43. 28 मई का झाओयुआन कांड एक पारिवारिक संकट खड़ा करता है

एनहुई, चीन

मैं एक साधारण देहाती महिला हूँ, और मेरी घरेलू जिम्मेदारियों का भारी बोझ मुझे इस तरह दबाए रखता था कि मैं मुश्किल से चैन की सांस ले पाती थी। नतीजतन, मैं बहुत ही चिड़चिड़ी हो गई थी, और मेरे पति और मैं एक दूसरे से दिन-रात लड़ते रहते थे। हम इस तरह से नहीं जी सकते थे। जब भी मुझे कष्ट होता, मैं रोती थी, "हे परमेश्वर! कृपया मुझे बचाओ!" और फिर 2013 में, मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंतिम दिनों के सुसमाचार की जानकारी मिली। परमेश्वर के वचनों को पढ़कर और भाइयों और बहनों के साथ सभाओं में भाग लेकर, मैं निश्चित हो गई कि यह सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही था जिससे मैं अपने दुखड़े रोया करती थी, और इसलिए मैंने अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को सहर्ष स्वीकार कर लिया।

मैंने परमेश्वर के ये वचन पढ़े: "संसार के सृजन के समय से मैंने लोगों के इस समूह को—अर्थात् आज के तुम लोगों को—पूर्वनिर्धारित करना तथा चुनना प्रारंभ कर दिया है। तुम लोगों का मिज़ाज, क्षमता, रूप-रंग, कद-काठी, वह परिवार जिसमें तुमने जन्म लिया, तुम्हारी नौकरी और तुम्हारा विवाह—अपनी समग्रता में तुम, यहां तक कि तुम्हारे बालों और त्वचा का रंग, और तुम्हारे जन्म का समय—सभी कुछ मेरे हाथों से तय किया गया था। यहां तक कि हर एक दिन जो चीज़ें तुम करते हो और जिन लोगों से तुम मिलते हो, उसकी व्यवस्था भी मैंने अपने हाथों से की थी, साथ ही आज तुम्हें अपनी उपस्थिति में लाना भी वस्तुत: मेरा ही आयोजन है। अपने आप को अव्यवस्था में न डालो; तुम्हें शांतिपूर्वक आगे बढ़ना चाहिए" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 74)। परमेश्वर के इन वचनों से मुझे अंततः यह एहसास हुआ कि सभी चीज़ें परमेश्वर के हाथों में हैं, और परमेश्वर के सिंहासन के सामने आने, अंतिम दिनों में परमेश्वर के उद्धार को स्वीकार करने, और उनके वचनों के सिंचन और संपोषण को प्राप्त करने का मेरा सौभाग्य, ये सब युगों पहले परमेश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित किया गया था। मुझे जैसे पति और परिवार मिले हैं, यह भी परमेश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित किया गया था। मुझे पता था कि परमेश्वर ने जो कुछ भी सम्पादित और व्यवस्थित किया है, मुझे उसे स्वीकार करना और उसके प्रति समर्पण करना चाहिए। तब से, जब भी ऐसी चीज़ें मेरे सामने आतीं जो मुझे प्रतिकूल लगती थीं, तो मैं अब पहले की तरह बड़बड़ाती न थी। इसके बजाय, मुझे विश्वास था कि यह परमेश्वर द्वारा व्यवस्थित किया गया था और मैं समर्पण करने के लिए तैयार थी ताकि वह मेरा मार्गदर्शन कर सके और मुझे अपने परिवार के साथ तालमेल से रहना सिखा सके। समय के साथ, मैं अपने पति के साथ झगड़ा बंद करने में सक्षम हो गई। जब उन्होंने परमेश्वर पर विश्वास करने के बाद मुझमें आए बदलावों को देखा, तो मेरे पति भी मेरे विश्वास के समर्थक हो गए। जब भाई-बहन किसी सभा के लिए मेरे घर पर आते थे, तो मेरे पति उनके साथ बहुत विनम्रता से पेश आते थे, और कभी-कभी हंसी-मज़ाक में शामिल होते थे। उस दौरान मैं हर दिन परमेश्वर के वचन को पढ़ा करती थी, अक्सर सभाओं में भाग लेती और अन्य भाइयों और बहनों के साथ अनुभव साझा करता थी। मैंने अपनी आत्मा में समृद्ध महसूस किया और मैंने एक ऐसी शांति और आनंद को पाया जिन्हें मैंने पहले कभी नहीं पाया था। मुझे लगा कि परमेश्वर में विश्वास वास्तव में एक अद्भुत चीज़ होती है।

लेकिन सभी अच्छी चीज़ों का अंत निश्चित है। 28 मई, 2014 को झाओयुआन, शेनडोंग में हुई घटना के बाद, हमारे घर में अब तालमेल और शांति के दिन नहीं रहे। मूल रूप से यह एक सामान्य आपराधिक मामला था, लेकिन तीन दिन के बाद इसने एक नया रूप ले लिया—चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने इसे धार्मिक उद्देश्यों से प्रेरित कुकृत्य का नाम दिया। इस बहाने, सीसीपी सरकार ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को अपना केंद्र बिंदु बनाया; इसने अंधाधुंध झूठे सबूत बनाने, झूठे आरोप लगाने और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को बदनाम करने के लिए मीडिया का इस्तेमाल किया। कुछ ही समय में, लोगों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में हर तरह की कल्पनीय अफ़वाह से भर दिया गया। मेरे पति ने इसे खबरों में देखा और वे सीसीपी सरकार की प्रचारित बातों में आ गए। ऐसा लगा मानो उनमें उसी क्षण कुछ बदल गया हो। सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरे विश्वास का विरोध करने के लिए वे वो सब कुछ करने लगे जो कि वे कर सकते थे।

