से मेरी गवाही नहीं दे सकता। केवल मेरे पिता ने मेरी गवाही दी थी और सभी सृजित प्राणियों के बीच मेरे लिए मार्ग बनाया था। अगर उसने गवाही न दी होती, तो चाहे मैं जैसा भी काम करता, मनुष्य कभी नहीं जान पाता कि मैं सृष्टि का प्रभु हूँ, क्योंकि मनुष्य केवल मुझसे लेना ही जानता है और मेरे कार्य के परिणामस्वरूप मुझ पर विश्वास नहीं करता। मनुष्य मुझे केवल इसीलिए जानता है, क्योंकि मैं निर्दोष हूँ और किसी भी तरह से पापी नहीं हूँ, क्योंकि मैं अनेक रहस्यों को स्पष्ट कर सकता हूँ, क्योंकि मैं भीड़ से ऊपर हूँ, या क्योंकि मनुष्य ने मुझसे बहुत लाभ प्राप्त किया है, फिर भी कुछ ही लोग हैं, जो यह विश्वास करते हैं कि मैं सृष्टि का प्रभु हूँ। इसीलिए मैं कहता हूँ कि मनुष्य नहीं जानता कि वह मुझ पर क्यों विश्वास करता है; वह मुझ पर विश्वास करने का प्रयोजन या महत्व नहीं जानता। मनुष्य में वास्तविकता की कमी है, इतनी कि मुश्किल से ही वह मेरी गवाही देने के लायक है। तुम लोगों के पास सच्चा विश्वास बहुत ही कम है और तुम लोगों ने बहुत ही कम ग्रहण किया है, इसलिए तुम लोगों के पास बहुत ही कम गवाही है। इतना ही नहीं, तुम लोग बहुत कम समझते हो और तुम सबमें बहुत कमी है, इतनी कि तुम लोग मेरे कर्मों की गवाही देने के लगभग नाकाबिल हो। तुम लोगों का संकल्प सचमुच विचारणीय है, लेकिन क्या तुम लोग निश्चित हो कि तुम परमेश्वर के सार की सफलतापूर्वक गवाही दे सकते हो? जो कुछ तुम लोगों ने अनुभव किया और देखा है, वह हर युग के संतों और पैगंबरों के अनुभवों से बढ़कर है, लेकिन क्या तुम लोग अतीत के इन संतों और पैगंबरों के वचनों से बड़ी गवाही देने में सक्षम हो? अब जो कुछ मैं तुम लोगों को देता हूँ, वह मूसा से बढ़कर और दाऊद से बड़ा है, अतः उसी प्रकार मैं कहता हूँ कि तुम्हारी गवाही मूसा से बढ़कर और तुम्हारे वचन दाऊद के वचनों से बड़े हों। मैं तुम लोगों को सौ गुना देता हूँ—अतः उसी प्रकार मैं तुम लोगों से कहता हूँ मुझे उतना ही वापस करो। तुम लोगों को पता होना चाहिए कि वह मैं ही हूँ, जो मनुष्य को जीवन देता है, और तुम्हीं लोग हो, जो मुझसे जीवन प्राप्त करते हो और तुम्हें मेरी गवाही अवश्य देनी चाहिए। यह तुम लोगों का वह कर्तव्य है, जिसे मैं नीचे तुम लोगों के लिए भेजता हूँ और जिसे तुम लोगों को मेरे लिए अवश्य निभाना चाहिए। मैंने अपनी सारी महिमा तुम लोगों को दे दी है, मैंने तुम लोगों को वह जीवन दिया है, जो चुने हुए लोगों, इजरायलियों को भी कभी नहीं मिला। उचित तो यही है कि तुम लोग मेरे लिए गवाही दो, अपनी युवावस्था मुझे समर्पित कर दो और अपना जीवन मुझ पर कुर्बान कर दो। जिस किसी को मैं अपनी महिमा दूँगा, वह मेरा गवाह बनेगा और मेरे लिए अपना जीवन देगा। इसे मैंने पहले से नियत किया हुआ है। यह तुम लोगों का सौभाग्य है कि मैं अपनी महिमा तुम्हें देता हूँ, और तुम लोगों का कर्तव्य है कि तुम लोग मेरी महिमा की गवाही दो। अगर तुम लोग केवल आशीष प्राप्त करने के लिए मुझ पर विश्वास करते हो, तो मेरे कार्य का ज़्यादा महत्व नहीं रह जाएगा, और तुम लोग अपना कर्तव्य नहीं निभा रहे होगे। इजराइलियों ने केवल मेरी दया, प्रेम और महानता को देखा था, और यहूदी केवल मेरे धीरज और छुटकारे के गवाह बने थे। उन्होंने मेरे आत्मा के कार्य का एक बहुत ही छोटा भाग देखा था; इतना कि तुम लोगों ने जो देखा और सुना