72. ब्रेनवॉशिंग कक्षा में प्रलोभन
जुलाई 2018 के अंत में मुझे परमेश्वर में विश्वास करने और सुसमाचार का प्रचार करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। अक्तूबर में एक दिन पुलिस मुझे शहर के बाहरी इलाके में एक ईकोलॉजिकल पार्क में बने एक सिहेयुआन (आँगन के घर) में ले गई, जो एक ब्रेनवॉशिंग केंद्र के रूप में कार्य करता था। उस वक्त मैं थोड़ी नर्वस और डरी हुई थी। मेरे मन में भाई-बहनों से गुप्त रूप से पूछताछ कर उन्हें प्रताड़ित किए जाने की तसवीरें कौंधती रहीं। मैंने चुपचाप परमेश्वर से प्रार्थना की, “परमेश्वर, मुझे नहीं पता कि पुलिस मुझे कैसे प्रताड़ित करेगी। कृपया मुझे विश्वास और शक्ति प्रदान करो। चाहे मुझे कोई भी यातना सहनी पड़े, मैं तुम्हें धोखा देने वाला कोई काम नहीं करूँगी।” प्रार्थना करने के बाद मैंने थोड़ी शांति महसूस की।
वहाँ हमें सुधारने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति लैंग सरनेम वाला एक कप्तान था, जो बहुत चालाक और मक्कार लग रहा था। उसने हमें एक पंक्ति में खड़ा किया और कहा, “यहाँ की कक्षाएँ तेज और धीमी कक्षाओं में विभाजित हैं। अगर तुम जल्दी से सुधरना चाहते हो, तो तुम तेज कक्षा चुन सकते हो। धीमी कक्षा में मारपीट कभी भी और कहीं भी आ सकती है। वह भोजन की तरह नियमित होगी।” जब मैंने उसे यह कहते सुना, तो मुझे बहुत गुस्सा आया। यह साफ तौर पर उसके द्वारा अपने अत्याचार से हमें इतना डराने का प्रयास था कि हम परमेश्वर के साथ विश्वासघात कर दें। मुझे गिरफ्तार कर लिया गया था, जो मुझे पता था कि परमेश्वर की अनुमति से हुआ था, इसलिए मैं परमेश्वर के आयोजन और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पित होने के लिए तैयार थी। उन्होंने मुझे सताने की कैसी भी योजना बनाई हो, मैं कभी भी परमेश्वर के साथ विश्वासघात नहीं करूँगी। यह सोचकर मैंने कहा, “मैं धीमी कक्षा लूँगी।” उस रात लैंग ने हम बारह लोगों से, जिन्होंने धीमी कक्षा चुनी थी, अहाते में एक पंक्ति में खड़े होने के लिए कहा। वहाँ चार-पाँच पुरुष पुलिसकर्मी हाथों में बिजली का डंडा लिए घूम रहे थे, रह-रहकर वे डंडे को चालू करते जिससे उनमें से कड़कड़ती आवाजें आतीं। उनके जेब में तीखी मिर्ची के पानी और सरसों के पानी की बोतलें भी थीं, वे हर वक्त हमें प्रताड़ित करने को तैयार थे। यह देखकर, मुझे एहसास हुआ कि शायद यह एक इम्तेहान था, परमेश्वर की परीक्षा मुझ पर आ पड़ी थी और मुझे परमेश्वर की कही कुछ बातें याद आयीं : “‘अंत के दिनों में मेरे लोगों को उत्पीड़ित करने के लिए दरिंदा उभरेगा, और जो लोग मृत्यु से डरते हैं, उन्हें उस दरिंदे द्वारा उठाकर ले जाए जाने के लिए एक मुहर से चिह्नित किया जाएगा। जिन्होंने मुझे देखा है, उन्हें उस दरिंदे द्वारा मार दिया जाएगा।’ इन वचनों में ‘दरिंदा’ निस्संदेह मानवजाति को धोखा देने वाले शैतान को संदर्भित करता है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 120)। कम्युनिस्ट पार्टी लोगों को परमेश्वर को धोखा देने के लिए मजबूर करने के लिए दैहिक यतनाओं का प्रयोग करती है, अगर तुम अपनी जान जोखिम में नहीं डाल सकते, तो तुम थोड़ी-सी भी लापरवाही करने पर उठा लिए जाने और निकाल दिए जाने के खतरे में हो। मैंने चुपचाप परमेश्वर से प्रार्थना की, “परमेश्वर, आज वे मुझे कितनी भी बुरी तरह से मारें, मैं अपना जीवन और मृत्यु तुम्हारे हाथों में सौंपने को तैयार हूँ, और तुम्हें संतुष्ट करने हेतु दृढ़ता से खड़े होने के लिए अपना जीवन अर्पित करती हूँ।” उसके बाद लैंग ने मुझसे पूछा, “तुम वास्तव में किस कक्षा में जाना चाहती हो?” मैंने कहा, “धीमी कक्षा में।” यह सुनकर वह आगबबूला हो गया और उसने मुझे लात मारकर फूलों के तालाब में गिरा दिया। मेरा टखना फूलों के तालाब के आसपास लगी एक ईंट से टकराया, जो बहुत दर्दनाक था। फिर उसने एक-एक करके अन्य ग्यारह लोगों को भी लात मारकर जमीन पर गिरा दिया, और हमें खड़े होने का आदेश दिया। जैसे ही हम उठने को हुए, कुछ पुलिसकर्मियों ने एक-एक कर हमारे चेहरे पर मिर्च और सरसों का पानी छिड़क दिया। मैं सहज ही चकमा देकर अपने पीछे फूलों के तालाब में गिर गई। मेरा चेहरा जल रहा था, दम घुट रहा था और मैं खाँस रही थी। फिर उन्होंने हम पर लात-घूँसे बरसाए, और मिर्च का पानी छिड़का, वे एक घंटे से अधिक समय तक हमें प्रताड़ित करते रहे।
इसके बाद उन्होंने हमारी ब्रेनवॉश करने वाली कक्षाएँ लेनी शुरू कर दीं। पहले, हुआँग सरनेम वाले एक व्यक्ति ने हमारे लिए एक वीडियो चलाया। उसकी विषयवस्तु इस बारे में थी कि चीन कैसे उभरा है और शक्तिशाली और गौरवशाली बन गया है। उसने परमेश्वर की भर्त्सना और निंदा करने वाली बातें भी कहीं। हमने उसके साथ बहस की, तो उसने दरवाजे की ओर इशारा करते हुए एक अशुभ अभिव्यक्ति के साथ हमें चेतावनी दी, “जो इस कक्षा में नहीं रहना चाहता, वह बाहर जा सकता है!” मुझे पता था कि कक्षा छोड़ने का मतलब लैंग से किसी प्रकार की भारी सजा पाना है, इसलिए मैंने और कुछ नहीं कहा। हर दिन लंच और डिनर से पहले लैंग हमसे एक-एक करके पूछता था कि हमने कक्षा में क्या सीखा है, क्या हमारी सोच में कोई बदलाव आया है, हम परमेश्वर में विश्वास करते हैं या नहीं, और हमने देश और परमेश्वर में से किसे चुना