एक शाम, मेरे पति गुस्से से आग बबूला होते हुए घर आए और उन्होंने मुझे जोर से झिड़की लगाई: "यह आखिर कौन-सा धर्म है जिसमें तुम विश्वास करती हो?" उनके इस अजीब रवैये से बिल्कुल चकित होकर मैंने जवाब में कहा, "मैं जिस पर विश्वास करती हूँ, वह लौटा हुआ प्रभु यीशु, सर्वशक्तिमान परमेश्वर है जिसे हम 'परमेश्वर' कहा करते थे। उन्होंने कहा, ''तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करती हो! देखो तो, वे टीवी पर क्या कह रहे हैं!" यह कहते हुए, उन्होंने टीवी चला दिया, और ठीक उस समय 28 मई को झाओयुआन, शेनडोंग में हुए हत्याकांड के बारे में सारी खबरें आ रही थीं। वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की निंदा में हर प्रकार की बातें कह रहे थे, उन्होंने यह भी कहा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने वाले लोग सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने वाले लोग थे, और शेनडोंग में सार्वजनिक सुरक्षा विभाग एक मजबूत जवाबी हमले में, बिना किसी ढील के, उन्हें गिरफ्तार करने को तैयार था। इस बात ने मुझे एक धर्मी आक्रोश से भर दिया, और मैंने फ़ौरन अपने पति से कहा, "यह बदनामी और अफ़वाहों के अलावा और कुछ नहीं है। निश्चित रूप से यह हत्यारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने वाला नहीं है! सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के प्रचार कार्य के कुछ सिद्धांत हैं, जिसके मुताबिक इसे केवल अच्छे लोगों के साथ साझा करना है जो कि परमेश्वर के अस्तित्व में विश्वास करते हों और दयालु हों। दुष्ट लोगों के साथ हम इसे कभी भी साझा नहीं करते हैं। झांग लिडॉन्ग जैसे दुष्ट लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सुसमाचार को साझा करने के इन सिद्धांतों के अनुरूप बिल्कुल नहीं हैं, इसलिए वे निश्चित रूप से सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने वाले नहीं हो सकते हैं। एक और बात है—जब झांग लिडॉन्ग ने उस महिला से उसका फोन नंबर मांगा और उस महिला ने इन्कार कर दिया, तो अपमानित होने के कारण झांग ने अपना आपा खोकर उसे मार डाला। हम, सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के भाई-बहन, सुसमाचार फैलाते हुए कभी भी लोगों को परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने के लिए मजबूर करने की कोशिश नहीं करते, क्योंकि परमेश्वर ने स्पष्ट रूप से 'दस प्रशासनिक आदेश जो राज्य के युग में परमेश्वर के चुने लोगों द्वारा पालन किए जाने चाहिए' में कहा था कि 'सगे-संबंधी जो विश्वास नहीं रखते (तुम्हारे बच्चे, तुम्हारे पति या पत्नी, तुम्हारी बहनें या तुम्हारे माता-पिता इत्यादि) उन्हें कलीसिया में आने को बाध्य नहीं करना चाहिए। परमेश्वर के घर में सदस्यों की कमी नहीं है और ऐसे लोगों से इसकी संख्या बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं, जिनका कोई उपयोग नहीं है। वे सभी जो ख़ुशी-ख़ुशी विश्वास नहीं करते, उन्हें कलीसिया में बिल्कुल नहीं ले जाना चाहिए। यह आदेश सब लोगों पर निर्देशित है। इस मामले में तुम लोगों को एक दूसरे की जाँच, निगरानी करनी चाहिए और याद दिलाना चाहिए; कोई भी इसका उल्लंघन नहीं कर सकता।' जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहन सुसमाचार का प्रसार करते हैं, तो वे कभी दूसरों पर दबाव नहीं डालते हैं—यह एक ऐसी बात है जिसका कोई उल्लंघन नहीं कर सकता है। यह खबर सिर्फ बदनामी करना है, यह एक झूठ है। सीसीपी सरकार द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को बदनाम करने और अफ़वाहें फैलाने से ज्यादा यह कुछ भी नहीं है।" लेकिन किसने सोचा होगा—यह सुनने के बाद, मेरे पति मुझे अपनी आँखें दिखाते हुए, गुर्राए, "यह बात सच है या नहीं, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। जब तक सीसीपी इसके खिलाफ़ है, तब तक तुम इसमें शामिल नहीं हो सकती हो! मैं नहीं चाहता कि सरकार इस घर की तलाशी ले। हमारे बेटे की अभी शादी भी नहीं हुई है!" टीवी पर उन अफ़वाहों और कोरे झूठ से मेरे पति को धोखे में आते देखकर, मेरा दिल घृणा से भर गया: बस धार्मिक विश्वास के खिलाफ़ प्रहार कर पाने के लिए सीसीपी सरकार सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर दमन और उत्पीड़न के लिए कुछ भी करेगी। यह सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को फँसाने और उसके खिलाफ़ झूठे आरोप लगाने के लिए झाओयुआन मामले का इस्तेमाल कर रही थी—कितनी घिनौनी चाल!