है, वह उसका दस हज़ारवाँ हिस्सा ही था। जो कुछ तुम लोगों ने देखा है, वह उससे भी बढ़कर है, जो उनके बीच के महायाजकों ने देखा था। आज तुम लोग जिन सत्यों को समझते हो, वह उनके द्वारा समझे गए सत्यों से बढ़कर है; जो कुछ तुम लोगों ने आज देखा है, वह उससे बढ़कर है जो व्यवस्था के युग में देखा गया था, साथ ही अनुग्रह के युग में भी, और जो कुछ तुम लोगों ने अनुभव किया है, वह मूसा और एलियाह के अनुभवों से कहीं बढ़कर है। क्योंकि जो कुछ इजरायलियों ने समझा था, वह केवल यहोवा की व्यवस्था थी, और जो कुछ उन्होंने देखा था, वह केवल यहोवा की पीठ की झलक थी; जो कुछ यहूदियों ने समझा था, वह केवल यीशु का छुटकारा था, जो कुछ उन्होंने प्राप्त किया था, वह केवल यीशु द्वारा दिया गया अनुग्रह था, और जो कुछ उन्होंने देखा था, वह केवल यहूदियों के घर के भीतर यीशु की तसवीर थी। आज तुम लोग यहोवा की महिमा, यीशु का छुटकारा और आज के मेरे सभी कार्य देख रहे हो। तुम लोगों ने मेरे आत्मा के वचनों को भी सुना है, मेरी बुद्धिमत्ता की तारीफ की है, मेरे चमत्कार देखे हैं, और मेरे स्वभाव के बारे में जाना है। मैंने तुम लोगों को अपनी संपूर्ण प्रबंधन योजना के बारे में भी बताया है। तुम लोगों ने मात्र एक प्यारा और दयालु परमेश्वर ही नहीं, बल्कि धार्मिकता से भरा हुआ परमेश्वर देखा है। तुम लोगों ने मेरे आश्चर्यजनक कामों को देखा है और जान गए हो कि मैं प्रताप और क्रोध से भरपूर हूँ। इतना ही नहीं, तुम लोग जानते हो कि मैंने एक बार इजराइल के घराने पर अपने क्रोध का प्रकोप उड़ेला था, और आज यह तुम लोगों पर आ गया है। तुम लोग यशायाह और यूहन्ना की अपेक्षा स्वर्ग के मेरे रहस्यों को कहीं ज़्यादा समझते हो; पिछली पीढ़ियों के सभी संतों की अपेक्षा तुम लोग मेरी मनोरमता और पूजनीयता को कहीं ज़्यादा जानते हो। तुम लोगों ने केवल मेरे सत्य, मेरे मार्ग और मेरे जीवन को ही प्राप्त नहीं किया है, अपितु मेरी उस दृष्टि और प्रकटीकरण को भी प्राप्त किया है, जो यूहन्ना को प्राप्त दृष्टि और प्रकटीकरण से भी बड़ा है। तुम लोग कई और रहस्य समझते हो, और तुमने मेरा सच्चा चेहरा भी देख लिया है; तुम लोगों ने मेरे न्याय को अधिक स्वीकार किया है और मेरे धर्मी स्वभाव को अधिक जाना है। और इसलिए, यद्यपि तुम लोग इन अंत के दिनों में जन्मे हो, फिर भी तुम लोग पूर्व की और पिछली बातों की भी समझ रखते हो, और तुम लोगों ने आज की चीजों का भी अनुभव किया है, और यह सब मेरे द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया गया था। जो मैं तुम लोगों से माँगता हूँ, वह बहुत ज्यादा नहीं है, क्योंकि मैंने तुम लोगों को इतना ज़्यादा दिया है और तुम लोगों ने मुझमें बहुत-कुछ देखा है। इसलिए, मैं तुम लोगों से कहता हूँ कि सभी युगों के संतों के लिए मेरी गवाही दो, और यह मेरे हृदय की एकमात्र इच्छा है।
मेरे पिता ने सबसे पहले मेरी गवाही दी थी, पर मैं उससे भी बड़ी महिमा और सृजित प्राणियों के मुख से निकले हुए गवाही के वचन प्राप्त करना चाहता हूँ—इसलिए मैं तुम लोगों को अपना सब-कुछ देता हूँ, ताकि तुम अपना कर्तव्य निभा सको, और मनुष्यों के मध्य मेरा कार्य समाप्त हो सके। तुम लोगों को समझना चाहिए कि तुम मुझ पर विश्वास क्यों करते हो; अगर तुम केवल मेरे शिक्षार्थी या मेरे रोगी बनना चाहते हो, या स्वर्ग में मेरे संतों में से एक बनना चाहते