है। एक दिन लैंग ने हम बारहों को एक पंक्ति में खड़े होने का आदेश दिया और मुझसे पूछा, “क्या तुम्हें अभी भी कक्षा में जाने की जरूरत है? क्या तुम गारंटी-पत्र, पश्चात्ताप-पत्र और आस्था-त्याग-पत्र पर हस्ताक्षर कर सकती हो?” मैं जानती थी कि “तीन पत्रों” पर हस्ताक्षर करने का अर्थ परमेश्वर को नकारना और धोखा देना होगा, इसलिए मैंने कहा, “नहीं।” जब लैंग ने यह सुना, तो उसने मुझे जोर से थप्पड़ मारा, जिससे मेरे चेहरे पर जलन होने लगी। फिर उसने दूसरे भाई-बहनों से भी पूछताछ की और उन्हें भी इसी तरह पीटा। एक दौर के बाद वह फिर मुझसे पूछताछ करने आया। मैंने कहा, नहीं, तो उसने मुझे फिर थप्पड़ मारा। उसने हममें से प्रत्येक पर लगभग चार बार दबाव डालते हुए तकरीबन एक घंटे तक हमसे इसी तरह पूछताछ की। परमेश्वर को नकारने और धोखा देने पर मजबूर करने के लिए उन्होंने लगातार तीन रातों तक हर बार लगभग एक घंटे तक या तो हमें पीटा और लतियाया, या हमें मिर्च के पानी, सरसों के पानी और बिजली के डंडों से प्रताड़ित किया। मेरे पैरों पर तब तक बिजली का झटका दिया गया, जब तक कि वे काली पपड़ियों से नहीं ढक गए। थोड़ी देर बाद मेरे पैरों में असहनीय रूप से खुजली होने लगी, और बेहतर महसूस करने के लिए मैं जितना हो सकता था, उन्हें जोर से खरोंचती, जिससे खून निकल आता था। हर दिन दस घंटे से अधिक समय तक चलने वाली ब्रेनवॉशिंग ने मुझे बहुत परेशान कर दिया। मुझे नहीं पता था कि वे हमारी गलतियाँ निकालकर हमें सताने के लिए अब किन सवालों का इस्तेमाल करेंगे। उस समय, जब भी मैंने लैंग का यह जोरदार आदेश सुना, “गार्डो, डंडे पकड़ो, शुरू हो जाओ!” तो मेरा दिल धड़कना बंद कर देता। जब मैं पुलिस को नीली रोशनी चमकाते बिजली के डंडों के साथ अपनी ओर आते देखती, तो मेरा शरीर बेकाबू होकर काँपने लगता।
मुझे याद है, एक दिन जब एक बहन ने लैंग के एक प्रश्न का वैसा उत्तर नहीं दिया जैसा वह चाहता था, तो वह क्रोधित हो गया और बोला, “तुमने मुझे इनकार करने की हिम्मत की? घुटने टेको!” बहन ने घुटने नहीं टेके, तो लैंग और कई पुलिस अधिकारी उसे लात मारते हुए घसीटकर गैर-निगरानी वाले इलाके में ले गए। थोड़ी देर बाद हमने उसकी दिल दहला देने वाली चीखें सुनीं। दस मिनट से अधिक समय बाद उसे वापस लाया गया, तो वह धूल-धूसरित थी और उसके बाल अस्त-व्यस्त हो गए थे। लैंग ने दोबारा उसे अपने सामने घुटने टेकने के लिए डराने-धमकाने की कोशिश की, फिर उसे लात मारकर जमीन पर गिरा दिया और उसके सिर पर एक काला प्लास्टिक-बैग रख दिया। उसने उसमें मिर्ची का पानी छिड़क दिया, जिससे वह अपना सिर हिलाने, छटपटाने और लगातार खाँसने लगी। बैग उतारने से पहले उन्होंने उसे लगभग दो मिनट तक उसके सिर पर रखे रखा। अंत में उसे उनके सामने घुटने टेकने के लिए मजबूर होना पड़ा। जब मैंने लैंग द्वारा उस पर किए गए अत्याचार देखे, तो मैं आगबबूला हो गई। मैं वास्तव में उनसे लड़ना चाहती थी, लेकिन मैं जानती थी कि ऐसा करके न केवल मैं उसकी मदद नहीं कर पाऊँगी, बल्कि हममें से बाकी लोग और भी बुरी तरह पीटे और प्रताड़ित किए जाएँगे। उस रात मुझे नींद नहीं आई। मेरा मन पुलिस द्वारा लोगों को प्रताड़ित किए जाने की तमाम तसवीरों से भर गया था, जिन्हें मैंने पिछले कुछ दिनों में देखा था। मैं उदास और दुखी महसूस कर रही थी। मैं देख रही थी कि कम्युनिस्ट पार्टी परमेश्वर को नकारने और उसकी निंदा करने के लिए हर तरह की भ्रांतियाँ फैला रही है, फिर भी मैंने उनका खंडन करने की हिम्मत नहीं की, और मुझे बार-बार दंड और मारपीट झेलनी पड़ी। मैं वास्तव में नहीं जानती थी कि अगर यह जारी रहा, तो मैं दृढ़ रह पाऊँगी या नहीं। मैंने चुपचाप परमेश्वर से प्रार्थना की, “परमेश्वर! ऐसे भयानक हालात का सामना करना वाकई मेरे लिए दिल दहला देने वाला है। मुझे डर है कि किसी दिन मैं सचमुच यह सब बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी। मुझे तुम्हारे बहुत से वचन याद नहीं हैं। अगर मुझे सात या आठ साल के लिए जेल हो गई, और मेरा मार्गदर्शन करने के लिए तुम्हारे वचन नहीं हुए, तो क्या होगा? अगर पुलिस ने धीरे-धीरे यातना देकर मुझे मौत की कगार पर पहुँचा दिया, तो मैं यह पीड़ा कैसे बर्दाश्त करूँगी? ... हे परमेश्वर, बहुत-सी चीजें हैं जो मैं नहीं जानती और मेरे दिल में बहुत अधिक भय है। मैं नहीं जानती कि मजबूती से खड़ी रह भी पाऊँगी या नहीं। परमेश्वर, कृपया मुझे प्रबुद्ध करो और मेरा मार्गदर्शन करो, और मुझे आस्था दो ताकि मैं इन राक्षसों की यातना पर विजय पा सकूँ।” मैंने इसी तरह से खोज और प्रार्थना की, और दिन-ब-दिन दुर्बल होती गई। चिंतन-मनन करने पर मेरे मन में परमेश्वर के वचन का एक वाक्य स्पष्ट रूप से उभर आया : “डरो मत, सेनाओं का सर्वशक्तिमान परमेश्वर निश्चित रूप से तुम्हारे साथ होगा; वह तुम लोगों के पीछे खड़ा है और तुम्हारी ढाल है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 26)। परमेश्वर के वचनों पर बार-बार विचार करने के बाद मेरा हृदय उज्ज्वल हो गया। परमेश्वर मेरे साथ था और मेरा समर्थन कर रहा था। हालाँकि मैं एक खतरनाक स्थिति में थी और रोजाना पुलिस की धमकियों और मारपीट का सामना कर रही थी, लेकिन परमेश्वर हर समय मेरे साथ था और मेरा समर्थन कर रहा था। चूँकि मेरे सामने ऐसी