अध्याय 60

जीवन का विकास कोई आसान बात नहीं है; इसके लिए एक प्रक्रिया की आवश्यकता होती है, और इससे भी अधिक, ज़रूरी यह है कि तुम लोग इसकी कीमत चुका सको और पूरी सहमति के साथ मेरा सहयोग करो, और तब तुम्हें मेरी प्रशंसा प्राप्त होगी। मेरे वचनों से आकाश और पृथ्वी एवं सभी चीज़ें स्थापित और पूर्ण की गई हैं और मेरे साथ कोई भी चीज़ हासिल की जा सकती है। मेरी एकमात्र इच्छा यह है कि तुम लोग शीघ्र विकास करो, मेरे कंधों से बोझ लेकर अपने ऊपर रख लो, मेरे लिए मेरा श्रम करो, और यह मेरे दिल को संतुष्ट करेगा। कौन पुत्र अपने पिता के बोझ को अस्वीकार करेगा? कौन पिता अपने पुत्र के लिए दिन-रात श्रम नहीं करेगा? लेकिन तुम लोग मेरी इच्छा को समझते ही नहीं, और तुम्हें मेरे बोझ की चिंता नहीं है; मेरे वचन तुम लोगों के लिए कोई मायने नहीं रखते और तुम मेरे वचनों के अनुसार कार्य नहीं करते हो। तुम लोग हमेशा अपने मालिक स्वयं हो; कितने स्वार्थी हो! तुम केवल अपने बारे में सोचते हो!

क्या तुम वास्तव में मेरी इच्छा समझते हो या नाटक कर रहे कि तुम्हें समझ नहीं आ रहा है? तुम हमेशा अपने व्यवहार में इतने लापरवाह क्यों हो? क्या तुम्हारा ज़मीर यह कहता है कि इस तरह व्यवहार कर तुम मेरे साथ सही कर रहे हो? बीमारी का कारण पता चल जाने पर तुम इलाज के लिए मुझसे बात क्यों नहीं करते? मैं तुम्हें बताऊंगा : आज से अब कभी तुम्हारे शरीर में कोई भी रोग नहीं होगा। यदि तुम्हारा कोई भी अंग कभी अस्वस्थ महसूस करता है, तो किसी बाहरी कारण की तलाश में व्यस्त न रहो। इसके बजाय, मेरे पास आओ और मेरा इरादा जानने का प्रयास करो—क्या तुम्हें यह याद रहेगा? यह मेरा वादा है : इस दिन से तुम पूरी तरह अपने भौतिक शरीर से दूर जाकर आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश करोगे, यानी, तुम लोगों के शरीर पर बीमारी का कोई बोझ नहीं होगा। क्या तुम इससे ख़ुश हो? क्या तुम्हें आनंद महसूस हो रहा? यह मेरा वादा है। इससे भी अधिक, यह वह चीज है जिसकी अपेक्षा तुम्हें लंबे समय से थी। आज तुम धन्य लोगों ने यह हासिल कर लिया है; कितना अद्भुत और अपरिमेय है यह!

मेरा काम दिन-रात प्रगति कर रहा है; पल-प्रतिपल, यह कभी रुकता नहीं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मेरी तत्काल इच्छा है कि मैं तुम्हें अपने दिल के अनुरूप बना लूं और मेरे दिल को तुम लोग शीघ्र ही सांत्वना दो। मेरे बेटों! समय आ गया है कि तुम लोग अच्छाई के मेरे आशीषों को साझा करो! अतीत में, तुम लोगों ने मेरे नाम के लिए पीड़ा सही थी, लेकिन अब तुम लोगों के परीक्षण के दिन समाप्त हो गए हैं। यदि किसी ने भी मेरे बेटों के सिर के एक बाल को भी नुकसान पहुँचाने की हिम्मत की, तो मैं उन्हें आसानी से माफ़ नहीं करूँगा, न ही वे फिर कभी दोबारा ऊपर उठने में समर्थ होंगे। यह मेरा प्रशासनिक आदेश है और जो भी इसका उल्लंघन करेगा वह ऐसा अपने जोखिम पर करेगा। मेरे बेटों! दिल के संतुष्ट होने तक आनंद उठाओ! ख़ुशी में गाओ और चिल्लाओ! तुम लोगों को अब धमकाया और उत्पीड़ित नहीं किया जाएगा और तुम लोगों पर अत्याचार नहीं किया जाएगा। मुझ पर अपने विश्वास के लिए तुम्हें अब कभी डरना नहीं होगा; तुम्हें अपने भरोसे की सार्वजनिक घोषणा कर देनी चाहिए। मेरे पवित्र नाम को इतनी ज़ोर से पुकारो कि ब्रह्मांड और पृथ्वी का कोना-कोना कंपित हो उठे। वे देखें कि जिन्हें वे तुच्छ समझते थे, जिन्हें उनके द्वारा तबाही और अत्याचार का सामना करना पड़ा, आज वे उनसे ऊपर पहुंच कर उन पर शासन कर रहे, उन्हें नियंत्रित कर रहे, और, इससे भी महत्त्वपूर्ण, उनपर फैसला दे रहे हैं।

तुम लोग केवल अपनी प्रविष्टि के बारे में चिंता करो, और मैं तुम लोगों पर इससे भी बेहतर आशीष बरसाऊंगा ताकि तुम लोग उनका आनंद उठा सको, और अप्रतिम माधुर्य, असीम रहस्यों और अथाह गहराई का बेहतर आस्वाद पा सको!

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परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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