हो, तो फिर तुम्हारे द्वारा मेरा अनुसरण करना व्यर्थ होगा। इस तरह मेरा अनुसरण करना केवल ऊर्जा की बरबादी होगा; मुझमें इस प्रकार विश्वास रखना अपनी युवावस्था को गँवाते हुए केवल समय व्यर्थ बिताना होगा। और अंत में तुम लोगों को कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। क्या यह व्यर्थ में परिश्रम करना नहीं है? मैं बहुत पहले ही यहूदियों के बीच से चला गया था और मैं अब मनुष्यों का चिकित्सक या मनुष्यों की औषधि नहीं हूँ। अब मैं मनुष्य के लिए बोझ उठाने वाला जानवर नहीं हूँ, जिसे जब चाहे हाँक या काट दिया जाता है; बल्कि मैं मनुष्यों के बीच उनका न्याय करने और उन्हें ताड़ना देने आया हूँ, ताकि वे मुझे जान सकें। तुम्हें जानना चाहिए कि मैंने एक बार छुटकारे का काम किया था; मैं एक समय यीशु था, लेकिन मैं हमेशा के लिए यीशु नहीं रह सकता था, जैसे कि मैं एक बार यहोवा था, लेकिन बाद में यीशु बन गया। मैं मानव-जाति का परमेश्वर हूँ, सृष्टि का प्रभु हूँ, लेकिन मैं सदा के लिए यीशु और यहोवा बनकर नहीं रह सकता। मनुष्य की दृष्टि में मैं चिकित्सक बनकर रहा, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि परमेश्वर मानव-जाति के लिए मात्र एक चिकित्सक है। इसलिए अगर तुम मेरे प्रति अपने विश्वास में पुराने विचारों को थामे रहोगे, तो तुम कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाओगे। आज तुम चाहे मेरी कैसे भी प्रशंसा क्यों न करो : “परमेश्वर मनुष्य के लिए कितना प्यारा है; वह मुझे चंगा करता है और मुझे आशीष, शांति और आनंद देता है। मनुष्य के लिए परमेश्वर कितना अच्छा है; अगर हम उस पर मात्र विश्वास करते हैं, तो हमें धन-संपत्ति की चिंता करने की जरूरत नहीं है...,” लेकिन मैं अपनी मूल योजना नहीं बिगाड़ सकता। अगर तुम आज मुझ पर विश्वास करोगे, तो तुम्हें केवल मेरी महिमा मिलेगी और अगर तुम मेरी गवाही देने योग्य जाओ, तो बाकी सभी चीजें गौण हो जाएँगी। यह तुम्हें स्पष्ट रूप से जान लेना चाहिए।
अब क्या तुम सच में जानते हो कि तुम मुझ पर क्यों विश्वास करते हो? क्या तुम सच में मेरे कार्य के उद्देश्य और महत्व को जानते हो? क्या तुम सच में अपने कर्तव्य को जानते हो? क्या तुम सच में मेरी गवाही को जानते हो? अगर तुम मुझमें मात्र विश्वास करते हो, और तुममें मेरी महिमा या गवाही नहीं पाई जाती, तो मैंने तुम्हें बहुत पहले ही बाहर निकाल दिया है। जहाँ तक सब-कुछ जानने वालों का सवाल है, वे मेरी आँख के और भी ज्यादा काँटे हैं, और मेरे घर में वे मेरे रास्ते की अड़चनों से ज्यादा कुछ नहीं हैं। मेरे कार्य से पूरी तरह निकाले जाने वाले खरपतवार हैं, वे किसी काम के नहीं हैं, वे बेकार हैं; मैंने लंबे समय से उनसे घृणा की है। अकसर मेरा प्रकोप उन पर टूटता है, जिनके पास गवाही नहीं है, और मेरी लाठी कभी उन पर से नहीं हटती। मैंने बहुत पहले ही उन्हें दुष्ट के हाथों में दे दिया है; वे मेरे आशीषों से वंचित हैं। जब दिन आएगा, उनका दंड मूर्ख स्त्रियों के दंड से भी कहीं ज़्यादा पीड़ादायक होगा। आज मैं केवल वही काम करता हूँ, जो मेरा कर्तव्य है; मैं सारे गेहूँ को उस मोठ घास के साथ गठरियों में बाँधूँगा। आज मेरा यही कार्य है। पछोरने के समय वह सारी मोठ घास मेरे द्वारा पछोर दी जाएगी, और फिर गेहूँ के दानों को भंडार-गृह में इकट्ठा किया जाएगा, और पछोरी गई उस मोठ घास