स्थिति आई थी, तो मुझे इसका अनुभव करना था, और यह कुछ ऐसा था जिसे मैं बर्दाश्त करने में सक्षम थी। बात बस इतनी थी कि मुझे परमेश्वर में सच्ची आस्था नहीं थी, इसलिए जब मैंने देखा कि पुलिस कितनी क्रूर और शातिर है, तो मैं डर गई और अनजाने ही शैतान के प्रलोभन में आ गई। यह स्थिति परमेश्वर की अनुमति से और उसकी संप्रभुता के अधीन हुई थी। क्या ये पुलिस अधिकारी भी परमेश्वर के हाथ में नहीं थे? परमेश्वर जानता था कि मैं किस तरह की यातना सह सकती हूँ, इसलिए मुझे केवल ईमानदारी से परमेश्वर पर भरोसा करना था और यह विश्वास करना था कि परमेश्वर मुझे आस्था और शक्ति देगा और पुलिस के उत्पीड़न पर काबू पाने में मेरा मार्गदर्शन करेगा। जब मैंने यह महसूस किया, तो मुझे मुक्ति का एक बड़ा एहसास हुआ, और मुझमें इस माहौल का सामना करने की आस्था आ गई। मैं मन ही मन “जीवन की गवाही” नामक भजन गाए बिना नहीं रह सकी : “अगर एक दिन मैं शहीद हो जाऊं, और परमेश्वर की गवाही न दे पाऊं, अनगिनत सन्त राज्य के सुसमाचार की ज्योत से ज्योत जलाएंगे। हालांकि मुझे पता नहीं इस ऊँची नीची सड़क पर मैं कितनी दूर चल सकता हूं, मैं फिर भी परमेश्वर की गवाही दूंगा, परमेश्वर-प्रेमी अपना दिल अर्पित करूंगा। मैं बस चाहता हूं परमेश्वर की इच्छा पूरी करना, मसीह के प्रकट होने और काम की गवाही देना। मसीह के प्रचार और गवाही के लिये, ख़ुद को समर्पित करना मेरे लिए सम्मान की बात है। विपत्ति के सामने निडर, भट्टी में बने शुद्ध सोने की तरह, शैतान के प्रभाव से निकलकर, विजयी सैनिकों का एक समूह प्रकट हो रहा है। परमेश्वर के वचन पूरी दुनिया में फैले हैं, प्रकाश प्रकट हुआ है इंसान के बीच। मसीह का राज्य खड़ा हो रहा है, विपत्ति के बीच स्थापित हो रहा है। अंधेरा गुज़रने वाला है, एक धार्मिक सुबह आ चुकी है। समय और वास्तविकता ने परमेश्वर की गवाही दी है” (मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ)। जितना अधिक मैंने गाया, उतना ही अधिक प्रेरित महसूस किया। मैंने महसूस किया कि अंत के दिनों में प्रभु की वापसी का स्वागत करने, प्रभु की वाणी सुनने, अंत के दिनों के मसीह का अनुसरण करने, और सुसमाचार का उपदेश देने और अपना कर्तव्य पूरा करने में सक्षम होना मेरे जीवन में एक महान सम्मान और सबसे बड़ा आशीष था। अब मुझे कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था, लेकिन यह धार्मिकता के लिए उत्पीड़ित किया जाना था, इसलिए यह पीड़ा सार्थक थी। मुझे चाहे किसी भी तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़े, मैं गवाही में दृढ़ रहने हेतु परमेश्वर पर भरोसा करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, और शैतान के सामने झुकना नहीं चाहती थी। अगले दिनों में पुलिस की धमकियों और मारपीट से सामना होने पर मेरा डर कम हो गया था। मैं अक्सर चुपचाप अपने मन में भजन गाती रहती और चेहरे पर मुस्कान बनाए रखती। एक बार एक पुलिस अधिकारी ने हैरानी से कहा, “हम उसे रोज पीटते हैं। फिर भी वह कैसे मुस्कुराती रहती है?” मैंने सोचा, “तुम परमेश्वर में विश्वास नहीं करते, इसलिए तुम कभी वह आनंद और शांति महसूस नहीं कर पाओगे, जो परमेश्वर से आती है।”
एक रात लैंग ने पुलिस को हमसे आस्था-त्याग-पत्र पर हस्ताक्षर करवाने के लिए हमें बाहर ले जाने को कहा। हमारा ब्रेनवॉश करने और हमें प्रताड़ित करने का उनका उद्देश्य हमें “तीन पत्रों” पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करना था, ताकि हम परमेश्वर को धोखा दें और दंडित होने के लिए उनके साथ नरक में जाएँ। मुझे एहसास हुआ कि मैं उस रात यातना से नहीं बच पाऊँगी। मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की, “परमेश्वर! पुलिस मुझे कैसे भी प्रताड़ित करे, मैं गवाही में दृढ़ रहना चाहती हूँ और तुम्हें संतुष्ट करना चाहती हूँ।” जब एक पुलिस अधिकारी ने देखा कि मैंने काफी समय से कुछ नहीं लिखा है, तो उसने मेरे पैर पर जोर से लात मारी। लैंग आया, उसने मेरा कॉलर पकड़कर मुझे ऊपर खींच लिया और जोर से थप्पड़ मारा, जिससे मेरा चेहरा दर्द से जल उठा। फिर उसने मुझे एक और लात मारकर दीवार के सिरे तक पहुँचा दिया। दर्द इतना तेज था कि मैंने अपना पेट पकड़ लिया और कुछ देर तक खड़ी नहीं हो पाई। उसने मुझे खड़े होने का आदेश दिया। जैसे ही मैं दीवार का सहारा लेकर अपने पैरों पर खड़ी हुई, एक पुलिस अधिकारी ने मुझे फिर से लात मारी, और मैं एक तरफ गिर गई। अन्य पुलिस अधिकारी दौड़कर आए, कुछ ने मेरे पैरों को बिजली के डंडों से झटका दिया, कुछ ने मेरे मुँह पर थप्पड़ मारे, और कुछ ने मेरे पेट, कमर और पैरों पर लात मारी, और मैं जमीन पर पड़ी तड़पने लगी। लगभग आधे घंटे तक पिटाई जारी रही, और मेरे पूरे शरीर में दर्द होने के कारण मैं चीखे बिना नहीं रह सकी। ऐसा लगा, जैसे कोई बड़ा, भारी पत्थर मेरे शरीर को दबाए जा रहा हो और मेरा दम घोंट रहा हो। फिर, लैंग ने मुझे कॉलर से पकड़कर मुझे कुर्सी में धँसा दिया, मेरे बाल पकड़ लिए और झटके से मेरा सिर कुर्सी के पीछे की ओर खींच लिया, जिससे मैं ऊपर देखने लगी। उसने धमकी भरे लहजे में पूछा, “क्या तुम लिखोगी?” मैंने कुछ नहीं कहा। वह इतने गुस्से में था कि उसने मेरा हाथ पकड़कर मेज पर दबा दिया, फिर एक पुरुष पुलिस अधिकारी को मेरे