उसके बाद हम दोनों में से कोई भी उस रात अच्छी तरह सो नहीं पाया। मेरे पति ने, इस भय से कि सीसीपी पुलिस कभी भी हमारे घर पर छापा मार सकती थी, मुझसे आग्रह किया कि मैं छिप जाऊं और परमेश्वर के वचनों की मेरी किताब को भी अच्छी तरह से छिपा दूँ, या उसे कलीसिया को वापस कर दूँ। उन्हें यह सब कहते सुनकर, मेरे मन में उन सभी भाइयों और बहनों के अनुभव घूम गए जिनके बारे में मैंने सुना था, जिन्हें गिरफ्तार किया गया था, जिनके घरों की तलाशी ली गई थी, और जिन्हें जुर्माना या कारावास दिया गया था; मैंने अपने चचेरे भाई के बारे में भी सोचा। वह स्थानीय पुलिस थाने के प्रमुख के साथ विवाद में पड़ गया था क्योंकि वह उसे इधर-उधर अकड़ कर चलते हुए और आम लोगों को धमकाते हुए देखना सहन नहीं कर पाया था, और उसे श्रम के माध्यम से एक साल की पुनर्शिक्षा की सजा मिली थी। हमारे परिवार में छोटे-बड़े सभी इससे दुखी हुए थे। सीसीपी एक ऐसा दानव है जिसके साथ तर्क नहीं किया जा सकता। अगर मुझे विश्वास के कारण गिरफ्तार कर जेल में डाला गया और हमारे घर पर छापा पड़ा, तो क्या यह मेरे पति और हमारे बच्चे के लिए उचित होगा? बार-बार मैं सीसीपी द्वारा मेरी गिरफ़्तारी की, घर पर छापा मारने की, और मेरे पति और बच्चे को फंसाने की कल्पना करती रही और सो नहीं पाई, बस करवटें बदलती रही...। मैं अपने दिल में सूनेपन और भय की एक लहर महसूस किए बिना रह नहीं पाई। मुझे लगा कि चीन में परमेश्वर पर विश्वास करना, एक अच्छा इंसान बनना और सही रास्ते पर चलना कितना मुश्किल है, मेरा जीवन भी लगातार खतरे में था। लेकिन अगर मैं सीसीपी सरकार के उत्पीड़न के डर से परमेश्वर से विश्वासघात करती हूँ, तो मेरी अंतरात्मा जीवन भर मुझे धिक्कारेगी। अगर मैं बिना किसी उद्देश्य के भटकते हुए जी भी लूँ, तो मैं निश्चित रूप से एक चलती-फिरती लाश ही रहूँगी और मरने के बाद मैं फिर परमेश्वर का सामना नहीं कर पाऊँगी। मैं सोच-सोचकर मरी जा रही थी और मेरे दिल में पीड़ा हो रही थी; मैंने खुद को पूरी तरह से निर्बल, अविश्वसनीय रूप से नकारात्मक और कमज़ोर महसूस किया।

अपनी पीड़ा के बीच, मैंने प्रभु यीशु के इन वचनों को याद किया: "जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उनसे मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नष्‍ट कर सकता है" (मत्ती 10:28)। "क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा" (मत्ती 16:25)। प्रभु यीशु के वचनों ने मुझे आस्था और शक्ति दी, और मेरे दिल से चिंता और भय को दूर किया। मैंने सोचा: "परमेश्वर का सभी चीज़ों और जीवित प्राणियों पर प्रभुत्व है, और मेरा जीवन और परिवार भी परमेश्वर के नियंत्रण में हैं। वह सब जो मेरे पास है, परमेश्वर से आया है, और मैं इस अत्यंत महत्वपूर्ण समय में उसके साथ विश्वासघात नहीं कर सकती।" मैंने तब अय्यूब के परिवार की संपत्ति के चोरी हो जाने और उसके बच्चों को उससे छीन लिए जाने के बारे में सोचा; उसके पास कुछ भी नहीं बचा था, फिर भी वह परमेश्वर के प्रति अपनी भक्ति को निभाने में सक्षम था। उसने यहोवा परमेश्‍वर के पवित्र नाम की प्रशंसा की और परमेश्वर की गवाही दी। लेकिन मेरी न तो गिरफ्तारी हुई, न मेरे घर की तलाशी ली गयी, फिर भी मैं बस सीसीपी सरकार द्वारा निर्मित अफ़वाहों और गड़बड़ी का सामना करके कमज़ोर और नकारात्मक हो गई थी। मैंने देखा कि मेरा आध्यात्मिक कद वास्तव में दयनीय रूप से कम था, और परमेश्वर में मुझे लेश मात्र भी सच्चा विश्वास नहीं था। इस विचार ने परमेश्वर के सामने मेरे दिल को शर्म से भर दिया और मैंने मन-ही-मन निश्चय किया: चाहे जो हो, मुझे परमेश्वर के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए, और मैं अपना विश्वास बनाए रखूँगी चाहे मुझे कितने भी कष्ट या कठिनाई का सामना करना पड़े!