को जलाकर राख कर देने के लिए आग में डाल दिया जाएगा। अब मेरा कार्य मात्र सभी मनुष्यों को एक गठरी में बाँधना है, अर्थात् उन सभी को पूरी तरह से जीतना है। तब सभी मनुष्यों के अंत को प्रकट करने के लिए मैं पछोरना शुरू करूँगा। अतः तुम्हें जानना ही होगा कि अब तुम मुझे कैसे संतुष्ट कर सकते हो और तुम्हें किस तरह मेरे प्रति विश्वास में सही पथ पर आना चाहिए। अब मैं तुम्हारी निष्ठा और समर्पण, तुम्हारा प्रेम और गवाही चाहता हूँ। यहाँ तक कि अगर तुम इस समय नहीं जानते कि गवाही क्या होती है या प्रेम क्या होता है, तो तुम्हें अपना सब-कुछ मेरे पास ले आना चाहिए और जो एकमात्र खजाना तुम्हारे पास है : तुम्हारी निष्ठा और समर्पण, उसे मुझे सौंप देना चाहिए। तुम्हें जानना चाहिए कि मेरे द्वारा शैतान को हराए जाने की गवाही मनुष्य की निष्ठा और समर्पण में निहित है, साथ ही मनुष्य के ऊपर मेरी संपूर्ण विजय की गवाही भी। मुझ पर तुम्हारे विश्वास का कर्तव्य है मेरी गवाही देना, मेरे प्रति वफादार होना, और किसी और के प्रति नहीं, और अंत तक समर्पित बने रहना। इससे पहले कि मैं अपने कार्य का अगला चरण आरंभ करूँ, तुम मेरी गवाही कैसे दोगे? तुम मेरे प्रति वफादार और समर्पित कैसे बने रहोगे? तुम अपने कार्य के प्रति अपनी सारी निष्ठा समर्पित करते हो या उसे ऐसे ही छोड़ देते हो? इसके बजाय तुम मेरे प्रत्येक आयोजन (चाहे वह मृत्यु हो या विनाश) के प्रति समर्पित हो जाओगे या मेरी ताड़ना से बचने के लिए बीच रास्ते से ही भाग जाओगे? मैं तुम्हारी ताड़ना करता हूँ ताकि तुम मेरी गवाही दो, और मेरे प्रति निष्ठावान और समर्पित बनो। इतना ही नहीं, ताड़ना वर्तमान में मेरे कार्य के अगले चरण को प्रकट करने के लिए और उस कार्य को निर्बाध आगे बढ़ने देने के लिए है। अतः मैं तुम्हें समझाता हूँ कि तुम बुद्धिमान हो जाओ और अपने जीवन या अस्तित्व के महत्व को बेकार रेत की तरह मत समझो। क्या तुम सही-सही जान सकते हो कि मेरा आने वाला काम क्या होगा? क्या तुम जानते हो कि आने वाले दिनों में मैं किस तरह काम करूँगा और मेरा कार्य किस तरह प्रकट होगा? तुम्हें मेरे कार्य के अपने अनुभव का महत्व और साथ ही मुझ पर अपने विश्वास का महत्व जानना चाहिए। मैंने इतना कुछ किया है; मैं उसे बीच में कैसे छोड़ सकता हूँ, जैसा कि तुम सोचते हो? मैंने ऐसा व्यापक काम किया है; मैं उसे नष्ट कैसे कर सकता हूँ? निस्संदेह, मैं इस युग को समाप्त करने आया हूँ। यह सही है, लेकिन इससे भी बढ़कर तुम्हें जानना चाहिए कि मैं एक नए युग का आरंभ करने वाला हूँ, एक नया कार्य आरंभ करने के लिए, और, सबसे बढ़कर, राज्य के सुसमाचार को फैलाने के लिए। अतः तुम्हें जानना चाहिए कि वर्तमान कार्य केवल एक युग का आरंभ करने और आने वाले समय में सुसमाचार को फैलाने की नींव डालने तथा भविष्य में इस युग को समाप्त करने के लिए है। मेरा कार्य उतना सरल नहीं है जितना तुम समझते हो, और न ही वैसा बेकार और निरर्थक है, जैसा तुम्हें लग सकता है। इसलिए, मैं अब भी तुमसे कहूँगा : तुम्हें मेरे कार्य के लिए अपना जीवन देना ही होगा, और इतना ही नहीं, तुम्हें मेरी महिमा के लिए अपने आपको समर्पित करना होगा। लंबे समय से मैं उत्सुक हूँ कि तुम मेरी गवाही दो, और इससे भी बढ़कर, लंबे समय से मैं उत्सुक हूँ कि तुम सुसमाचार फैलाओ। तुम्हें समझना ही होगा कि मेरे हृदय में क्या है।