1. आप गवाही देते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का आविर्भाव, अंतिम दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, के प्रकटन और कार्य में निहित है, लेकिन नास्तिक सीसीपी सरकार और धार्मिक दुनिया के नेता आपकी शिक्षाओं को विधर्मी बताकर उनकी निंदा करते हैं। तो सीसीपी और धार्मिक दुनिया जो कहती है, उसमें हम कैसे विवेक का पालन कर सकते हैं?

संदर्भ के लिए धर्मोपदेश और संगति के उद्धरण :

सीसीपी एक नास्तिक राजनीतिक पार्टी है। क्या वे लोग परमेश्वर में विश्वास करते हैं? नहीं. वे किस पर विश्वास करते हैं? वे मार्क्स, शैतानवाद के अगुआ में, विश्वास करते हैं। सीसीपी, इसलिए, शैतानवादी है। शैतानवाद, स्वाभाविक रूप से, परमेश्वर की कलीसिया के प्रति अत्यंत घृणा रखता है, वह उसका उन्मत्त विरोध और उसकी निंदा करता है। आइए, हम सीसीपी के इतिहास को देखें। इसकी स्थापना से ही, सीसीपी ने मार्क्स के कम्युनिस्ट घोषणापत्र की उपासना और वंदना की है। सीसीपी के लोग असली नास्तिक हैं। वे परमेश्वर को स्वीकार नहीं करते हैं, वे दुष्टों के राजा शैतान की, और मार्क्स की, उपासना करते हैं, वे मार्क्स के शब्दों को सत्य के रूप में प्रतिष्ठापित करते हैं, और इसलिए यह स्वाभाविक है कि वे परमेश्वर का विरोध करते हैं और परमेश्वर के कार्य की निंदा करते हैं। सीसीपी ने हमेशा ईसाई धर्म को एक पंथ और बाइबल को "पंथवादी साहित्य" मानकर उनकी निंदा की है। आप इस बारे में क्या सोचते है? आखिर आपकी नज़र में सीसीपी किस तरह का संगठन है? यह सकारात्मक है या नकारात्मक? यदि इस तरह के मामले आपके लिए स्पष्ट हों, तो आप स्वाभाविक रूप से जानेंगे कि सीसीपी के विधर्मों, भ्रांतियों और सरासर झूठ का सामना कैसे किया जाए। आइए, अब हम उस भूमिका को देखें जो धर्म की दुनिया ने हमेशा परमेश्वर के कार्य में निभाई है। धार्मिक दुनिया परमेश्वर के कार्य से उत्पन्न हुई थी, लेकिन हर बार जब परमेश्वर ने अपने कार्य का एक नया चरण किया है, धार्मिक दुनिया ने परमेश्वर के विरोध में एक भूमिका निभाई है, और इसके नेता धीरे-धीरे परमेश्वर के विरोधी बन गए हैं। उदाहरण के लिए, व्यवस्था के युग के अंत में, जब प्रभु यीशु प्रकट हुआ और उसने अपना काम किया, तो यहूदी धर्म के प्रमुखों ने उसका विरोध करने और उनकी निंदा करने का हर संभव प्रयास किया, और अंततः उन्होंने उन्हें सूली पर चढ़ा दिया। जैसे ही प्रभु यीशु के छुटकारे के सुसमाचार का प्रसार हुआ, यहूदी धर्म के अधिकांश अनुयायियों ने प्रभु यीशु को अस्वीकार कर दिया; आज भी, वे प्रभु यीशु का विरोध और निंदा करते रहते हैं। क्या यह तथ्य नहीं है? अंतिम दिनों के दौरान, सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रकट हुआ है और अपना कार्य कर रहा है। उसने कई सच्चाईयों को व्यक्त किया है और वह राज्य के युग को ले आया है। संपूर्ण धार्मिक समुदाय ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और निंदा की है, जैसे कि यहूदी धर्म ने प्रभु यीशु का विरोध किया था और उसकी निंदा की थी। दोनों ही मसीह को, जो सच्चाई को व्यक्त करता है, सूली पर कीलों से जड़ देने के लिए उतावले थे। इन तथ्यों से संकेत मिलता है कि धार्मिक दुनिया परमेश्वर का विरोध करती है और मसीह-विरोधी लोगों के नियंत्रण में है। इसलिए आज, जब आप सीसीपी और धार्मिक दुनिया को सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की, एक विधर्मी पंथ के रूप में, निंदा करते हुए देखते हैं, तो क्या आप इसे इसके वास्तविक रूप में देख सकते हैं?