हाथ पर बिजली का झटका देने को कहा। जितना हो सका, उतना कठिन संघर्ष करते हुए मैंने अपनी उँगलियाँ मोड़ लीं और कलाई घुमा ली, इसलिए पुरुष पुलिस अधिकारी समझ नहीं पाया कि मुझे किस तरह झटका दे। हम एक पल के लिए रुक गए थे, तभी लैंग ने कहा, “रहने दो, तुम तो मुझे ही झटका दे दोगे।” फिर उसने मेरा हाथ छोड़ दिया। थोड़ी देर बाद लैंग ने मेरे सामने कागजों का ढेर लहराया और कहा, “उन सभी ने हस्ताक्षर कर दिए। सिर्फ तुम अकेली बची हो!” जब मैंने यह सुना, तो मुझे अकेलेपन और वीरानी का अवर्णनीय एहसास हुआ। बहुत सारी बहनें एक-साथ कष्ट झेल रही थीं, लेकिन अचानक, पलक झपकते ही मैं अकेली रह गई थी, और मुझे पता नहीं था कि पुलिस ने मुझे कैसे यातना देने की योजना बनाई है, इसलिए मैंने अपने दिल में परमेश्वर को पुकारा। मुझे कुछ न कहते देख लैंग ने मुझे यह कहते हुए डाँटा, “तो बहुत जान है तुममें? सुर्खाब के पर लगे हैं? मारो इसे!” इसके बाद पुलिस ने मुझे फिर से लात मारी और पीटने लगी। लगभग दस मिनट बाद लैंग ने कहा कि बिजली का डंडा बहुत छोटा है, और उसने अपने अधीनस्थों को एक बड़ा डंडा लाने का आदेश दिया। यह सोचकर कि मुझे और भी भारी यातना सहनी होगी, मुझे एक अवर्णनीय पीड़ा का अनुभव हुआ। मेरा मन पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी प्रकार के यातना-उपकरणों की तसवीरों से भर गया। मुझे नहीं पता था कि मैं यातना सह पाऊँगी या नहीं। मैं चिंतित हुए बिना नहीं रह सकी, और मैं ऐसी स्थिति से निकल जाना चाहती थी। मगर मैं यह भी जानती थी कि परमेश्वर को कितनी उम्मीद है कि हम शैतान की अँधेरी शक्तियों को परास्त कर पाएँगे और अपनी गवाही में दृढ़ रह पाएँगे। मैं भगोड़ी नहीं बनना चाहती थी, मगर मेरी देह कमजोर थी; मुझे डर था कि मैं अपनी गवाही में मजबूती से डटी नहीं रह पाऊँगी। इसलिए मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की, “परमेश्वर, मैं जानती हूँ कि अभी मुझे गवाही देनी चाहिए और इससे मुँह नहीं मोड़ना चाहिए, लेकिन मैं बहुत घबराई हुई हूँ। मुझे डर है कि मैं रात भर यह सब नहीं सह पाऊँगी, और डरती हूँ कि मैं बड़े लाल अजगर की धमकी और यातना पर जीत नहीं हासिल कर पाऊँगी; मैं तुम्हें धोखा देने वाला कोई काम कर बैठूँगी। मैं तुमसे विनती करती हूँ कि अगर संभव हो तो मेरे लिए ऐसा सही अवसर बनाओ ताकि मैं अपने दिल में शांति महसूस कर सकूँ, अपनी दशा को ठीक कर सकूँ और आने वाली मुसीबतों से निकलने के लिए तुम पर निर्भर रह सकूँ।” मेरे प्रार्थना कर लेने के बाद लैंग मुझे एक बड़े कमरे में ले गया। एक पुलिस अधिकारी ने मुझे एक कुर्सी में धँसा दिया और मेरा सिर मेज पर दबा दिया, जबकि अन्य पुलिस अधिकारियों ने मेरी बाँहें, हाथ और पैर पकड़ लिए, जिससे मैं हिलने-डुलने में असमर्थ हो गई। जैसे ही मैंने संघर्ष किया, उन्होंने मेरे पैरों पर बिजली के डंडों से झटका दिया। एक पुलिस अधिकारी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे आस्था-त्याग-पत्र लिखने के लिए मजबूर करने लगा। मैं आगबबूला हो गई और सोचने लगी, “तुम मुझे आस्था-त्याग-पत्र लिखने के लिए मजबूर कर रहे हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं परमेश्वर को धोखा दे रही हूँ। मेरा मानना है कि परमेश्वर सब-कुछ देखता है।”
मैं पूरी रात जागती रही और सोचती रही कि मुझे इस स्थिति से कैसे गुजरना चाहिए। मैंने परमेश्वर के इस वचन के बारे में सोचा : “अभी जब लोगों को बचाया नहीं गया है, तब शैतान के द्वारा उनके जीवन में प्रायः विघ्न डाला, और यहाँ तक कि उन्हें नियंत्रित भी किया जाता है। दूसरे शब्दों में, वे लोग जिन्हें बचाया नहीं गया है शैतान के क़ैदी होते हैं, उन्हें कोई स्वतंत्रता नहीं होती, उन्हें शैतान द्वारा छोड़ा नहीं गया है, वे परमेश्वर की आराधना करने के योग्य या पात्र नहीं हैं, शैतान द्वारा उनका क़रीब से पीछा और उन पर क्रूरतापूर्वक आक्रमण किया जाता है। ऐसे लोगों के पास कहने को भी कोई खुशी नहीं होती है, उनके पास कहने को भी सामान्य अस्तित्व का अधिकार नहीं होता, और इतना ही नहीं, उनके पास कहने को भी कोई गरिमा नहीं होती है। यदि तुम डटकर खड़े हो जाते हो और शैतान के साथ संग्राम करते हो, शैतान के साथ जीवन और मरण की लड़ाई लड़ने के लिए शस्त्रास्त्र के रूप में परमेश्वर में अपने विश्वास और अपनी आज्ञाकारिता, और परमेश्वर के भय का उपयोग करते हो, ऐसे कि तुम शैतान को पूरी तरह परास्त कर देते हो और उसे तुम्हें देखते ही दुम दबाने और भीतकातर बन जाने को मजबूर कर देते हो, ताकि वह तुम्हारे विरुद्ध अपने आक्रमणों और आरोपों को पूरी तरह छोड़ दे—केवल तभी तुम बचाए जाओगे और स्वतंत्र हो पाओगे। यदि तुमने शैतान के साथ पूरी तरह नाता तोड़ने का ठान लिया है, किंतु यदि तुम शैतान को पराजित करने में तुम्हारी सहायता करने वाले शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित नहीं हो, तो तुम अब भी खतरे में होगे। समय बीतने के साथ, जब तुम शैतान द्वारा इतना प्रताड़ित कर दिए जाते हो कि तुममें रत्ती भर भी ताक़त नहीं बची है, तब भी तुम गवाही देने में असमर्थ हो, तुमने अब भी स्वयं को अपने विरुद्ध शैतान के आरोपों और हमलों से पूरी तरह मुक्त नहीं किया है, तो तुम्हारे उद्धार की कम ही कोई आशा होगी। अंत में, जब