153  परमेश्वर के समक्ष अपने हृदय को शांत रखने के फ़ायदे

1

ईश्वर के आगे आने, उसके वचनों को जीवन बनाने,

तुम्हें पहले शांत होना होगा उसके सामने।

जब शांत हो तुम, तभी करे वो तुम्हें प्रबुद्ध और समझाये।

जितना शांत होता कोई परमेश्वर के सामने,

उतनी ही प्रबुद्धता वो उससे पाए।

तो होनी चाहिए इंसान में श्रद्धा और भक्ति—पूर्णता का रास्ता है यही।

जब तुम सच में परमेश्वर के सामने शांत होगे

आज के उसके वचन तुम तभी समझोगे,

पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता को ठीक से अमल में लाओगे,

परमेश्वर के इरादों को साफ़ समझोगे,

तुम्हारी सेवा में होगी एक स्पष्ट दिशा,

प्रेरणा और अगुआई को समझोगे, पवित्र आत्मा की,

और मार्गदर्शन में जियोगे, पवित्र आत्मा के।

परमेश्वर के सामने शांत रहने से मिलते हैं ये नतीजे।


2

आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश का तरीका, है परमेश्वर के सामने शांत होना।

तुम्हारा आध्यात्मिक अभ्यास होगा प्रभावी, जब होगे उसके सामने शांत तुम।

जो न कर सके खुद को शांत तुम, तो पवित्र आत्मा का काम ना पा सकोगे तुम।

जब तुम सच में परमेश्वर के सामने शांत होगे

आज के उसके वचन तुम तभी समझोगे,

पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता को ठीक से अमल में लाओगे,

परमेश्वर के इरादों को साफ़ समझोगे,

तुम्हारी सेवा में होगी एक स्पष्ट दिशा,

प्रेरणा और अगुआई को समझोगे, पवित्र आत्मा की,

और मार्गदर्शन में जियोगे, पवित्र आत्मा के।

परमेश्वर के सामने शांत रहने से मिलते हैं ये नतीजे।


3

जब लोग स्पष्ट नहीं होते, ईश वचन के बारे में,

होते बिन अभ्यास-मार्ग के, उसके इरादे नहीं समझते,

काम करने के सिद्धांत जब उनमें नहीं होते,

ये सब होता है क्योंकि शांत नहीं उनका दिल ईश्वर के आगे।

जब तुम सच में परमेश्वर के सामने शांत होगे

आज के उसके वचन तुम तभी समझोगे,

पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता को ठीक से अमल में लाओगे,

परमेश्वर के इरादों को साफ़ समझोगे,

तुम्हारी सेवा में होगी एक स्पष्ट दिशा,

प्रेरणा और अगुआई को समझोगे, पवित्र आत्मा की,

और मार्गदर्शन में जियोगे, पवित्र आत्मा के।

परमेश्वर के सामने शांत रहने से मिलते हैं ये नतीजे।

शांत रहने का उद्देश्य है, गंभीर, व्यावहारिक बनना,

ईश-वचनों पर स्पष्ट होना, और अंत में, सत्य समझना और ईश्वर को जानना।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के समक्ष अपने हृदय को शांत रखने के बारे में से रूपांतरित

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