— ऊपर से संगति से उद्धृत

"शी जियाओ" भला क्या है? निस्संदेह, यह किसी सच्चे धार्मिक विश्वास को संदर्भित नहीं करता। सच्चा धार्मिक विश्वास परमेश्वर के कार्य से पैदा होता है, जबकि शी जियाओ सच्चे मार्ग के बिलकुल विपरीत है, यह शैतान और विभिन्न बुरी आत्माओं द्वारा लोगों को दिए गए धोखे का एक उत्पाद है—इस पर कोई सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता। कोई भी राज्य या समूह किसी धर्म को शी जियाओ या परंपरावादी कहने के योग्य या उसका हकदार नहीं है, क्योंकि भ्रष्ट मानवजाति सत्य से रहित है। केवल मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है, और शी जियाओ का निर्धारण केवल परमेश्वर के वचनों के आधार पर हीकिया जा सकता है। आधार के रूप में परमेश्वर के वचनों के बिना गुणात्मक निर्धारण भी गलत है। विशेष रूप से, सीसीपी शैतानवादी है, एक शी जियाओ है—वह सच्चे धार्मिक विश्वास की निंदा करने के और भी अधिक अयोग्य है। सीसीपी ने ईसाइयत की हमेशा शी जियाओ कहकर निंदा की है, और कई ईसाई समूहों को शी जियाओ के रूप में दोषी ठहराया है, जो बिलकुल बेतुका है। सीसीपी वास्तव में सत्य और परमेश्वर से घृणा करती है, और इसलिए वह सकारात्मक चीजों और सच्चे धार्मिक विश्वासों की शी जियाओ कहकर निंदा करती है। परंपरावादी धर्म आखिर है क्या, और शी जियाओ क्या है? सटीक रूप से कहें तो, सच्चे परमेश्वर में विश्वास करने वाली सभी कलीसियाएँ परंपरावादी हैं; झूठे देवताओं, बुरी आत्माओं, शैतान और दानवों में विश्वास करने वाले सभी शी जियाओ हैं; और निरीश्वरवाद और विकासवाद जैसे परमेश्वर-विरोधी पाखंडों और भ्रांतियों का प्रचार करने वाले सभी शी जियाओ हैं। जैसा कि सर्वविदित है, कम्युनिस्ट पार्टी का गठन जर्मन नागरिक मार्क्स द्वारा किया गया था। मार्क्स एक घोषित शैतानवादी था, जिसने दानव शैतान होने का दावा किया था। इस प्रामाणिक दानव द्वारा बनाई गई कम्युनिस्ट पार्टी परंपरावादी कैसे हो सकती है? कम्युनिस्ट पार्टी ने हमेशा हिंसक क्रांति की वकालत की है। वे मानवजाति के हत्यारे और पक्के नास्तिक हैं। कम्युनिस्ट घोषणापत्र में मार्क्स ने कहा था, "एक भूत यूरोप को सता रहा है—साम्यवाद का भूत।" आज यह भूत सीसीपी में सन्निहित है। प्रतिक्रियावादी सीसीपी स्पष्ट रूप से एक कट्टर शी जियाओ है। सीसीपी अपने संस्थापक पिता मार्क्स से अधिक चालाक है, जिसने सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार करने का साहस किया था कि वह दानव शैतान है; सीसीपी यह कहने की हिम्मत नहीं करती। सीसीपी तथ्यों को विकृत करने और काले को सफेद करने में माहिर है, वह छल-कपट और धोखे की, ऐसा शैतान होने की उस्ताद है जो पाप की भर्त्सना करता है, वह सही को गलत में, बुराई में और बुराई को सही में बदल सकती है। सीसीपी स्वयं स्पष्ट रूप से दुष्ट और प्रतिक्रियावादी है, फिर भी वह सकारात्मक और न्यायपूर्ण होने का स्वाँग रचती है, और खुद को महान, गौरवशाली और सही बताने के लिए वह सब-कुछ करती है, जो वह कर सकती है। सीसीपी ने हमेशा इसी तरह के तरीकों का इस्तेमाल किया है। सीसीपी पाप की भर्त्सना करने वाली शैतान होने में माहिर है। दुनिया में कुछ भी सीसीपी से ज्यादा धोखा देने, छल करने, खिलवाड़ करने, भ्रष्ट करने और मानवजाति का वध करने में माहिर नहीं है। केवल सीसीपी ही एक परंपरावादी धर्म को शी जियाओ बता सकती है—लेकिन वास्तव में, सीसीपी ही असली शी जियाओ है, अंत के दिनों की सच्ची शैतानवादी, दानवों का कट्टरपंथी झुंड, दुनिया का सबसे दुष्ट और कपटी प्रतिक्रियावादी और आतंकवादी संगठन। ये मान्यता प्राप्त तथ्य हैं, और जरा भी गलत नहीं हैं!

