86 अंत के दिनों में हासिल करता है सब परमेश्वर मुख्यतः वचनों से
1 अंत के दिनों में जब परमेश्वर देहधारी होता है, सब कुछ संपन्न और प्रकट करने के लिए वह मुख्य रूप से वचन का उपयोग करता है। केवल उसके वचनों में ही तुम देख सकते हो कि परमेश्वर का स्वरूप क्या है; केवल उसके वचनों में ही तुम देख सकते हो कि वह स्वयं परमेश्वर है। जब देहधारी परमेश्वर पृथ्वी पर आता है, वह वचन बोलने के अलावा कोई अन्य कार्य नहीं करता—इसलिए तथ्यों की कोई आवश्यकता नहीं है; वचन पर्याप्त हैं।
2 परमेश्वर मुख्य रूप से वचनों का कार्य करने के लिए आया है, ताकि मनुष्य को अपने वचनों में अपनी सामर्थ्य और सर्वोच्चता देखने दे, ताकि मनुष्य को अपने वचनों में अपनी विनम्रता और गोपनीयता देखने दे, और ताकि मनुष्य को अपने वचनों से अपनी समग्रता जानने दे। जो उसके पास है और जो वह स्वयं है, सब उसके वचनों में निहित है। उसकी बुद्धि और चमत्कारिकता उसके वचनों में है। इसमें तुम्हें वे कई तरीके दिखाए जाते हैं, जिनके द्वारा परमेश्वर अपने वचन बोलता है।
3 अंत के दिनों में परमेश्वर पृथ्वी पर वचन की सेवकाई करने के लिए आया है, ताकि मानवजाति उसे जान सके, और ताकि मानवजाति यह देख सके कि परमेश्वर का स्वरूप क्या है, और उसके वचनों से उसकी बुद्धि और उसके सभी अद्भुत कर्म देख सके। राज्य के युग के दौरान परमेश्वर समस्त मानवजाति को जीतने के लिए मुख्य रूप से वचन का उपयोग करता है। भविष्य में उसके वचन हर धर्म, क्षेत्र, देश और संप्रदाय पर भी आएँगे; परमेश्वर वचनों का उपयोग जीतने के लिए और सभी मनुष्यों को यह दिखाने के लिए करता है कि उसके वचन अधिकार और शक्ति वहन करते हैं— और इसलिए आज तुम केवल परमेश्वर के वचन का सामना करते हो।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के वचन के द्वारा सब-कुछ प्राप्त हो जाता है