अगले दिन मेरे पति दोपहर को घर आए, और उन्होंने अपने हाथ में रखे अखबार को मेरे सामने फेंकते हुए कहा, "अच्छी तरह देखो! इसमें लिखा है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने वाले किसी व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया जा सकता है। जेल एक ऐसी जगह नहीं है जहाँ तुम कोई समय बिताना चाहोगी। वहाँ न केवल लोगों को पीटा जाता है, बल्कि दर्जनों को एक ही मंच पर ठूंसकर सुलाया जाता है। यदि कोई आधी रात को बाथरूम जाता है, तो वापस आने पर उसे सोने की जगह नहीं मिलती। यदि तुम्हें गिरफ्तार किया जाता है, तो हमारा परिवार तुम्हारी जमानत नहीं दे पाएगा, इसलिए यदि वे तुम्हें ले जाते हैं और तुम्हें कई साल की सजा होती है, तो तुम्हें उसे झेलना पड़ेगा!" मेरे पति के ऐसे ठंडे शब्दों को सुनकर मुझे बहुत पीड़ा हुई, और मुझे राक्षसी सीसीपी सरकार से और भी अधिक नफ़रत हो गई। यदि उसकी धोखेबाज़ी, उसके अफ़वाह, अत्याचार और उत्पीड़न न होते, तो मेरे पति ने मेरे विश्वास का समर्थन किया होता। उन्होंने मुझ पर ऐसा दबाव किसी हाल में न डाला होता। अपनी लाचारी में, मैं इतना ही कर सकती थी कि अपने दिल में परमेश्वर से विनती करूँ: "सर्वशक्तिमान परमेश्वर! मुझे पता है कि सीसीपी सरकार तुम्हारे खिलाफ़ सिर्फ अफ़वाहों, बदनामी, झूठे इल्ज़ाम और निन्दा का प्रसार कर रही है। सीसीपी सरकार कोई और नहीं बल्कि तुम्हारी दुश्मन, स्वयं शैतान है। लेकिन मैं अब अपने दिल में कुछ कमज़ोरी महसूस कर रही हूँ, और मैं चाहती हूँ कि तुम मेरी रक्षा करो, मुझे ज्ञान दो, और मुझे शैतान की चालों और छलकपट को पहचान लेने की अनुमति दो ताकि मैं तुम्हारे साथ दृढ़ता से खड़ी रह सकूँ और सीसीपी सरकार की बुरी ताकतों से मुझे डर न लगे।" प्रार्थना करने के बाद, मेरे मन में परमेश्वर से दूर होने की कोई इच्छा न रही, और मेरे मन में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के ये वचन आए: "जब प्रभु यीशु ने मृत लाज़र को पुनर्जीवित करने जैसी चीज़ें कीं, तो उसका उद्देश्य मनुष्यों और शैतान के देखने के लिए प्रमाण देना, और मनुष्य और शैतान को यह ज्ञात करवाना था कि मानवजाति से संबंधित सभी चीज़ें, मानवजाति का जीवन और उसकी मृत्यु परमेश्वर द्वारा निर्धारित की जाती हैं, और कि भले ही वह देहधारी हो गया था, फिर भी इस भौतिक संसार का, जिसे देखा जा सकता है, और साथ ही आध्यात्मिक संसार का भी, जिसे मनुष्य नहीं देख सकते, वही नियंत्रक था। यह इसलिए था, ताकि मनुष्य और शैतान जान लें कि मानवजाति से संबंधित कुछ भी शैतान के नियंत्रण में नहीं है। यह परमेश्वर के अधिकार का प्रकाशन और प्रदर्शन था, और यह सभी चीज़ों को यह संदेश देने का परमेश्वर का एक तरीका भी था कि मानवजाति का जीवन और मृत्यु परमेश्वर के हाथों में है। प्रभु यीशु द्वारा लाज़र को पुनर्जीवित किया जाना मानवजाति को शिक्षा और निर्देश देने का सृजनकर्ता का एक तरीका था। यह एक ठोस कार्य था, जिसमें उसने मानवजाति को निर्देश और पोषण प्रदान करने के लिए अपने सामर्थ्य और अधिकार का उपयोग किया था। यह सृजनकर्ता द्वारा बिना वचनों का इस्तेमाल किए मानवजाति को यह सच्चाई दिखाने का एक तरीका था कि वह सभी चीज़ों का नियंत्रक है। यह उसके द्वारा व्यावहारिक कार्यों के माध्यम से मानवजाति को यह बताने का एक तरीका था कि उसके माध्यम से मिलने वाले उद्धार के अलावा कोई उद्धार नहीं है। मानवजाति को निर्देश देने के लिए उसके द्वारा प्रयुक्त यह मूक उपाय चिरस्थायी, अमिट और मनुष्य के हृदय को एक ऐसा आघात और प्रबुद्धता देने वाला है, जो कभी फीके नहीं पड़ सकते। लाज़र को पुनर्जीवित करने के कार्य ने परमेश्वर को महिमामंडित किया—इसका परमेश्वर के प्रत्येक अनुयायी पर एक गहरा प्रभाव पड़ा है। यह हर उस व्यक्ति में, जो इस घटना को गहराई से समझता है, यह समझ और दर्शन मज़बूती से जमा देता है कि केवल परमेश्वर ही मानवजाति के जीवन और मृत्यु पर नियंत्रण कर सकता है" (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III)। परमेश्‍वर के द्वारा लाज़र को मृत अवस्था से उठ जाने की अनुमति देने की सच्चाई से मुझे गहरा प्रोत्साहन मिला। मेरे दिल में एक बार फिर से शक्ति आ गई और मैं फिर से अटल खड़ी हो गई: हाँ! परमेश्वर ब्रह्मांड की सभी चीज़ों का नियंत्रण करता है, और लोगों का जीवन और उनकी मृत्यु परमेश्वर के हाथों में है। मुझे पता था कि अन्य कोई भी इसे नियंत्रित नहीं कर सकता है, और मुझे गिरफ्तार किया जाएगा या नहीं, यह भी परमेश्वर के हाथों में था। परमेश्वर के वचनों ने एक बार फिर मेरी रक्षा की, और मेरे हृदय में परमेश्वर के प्रति मेरा विश्वास फिर से बढ़ गया। मेरे दिल के अंदर की दहशत और खौफ़ भी काफी हद तक कम हो गए।

