प्रश्न 11: तुम गवाही देते हो कि यीशु और सर्वशक्तिमान परमेश्वर दोनों ही पहले और अंतिम मसीह हैं। हमारी चीनी कम्युनिस्ट सरकार इस बात को नहीं मानती, "द इंटरनेशनेल" में उसने साफ कहा है, "संसार में कोई उद्धारकर्ता कभी नहीं रहा।" तुम रक्षक मसीह की वापसी की गवाही पर ज़ोर देते हो। तो चीनी कम्युनिस्ट सरकार तुम्हारी निंदा क्यों न करे? हमारे विचार से, यीशु जिनमें ईसाई विश्वास करते हैं, एक आम व्यक्ति थे। यहाँ तक कि उन्हें सूली पर भी चढ़ा दिया गया था। यहूदी तक उन्हें मसीह नहीं मानते हैं। अंत के दिनों के जिन देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की तुम गवाही देते हो वे भी तो एक आम इंसान ही हैं। चीनी कम्युनिस्ट सरकार के दस्तावेज़ों से यह साफ़ पता चलता है कि उनका एक उपनाम और पहला नाम है। यह भी एक सच है। तुम एक आम इंसान के मसीह होने की, परमेश्वर के प्रकटन होने की, गवाही क्यों देते हो? यह सच में अजीब है! इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किसी सत्य और अंत के दिनों में किए गए न्याय के कार्य की गवाही तुम कैसे देते हो, हमारी चीनी कम्युनिस्ट सरकार कभी इस बात को नहीं मानेगी कि यह व्यक्ति परमेश्वर है। मुझे लगता है कि तुम भी ईसाई धर्म, कैथोलिक धर्म, और पूर्वी परंपरावादी के लोगों में से एक हो जो यीशु में विश्वास करते हैं, एक व्यक्ति को परमेश्वर मानना, क्या यह नासमझी नहीं है? परमेश्वर और परमेश्वर का प्रकटन और उनका कार्य दरअसल क्या है? क्या केवल सत्य को व्यक्त करना और परमेश्वर का कार्य करना, सच्चे परमेश्वर का प्रकट होना है? यह हम कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। अगर परमेश्वर चमत्कार और करिश्मा करके चीनी कम्युनिस्ट सरकार और उन सभी को जो उनका विरोध करते है, उनको नष्ट कर दें, तब हम उन्हें एक सच्चे परमेश्वर के रूप में मानेंगे। अगर परमेश्वर बादलों में प्रकट होते हैं, और ऐसे गरजते है कि जो पूरी मनुष्य जाति को भयभीत कर दे, वह परमेश्वर का प्रकटन होता है। तब हमारी चीनी कम्युनिस्ट सरकार उन्हें मानेगी। नहीं तो चीनी कम्युनिस्ट सरकार कभी स्वीकार नहीं करेगी कि परमेश्वर है।