परमेश्वर के कार्य के समापन की घोषणा की जाती है, तब भी तुम शैतान के शिकंजे में होगे, अपने आपको मुक्त करने में असमर्थ, और इस प्रकार तुम्हारे पास कभी कोई अवसर या आशा नहीं होगी। तो, निहितार्थ यह है कि ऐसे लोग पूरी तरह शैतान की दासता में होंगे” (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II)। मैंने महसूस किया कि हालाँकि मुझमें पहले से ही परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए अपना जीवन दाँव पर लगाने की इच्छा थी, लेकिन जब मुझे यातना और पीड़ा का सामना करना पड़ा, तो मैं अपनी देह के बारे में चिंतित हो गई और मैंने हमेशा बचना चाहा। शैतान मेरी कमजोरी का फायदा उठाकर मुझे परेशान कर रहा था और मुझ पर बेरहमी से हमला कर रहा था। मेरा जबरन ब्रेनवॉश किया जा रहा था, मुझे प्रताड़ित किया जा रहा था, और परमेश्वर को धोखा देने के लिए “तीन पत्रों” पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया जा रहा था। यह जीवन और मृत्यु के बीच भीषण लड़ाई थी। अगर मैं परमेश्वर में विश्वास करना और उसका अनुसरण करना जारी रखना चाहती थी, तो मुझे परमेश्वर पर भरोसा करना था, परमेश्वर पर आस्था रखनी थी, और परमेश्वर के वचनों पर भरोसा करके शैतान के प्रलोभन पर विजय पानी थी। जब मैंने परमेश्वर की इच्छा समझ ली, तो आगे जो भी होने वाला था, मुझमें उसका सामना करने के लिए आस्था उत्पन्न हो गई। लेकिन जब मैंने सोचा कि कैसे कुछ भाई-बहन यातना बरदाश्त नहीं कर सके और उन्होंने “तीन पत्रों” पर हस्ताक्षर कर दिए, तो मुझे बहुत सदमा लगा, और मुझे कुछ समय के लिए इसे स्वीकार करना मुश्किल लगा। मैंने परमेश्वर के इन वचनों के बारे में सोचा : “आज मैं केवल वही काम करता हूँ, जो मेरा कर्तव्य है; मैं सारे गेहूँ को उस मोठ घास के साथ गठरियों में बाँधूँगा। आज मेरा यही कार्य है। पछोरने के समय वह सारी मोठ घास मेरे द्वारा पछोर दी जाएगी, और फिर गेहूँ के दानों को भंडार-गृह में इकट्ठा किया जाएगा, और पछोरी गई उस मोठ घास को जलाकर राख कर देने के लिए आग में डाल दिया जाएगा” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम विश्वास के बारे में क्या जानते हो?)। अंत के दिनों में परमेश्वर सभी प्रकार के लोगों को प्रकट करने के लिए बड़े लाल अजगर के उत्पीड़न का उपयोग करता है। वह कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा गिरफ्तारी और उत्पीड़न का उपयोग सच्चे विश्वासियों, झूठे विश्वासियों, कायरों, आँख मूँदकर भीड़ का अनुसरण करने वालों और आशीष प्राप्त करने की आशा करने वाले अवसरवादियों को प्रकट करने के लिए करता है। जो लोग सत्य का अनुसरण नहीं करते और केवल अपना पेट भरने की कोशिश करते हैं, उन्हें उजागर कर बाहर निकाल दिया जाता है, जबकि जो लोग वास्तव में परमेश्वर में विश्वास और सत्य से प्रेम करते हैं, उन्हें परमेश्वर द्वारा बचाया और पूर्ण किया जाता है। यह परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव की अभिव्यक्ति है। गिरफ्तार होने पर, जो लोग वास्तव में परमेश्वर में विश्वास और सत्य से प्रेम करते हैं, वे लगातार परमेश्वर से प्रार्थना करेंगे, सत्य की खोज करेंगे, परमेश्वर का कुछ ज्ञान प्राप्त करेंगे, सच्ची आस्था रखेंगे, परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए अपना जीवन अर्पित करने को तैयार होंगे, और शैतान पर विजय पाने की गवाही प्राप्त करेंगे। जो लोग सत्य का अनुसरण नहीं करते और केवल अपना पेट भरने की कोशिश करते हैं, वे थोड़ा-सा भी कष्ट होने पर परमेश्वर को धोखा दे देंगे और विश्वास करना बंद कर देंगे। वे स्वाभाविक रूप से प्रकट किए और निकाले जाएँगे। इस माहौल में सभी को अपना रुख व्यक्त करना चाहिए, सभी को एक कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है, और कोई इससे बच नहीं सकता। यह वैसा ही है, जैसा परमेश्वर के इन वचनों में कहा गया है : “यदि ये परीक्षण केवल मामूली परिस्थितियों से युक्त भी हों, तो भी सभी को इनसे गुज़रना होगा; अंतर केवल इतना है कि परीक्षणों की कठिनाई हर एक व्यक्ति के लिए अलग-अलग होगी” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 41)। लोगों को प्रकट और पूर्ण करने के लिए परमेश्वर बड़े लाल अजगर की सेवा का उपयोग करता है। इस तरह से काम करना बहुत बुद्धिमत्तापूर्ण है! भले ही दूसरों ने “तीन पत्रों” पर हस्ताक्षर कर दिए हों और बुजदिली से पीछे हट गए हों, मैं उन्हें खुद को प्रभावित नहीं करने दे सकती और प्रवाह के साथ नहीं बह सकती। अगर मैं अपनी देह की परवाह करूँगी और कष्ट से डर जाऊँगी, तो अंततः मैं भी गिर जाऊँगी। मैंने मन ही मन कसम खाई कि अगर मुझे पुलिस द्वारा पीट-पीटकर मार भी डाला जाए, तो वह परमेश्वर को धोखा देने के बाद इस दुनिया में एक नीच अस्तित्व को घसीटने से बेहतर होगा। अगले दिन मुझे चाहे कैसी भी परिस्थितियों का सामना करना पड़े, मैं कभी भी परमेश्वर के साथ विश्वासघात नहीं करूँगी। केवल बाद में मुझे पता चला कि कई बहनों को भी पुलिस ने आस्था-त्याग-पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया था। लोगों को परमेश्वर को धोखा देने हेतु मजबूर करने के लिए इन पुलिस अधिकारियों ने हर तरह की नीच और बुरी चालों का इस्तेमाल किया था। वे कितने पापी और शातिर थे!