सीसीपी सरकार की अफ़वाहों ने उस शांति और खुशी को नष्ट कर दिया था जो हमारे घर में कभी हुआ करती थी। मुझे सभाओं में भाग लेने और अपना कर्तव्य निभाने में बहुत सजग, बहुत सावधान रहना पड़ता था ताकि हमारी घरेलू ज़िन्दगी में और किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो; यह वास्तव में मेरे लिए दम घुटने जैसा था। बाद में, जब मेरे पिता ने 28 मई की झाओयुआन घटना के बारे में सुना, तो वे भी मेरे मार्ग में अवरोध बनने लगे। उन्होंने कहा, "तुम जिस पर चाहो विश्वास कर सकती हो, लेकिन किसी और तक सुसमाचार फैलाने या सभाओं में जाने के लिए तुम बाहर नहीं जा सकती हो। इस उम्र में, मैं किसी भी परेशानी से निपट नहीं पाऊँगा। तुम्हें पूरे परिवार को, छोटे-बड़े सभी को, ध्यान में रखना होगा! परमेश्वर में विश्वास करना अच्छी बात है, लेकिन तुम ऐसे देश में पैदा नहीं हुई हो जहाँ विश्वास की स्वतंत्रता हो। एक हाथ एक लात से नहीं लड़ सकता है—सीसीपी वह 'लात' है जो विश्वासियों को राजनीतिक कैदी बना लेती है। तुम यह सब जानती हो, इसलिए हमें उस तरह के भय की दशा में मत डालो जो तुम महसूस करती हो।" मेरे अपने परिवार के दबाव और उनकी नासमझी ने मुझे बहुत सताया। उस दौरान, मुझे लगा मानो हर पल मेरी स्थिति जोखिम भरी थी, मैं इस भय में जी रही थी कि मुझे सीसीपी सरकार द्वारा गिरफ्तार किया जाएगा और अगर मैंने ज़रा भी गलती की तो मेरे परिवार को परेशानी हो जाएगी। इसलिए जब भी मैं बाहर जाती थी, मैं परमेश्वर के वचनों की अपनी पुस्तक को और परमेश्वर में विश्वास करने से सम्बंधित जो कुछ भी होता था, उसे सावधानीपूर्वक छिपा देती थी। जब मैं सभाओं में जाती थी तो मैं अविश्वसनीय रूप से डरी रहती थी कि कोई मेरी खबर दे देगा और मेरे परिवार को फँसा दिया जाएगा, इसलिए मैं हमेशा बहुत सतर्क और चौकन्नी रहा करती थी; जब भी मैं पुलिस की गाड़ी या किसी अधिकारी को देखती तो मैं अत्यंत घबरा जाती थी। यह अवर्णनीय पीड़ा थी, मुझे लगा कि चीन में परमेश्वर पर विश्वास करना चाकू की धार पर जीने की तरह था। मैं इस दुष्ट नास्तिक पार्टी के लिए और भी अधिक नफ़रत महसूस किए बिना न रह सकी: विश्वास रखने और सही मार्ग का अनुसरण करने में क्या गलत था? वे लोगों को परमेश्वर में विश्वास करने क्यों नहीं दे सकते? वे क्यों उन्मत्त होकर किसी विश्वासी को गिरफ्तार करते हैं क्यों उसका दमन और उत्पीड़न करते हैं? परमेश्वर पर विश्वास करने वाले लोगों से वे इतनी नफ़रत क्यों करते हैं? यह बहुत बुरा है!

बाद में, जब मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ा, तो अंततः मैं मामले की सच्चाई को समझने लगी। इसमें कहा गया है: "परमेश्वर अपना कार्य करता है, वह एक व्यक्ति की देखभाल करता है, उस पर नज़र रखता है, और शैतान इस पूरे समय के दौरान उसके हर कदम का पीछा करता है। परमेश्वर जिस किसी पर भी अनुग्रह करता है, शैतान भी पीछे-पीछे चलते हुए उस पर नज़र रखता है। यदि परमेश्वर इस व्यक्ति को चाहता है, तो शैतान परमेश्वर को रोकने के लिए अपने सामर्थ्य में सब-कुछ करता है, वह परमेश्वर के कार्य को भ्रमित, बाधित और नष्ट करने के लिए विभिन्न बुरे हथकंडों का इस्तेमाल करता है, ताकि वह अपना छिपा हुआ उद्देश्य हासिल कर सके। क्या है वह उद्देश्य? वह नहीं चाहता कि परमेश्वर किसी भी मनुष्य को प्राप्त कर सके; उसे वे सभी लोग अपने लिए चाहिए जिन्हें परमेश्वर चाहता है, ताकि वह उन पर कब्ज़ा कर सके, उन पर नियंत्रण कर सके, उनको अपने अधिकार में ले सके, ताकि वे उसकी आराधना करें, ताकि वे बुरे कार्य करने में उसका साथ दें। क्या यह शैतान का भयानक उद्देश्य नहीं है? ... इस मामले ने शैतान के भयंकर चेहरे और उसके सार को बिलकुल स्पष्ट कर दिया है। परमेश्वर के साथ युद्ध करने और उसके पीछे-पीछे चलने में शैतान का उद्देश्य उस समस्त कार्य को नष्ट करना है, जिसे परमेश्वर करना चाहता है; उन लोगों पर कब्ज़ा और नियंत्रण करना है, जिन्हें परमेश्वर प्राप्त करना चाहता है; उन लोगों को पूरी तरह से मिटा देना है, जिन्हें परमेश्वर प्राप्त करना चाहता है। यदि वे मिटाए नहीं जाते, तो वे शैतान द्वारा इस्तेमाल किए जाने के लिए उसके कब्ज़े में आ जाते हैं—यह उसका