उत्तर: मुझे समझ नहीं आता, चीनी कम्युनिस्ट सरकार परमेश्वर का इतना विरोध क्यों कर रही है? वह परमेश्वर के अस्तित्व को मानती क्यों नहीं? वह विशेष रूप से देहधारी मसीह से नफ़रत क्यों करती है? चीनी कम्युनिस्ट सरकार प्रभु यीशु और सर्वशक्तिमान परमेश्वर को एक आम इंसान क्यों बताती है, और मसीह के दिव्य सार को अस्वीकार क्यों करती है? आप सभी कम्युनिस्ट लोग नास्तिक हैं। आप परमेश्वर के अस्तित्व को नहीं मानते। आप परमेश्वर के देहधारण करने के रहस्य को कैसे जान सकते हैं? क्या यह प्रभु यीशु का देह धारण कर के एक इंसान के रूप में प्रकट होना नहीं है? उनका केवल एक वचन मरे हुए को फिर से ज़िंदा और हवाओं और लहरों को शांत कर सकता है। वे केवल पांच रोटी और दो मछली से पांच हज़ार लोगों का पेट भर सकते हैं। क्या यह परमेश्वर की ताकत और उनका प्रभुत्व नहीं है? अन्दर परमेश्वर की आत्मा के बिना, क्या कोई मनुष्य इस तरह का चमत्कार और करिश्मा कर सकता है? जब प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया, तो सूली के माध्यम से मनुष्य जाति को बचाने की यह स्वयं परमेश्वर की इच्छा थी। जब प्रभु यीशु मौत से उठे, और लोगों के सामने प्रकट हुए और स्वर्ग गए, तो वह परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता थी। आप सत्य को व्यक्त और परमेश्वर का कार्य करने वाले व्यक्ति को मसीह और स्वयं परमेश्वर नहीं मानते। तो फिर मुझे बताइये, देहधारी मसीह के सिवा, ऐसा कौन हो सकता है जो सत्य को व्यक्त और परमेश्वर के कार्य को कर सकता है? चाहे लोग इस पर विश्वास करें या नहीं, इस सच को नकारा नहीं जा सकता कि इंसान के उद्धार के लिए परमेश्वर ने देह धारण और सत्य व्यक्त किया है। जो सत्य से नफ़रत करते और उसे तुच्छ समझते हैं, वही मसीह को अस्वीकार करते और उनका विरोध करते हैं। जिन्हें सत्य से प्यार है, केवल वही परमेश्वर और उनके कार्य को मान सकते हैं। याद कीजिये, जब प्रभु यीशु कार्य कर रहे थे, तो यहूदी नेताओं ने बेतहाशा उनका विरोध किया था और देहधारी प्रभु यीशु की निंदा की थी। यहूदी लोगों ने भी प्रभु यीशु को अस्वीकार कर दिया था। लेकिन प्रभु यीशु द्वारा मनुष्य जाति की उद्धार की सच्चाई फिर भी दुनिया भर में फैली। दुनिया भर के देशों में बहुत-से लोग प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं। हर जगह ईसाई कलीसिया पायी जाती हैं। आंकड़ों के अनुसार, आज दो करोड़ से ज़्यादा लोग प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं। इससे साबित होता कि प्रभु यीशु ही मसीह और रक्षक हैं। इसे नकारना बेकार है। अंत के दिनों में देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मनुष्य जाति की शुद्धि और उद्धार के लिए सभी सत्य व्यक्त किये थे, और परमेश्वर के घर से न्याय का कार्य शुरू किया था। उनके कार्य के दौरान, वे शैतानी चीनी कम्युनिस्ट सरकार और मसीह-विरोधी ताकतों के पूरे विरोध और निंदा के पात्र बने। लेकिन केवल 20 सालों में ही, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार मुख्य चीन में चारों ओर फैल गया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने चीन में अपनी पहली सफलता के रूप में विजेताओं का पहला समूह बना लिया है। अब, सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा कहे गए वचन और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया द्वारा बनाये गए कई वीडियो इन्टरनेट पर पोस्ट किए गए हैं। अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा किए गए कार्यों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों ने पढ़ना शुरू कर दिया है। क्या यह सब करना किसी इंसान के बस की बात है? इस तरह का परिणाम केवल किसी पवित्र आत्मा के कार्यों के निर्देशों से ही पाया जा सकता है। इस संसार में ऐसा कौन है जो सत्य को व्यक्त कर सके और ऐसे कार्य कर सके जो इंसान को जीत सके और उनकी रक्षा कर सके? किसका कार्य पूरी मानव जाति तक फैल सकता है? देहधारी मसीह के सिवा कोई भी यह कार्य नहीं कर सकता। यह हमें परमेश्वर के वचन की ताकत और प्रभुत्व, उनकी सर्वशक्तिमत्ता, ज्ञान और अद्भुत कार्य को समझने और देखने में मदद करता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर देहधारी परमेश्वर, अंत के दिनों के मसीह का प्रकटन हैं। यह बिलकुल सत्य है।

परमेश्वर ने सत्य को बताने और अपने कार्यों को करने के लिए देहधारण किया है। इसे इंसान की इच्छा से बदला नहीं जा सकता है। चाहे आप परमेश्वर के देहधारण को माने या नहीं, परमेश्वर का कार्य रुक नहीं सकता। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर का कार्य एक ज़बरदस्त लहर के समान उमड़ता है। उसे कोई नहीं रोक सकता, और कोई भी उसके प्रयाण को बाधित नहीं कर सकता। केवल वे लोग ही उसके पदचिह्नों का अनुसरण कर सकते हैं और उसकी प्रतिज्ञा प्राप्त कर सकते हैं, जो उसके वचन सावधानीपूर्वक सुनते हैं, और उसकी खोज करते हैं और उसके लिए प्यासे हैं। जो ऐसा नहीं करते, वे ज़बरदस्त आपदा और उचित दंड के भागी होंगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है)। अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर का न्याय का कार्य समाप्त होने वाला है। आपदा आने वाली है। परमेश्वर को नकारने और उनका विरोध करने वाले नष्ट हो जायेंगे। और तब सर्वशक्तिमान परमेश्वर को पहचानना बेकार होगा और बहुत देर हो चुकी होगी। केवल वही जिन्होंने अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय द्वारा शुद्धि पा ली है और संपूर्ण बन गए हैं आपदा से बच सकते हैं और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं।