इसके अलावा, कोई धर्म या कलीसिया शी जियाओ है या नहीं, इसे सभी विश्वासियों और दुनिया के सभी लोगों द्वारा सार्वभौमिक मूल्यों के आधार पर मापा जाना चाहिए—सिर्फ यही उचित है। केवल सीसीपी द्वारा तैयार किए गए संविधान के आधार पर यह निर्धारित करना जरा हास्यास्पद है कि कौन-से धर्म शी जियाओ हैं। चूँकि सीसीपी सहज रूप से नास्तिक है, चूँकि वह परमेश्वर के अस्तित्व को बिलकुल भी नहीं मानती, परमेश्वर को जानती तो वह बिलकुल भी नहीं, और चूँकि वह परमेश्वर का विरोध करती है और परमेश्वर की शत्रु है, इसलिए वह परमेश्वर में विश्वास के मामलों पर टिप्पणी करने के अयोग्य है, परमेश्वर या कलीसियाओं में विश्वास करने वाले किसी समूह को अपराधी घोषित करने के योग्य तो वह बिलकुल भी नहीं है। वास्तव में, सीसीपी ने अपनी नास्तिकता और संविधान के अनुसार ईसाइयत और कुछ अन्य धार्मिक समूहों सहित उन सभी समूहों पर शी जियाओ होने का ठप्पा लगा दिया है, जो परमेश्वर या कलीसियाओं में विश्वास करते हैं। उसने खुले तौर पर बाइबल पर भी शी जियाओ साहित्य होने का ठप्पा लगाया है। ये मान्यता प्राप्त तथ्य हैं। मुख्य भूमि चीन में सत्ता सँभालने के बाद से ही सीसीपी ने उन लोगों को रोकने, दबाने और सताने के लिए कई क्रूर तकनीकों का इस्तेमाल किया है जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं, और वह उन्हें उनकी धार्मिक स्वतंत्रता से वंचित किया है। वह कलीसियाओं पर दबाव डालने, परमेश्वर में विश्वास करने वालों को डराने, और लोगों को परमेश्वर की आराधना और अनुसरण करने से रोकने के लिए जनमत और राजनीतिक और कानूनी साधनों का उपयोग करती है, ताकि वे सीसीपी की आराधना और उसका आज्ञापालन करें और उसके शासन को स्वीकार करना और उसकी सेवा करना जारी रखें। वह यह भी घोषणा करती है कि लोगों को खुशी सीसीपी द्वारा प्रदान की जाती है, क्योंकि सीसीपी वह "माता-पिता" है जो चीनी लोगों को भोजन और कपड़े प्रदान करती है। वह वास्तव में बेशर्म और बेतुकी है! जाहिर है, सीसीपी बुरी पार्टी है, शी जियाओ है। वह फासीवादियों से ज्यादा फासीवादी है। आज की दुनिया में परमेश्वर का विरोध करने में कोई भी अन्य संगठन दुष्ट सीसीपी से अधिक उग्र या द्वेषपूर्ण नहीं है; कोई भी अन्य संगठन अपनी जनता का शोषण करने, उसे धोखा देने और उसका दमन करने में उससे अधिक क्रूर नहीं है, और किसी भी अन्य संगठन ने उससे अधिक लोगों को नहीं मारा और नुकसान नहीं पहुँचाया है। सीसीपी ने लंबे समय से स्वर्ग का क्रोध और लोगों का आक्रोश अर्जित किया है। इस प्रकार, सत्ता पर कब्जा करने के लिए झूठ, छल और हिंसा का इस्तेमाल करने वाली यह अवैध सत्ताधारी पार्टी इस पर टिप्पणी करने के योग्य नहीं है कि कौन-सा धर्म या कलीसिया परंपरावादी है और कौन-सा शी जियाओ है। हो सकता है, सीसीपी ने कुछ अंतरराष्ट्रीय संधियों पर हस्ताक्षर किए हों, लेकिन यह सिर्फ चीनी लोगों को धोखा देने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आँखों में धूल झोंकने का एक तरीका भर है; वास्तव में उसने इन संधियों को कभी भी माना या स्वीकार नहीं किया है—इनका पालन करने की तो बात ही अलग है। चीन का संविधान सही मायनों में कोई कानून नहीं है। वह चीनी लोगों के लिए बनाया गया था और उन्हें प्रतिबंधित करने और जकड़ने का एक साधन है। सीसीपी स्वयं कानून का पालन बिलकुल भी नहीं करती। कम्युनिस्ट पार्टी की तानाशाही वाले देश में कोई कानून नहीं है। यह कहा जा सकता है कि इसकी शक्ति कानून से ऊपर है। सीसीपी अधिकारियों और पुलिस ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वे ही कानून हैं, और वे जो कहते हैं वही कानून है, जिसके कारण सीसीपी ने कानून और स्वर्ग दोनों की पूरी तरह से अनदेखी की है। आज, परमेश्वर सीसीपी को अपना विरोध करने के लिए दंडित कर रहा है। परमेश्वर ने सीसीपी को नष्ट करने के लिए हर तरह की आपदा बरसाई है। चीनी लोग अब सीसीपी की बातों पर विश्वास नहीं करते, क्योंकि सीसीपी जो कुछ भी कहती है, वह झूठ और पाखंड, तथ्यों की तोड़-मरोड़, सच्चाई को पूरी तरह से उलटने और विवेक की पूर्ण अनुपस्थिति के सिवाय, और लोगों को धोखा देने, उन्हें पंगु बनाने और उनका शोषण करने वाले शैतानी शब्दों के अलावा कुछ नहीं है।