उद्देश्य है" (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IV)। परमेश्वर के वचनों के माध्यम से, मैंने अचानक प्रकाश को देखा: बाहर से देखें तो, सीसीपी सरकार हम विश्वासियों पर अत्याचार करती दिखाई देती है, लेकिन इन दृश्यों के पीछे एक आध्यात्मिक लड़ाई चल रही है; यह लोगों को पाने के लिए परमेश्वर के साथ शैतान की होड़ है। क्योंकि शैतान परमेश्वर का कट्टर शत्रु है और यह वो दानव है जो परमेश्वर के साथ विश्वासघात और उसका विरोध करता है, इसलिए जब से उसने मानवजाति को भ्रष्ट किया है तब से वह उन पर नियंत्रण पाना चाहता है; वह लोगों को परमेश्वर की उपासना करने की, या परमेश्वर को उसकी बनाई मानवजाति को हासिल करने नहीं देता है। इसलिए, जब से मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर के कार्य की शुरुआत हुई, तब से लेकर वर्तमान तक शैतान गड़बड़ी पैदा करने और परमेश्वर के काम को तोड़ गिराने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है। परमेश्वर के पास लौट रहे लोगों की राह में बाधा बनने के लिए शैतान हर तरह के घृणित साधनों का इस्तेमाल करता है। मुझे पता था कि तब, मेरे विश्वास में बाधा डालने के लिए, शैतान मेरे परिवार में कलह बोने के लिए अफ़वाहों का इस्तेमाल कर रहा था। मुझे धमकाने, लुभाने, डराने और मुझ पर हमला करने के लिए वह मेरे परिवार के प्रति रही मेरी भावनाओं का और मनोवैज्ञानिक युद्ध-नीति का उपयोग कर रहा था। यह सब करने में उसका लक्ष्य यह था कि मैं परमेश्वर से दूर हो जाऊँ, परमेश्वर से इन्कार और विश्वासघात कर दूँ, और उसकी कोशिश यह थी कि मैं उसके चंगुल में फंसकर उसकी गुलाम बन जाऊँ, ताकि अंततः मैं परमेश्वर के द्वारा उसके साथ ही नष्ट हो जाऊँ। सीसीपी सरकार के इरादे वास्तव में कपटी हैं; यह पागलपन से परमेश्वर का विरोध करती है और यह परमेश्वर की दुश्मन है। यह वास्तव में एक ऐसा दानव है जो लोगों की आत्माओं को निगल लेता है। जैसा कि परमेश्वर के वचनों में कहा गया है: "शैतान लोगों को धोखा देकर अपनी प्रतिष्ठा बनाता है और अकसर खुद को धार्मिकता के अगुआ और आदर्श के रूप में स्थापित करता है। धार्मिकता की रक्षा की आड़ में वह लोगों को हानि पहुँचाता है, उनकी आत्माओं को निगल जाता है, और मनुष्य को स्तब्ध करने, धोखा देने और भड़काने के लिए हर प्रकार के साधनों का उपयोग करता है। उसका लक्ष्य मनुष्य से अपने बुरे आचरण का अनुमोदन और अनुसरण करवाना और उसे परमेश्वर के अधिकार और संप्रभुता का विरोध करने में अपने साथ मिलाना है। किंतु जब कोई उसकी चालों, षड्यंत्रों और नीच हरकतों को समझ जाता है और नहीं चाहता कि शैतान द्वारा उसे लगातार कुचला और मूर्ख बनाया जाए या वह निरंतर शैतान की गुलामी करे या उसके साथ दंडित और नष्ट किया जाए, तो शैतान अपने पिछले संतनुमा लक्षण बदल लेता है और अपना झूठा नकाब फाड़कर अपना असली चेहरा प्रकट कर देता है, जो दुष्ट, शातिर, भद्दा और वहशी है। वह उन सभी का विनाश करने से ज्यादा कुछ पसंद नहीं करता, जो उसका अनुसरण करने से इनकार करते हैं और उसकी बुरी शक्तियों का विरोध करते हैं" (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II)। परमेश्वर के वचनों में निहित रहस्योद्घाटन ने मुझे सीसीपी सरकार के असली चेहरे को पहचान लेने की, और यह देखने की अनुमति दी कि वह वास्तव में शैतान का मूर्त रूप है, और परमेश्वर का विरोध करने वाली सबसे शैतानी सत्ता है। वह 28 मई के झाओयुआन मामले का इस्तेमाल अफ़वाहों को शुरू करने, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को फँसाने के लिए करते हुए, लोगों को धोखा देने और उन्हें उत्तेजित करने और उन लोगों को उकसाने का प्रयास कर रही थी जो इस मामले की सच्चाई को नहीं समझते हैं, ताकि वे इसके साथ हो लें और इससे मिलकर परमेश्वर का विरोध करें। झाओयुआन मामले में उलटफेर करने और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर दोष मढ़ने में सीसीपी सरकार का उद्देश्य ईसाइयों की गिरफ्तारी और उत्पीड़न के लिए आधार और बहाने की खोज करना था। एक ही बार में सभी ईसाइयों को पकड़ने और उन्हें जड़ समेत खत्म कर देने और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का पूरी तरह से सफ़ाया करने का यह एक व्यर्थ प्रयास है। यहाँ तक कि वे चीन में नास्तिकता के एक क्षेत्र को स्थापित करने की अपनी निरंकुश महत्वाकांक्षा को साकार करना चाहते हैं। सीसीपी सरकार का सार वास्तव में चरम विश्वासघात और बुराई है!