"परिवार में रक्तिम पुनर्शिक्षा" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 10: मैं कई सालों से यूनाइटेड फ्रंट के साथ काम कर रहा हूँ, और मैंने कई धार्मिक विश्वासों का अध्ययन किया है। ईसाई धर्म, कैथोलिक धर्म, और पूर्वी परंपरागत धर्म सभी शास्त्रसम्मत धर्म हैं जो मसीह में विश्वास करते हैं। लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास बिलकुल अलग है। चीनी कम्युनिस्ट सरकार के दस्तावेज़ों के अनुसार, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का ईसाई धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। तुम ईसाई धर्म के नाम पर उन अलग-अलग संप्रदायों में सुसमाचार का प्रचार कर रहे हो जो तुम्हें एक ईसाई के रूप में पहचानते तक नहीं हैं। तो इसलिए मैं तुम्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने की अनुमति कभी नहीं दूंगा। चाहो तो केवल ईसाई धर्म में विश्वास कर सकते हो। इस तरह से सरकार की सज़ा कुछ कम होगी। अगर तुम्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने के जुर्म में जेल में डाल दिया जाता है, तो तुम्हारी ज़िंदगी बहुत ख़तरे में होगी। सीसीपी सरकार जानती है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने वाले हमेशा से अंत के दिनों के मसीह के अनुयायी हैं जो मसीह के समर्थक और प्रेरित हैं। जिस बात से चीनी कम्युनिस्ट सरकार को सबसे अधिक डर है वह अंत के दिनों के मसीह द्वारा व्यक्त की गयी किताब वचन देह में प्रकट होता है के प्रकाशन और उसकी गवाही है, और साथ ही उस कट्टर समूह से है जो अंत के दिनों के मसीह का अनुसरण करते हैं। हमने ईसाई धर्म के इतिहास को पढ़ा है। यहूदी और रोमन साम्राज्य भी यीशु के समर्थकों और प्रेरितों से ही सबसे अधिक डरते थे। तो जब इन लोगों को पकड़ा गया तो, इन्हें अलग-अलग तरह से मौत की सज़ा दी गयी। आज, अगर अंत के दिनों के मसीह का अनुसरण करने वाले इन लोगों के समूह को दबाया नहीं गया तो, कुछ ही वर्षों में, वे पूरे धार्मिक समुदाय को अपने साथ शामिल कर लेंगे। अभी तक, चीन में कई ईसाई गुटों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया द्वारा शामिल किया जा चुका है। अगर चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने झाओयुआन मामले में कुछ लोगों की झूठी आम राय न बनाई होती और नकली केस न बनाया होता तो शायद ऐसा दिन आता जब दुनिया के सभी धार्मिक समुदाय सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में शामिल हो जाते। एक बार अगर सभी धार्मिक समुदाय सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में शामिल हो गए तो, यह चीनी कम्युनिस्ट सरकार के शासन के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं होगा। इसलिए, केन्द्रीय समिति ने सारी उपलब्ध सेना को तैनात करने का एक मज़बूत निर्णय लिया है ताकि बहुत कम समय में ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को पूरी तरह से बंद किया जा सके। तुम्हें जानना चाहिये, चमकती पूर्वी बिजली के उभरने ने न केवल चीन में खलबली मचा दी है बल्कि इसने दुनिया को प्रभावित किया है। क्योंकि तुमने इतना बड़ा कदम उठाया है, तो चीनी कम्युनिस्ट सरकार तुम्हें दबाने और गिरफ़्तार करने की मुहिम को पूरे ज़ोरों से क्यों नहीं लागू करेगी? अगर तुम्हें परमेश्वर में विश्वास करना ही है, तो तुम केवल ईसाई धर्म में विश्वास कर सकते हो। सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास नहीं कर सकते। क्या तुम्हें यह नहीं पता कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ईसाई धर्म में नहीं आती है?

अगला: प्रश्न 12: सरकार की प्रचार सामग्री के अनुसार, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को पूर्वोत्तर चीन में किसी झाहो नाम के व्यक्ति ने स्थापित किया था। यह व्यक्ति सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में सबसे बड़ा पादरी है। यह कलीसिया का प्रमुख है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में विश्वास करने वाले दावा करते हैं कि पवित्र आत्मा ने उसे इस काम के लिए चुना है। वे अक्सर पवित्र आत्मा द्वारा चुने गए इस व्यक्ति के उपदेशों को सुनते हैं, और वे कलीसिया के आधिकारिक कार्यों के लिए भी उसका कहा मानते हैं। हालांकि, तुम सभी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विश्वासी, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हो, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के नाम पर प्रार्थना करते हो, सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा बताये गए वचन देह में प्रकट होता है को एक प्रामाणिक मत के रूप में मानते हो, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों पर अपनी सभाओं में संवाद करते हो, किसी भी मामले में, यही एक व्यक्ति है जिसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है। इसलिए हमें इस बात का विश्वास है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया इसी व्यक्ति ने बनाई गयी है। चीनी कम्युनिस्ट सरकार और धार्मिक समुदाय दोनों ही, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को मनुष्य द्वारा बनाये गए एक संगठन के रूप में देखते हैं। और मुझे लगता है यह सच है। क्या तुम्हें यह समझ आ रहा है?

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1. प्रभु ने हमसे यह कहते हुए, एक वादा किया, "मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)। प्रभु यीशु पुनर्जीवित हुआ और हमारे लिए एक जगह तैयार करने के लिए स्वर्ग में चढ़ा, और इसलिए यह स्थान स्वर्ग में होना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु लौट आया है और पृथ्वी पर ईश्वर का राज्य स्थापित कर चुका है। मुझे समझ में नहीं आता: स्वर्ग का राज्य स्वर्ग में है या पृथ्वी पर?

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