— ऊपर से संगति से उद्धृत

मनुष्य की संगति :

"पूर्वी बिजली" शब्द प्रभु यीशु की एक भविष्यवाणी में से आया है : "क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्‍चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा" (मत्ती 24:27)। जो लोग परमेश्वर की वाणी सुनते हैं और पूर्वी बिजली को स्वीकार करते हैं, उन्हें उसके सिंहासन के सामने उन्नत किया गया है, जबकि जो लोग पूर्वी बिजली को अस्वीकार करते हैं, वे उसे विधर्म के रूप में खारिज करने की पूरी कोशिश करते हैं। यह आश्चर्य की बात नहीं है; धार्मिक अगुआओं द्वारा परमेश्वर के कार्य का विरोध करने और उसकी निंदा करने का एक लंबा इतिहास है। अनुग्रह के युग में, जब प्रभु यीशु काम करने आया, तो यहूदी धर्म के मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों ने प्रभु यीशु के प्रकटन और काम की विधर्म कहकर निंदा की और प्रभु यीशु का विरोध और उत्पीड़न किया। उनके और प्रभु यीशु के बीच कोई शत्रुता नहीं थी, फिर उन्होंने उसका इतने पागलपन के साथ विरोध और निंदा क्यों की? बाइबल से परिचित हर कोई जानता है कि कार्य करके, उपदेश देकर और कई चिह्न और चमत्कार दिखाकर प्रभु यीशु ने पूरे यहूदिया में सनसनी फैला दी थी, और कई यहूदी लोग उसका अनुसरण करने लगे थे; इसने शीर्ष यहूदी अगुआओं में बड़ी नाराजगी पैदा कर दी थी। वे अच्छी तरह से जानते थे कि अगर उन्होंने प्रभु यीशु को काम करते और उपदेश देते रहने दिया, तो सभी यहूदी विश्वासी उसका अनुसरण करने लगेंगे और यहूदी धर्म नष्ट हो जाएगा। फिर कोई उन अगुआओं की आराधना या अनुसरण नहीं करेगा; उनकी हैसियत और आजीविका चली जाएगी। इन चीजों को संरक्षित करने के प्रयास में उन्होंने प्रभु यीशु के विरुद्ध जो भी वे कर सकते थे, वह किया, और उन्हें सूली पर चढ़ा दिया। जब प्रभु यीशु के प्रेरितों ने उनके सुसमाचार का प्रचार किया, तो उन अगुआओं ने यह कहते हुए उन्हें गिरफ्तार किया और सताया कि प्रभु यीशु का कार्य विधर्मी था। इससे हम देख सकते हैं कि सच्चा मार्ग अनिवार्य रूप से धार्मिक मंडलों के अगुआओं से अस्वीकृति और निंदा पाता है।