एक बार जब मैंने आध्यात्मिक युद्ध की वास्तविकता और सीसीपी सरकार के बुरे सार को पहचान लिया, तो मेरे मन में एक और सवाल उठने लगा: क्या परमेश्वर सर्वशक्तिमान नहीं हैं? परमेश्वर सीसीपी सरकार को हमें सताने क्यों देता है? अपने भीतर के इस भ्रम का हल करने में असमर्थ होकर, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के इन वचनों को पढ़ा: "मैंने एक बार कहा था कि शैतान की युक्तियों के आधार पर मेरी बुद्धि प्रयुक्त की जाती है। मैंने ऐसा क्यों कहा था? क्या वह उसके पीछे का सत्य नहीं है, जो मैं अभी कह और कर रहा हूँ?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, विजय के कार्य की आंतरिक सच्चाई (1))। "परमेश्वर बुरी आत्माओं के कार्य के एक हिस्से का उपयोग मानव-जाति के एक हिस्से को पूर्ण बनाने के लिए करने का इरादा रखता है, ताकि ये लोग हैवानों के अन्यायपूर्ण कार्यों को पूरी तरह देखने में सक्षम हो सकें और वास्तव में अपने 'पूर्वजों' को जान सकें। केवल इसी तरह से मनुष्य पूरी तरह से स्वतंत्र हो सकते हैं, न केवल शैतान के वंशजों को, बल्कि शैतान के पूर्वजों को भी त्यागकर। बड़े लाल अजगर को पूरी तरह से हराने में यह परमेश्वर का मूल इरादा है : ताकि सभी मनुष्य बड़े लाल अजगर का असली स्वरूप जानें, उसका मुखौटा पूरी तरह से उतारकर उसका वास्तविक स्वरूप देख सकें। परमेश्वर यही प्राप्त करना चाहता है, और यही पृथ्वी पर उसके द्वारा किए गए समस्त कार्य का अंतिम लक्ष्य है; और यही उसका सभी मनुष्यों में हासिल करने का उद्देश्य है। इसे परमेश्वर के प्रयोजन के लिए सभी चीज़ों को जुटाने के रूप में जाना जाता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों” के रहस्यों की व्याख्या, अध्याय 41)। परमेश्वर के वचनों से मुझे समझ में आ गया कि वह अपने चुने हुए लोगों को पूर्ण बनाने के लिए सीसीपी सरकार की दुष्ट शैतानी ताकत के उत्पीड़न का इस्तेमाल कर रहा था। सीसीपी सरकार द्वारा प्रतिरोध, निंदा, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के नाम पर धब्बा लगाने के लिए अफ़वाह फैलाने और उसके द्वारा ईसाइयों के उत्पीड़न और गिरफ्तारी करने के माध्यम से परमेश्वर ने हमें सीसीपी सरकार के शैतानी, राक्षसी सार को उस रूप में देखने की अनुमति दी है जो सत्य से और परमेश्वर से घृणा करता है। इसने हमें सच्चा विवेक प्राप्त करने, शैतान को अस्वीकार करने और फिर कभी उसकी बातों में न आने की गुंजाइश दी है। इसके द्वारा हम शैतान के अधिकार-क्षेत्र से बाहर आ सकते हैं और परमेश्वर की उपस्थिति में लौट सकते हैं। इसके अलावा, परमेश्वर सीसीपी राक्षसों द्वारा की गई गिरफ्तारियों और लोगों के उत्पीड़न का उपयोग करता है ताकि लोग क्या हैं यह उजागर हो सके और उनके प्रकार के अनुसार उन्हें वर्गीकृत किया जा सके। जो कायर हैं, जो अपने विश्वास में खरे नहीं हैं, या जो यहूदा की तरह हैं, उन्हें सीसीपी सरकार के क्रूर उत्पीड़न के माध्यम से उजागर और समाप्त किया जाता है। बहरहाल, जो लोग वास्तव में परमेश्वर में विश्वास करते हैं, जो सत्य का अनुसरण करते हैं, और जो परमेश्वर के प्रति समर्पित होते हैं, वे सीसीपी सरकार के उन्मत्त उत्पीड़न के तहत परमेश्वर के लिए गवाही देते हैं और परमेश्वर द्वारा तैयार किए गए विजेता बन जाते हैं। एक बार जब मैंने यह सब समझ लिया, तो मेरी सारी ग़लतफ़हमियाँ, शिकायतें, और परमेश्वर के बारे में भ्रांतियां हल हो गईं। इसके अलावा, मैंने देखा कि परमेश्वर कितना बुद्धिमान और सर्वशक्तिमान है, और वास्तव में परमेश्वर की बुद्धि शैतान की चालाकियों से आगे रहती है।

मैंने परमेश्वर के इन वचनों को भी पढ़ा: "हमें विश्वास है कि परमेश्वर जो कुछ प्राप्त करना चाहता है, उसके मार्ग में कोई भी देश या शक्ति ठहर नहीं सकती। जो लोग परमेश्वर के कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं, परमेश्वर के वचन का विरोध करते हैं, और परमेश्वर की योजना में विघ्न डालते और उसे बिगाड़ते हैं, अंततः परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाएँगे। जो परमेश्वर के कार्य की अवहेलना करता है, उसे नरक भेजा जाएगा; जो कोई राष्ट्र परमेश्वर के कार्य का विरोध करता है, उसे नष्ट कर दिया जाएगा; जो कोई राष्ट्र परमेश्वर के कार्य को अस्वीकार करने के लिए उठता है, उसे इस पृथ्वी से मिटा दिया जाएगा, और उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है)। परमेश्वर के वचनों ने मुझे उसका धार्मिक और प्रतापी स्वभाव दिखाया, और मैंने देखा कि कोई भी ताक़त परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता और