262  ईमानदार लोग रोशनी में जीते हैं


1

सत्य का अनुसरण करने के लिए हमें होना चाहिए ईमानदार,

खुद को उजागर करने

और अपनी भ्रष्टता का गहन-विश्लेषण करने का साहस करना है।

चाहे दूसरे हमारे बारे में कुछ भी सोचें,

हमारा हृदय ऐसा होना चाहिए जो परमेश्वर के सामने जिए।

हम सभी चीजों में सत्य खोजते हैं

और सत्य समझने में मुक्त महसूस करते हैं।

सत्य से प्रेम करने और शुद्ध हृदय वालों को परमेश्वर का आशीष मिलता है,

लेकिन हमेशा खुद को छिपाने वाले अपना ही नुकसान करते हैं।

तुम मुझसे पूछते हो कि मैं एक ईमानदार व्यक्ति के रूप में क्यों जीता हूँ।

ईमानदार लोग परमेश्वर का आनन्द पाते हैं

और बचाए जा सकते हैं और रोशनी में जी सकते हैं।


2

अपना कर्तव्य अच्छे से निभाने के लिए हमें ईमानदार होना चाहिए,

सभी चीजों में परमेश्वर के हृदय पर विचार और सिद्धांत से कार्य करना चाहिए।

उस सत्य का अभ्यास करना चाहिए जिसे हम समझते हैं,

सभी चीजों में परमेश्वर की जाँच-पड़ताल स्वीकारनी चाहिए,

अपना कर्तव्य परिश्रम और पूरी निष्ठा से निभाना चाहिए,

परमेश्वर के प्रति कभी लापरवाह नहीं होना चाहिए।

हमें सत्य का अनुसरण करना है

और परमेश्वर को सहज बनाने के लिए उचित कर्तव्य निभाने हैं

और परमेश्वर के आदेश को अपनी प्राथमिकता के रूप में लेना चाहिए।

परमेश्वर ने हमें इतने सारे सत्य दिए हैं

तो हम उसे कैसे निराश कर सकते हैं?

हमें परमेश्वर के प्रेम के प्रतिदान के लिए अपना कर्तव्य अच्छे से निभाना चाहिए।


3

परमेश्वर से सच्चा प्रेम करने के लिए हमें ईमानदार होना चाहिए,

उससे न कुछ माँगना चाहिए, न सौदेबाजी करनी चाहिए।

हमें परमेश्वर की व्यवस्थाओं को पूरी तरह से समर्पित होना चाहिए,

चाहे हमें आशीष मिले या दुर्भाग्य का सामना करना पड़े।

अगर हम सत्य स्वीकारकर परमेश्वर के प्रति समर्पित हो जाएँ

तो हम उसके लिए गवाही दे पाएँगे।

न्याय से गुजरने पर हम शुद्ध होते हैं

और हमारा स्वभाव बदल जाता है।

अपने दिल में परमेश्वर से प्रेम करते हुए मैं अपना जीवन उसके लिए जीने को तैयार हूँ;

बचा समय मैं उसे समर्पित करूँगा।

ईमानदार लोग वाकई परमेश्वर के लिए खुद को खपा सकते हैं,

अपने कर्तव्य अच्छे से निभा सकते और परमेश्वर की स्वीकृति पा सकते हैं।

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