179  परीक्षण माँग करते हैं आस्था की

1  परीक्षणों से गुजरते समय लोगों का कमजोर होना या उनके भीतर नकारात्मकता आना या परमेश्वर के इरादों या अभ्यास के मार्ग के बारे में स्पष्टता का अभाव होना सामान्य बात है। लेकिन कुल मिलाकर तुम्हें परमेश्वर के कार्य पर आस्था होनी चाहिए और अय्यूब की तरह तुम्हें भी परमेश्वर को नकारना नहीं चाहिए। यद्यपि अय्यूब कमजोर था और अपने जन्म के दिन को धिक्कारता था, उसने इस बात से इनकार नहीं किया कि जन्म के बाद लोगों के पास जो भी चीजें होती हैं वे सब यहोवा द्वारा दी जाती हैं और यहोवा ही उन्हें ले भी लेता है। उसे चाहे जिन परीक्षणों से गुजारा गया, उसने यह विश्वास बनाए रखा।

2  अपने अनुभवों में, लोग परमेश्वर के वचनों के चाहे जिस भी शोधन से गुजरें, परमेश्वर कुल मिलाकर जो चाहता है वह है उनकी आस्था और परमेश्वर-प्रेमी हृदय। इस तरह से कार्य करके वह जिस चीज को पूर्ण बनाता है, वह है लोगों की आस्था, प्रेम और दृढ़ निश्चय। परमेश्वर लोगों पर पूर्णता का कार्य करता है और वे इसे देख नहीं सकते, छू नहीं सकते; ऐसी परिस्थितियों में आस्था आवश्यक होती है। जब कोई चीज नग्न आँखों से न देखी जा सकती हो, तब आस्था आवश्यक होती है। जब तुम अपनी धारणाएँ नहीं छोड़ पाते, तब आस्था आवश्यक होती है। जब तुम परमेश्वर के कार्य के बारे में स्पष्ट नहीं होते तो यही अपेक्षा की जाती है कि तुम आस्था रखो, ठोस रुख अपनाए रखो और अपनी गवाही में अडिग रहो। जब अय्यूब इस मुकाम पर पहुँच गया तो परमेश्वर उसके सामने प्रकट हुआ और उससे बोला। यानी जब तुममें आस्था होगी, तभी तुम परमेश्वर को देखने में समर्थ हो पाओगे। और जब तुम्हारे पास आस्था होगी तो परमेश्वर तुम्हें पूर्ण बनाएगा।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जिन्हें पूर्ण बनाया जाना है उन्हें शोधन से गुजरना होगा

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