अगले दिन जब मैं कक्षा में थी, तो लैंग ने अचानक मुझे बाहर बुलाया। जैसे ही मैं बाहर गई, मुझे मेरे पिता और गाँव के दो कर्मचारी दिखाई दिए। मेरे पिता ने मुझे देखा तो गले से लगा लिया और रोते हुए बोले, “आखिरकार मैंने तुझे देख ही लिया!” जब मैंने अपने पिता की कनपटियों पर सफेद बाल और उनके बूढ़े चेहरे पर थकान देखी, तो एक कड़वाहट ने मेरे दिल को जकड़ लिया और मेरी आँखों में आँसू भर आए। लैंग तब एक कलम और कागज लाया और मुझे फिर से आस्था-त्याग-पत्र लिखने को कहा। मैं समझ गई कि पुलिस मेरी भावनाओं का इस्तेमाल करके मुझे परमेश्वर को नकारने और धोखा देने के लिए मजबूर कर रही है, इसलिए मैंने मना कर दिया। गाँव के एक कर्मचारी ने मुझे डाँटते हुए कहा, “पुलिस कब से तुमसे पश्चात्ताप का पत्र लिखने के लिए कह रही है? अगर वे तुमसे दस बार लिखने को भी कहते हैं, तो तुम्हें लिखना ही होगा।” लैंग ने दोहराया, “हाँ, इसे दस बार लिखो!” उसी समय हमारी कक्षाएँ चलाने वाला हुआँग भी आ गया और पाखंडी अंदाज में बोला, “डरो मत। बस, बहादुर बनो और पत्र लिख दो।” जब मैंने उसे यह कहते हुए सुना, तो मुझे विशेष रूप से घृणा हुई। जब उसने देखा कि मैं उसे नजरअंदाज कर रही हूँ, तो वह मेरी ओर इशारा करके चिल्लाया, “अगर तुम इसे नहीं लिखती, तो तुम नहीं जा सकती, इसलिए जल्दी करो!” मेरे पिता रोते हुए मुझे मनाने की कोशिश करने लगे, “कृपा करके बस इसे लिख दो। जब तक तुम लिख नहीं देती, हम घर नहीं जा सकते। क्या तुम जानती हो, तुम्हें ढूँढ़ने के लिए मुझे कितनी भाग-दौड़ करनी पड़ी है और कितने लोगों के पास जाना पड़ा है? तुम्हें पत्र लिखना है। तुम जेल नहीं जा सकती!” लैंग ने भी गुस्से से कहा, “दर्जन भर लोगों ने पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, अकेली तुम ही बची हो। क्या तुम सच में जिद्दी बनोगी?” गाँव के कर्मचारियों ने भी मुझे मनाने की कोशिश की, “यह आसान है। बस कुछ शब्द लिख दो, और हम साथ-साथ घर चलेंगे। अगर तुम पत्र नहीं लिखोगी, तो तुम्हारे परिवार का पंजीकरण गाँव से काट दिया जाएगा। तुम गाँव में नहीं रह पाओगी, और तुम्हें फिर कभी लौटने नहीं दिया जाएगा।” कमरे में मौजूद सभी लोग चर्चा करने लगे कि क्या किया जाए। मेरे पिता ने मेरी समझाइश के लिए बेचैनी में कुछ शब्द फुसफुसाए, “बस इसे लिख दो, तुम्हें इसे मानने की जरूरत नहीं है। पहले यहाँ से निकल जाते हैं। तुम चाहो तो बाद में गुप्त रूप से विश्वास कर सकती हो। तुम इतनी जिद्दी क्यों हो रही हो?” मैंने मन ही मन सोचा, “कौन इस राक्षसी स्थान को नहीं छोड़ना चाहेगा? लेकिन मैं इसे बस रफा-दफा करके नहीं जा सकती। ‘तीन पत्रों’ पर हस्ताक्षर करना परमेश्वर के साथ विश्वासघात करना और उसके स्वभाव को ठेस पहुँचाना है।” लेकिन मेरे पिता द्वारा बार-बार अनुनय-विनय करने और समझाने से मैं किंकर्तव्यविमूढ़ हो गई। मैंने सोचा, “क्या परमेश्वर यह माहौल इसलिए बना रहा है, ताकि मुझे जाने का अवसर मिल जाए?” इसका पता लगाने के लिए मैंने अपने ह्रदय में लगातार परमेश्वर से प्रार्थना की, “परमेश्वर! तुम्हारी इच्छा क्या है?” उसी क्षण मुझे अचानक एहसास हुआ कि यहाँ से जाने की कीमत एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करना है, जो परमेश्वर को नकारता और धोखा देता है। मैं परमेश्वर को धोखा देने वाला कोई काम नहीं कर सकती। मैंने यह भी सोचा कि इतिहास के सभी युगों में कितने संतों ने परमेश्वर को धोखा देने के बजाय जेल जाना और सताकर मार दिया जाना पसंद किया। इस स्थिति में मेरे किंकर्तव्यविमूढ़ होने का कारण यह था कि मैं देह से बहुत प्यार करती थी, और कष्ट सहने और कीमत चुकाने के लिए तैयार नहीं थी। परमेश्वर के मार्गदर्शन का धन्यवाद, मैं उस समय बहुत शांत थी। मुझे परमेश्वर के ये वचन याद आए : “परमेश्वर द्वारा मनुष्य के भीतर किए जाने वाले कार्य के प्रत्येक चरण में, बाहर से यह लोगों के मध्य अंतःक्रिया प्रतीत होता है, मानो यह मानव-व्यवस्थाओं द्वारा या मानवीय विघ्न से उत्पन्न हुआ हो। किंतु पर्दे के पीछे, कार्य का प्रत्येक चरण, और घटित होने वाली हर चीज, शैतान द्वारा परमेश्वर के सामने चली गई बाजी है, और लोगों से अपेक्षित है कि वे परमेश्वर के लिए अपनी गवाही में अडिग बने रहें” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल परमेश्वर से प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है)। इस समय, मैं और भी स्पष्ट रूप से समझ गई थी कि उनके शब्द शैतान की चालें और प्रलोभन थे। वे मेरे लिए एक परीक्षा थे, और यही वह समय था जब मुझे परमेश्वर के लिए गवाही देने की जरूरत थी। मेरे पिता को कम्युनिस्ट पार्टी ने धोखा देकर मेरे मन को विचलित और मेरे संकल्प को डाँवाडोल करने के लिए शैतान के पक्ष