अंत के दिनों में, देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मानवजाति को शुद्ध करने और बचाने के लिए सभी सत्य व्यक्त किए हैं, और परमेश्वर के घर से शुरू करके न्याय का कार्य भी किया है। उसे भी इसी तरह धार्मिक अगुआओं के प्रतिरोध और निंदा का शिकार होना पड़ा है। यह बाइबल में प्रभु यीशु द्वारा कही गई इस बात को पूरा करता है : "क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)। यहाँ "परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" प्रभु की वापसी और एक बार फिर मनुष्यों की निंदा और अस्वीकृति भुगतने को संदर्भित करता है। ये वचन वास्तव में धार्मिक दुनिया के पादरियों और एल्डरों द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर की धृष्ट निंदा को दर्शाते हैं, है ना? सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सभी कथन सत्य हैं, और उन्होंने उसकी प्रबंधन योजना के सभी रहस्य प्रकट किए हैं। इसमें सभी सत्य शामिल हैं—जैसे कि उसकी छह हजार वर्षीय प्रबंधन योजना, उसके कार्य के तीन चरणों का उद्देश्य, उसके देह बनने का रहस्य और महत्व, मानवजाति अब तक कैसे विकसित हुई है, और मानवजाति का भावी गंतव्य। बहुत-से लोगों ने, जिन्होंने उसके प्रकट होने की लालसा की है, देखा है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में अधिकार और सामर्थ्य है; उन्होंने देखा है कि वे सब सत्य हैं, उन्होंने जाना है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया हुआ प्रभु यीशु है, और वे एक के बाद एक उसकी ओर मुड़े हैं। तो फिर क्यों धार्मिक जगत के पादरी और एल्डर, जिन्होंने कई वर्षों तक परमेश्वर की सेवा की है, अंत के दिनों में प्रभु यीशु की वापसी स्वीकार नहीं करते, बल्कि पागलपन के साथ उसका विरोध और निंदा करते हैं? वास्तव में, उनमें से अनेक ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़े हैं और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सदस्यों के उपदेश सुने हैं। उनमें से अधिकतर लोग स्वीकार करते हैं कि उसके वचनों में अधिकार और सामर्थ्य है और वे सभी सत्य की अभिव्यक्तियाँ हैं, फिर भी वे कलीसिया की विधर्मी कहकर निंदा करने के लिए अपने ही विवेक के खिलाफ जाते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे देखते हैं कि उसके वचन कितने शक्तिशाली हैं—पूरे धार्मिक संसार को जीतने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली हैं—और अगर वे सच्चे विश्वासियों को अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने से नहीं रोकेंगे, तो पूरी धार्मिक दुनिया ढह जाएगी। उसके बाद कोई भी उन पादरियों और एल्डरों की आराधना या उनका अनुसरण नहीं करेगा। अपनी हैसियत और आजीविका बनाए रखने के लिए वे पागलपन के साथ सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकटन और कार्य की आलोचना और निंदा करते हैं, और कलीसिया को विधर्मी बताते हुए उसे खारिज करते हैं; उनका लक्ष्य इसका उपयोग इस तथ्य को छिपाने के लिए करना, कि प्रभु यीशु लौट आया है, प्रकट हो गया है और उसने कार्य किया है, और विश्वासियों को सच्चे मार्ग की जाँच करने और परमेश्वर के सामने आने से रोकना है। इसके बजाय वे चाहते हैं कि विश्वासी हमेशा उनकी आराधना और अनुसरण करें, ताकि ये एल्डर और पादरी धार्मिक दुनिया पर शाश्वत नियंत्रण रखने का अपना घृणित लक्ष्य हासिल कर सकें। यह स्पष्ट है कि उनके द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और प्रतिरोध का मूल वही है, जो यहूदी फरीसियों का प्रभु यीशु के विरुद्ध था। यह पूरी तरह से सत्य के प्रति घृणा और जुगुप्सा, और परमेश्वर के विरुद्ध प्रतिरोध की उनकी शैतानी प्रकृति द्वारा नियंत्रित है। तथ्य पर्याप्त रूप से साबित करते हैं कि जब धार्मिक मंडलों के ये पादरी और एल्डर परमेश्वर में विश्वास और उसकी सेवा करते हैं, तो वे उसके प्रति श्रद्धा नहीं रखते। वे पक्के फरीसी हैं; वे सभी मसीह-विरोधी हैं, जो परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य द्वारा उजागर किए जा रहे हैं।