अधिकार से बढ़कर नहीं हो सकती है। हालाँकि सीसीपी सरकार हमेशा परमेश्वर का उन्मत्त विरोध करती है, और यह परमेश्वर के चुने हुए लोगों की गिरफ्तारियाँ और उनका उत्पीड़न करती है, उन पर अत्याचार करती है और लोगों को गुमराह करने और उन्हें परमेश्वर की ओर लौटने से रोकने के लिए तरह-तरह की अफ़वाहें गढ़ती है, लेकिन फिर भी, परमेश्वर का कार्य पूरे चीन में फैल गया है। इसके अलावा, चीन में विजेताओं का एक समूह बनाया गया है, और वर्तमान में पूरी दुनिया में परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रसारित हो रहा है। कोई भी परमेश्वर के कार्य के रास्ते में बाधा नहीं बन सकता है। जो लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं, जो परमेश्वर के कार्यों में बाधा डालते और उसे हानि पहुँचाते हैं, वे परमेश्वर द्वारा धर्मी सजा पाने और नष्ट किये जाने के लिए नियत हैं। यह परमेश्वर के धर्मी स्वभाव से निर्धारित होता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने अचानक मुझे अंतर्दृष्टि की एक दीप्ति दी और मैं एक पल में प्रबुद्ध हो गई। मैं अपने दिल में आश्चर्य और परमेश्वर के चमत्कारी काम की प्रशंसा किए बिना रह न सकी। परमेश्वर की बुद्धि वास्तव में सबसे ऊँची है; परमेश्वर द्वारा सीसीपी सरकार का सेवा करने के लिए उपयोग करना अविश्वसनीय रूप से बुद्धिमत्तापूर्ण है। परमेश्वर द्वारा मानव जाति का उद्धार बहुत ही व्यावहारिक है—मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूँ और उसकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकती हूँ! मैंने तहेदिल से परमेश्वर से प्रार्थना की, "परमेश्वर! मैं वो घास-फूस बनना नहीं चाहती हूँ जिसे तुम कटाई के फर्श पर अलग करके फेंक देते हो, और मैं सीसीपी सरकार की दुष्टता भरी हवा द्वारा उड़ा ली जाना नहीं चाहती हूँ। मैं वह गेहूँ बनना चाहती हूँ जिसकी फसल तुम एकत्रित करते हो। परमेश्वर! मैंने तुम्हें कभी संतुष्ट नहीं किया है, लेकिन सीसीपी सरकार के निरंकुश अत्याचार के बीच, मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी नेकी साबित कर सकती हूँ, सत्य का अनुसरण कर सकती हूँ, और मैं सीसीपी सरकार की बुरी ताकतों के सामने आत्मसमर्पण नहीं करुँगी। मैं ऐसी बनना चाहती हूँ जो न्याय की प्यासी हो और प्रकाश के लिए तरसती हो, जो तुम्हारे लिए गवाही दे ताकि तुम्हें महिमा प्राप्त हो सके...।"

इस ज्ञान से सुसज्जित होकर, मैं अपने दिल के भीतर मजबूत हो उठी। मैं समझ गई कि जब मुझे अपने परिवार के सदस्यों की ग़लतफ़हमियों और रुकावटों का सामना करना पड़ता है, तो यह सब परमेश्वर की अनुमति से होता है, और यह परमेश्वर ही है जो सावधानीपूर्वक मेरी आस्था, मेरी भक्ति और आज्ञाकारिता को पूर्ण बनाने के लिए यह सारी व्यवस्था करता है। मुझे अब अपने आस-पास के परिवेश से कोई शिकायत नहीं थी, न ही मुझे आसपास के परिवेश से कोई बंधन था। बल्कि, मैं परमेश्वर के प्रति कृतज्ञ हो गई, और मैंने मन में यह निश्चय किया कि परमेश्वर मेरे लिए चाहे किसी भी प्रकार के परिवेश की व्यवस्था करे, मुझे हमेशा उसके लिए गवाही देनी चाहिए और निष्ठापूर्वक अपना कर्तव्य निभाना चाहिए; मैं परमेश्वर से विश्वासघात बिल्कुल नहीं करुँगी! बाद में मैंने परमेश्वर के कर्मों को देखा—मेरे पति ने मेरा विरोध करना बंद कर दियाऔर वे अब मुझ पर पहले की तरह दबाव भी नहीं डालते। इसके बजाय, उन्होंने मुझसे कहा: "ऐसा नहीं है कि मैं नहीं चाहता कि तुम विश्वास रखो। मैं मानता हूँ कि जब से तुम परमेश्वर में विश्वास करने लगी हो, तुम बदल गई हो; बात सिर्फ इतनी है कि आगे बढ़ते हुए तुम्हें सावधान रहना होगा, जब तुम सभाओं में शामिल होने के लिए बाहर जाती हो तो तुम्हें सतर्क रहना होगा।" उन्हें यह कहते हुए सुनकर मेरी आँखों में आँसू आ गए। मैंने अपने हृदय में परमेश्वर को उसके कर्मों के लिए धन्यवाद दिया और प्रशंसा की, क्योंकि मैंने देखा कि सत्य और न्याय समस्त अंधेरे और बुराई पर काबू पाने में सक्षम हैं। शैतान की बुरी ताकतों को आखिरकार परमेश्वर के कार्य के ज़रिए मिटा दिया जाएगा! हालाँकि मुझे इस अनुभव के माध्यम से परिशोधित होने के कुछ कष्ट का सामना करना पड़ा था, लेकिन इससे मुझे परमेश्वर के बुद्धिमत्तापूर्ण कार्य का कुछ ज्ञान प्राप्त हुआ। मैंने सकारात्मक और नकारात्मक चीज़ों के बीच भेद करने की कुछ क्षमता भी हासिल की—यह सब मेरे जीवन में एक प्रकार की पूँजी है जिसने सत्य का अनुसरण करने और प्रकाश की आकांक्षा करने के लिए मेरे संकल्प और विश्वास को जगाया है।

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