में खड़ा कर दिया था। मैं कुछ समय की सहूलियत के लिए परमेश्वर के साथ विश्वासघात और उसकी निंदा करने वाला कोई काम नहीं कर सकती थी, मैं अपनी भावनाओं से नियंत्रित होकर शैतान की चालों में तो बिलकुल भी नहीं आ सकती थी। कुछ समय बीतने के बाद लैंग ने देखा कि मैं लिख नहीं रही, इसलिए उसने पुलिस को मुझे वापस कक्षा में ले जाने के लिए कहा। कुछ दिनों बाद वे मुझे मनाने के लिए मेरे पिता और मेरे चाचा को फिर से लाए, और उन्होंने मेरे पिता को भी रुलाया और मुझे परेशान करवाया, साथ ही उनसे मेरे सामने अपनी भावनात्मक अशांति व्यक्त करवाई, लेकिन अंत में, उनकी चालें काम नहीं आईं। लैंग की निराशा देखकर मुझे शैतान के प्रलोभनों पर विजय पाने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करने के बाद शांति का अनुभव हुआ।
हमें “तीन पत्रों” पर हस्ताक्षर करने पर मजबूर करने के लिए पुलिस ने एक घिनौना और भद्दा तरीका भी इस्तेमाल किया। एक रात, आधी रात के आसपास बहन जियाँग शिनमिंग को और मुझे सजा के तौर पर अहाते में स्थिर खड़े होने के लिए मजबूर किया जा रहा था। बाद में कई पुलिस अधिकारी हमें वापस कक्षा में ले गए। लैंग ने मुझे और शिनमिंग को कपड़े उतारने का आदेश दिया। मैंने सोचा, “शायद उसे लगता है कि हमने बहुत गर्म कपड़े पहने हैं,” इसलिए मेरी बहन ने और मैंने अपने कोट उतार दिए। अप्रत्याशित रूप से, लैंग और पुलिस दोनों हँस पड़े। फिर, लैंग ने शिनमिंग को अपनी पैंट उतारने का आदेश दिया, लेकिन उसने मना कर दिया। एक पुलिस अधिकारी दौड़कर आया और उसकी पैंट आधी नीचे कर दी। उसने उसे वापस ऊपर खींच लिया, और फिर वह मेरे कपड़े उतारने आया। मैंने उन्हें पहने रहने के लिए संघर्ष किया, इसलिए लैंग ने सिर हिलाकर एक अन्य पुरुष पुलिस अधिकारी को मेरी पैंट नीचे खींचने में मदद करने के लिए आने का इशारा किया। इसी समय याँग एक बोतल लेकर अंदर आया, जिसमें भूरे रंग की कई बड़ी-बड़ी मकड़ियाँ थीं, जिनके लंबे, पतले पैर उस बोतल के चारों ओर हिलडुल रहे थे। याँग ने मकड़ियों वाली बोतल ली, उसे हमारे सामने लहराया और बोला, “क्या तुम इन्हें खाना चाहोगी?” बोलते हुए याँग मकड़ियों को बाहर निकाल रहा था, और उसने बोतल हमारे मुँह के सामने कर दी। मुझे घृणा हुई, इसलिए मैंने अपना सिर घुमाया और अंतःप्रेरणा से पीछे खींच लिया। सभी पुलिस अधिकारी हँस पड़े। लैंग ने कहा, “मकड़ियों को इनकी जाँघों के बीच या इनकी छाती पर या फिर इनके मुँह में रख दो।” मैं क्रोध, घृणा और भय से भर गई। अगर इन्होंने वाकई इन्हें मेरी पैंट में डाल दिया, तो मैं क्या करूँगी? उस पल मुझे अचानक एहसास हुआ कि मकड़ियों सहित सब-कुछ परमेश्वर के हाथों में है। परमेश्वर की अनुमति के बिना मकड़ियाँ मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं। मैं यह सब दाँव पर लगा दूँगी, और आज पुलिस मुझे कितना भी अपमानित करे और सताए, मैं शैतान के सामने नहीं झुकूँगी। याँग मकड़ियों को बोतल से बाहर निकालने की कोशिश करता रहा, लेकिन वह उन्हें बाहर नहीं निकाल सका। जब आखिरकार उसने उन्हें बाहर निकाला, तो इससे पहले कि वह उन्हें हमारे पास ला पाता, वे जमीन पर गिर गईं। थोड़ी देर बाद लैंग ने उसे रुक जाने के लिए कहा। मैं जान गई कि यह हमारे लिए परमेश्वर की सुरक्षा है। मैंने देखा कि सब-कुछ परमेश्वर के हाथों में है। यह वैसा ही है, जैसा परमेश्वर ने कहा था : “कोई भी और सभी चीज़ें, चाहे जीवित हों या मृत, परमेश्वर के विचारों के अनुसार ही जगह बदलेंगी, परिवर्तित, नवीनीकृत और गायब होंगी। परमेश्वर सभी चीज़ों को इसी तरीके से संचालित करता है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है)। तब, पुलिस फिर से हमारे कपड़े उतारने आई, यहाँ तक कि मेरे शरीर पर सिर्फ मेरा लंबा अंडरवियर ही रह गया। लैंग दाँत पीसते हुए बोला, “इसे उतारो! इसे मेरे लिए उतारो!” मैं जितना कठिन संघर्ष कर सकती थी, करती रही। नग्न होने और उनके द्वारा देखे जाने, उपहास और अपमानित किए जाने के विचार से मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई। जितना ज्यादा मैंने इस बारे में सोचा, उतना ही ज्यादा इसने मुझे असहज किया। उस समय अचानक मुझे एहसास हुआ कि इस तरह की सोच ने मेरा शैतान की चालों में फँसना आसान बना दिया है। हमारे कपड़े उतारने वाली पुलिस ने सिर्फ यह साबित किया कि वे कितने दुष्ट हैं। लोगों को परमेश्वर को धोखा देने पर मजबूर करने के लिए वे कुछ भी भयानक और बुरा करने के लिए तैयार थे। मुझे परमेश्वर में विश्वास करने के लिए अपमानित किया और सताया जा रहा था। यह गौरव की बात थी, और इसमें लज्जित होने जैसा कुछ नहीं था। मानवजाति के छुटकारे के लिए प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने की छवि मेरे