34  सब-कुछ परमेश्वर के हाथ में है

जैसा कि मैंने पहले कहा है : मैं जो कहता हूँ उसका मतलब वही होता है और जो कहता है वही होगा और कोई इसे बदल नहीं सकता।

1  चाहे वे मेरे द्वारा अतीत में कहे गए वचन हों या भविष्य में कहे जाने वाले, मैं उन सबको एक-एक करके सच कर दूँगा, और समस्त मानवजाति को इसे सच होते हुए दिखाऊँगा। यह मेरे वचनों और कार्य के पीछे का सिद्धांत है। ब्रह्मांड में घटित होने वाली समस्त चीजों में से ऐसी कोई चीज नहीं है, जिसमें मेरी बात आखिरी न हो। क्या कोई ऐसी चीज है, जो मेरे हाथ में न हो? जो कुछ मैं कहता हूँ, वह किया जाता है, और मनुष्यों के बीच कौन है, जो मेरे मन को बदल सकता है? क्या यह मेरे द्वारा पृथ्वी पर बनाई गई वाचा हो सकती है? कोई भी चीज मेरी योजना के आगे बढ़ने में बाधा नहीं डाल सकती।

2  हर समय, मैं अपना कार्य कर रहा हूँ, और हर समय मैं अपने प्रबंधन की योजना बना रहा हूँ। मनुष्यों में से कौन इसमें हस्तक्षेप कर सकता है? क्या मैंने स्वयं ही व्यक्तिगत रूप से ये व्यवस्थाएँ नहीं की हैं? आज इस क्षेत्र में प्रवेश करना, मेरी योजना या मेरे पूर्वानुमान से बाहर नहीं है; यह सब बहुत पहले मेरे द्वारा निर्धारित किया गया था। तुम लोगों में से कौन मेरी योजना के इस चरण की थाह पा सकता है? मेरे लोग निश्चित ही मेरी आवाज सुनेंगे, और हर वह आदमी, जो ईमानदारी से मुझसे प्रेम करता है, निश्चित ही मेरे सिंहासन के सामने लौट आएगा।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 1

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