भले ही उस समय के सभी यहूदी अगुआओं द्वारा प्रभु यीशु के कार्य की विधर्मी कहकर निंदा की गई हो, लेकिन उसका सुसमाचार फिर भी पृथ्वी के हर कोने में फैल गया और अधिक से अधिक लोगों द्वारा स्वीकार किया गया। अब संपूर्ण धार्मिक जगत उसे सच्चे परमेश्वर और उसके कार्य को सच्चे मार्ग के रूप में स्वीकार करता है। अंत के दिनों में भी, धार्मिक पादरी और एल्डर इसी तरह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को विधर्मी बताते हुए उसकी निंदा कर रहे हैं। चीन में उसे प्रकट हुए और कार्य करना शुरू किए अभी दो दशक से अधिक का ही समय हुआ है, और राज्य का सुसमाचार अब तक चीन के पूरे मुख्य भू-भाग में फैल गया है, जो लाखों लोगों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सामने लेकर आया है। वह अब पूरी दुनिया में बिजली की गति से फैल रहा है, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की शाखाएँ अब कई देशों में स्थापित हैं। इससे यह स्पष्ट है कि सच्चा मार्ग सदा सच्चा मार्ग रहेगा; भले ही धार्मिक मंडलों के सभी अगुआओं द्वारा उसकी विधर्म कहकर निंदा की जाए, अंतत: उसे पूरी मानवता द्वारा माना और स्वीकार किया जाएगा। कोई भी परमेश्वर के प्रकटन और कार्य के तथ्यों का खंडन नहीं कर सकता, न ही कोई उसके कार्य में बाधा डाल सकता है। यह परमेश्वर का अद्वितीय अधिकार है!

पिछला: 3. बाइबल में, पौलुस ने कहा था, "हर एक व्यक्‍ति शासकीय अधिकारियों के अधीन रहे, क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं जो परमेश्‍वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्‍वर के ठहराए हुए हैं। इसलिये जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्‍वर की विधि का सामना करता है, और सामना करनेवाले दण्ड पाएँगे" (रोमियों 13:1-2)। पौलुस के शब्दों के अनुसार अभ्यास करते हुए, हमें सभी चीजों में शासक शक्तियों के अधीन रहना चाहिए। और फिर भी, नास्तिक CCP सरकार ने अपने पूरे इतिहास में धार्मिक विश्वास को सताया है। यह परमेश्वर के प्रति शत्रुतापूर्ण है, और यह न केवल हमें प्रभु में विश्वास करने से रोकती है, बल्कि यह उन लोगों को भी कैद करती और सताती है, जो सुसमाचार फैलाते हैं और परमेश्वर की गवाही देते हैं। अगर हम चीनी कम्युनिस्ट सरकार के सामने झुक जाते हैं, प्रभु पर विश्वास करना बंद कर देते हैं, और सुसमाचार का प्रसार करना और परमेश्वर की गवाही देना बंद कर देते हैं, तो क्या हम प्रभु का विरोध करके तथा उसकी ओर पीठ करके शैतान के साथ खड़े नहीं होंगे? मैं वास्तव में यह समझ नहीं पा रहा हूँ: सत्ताधारी शक्तियों के मामलों में, प्रभु की इच्छा के अनुरूप होने के लिए आखिर मुझे क्या करना चाहिए?

अगला: 2. CCP ने एक जानकारी को ऑनलाइन प्रसारित करते हुए कहा है कि सुसमाचार को फैलाने और परमेश्वर की गवाही देने के लिए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में लोग अपने परिवारों और अपनी नौकरियों को छोड़ देते हैं। कुछ लोग आजीवन अविवाहित रहते हैं। सीसीपी का कहना है कि आपकी मान्यताएँ परिवारों को नष्ट कर देती हैं। क्या CCP का कहना सही है?

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

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1. प्रभु ने हमसे यह कहते हुए, एक वादा किया, "मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)। प्रभु यीशु पुनर्जीवित हुआ और हमारे लिए एक जगह तैयार करने के लिए स्वर्ग में चढ़ा, और इसलिए यह स्थान स्वर्ग में होना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु लौट आया है और पृथ्वी पर ईश्वर का राज्य स्थापित कर चुका है। मुझे समझ में नहीं आता: स्वर्ग का राज्य स्वर्ग में है या पृथ्वी पर?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी...

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