अध्याय 12

अगर तुम्हारा स्वभाव अस्थिर है, हवा और बारिश की तरह इधर-उधर झोंके खा रहा है, और अगर तुम पूरी शक्ति के साथ लगातार आगे नहीं बढ़ सकते, तो मेरी छड़ी कभी तुमसे दूर नहीं होगी। जब तुमसे निपटा जाता है, तब परिवेश जितना ज्यादा प्रतिकूल होगा और जितना ज्यादा तुम्हें सताया जाएगा, उतना ही ज्यादा परमेश्वर के लिए तुम्हारा प्रेम बढ़ेगा, और तुम दुनिया से चिपके रहना बंद कर दोगे। आगे बढ़ने का कोई अन्य मार्ग न होने पर तुम मेरे पास आओगे, और अपनी शक्ति और आत्मविश्वास दोबारा हासिल कर लोगे। जबकि आसान परिवेशों में तुम भ्रमित रहोगे। तुम्हें सकारात्मकता की ओर से प्रवेश करना चाहिए; तुम्हें सक्रिय रहना चाहिए, निष्क्रिय नहीं। तुम्हें किसी भी स्थिति में किसी भी व्यक्ति या वस्तु से विचलित नहीं होना चाहिए, और किसी के भी शब्दों से प्रभावित नहीं होना चाहिए। तुम्हारा स्वभाव स्थिर होना चाहिए; लोग चाहे कुछ भी कहें, तुम्हें फौरन उसी पर अमल करना चाहिए जिसे तुम सत्य के रूप में जानते हो। तुम्हारे भीतर मेरे वचन सदैव कार्यरत रहने चाहिए, फिर चाहे तुम्हारे सामने कोई भी हो; तुम्हें मेरे लिए अपनी गवाही में दृढ़ और मेरे दायित्वों के प्रति विचारशील रहना चाहिए। तुम्हें बिना अपने विचारों के, लोगों से आँख मूँदकर सहमत नहीं होना चाहिए; बल्कि तुम में खड़े होकर उन चीजों का विरोध करने का साहस होना चाहिए, जो सत्य के अनुरूप न हों। अगर तुम स्पष्ट रूप से जानते हो कि कुछ गलत है, फिर भी तुममें उसे उजागर करने का साहस न हो, तो तुम सत्य का अभ्यास करने वाले व्यक्ति नहीं हो। तुम कुछ कहना चाहते हो, लेकिन तुरंत कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाते, तुम बातों को गोल-गोल घुमाते रहते हो और फिर विषय को बदल देते हो; तुम्हारे अंदर का शैतान तुम्हें रोक रहा है, जिससे तुम जो बोलते हो उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता और तुम अंत तक टिके रहने में असमर्थ हो जाते हो। तुम्हारे दिल में अभी भी डर बैठा हुआ है और क्या इसकी वजह यह नहीं है कि तुम्हारा दिल अब भी शैतान के विचारों से भरा हुआ है?

विजेता क्या होता है? मसीह के अच्छे सैनिकों को बहादुर होना चाहिए और आध्यात्मिक रूप से मजबूत होने के लिए मुझ पर निर्भर रहना चाहिए; उन्हें योद्धा बनने के लिए लड़ना चाहिए और मृत्युपर्यंत शैतान से युद्ध करना चाहिए। तुम्हें हमेशा जागते रहना चाहिए, और यही कारण है कि मैं तुमसे हर क्षण अपने साथ सक्रिय रूप से सहयोग करने और अपने करीब आना सीखने के लिए कहता हूँ। अगर तुम मेरा व्याख्यान सुनते और मेरे वचनों और कार्यों पर ध्यान देते हुए हर समय और हर परिस्थिति में मेरे सामने शांत रह पाते हो, तो तुम विचलित नहीं होगे और अपनी जगह पर टिके रहोगे। जो भी तुम्हें मेरे भीतर से प्राप्त होता है, उसका अभ्यास किया जा सकता है। मेरा हर वचन तुम्हारी अवस्था की ओर निर्देशित है और वह तुम्हारे दिल भेद देता है। भले ही तुम उन्हें अपने मुँह से नकार दो, लेकिन दिल से नहीं नकार नहीं सकते। इतना ही नहीं, अगर तुम मेरे वचनों की जाँच-पड़ताल करते हो, तो तुम्हारा न्याय किया जाएगा। अर्थात्, मेरे वचन सत्य, जीवन और मार्ग हैं; वे एक तेज, दोधारी तलवार हैं, और वे शैतान को पराजित कर सकते हैं। जो लोग मेरे वचनों को समझते हैं और जिनके पास उन्हें अभ्यास में लाने का मार्ग है, वे धन्य हैं, और जो उनका अभ्यास नहीं करते, उनका न्याय निश्चित रूप से किया जाएगा; यह बहुत ही व्यावहारिक है। आजकल, जिन लोगों का मैं न्याय करता हूँ, उनका दायरा बढ़ गया है : मेरे समक्ष न केवल उनका न्याय किया जाएगा जो मुझे जानते हैं, बल्कि जो मुझ पर विश्वास नहीं करते और जो पवित्र आत्मा के कार्य का विरोध करने और उसे बाधित करने का भरसक प्रयास करते हैं, उनका भी न्याय होगा। जो लोग मेरे सामने हैं, जो मेरे पदचिह्नों का अनुसरण करते हैं, वे सभी यह देखेंगे कि परमेश्वर एक प्रचंड आग है! परमेश्वर सम्राट है! वह अपना न्याय कर रहा है और उन्हें मृत्युदंड दे रहा है। कलीसिया में जो लोग पवित्र आत्मा के कार्य का पालन करने पर ध्यान नहीं देते, जो कार्य को बाधित करते हैं, जो झूठी शान दिखाते हैं, जिनके इरादे और लक्ष्य गलत हैं, जो परमेश्वर के वचनों को खाने-पीने का प्रयास नहीं करते, जो उलझन में रहते हैं या शंका करते हैं, जो पवित्र आत्मा के कार्य की जाँच-पड़ताल करते हैं—न्याय के वचन किसी भी समय उनके पास पहुँचेंगे। लोगों के सभी काम प्रकट किए जाएँगे। पवित्र आत्मा लोगों के अंतरतम की जाँच करता है, इसलिए नासमझ न बनो; सावधान और सजग रहो। आँख मूँदकर कार्य न करो। अगर तुम्हारे कार्य मेरे वचनों के अनुसार न हुए, तो तुम्हारा न्याय किया जाएगा। नकल करने, दिखावटी होने, या वास्तव में न समझने से काम नहीं चलेगा; तुम्हें अकसर मेरे सामने आकर मुझसे संवाद करना चाहिए।