मन में आई। परमेश्वर सर्वोच्च और पवित्र है, फिर भी उसने मानवजाति के छुटकारे के लिए ये अपमान चुपचाप सहे। परमेश्वर ने मानवजाति के लिए बहुत कीमत चुकाई है, इसलिए प्रेरित होकर मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की, “परमेश्वर, आज वे मुझे कितना भी अपमानित करें या मुझे कितना भी दर्द सहना पड़े, मैं तुम्हें कभी धोखा नहीं दूँगी।” मैंने पुलिस अधिकारी की तरफ गुस्से से देखा। उसे अपराध-बोध हो रहा था, इसलिए उसने हमें अपने कपड़े पहनने दिए और जाने दिया। मैंने शैतान के एक और प्रलोभन पर विजय पाने में हमारी अगुआई करने के लिए परमेश्वर को अपने दिल की गहराई से धन्यवाद दिया। उस दिन लैंग ने मुझे यह कहते हुए धमकाया, “अब केवल तुम ही हो, जिसने पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। बाकी सब जानते हैं कि उनके लिए सबसे अच्छा क्या है, लेकिन तुम नहीं जानती। अगर तुम हस्ताक्षर नहीं करोगी, तो उन सबके लिए तुम्हीं को दोषी ठहराया जाएगा!” मैंने उसे नजरअंदाज कर दिया। उसने निराशा से कहा, “ठीक है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की ओर से तुम जीत गई! तुम जीत गई! बधाई हो!” उसने मुझ पर निगाह डाली, खड़ा हुआ, और निराशा में दरवाजे से बाहर चला गया। शैतान का अपमान और उसकी असफलता देखकर मैं परमेश्वर की बहुत आभारी हुई, मैं जान गई कि ये परमेश्वर के वचन और परमेश्वर द्वारा मुझे प्रदान की गई शक्ति थी, जिन्होंने मुझे वहाँ तक पहुँचने की आस्था दी जहाँ मैं अभी हूँ, और मैंने अपने हृदय में परमेश्वर का महिमा-मंडन किया!
एक दिन लैंग ने मुझसे पूरी सुबह बात की, और दोपहर में मेरे सुधार के प्रभारी, ब्रेनवॉशिंग सेंटर के सभी लोगों ने बारी-बारी से मुझे “तीन पत्रों” पर हस्ताक्षर करने के लिए फुसलाया। उन्होंने कहा, “अगर तुम अभी हस्ताक्षर कर दो, तो तुम्हारे पास अभी भी जाने का मौका है, लेकिन आज के बाद तुम्हें ऐसा दूसरा मौका नहीं मिलेगा। तुम्हें आठ से दस साल तक की जेल की सजा सुनाई जाएगी। जब तुम बाहर निकलोगी, तो तुम्हारी उम्र कितनी हो जाएगी?” मैंने उनकी प्रलोभन की बातें सुनीं, लेकिन उनकी परवाह नहीं की। मुझे बस यही लगा कि वे मूर्ख और अज्ञानी हैं, और अपने शब्द बरबाद कर रहे हैं। मैंने सोचा कि कैसे मेरी ब्रेनवॉशिंग और उत्पीड़न के दौरान परमेश्वर हमेशा चुपचाप मेरे साथ रहकर मेरी अगुआई कर रहा है, तो मुझे किस बाबत चिंता करने की जरूरत है? जहाँ तक इस बात का संबंध है कि मुझे कितने साल की सजा मिलेगी और मुझे कितना कष्ट उठाना होगा, तो इन सभी चीजों की परमेश्वर ने अनुमति दी थी। यहाँ तक कि अगर मुझे आने वाले दिनों में कठिनाई और लंबे समय तक कष्ट भी सहना पड़ा, तो भी मैं परमेश्वर के आयोजनों और व्यवस्थाओं का पालन करने और साथ ही परमेश्वर की गवाही में दृढ़ रहने के लिए तैयार थी। शाम के करीब अचानक मेरे पिता आ गए। उन्होंने लैंग के साथ काफी समय तक बात की, और अंततः 5,000 युआन के बेल का भुगतान किया, जिसके बाद उन्होंने मुझे रिहा कर दिया। बाद में मुझे पता चला कि मेरे ब्रेनवॉशिंग-प्रशिक्षण के दौरान मेरे पिता के एक दोस्त का वहाँ तबादला हो गया था, इसलिए मेरे पिता को कुछ पैसे देकर मुझे बाहर निकालने का मौका मिल गया था। मैं जान गई कि यह परमेश्वर की चमत्कारी व्यवस्थाओं में से एक थी। वरना पुलिस ऐसे व्यक्ति को इतनी आसानी से कैसे रिहा कर सकती थी, जो “तीन पत्रों” पर हस्ताक्षर नहीं कर रहा था?
इस उत्पीड़न और क्लेश से गुजरने के बाद मैंने वास्तव में परमेश्वर के कार्य की बुद्धिमत्ता देखी। परमेश्वर ने सत्य को समझने और विवेक हासिल करने में मेरी मदद करने के साथ-साथ मेरी आस्था पूर्ण करने के लिए बड़े लाल अजगर के उत्पीड़न का इस्तेमाल किया था। हालाँकि मैं एक खतरनाक स्थिति में थी और पुलिस की धमकियों, डराने-धमकाने, जबरन ब्रेनवॉश किए जाने और दैनिक यातना का सामना कर रही थी, लेकिन परमेश्वर मेरे साथ था, अपने वचनों से मुझे प्रबुद्ध और मेरी अगुआई कर रहा था, शैतान के प्रलोभनों पर विजय पाने और परमेश्वर की गवाही देने के लिए दृढ़ रहने दे रहा था। मैंने कम्युनिस्ट पार्टी का बुरा और बदसूरत चेहरा, और परमेश्वर का विरोध और उससे नफरत करने का उसका शैतानी सार भी अच्छी तरह से देखा, और मैं अपने दिल की गहराई से उससे नफरत करने और उसे त्यागने में सक्षम हो गई। साथ ही, मैंने वास्तव में परमेश्वर के वचनों के अधिकार और सामर्थ्य का भी अनुभव किया, और मैंने देखा कि सब-कुछ परमेश्वर के हाथों में है, कि परमेश्वर हर चीज पर शासन करता है, और शैतान कितना भी क्रूर क्यों न हो, वह परमेश्वर की सेवा में एक उपकरण मात्र है। भविष्य में मैं चाहे कितने भी खतरों और क्लेशों का सामना करूँ, मैं अंत तक परमेश्वर का अनुसरण करूँगी!