165  इंसानों के बीच सच्चा प्रेम

1 तू सत्य व्यक्त करता है और इंसान को अनंत जीवन का मार्ग प्रदान करता है। तू अस्वीकृति के कष्ट को सहता है इंसान की मुश्किलों को साझा करता है। तू कलीसियाओं के बीच चलता है और अपने चुने हुए लोगों की देखभाल करता है। तू इंसानों के साथ रहता है, उनके साथ कष्ट सहता है। तूने दशकों तक कष्ट सहा है। तू इंसान का दिल जीतने के लिए अपना सारा प्रेम उंडेल देता है। तू इंसान को सत्य मुहैया कराने के लिये ही हर दिन नए वचन बोलता है। तेरे कठोर वचन सच्चे प्रेम से भरे होते हैं। इंसान को पूर्ण बनाने के लिए है तेरा न्याय और परीक्षण। मैं तेरे न्याय से गुज़रता हूँ और अपनी भ्रष्टता से मुक्त होता हूँ। मैं तेरे प्रेम का अनुभव करता हूँ, मेरा दिल तेरी तेरी ओर मुड़ता है।

2 मैंने बरसों तुझमें विश्वास किया है, लेकिन कभी तुझे जाना नहीं। गलतफ़हमियों से भरकर, मैंने केवल तुझसे अनुग्रह की भीख माँगी। मैंने तेरे काम को स्वीकार किया, लेकिन मैंने तुझसे कभी प्रेम नहीं किया। मैंने वास्तव में सारी चेतना गँवा दी, मैं इंसान कहलाने योग्य नहीं था। तूने मुझ पर दया और नम्रता दिखाई और मुझे बचाने की भरपूर कोशिश की। तेरा न्याय और शुद्धिकरण ही तेरा प्रेम है। तेरे न्याय का अनुभव करके, मैं तेरी धार्मिकता को जान गया हूँ। मैं किसी नए इंसान की तरह रहता हूँ, तेरे लिए मेरा प्रेम अधिक पवित्र है। तेरी मनोहरता देखकर, मेरा दिल तेरा हो गया। मैं बिना किसी पछतावे या शिकायत के तेरे आयोजनों के प्रति समर्पित होता हूँ। मैं तुमसे प्रेम करता हूँ और तेरी गवाही देता हूँ, मैं जीवन भर तेरे प्रति निष्ठावान रहूँगा।

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