जो भी तुम मेरे भीतर से लेते हो, वह तुम्हें अभ्यास का एक मार्ग देगा। तुम्हारे साथ मेरी शक्तियाँ भी होंगी, मेरी उपस्थिति होगी, और तुम हमेशा मेरे वचनों में चलोगे; तुम समस्त सांसारिक चीजों ऊपर उठ जाओगे, और पुनरुत्थान की शक्ति प्राप्त कर लोगे। अगर तुम्हारे शब्दों, व्यवहार और कार्यों में मेरे वचन और मेरी उपस्थिति नहीं है, और अगर तुम मुझसे दूर होकर अपने ही भीतर रहते हो, अपने ही मन की धारणाओं, और सिद्धांतों और नियमों में रहते हो, तो यह इस बात का प्रमाण है कि तुम अपना मन पापों पर लगाए हुए हो। दूसरे शब्दों में, तुम अपने पुराने अहं को थामे रहते हो और दूसरों को अपने अहं को चोट या अपनी आत्मा को थोड़ी-सी भी हानि नहीं पहुँचाने देते। जो लोग ऐसा करते हैं, उनकी क्षमता बहुत कमजोर होती है और वे बहुत बेतुके होते हैं, और वे परमेश्वर का अनुग्रह नहीं देख पाते, न ही उसके आशीष पहचान पाते हैं। अगर तुम टालमटोल वाला व्यवहार जारी रखते हो, तो तुम मुझे अपने भीतर काम करने देने लायक कब बनोगे? जब मैं बोलना समाप्त करता हूँ, तो तुम मुझे सुनते तो हो लेकिन याद कुछ नहीं रखते, और जब तुम्हारी समस्याएँ वास्तव में बताई जाती हैं, तब तुम विशेष रूप से कमजोर बन जाते हो। यह किस तरह का आध्यात्मिक कद है? जब तुम्हें सदैव मनाना पड़ता है, तो मैं तुम्हें पूर्ण कब करूँगा? अगर तुम धक्कों और खरोंचों से डरते हो, तो तुम्हें दौड़कर दूसरों को चेतावनी देनी चाहिए, “मैं किसी को भी अपने से निपटने नहीं दूँगा, मैं खुद ही अपने प्राकृतिक, पुराने स्वभाव से छुटकारा पा सकता हूँ।” इस तरह, कोई तुम्हारी आलोचना नहीं करेगा या तुम्हें छेड़ेगा नहीं, और तुम जिस तरह चाहो उस तरह विश्वास करने के लिए स्वतंत्र होगे, कोई तुम्हारी परवाह नहीं करेगा। क्या तुम इस तरह मेरे पदचिह्नों पर चल सकते हो? यह दावा करना कि मैं तुम्हारा परमेश्वर और प्रभु हूँ, खोखले शब्दों के सिवा कुछ नहीं है। अगर तुम वास्तव में संदेहरहित होते, तो ये चीजें कोई समस्या न होतीं, और तुम्हें विश्वास होता कि यह परमेश्वर का प्रेम और आशीष है, जो तुम पर आया है। जब मैं बोलता हूँ, तो अपने पुत्रों से बोलता हूँ, और मेरे वचनों को धन्यवाद और प्रशंसा मिलनी चाहिए।

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