316 मैं अपना जीवन परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के साथ बिताने को तैयार हूँ
1 हे परमेश्वर! तेरा प्रेम कितना अनमोल और सुंदर है; मैं उस बुरे के हाथों में जीने को कैसे तैयार रह सकता हूँ? क्या मुझे तूने नहीं बनाया? मैं शैतान की सत्ता के अधीन कैसे रह सकता हूँ? मैं उस बुरे की सत्ता के अधीन रहने के बजाय तेरी ताड़ना के बीच रहना अधिक पसंद करूँगा। जब तक मुझे शुद्ध बनाया जा सके तो मैं अपना तन और हृदय तेरे न्याय और ताड़ना की भेंट चढ़ाने को तैयार हूँ, और मैं अपना सब कुछ तुझे अर्पित कर सकता हूँ क्योंकि मैं शैतान से घृणा करता हूँ, मैं उसकी सत्ता के अधीन जीने को तैयार नहीं हूँ। मेरा न्याय करके तू अपना धार्मिक स्वभाव दर्शाता है; मैं पूरी तरह तैयार हूँ और मुझे जरा-सी भी शिकायत नहीं है। जब तक मैं एक सृजित प्राणी होने का कर्तव्य अच्छे से निभा सकूँ, तो मैं तैयार हूँ कि मेरे संपूर्ण जीवन में तेरे न्याय का साथ रहे, जिससे मैं तेरे धार्मिक स्वभाव को जान लूँ और उस बुरे के प्रभाव से अपने-आपको छुड़ा लूँ।
2 यद्यपि मैं तेरी ताड़ना और तेरे न्याय के बीच रहता हूँ, फिर चाहे यह कितना ही कष्टदायक क्यों न हो, मैं शैतान की सत्ता के अधीन नहीं जीना चाहता, मैं शैतान के छल-कपट के अधीन नहीं जीना चाहता। मैं तेरे अभिशापों के बीच जी कर आनंद महसूस करता हूँ और शैतान के आशीषों में जीकर पीड़ा महसूस करता हूँ। तेरे न्याय के बीच जीते हुए मैं तुझसे प्रेम करता हूँ और यह मुझे अत्यंत आनंद से भर देता है। तेरी ताड़ना और न्याय धार्मिकता और पवित्रता हैं; यह मुझे शुद्ध करने और बचाने के लिए है। मैं एक पल भी शैतान की सत्ता के अधीन रहने के बजाय अपना सारा जीवन तेरे न्याय में बिताना और तेरी देखरेख पाना पसंद करूँगा। मैं तेरे द्वारा शुद्ध होना चाहता हूँ; भले ही मुझे दुख भोगना पड़े, मैं शैतान से शोषित होने और धोखा खाने को तैयार नहीं हूँ।
3 मुझ सृजित प्राणी को तेरे द्वारा इस्तेमाल किया जाना चाहिए, तेरा हो जाना चाहिए; मेरा न्याय भी तेरे द्वारा किया जाना चाहिए, तेरे द्वारा मुझे ताड़ना दी जानी चाहिए, यहाँ तक कि तेरे द्वारा शापित भी किया जाना चाहिए। जब तू मुझे आशीष देने की इच्छा करता है तो मेरा हृदय प्रसन्न हो उठता है, क्योंकि मैं तेरे प्रेम को देख चुका हूँ। तू सृष्टिकर्ता है और मैं एक सृजित प्राणी हूँ : तुझको धोखा देकर मुझे शैतान की सत्ता के अधीन नहीं रहना चाहिए, न ही मुझे शैतान के हाथों शोषित होना चाहिए। शैतान के लिए जीने के बजाय मुझे तेरा घोड़ा या बैल बन जाना चाहिए। मैं तो तेरी ताड़ना के बीच दैहिक सुख के बिना जीना पसंद करूँगा; भले ही मैं तेरा अनुग्रह गँवा दूँ, मैं अब भी तेरी ताड़ना और तेरे न्याय से आनन्द हासिल करूँगा। यह तेरा सर्वोत्तम आशीष है, तेरा सबसे बड़ा अनुग्रह है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पतरस के अनुभव : ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान