परिचय
(सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से उद्धरण)
सभी लोगों को पृथ्वी पर मेरे कार्य के उद्देश्यों को समझने की आवश्यकता है, अर्थात् मैं अंतत: क्या प्राप्त करना कहता हूँ, और इस कार्य को पूरा करने से पहले मुझे इसमें कौन-सा स्तर प्राप्त कर लेना चाहिए। यदि आज तक मेरे साथ चलते रहने के बाद भी लोग यह नहीं समझते कि मेरा कार्य क्या है, तो क्या वे मेरे साथ व्यर्थ में नहीं चले? यदि लोग मेरा अनुसरण करते हैं, तो उन्हें मेरी इच्छा जाननी चाहिए। मैं पृथ्वी पर हज़ारों सालों से कार्य कर रहा हूँ और आज भी मैं अपना कार्य इसी तरह से जारी रखे हुए हूँ। यद्यपि मेरे कार्य में कई परियोजनाएँ शामिल हैं, किंतु इसका उद्देश्य अपरिवर्तित है; यद्यपि, उदाहरण के लिए, मैं मनुष्य के प्रति न्याय और ताड़ना से भरा हुआ हूँ, फिर भी मैं जो करता हूँ, वह उसे बचाने के वास्ते, और अपने सुसमाचार को बेहतर ढंग से फैलाने और मुनष्य को पूर्ण बना दिए जाने पर अन्यजाति देशों के बीच अपने कार्य को आगे बढ़ाने के वास्ते है। इसलिए आज, एक ऐसे वक्त, जब कई लोग लंबे समय से निराशा में गहरे डूब चुके हैं, मैं अभी भी अपना कार्य जारी रखे हुए हूँ, मैं वह कार्य जारी रखे हुए हूँ जो मनुष्य को न्याय और ताड़ना देने के लिए मुझे करना चाहिए। इस तथ्य के बावजूद कि जो कुछ मैं कहता हूँ, मनुष्य उससे उकता गया है और मेरे कार्य से जुड़ने की उसकी कोई इच्छा नहीं है, मैं फिर भी अपना कर्तव्य कर रहा हूँ, क्योंकि मेरे कार्य का उद्देश्य अपरिवर्तित है और मेरी मूल योजना भंग नहीं होगी। मेरे न्याय का कार्य मनुष्य को मेरी आज्ञाओं का बेहतर ढंग से पालन करने में सक्षम बनाना है, और मेरी ताड़ना का कार्य मनुष्य को अधिक प्रभावी ढंग से बदलने देना है। यद्यपि मैं जो करता हूँ, वह मेरे प्रबंधन के वास्ते है, फिर भी मैंने कभी ऐसा कुछ नहीं किया है, जो मनुष्य के लाभ के लिए न हो, क्योंकि मैं इस्राएल से बाहर के सभी देशों को इस्राएलियों के समान ही आज्ञाकारी बनाना चाहता हूँ, उन्हें वास्तविक मनुष्य बनाना चाहता हूँ, ताकि इस्राएल के बाहर के देशों में मेरे लिए पैर रखने की जगह हो सके। यही मेरा प्रबंधन है; यही वह कार्य है जिसे मैं अन्यजाति देशों के बीच पूरा कर रहा हूँ। अभी भी, बहुत-से लोग मेरे प्रबंधन को नहीं समझते, क्योंकि उन्हें ऐसी चीज़ों में कोई रुचि नहीं है, और वे केवल अपने स्वयं के भविष्य और मंज़िल की परवाह करते हैं। मैं चाहे कुछ भी कहता रहूँ, लोग उस कार्य के प्रति उदासीन हैं जो मैं करता हूँ, इसके बजाय वे अनन्य रूप से अपनी कल की मंज़िलों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। अगर चीज़ें इसी तरह से चलती रहीं, तो मेरा कार्य कैसे फैल सकता है? मेरा सुसमाचार पूरे संसार में कैसे फैल सकता है? जान लो, कि जब मेरा कार्य फैलेगा, तो मैं तुम्हें तितर-बितर कर दूँगा और उसी तरह मारूँगा, जैसे यहोवा ने इस्राएल के प्रत्येक कबीले को मारा था। यह सब इसलिए किया जाएगा, ताकि मेरा सुसमाचार समस्त पृथ्वी पर फैल सके और अन्यजाति देशों तक पहुँच सके, ताकि मेरा नाम वयस्कों और बच्चों द्वारा समान रूप से बढ़ाया जा सके, और मेरा पवित्र नाम सभी कबीलों और देशों के लोगों के मुँह से गूँजता रहे। ऐसा इसलिए है, ताकि इस अंतिम युग में, मेरा नाम अन्यजाति देशों के बीच गौरवान्वित हो सके, मेरे कर्म अन्यजातियों द्वारा देखे जा सकें और वे मुझे मेरे कर्मों के आधार पर सर्वशक्तिमान कह सकें, और मेरे वचन शीघ्र ही साकार हो सकें। मैं सभी लोगों को ज्ञात करवाऊँगा कि मैं केवल इस्राएलियों का ही परमेश्वर नहीं हूँ, बल्कि अन्यजातियों के समस्त देशों का भी परमेश्वर हूँ, यहाँ तक कि उनका भी परमेश्वर हूँ जिन्हें मैंने शाप दिया है। मैं सभी लोगों को यह देखने दूँगा कि मैं समस्त सृष्टि का परमेश्वर हूँ। यह मेरा सबसे बड़ा कार्य है, अंत के दिनों के लिए मेरी कार्य-योजना का उद्देश्य है, और अंत के दिनों में पूरा किया जाने वाला एकमात्र कार्य है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सुसमाचार को फैलाने का कार्य मनुष्य को बचाने का कार्य भी है
क्या तू "हर युग में परमेश्वर द्वारा व्यक्त स्वभाव" को ठोस ढंग से ऐसी भाषा में बता सकता है जो उपयुक्त तरीके से युग की सार्थकता को व्यक्त करे? क्या तू, जो अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य को अनुभव करता है, परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव का वर्णन विस्तार से कर सकता है? क्या तू स्पष्ट एवं सटीक ढंग से परमेश्वर के स्वभाव की गवाही दे सकता है? तू उन दयनीय, बेचारे और धार्मिकता के भूखे-प्यासे धर्मनिष्ठ विश्वासियों के साथ, जो तेरी देखरेख की आस लगाए बैठे हैं, अपने दर्शनों और अनुभवों को कैसे बांटेगा? किस प्रकार के लोग तेरी देखरेख की प्रतीक्षा कर रहे हैं? क्या तू सोच सकता है? क्या तू अपने कधों के बोझ, अपने आदेश और अपने उत्तरदायित्व से अवगत है? ऐतिहासिक मिशन का तेरा बोध कहाँ है? तू अगले युग में प्रधान के रूप में सही ढंग से काम कैसे करेगा? क्या तुझमें प्रधानता का प्रबल बोध है? तू समस्त पृथ्वी के प्रधान का वर्णन कैसे करेगा? क्या वास्तव में संसार के समस्त सजीव प्राणियों और सभी भौतिक वस्तुओं का कोई प्रधान है? कार्य के अगले चरण के विकास हेतु तेरे पास क्या योजनाएं हैं? तुझे चरवाहे के रूप में पाने हेतु कितने लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं? क्या तेरा कार्य काफी कठिन है? वे लोग दीन-दुखी, दयनीय, अंधे, भ्रमित, अंधकार में विलाप कर रहे हैं—मार्ग कहाँ है? उनमें टूटते तारे जैसी रोशनी के लिए कितनी ललक है जो अचानक नीचे आकर उन अंधकार की शक्तियों को तितर-बितर कर दे, जिन्होंने वर्षों से मनुष्यों का दमन किया है। कौन जान सकता है कि वे किस हद तक उत्सुकतापूर्वक आस लगाए बैठे हैं और कैसे दिन-रात इसके लिए लालायित रहते हैं? उस दिन भी जब रोशनी चमकती है, भयंकर कष्ट सहते, रिहाई से नाउम्मीद ये लोग, अंधकार में कैद रहते हैं; वे कब रोना बंद करेंगे? ये दुर्बल आत्माएँ बेहद बदकिस्मत हैं, जिन्हें कभी विश्राम नहीं मिला है। सदियों से ये इसी स्थिति में क्रूर बधंनों और अवरुद्ध इतिहास में जकड़े हुए हैं। उनकी कराहने की आवाज किसने सुनी है? किसने उनकी दयनीय दशा को देखा है? क्या तूने कभी सोचा है कि परमेश्वर का हृदय कितना व्याकुल और चिंतित है? जिस मानवजाति को उसने अपने हाथों से रचा, उस निर्दोष मानवजाति को ऐसी पीड़ा में दु:ख उठाते देखना वह कैसे सह सकता है? आखिरकार मानवजाति को विष देकर पीड़ित किया गया है। यद्यपि मनुष्य आज तक जीवित है, लेकिन कौन यह जान सकता था कि उसे लंबे समय से दुष्टात्मा द्वारा विष दिया गया है? क्या तू भूल चुका है कि शिकार हुए लोगों में से तू भी एक है? परमेश्वर के लिए अपने प्रेम की खातिर, क्या तू उन जीवित बचे लोगों को बचाने का इच्छुक नहीं है? क्या तू उस परमेश्वर को प्रतिफल देने के लिए अपना सारा ज़ोर लगाने को तैयार नहीं है जो मनुष्य को अपने शरीर और लहू के समान प्रेम करता है? सभी बातों को नज़र में रखते हुए, तू एक असाधारण जीवन व्यतीत करने के लिए परमेश्वर द्वारा प्रयोग में लाए जाने की व्याख्या कैसे करेगा? क्या सच में तुझमें एक धर्म-परायण, परमेश्वर-सेवी जैसा अर्थपूर्ण जीवन जीने का संकल्प और विश्वास है?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुझे अपने भविष्य के मिशन पर कैसे ध्यान देना चाहिए?
जो कुछ तुम लोगों ने अनुभव किया और देखा है, वह हर युग के संतों और पैगंबरों के अनुभवों से बढ़कर है, लेकिन क्या तुम लोग अतीत के इन संतों और पैगंबरों के वचनों से बड़ी गवाही देने में सक्षम हो? अब जो कुछ मैं तुम लोगों को देता हूँ, वह मूसा से बढ़कर और दाऊद से बड़ा है, अतः उसी प्रकार मैं कहता हूँ कि तुम्हारी गवाही मूसा से बढ़कर और तुम्हारे वचन दाऊद के वचनों से बड़े हों। मैं तुम लोगों को सौ गुना देता हूँ—अत: उसी प्रकार मैं तुम लोगों से कहता हूँ मुझे उतना ही वापस करो। तुम लोगों को पता होना चाहिए कि वह मैं ही हूँ, जो मनुष्य को जीवन देता है, और तुम्हीं लोग हो, जो मुझसे जीवन प्राप्त करते हो और तुम्हें मेरी गवाही अवश्य देनी चाहिए। यह तुम लोगों का वह कर्तव्य है, जिसे मैं नीचे तुम लोगों के लिए भेजता हूँ और जिसे तुम लोगों को मेरे लिए अवश्य निभाना चाहिए। मैंने अपनी सारी महिमा तुम लोगों को दे दी है, मैंने तुम लोगों को वह जीवन दिया है, जो चुने हुए लोगों, इजरायलियों को भी कभी नहीं मिला। उचित तो यही है कि तुम लोग मेरे लिए गवाही दो, अपनी युवावस्था मुझे समर्पित कर दो और अपना जीवन मुझ पर कुर्बान कर दो। जिस किसी को मैं अपनी महिमा दूँगा, वह मेरा गवाह बनेगा और मेरे लिए अपना जीवन देगा। इसे मैंने पहले से नियत किया हुआ है। यह तुम लोगों का सौभाग्य है कि मैं अपनी महिमा तुम्हें देता हूँ, और तुम लोगों का कर्तव्य है कि तुम लोग मेरी महिमा की गवाही दो। अगर तुम लोग केवल आशीष प्राप्त करने के लिए मुझ पर विश्वास करते हो, तो मेरे कार्य का ज़्यादा महत्व नहीं रह जाएगा, और तुम लोग अपना कर्तव्य पूरा नहीं कर रहे होगे। इजराइलियों ने केवल मेरी दया, प्रेम और महानता को देखा था, और यहूदी केवल मेरे धीरज और छुटकारे के गवाह बने थे। उन्होंने मेरे आत्मा के कार्य का एक बहुत ही छोटा भाग देखा था; इतना कि तुम लोगों ने जो देखा और सुना है, वह उसका दस हज़ारवाँ हिस्सा ही था। जो कुछ तुम लोगों ने देखा है, वह उससे भी बढ़कर है, जो उनके बीच के महायाजकों ने देखा था। आज तुम लोग जिन सत्यों को समझते हो, वह उनके द्वारा समझे गए सत्यों से बढ़कर है; जो कुछ तुम लोगों ने आज देखा है, वह उससे बढ़कर है जो व्यवस्था के युग में देखा गया था, साथ ही अनुग्रह के युग में भी, और जो कुछ तुम लोगों ने अनुभव किया है, वह मूसा और एलियाह के अनुभवों से कहीं बढ़कर है। क्योंकि जो कुछ इजरायलियों ने समझा था, वह केवल यहोवा की व्यवस्था थी, और जो कुछ उन्होंने देखा था, वह केवल यहोवा की पीठ की झलक थी; जो कुछ यहूदियों ने समझा था, वह केवल यीशु का छुटकारा था, जो कुछ उन्होंने प्राप्त किया था, वह केवल यीशु द्वारा दिया गया अनुग्रह था, और जो कुछ उन्होंने देखा था, वह केवल यहूदियों के घर के भीतर यीशु की तसवीर थी। आज तुम लोग यहोवा की महिमा, यीशु का छुटकारा और आज के मेरे सभी कार्य देख रहे हो। तुम लोगों ने मेरे आत्मा के वचनों को भी सुना है, मेरी बुद्धिमत्ता की तारीफ की है, मेरे चमत्कार देखे हैं, और मेरे स्वभाव के बारे में जाना है। मैंने तुम लोगों को अपनी संपूर्ण प्रबंधन योजना के बारे में भी बताया है। तुम लोगों ने मात्र एक प्यारा और दयालु परमेश्वर ही नहीं, बल्कि धार्मिकता से भरा हुआ परमेश्वर देखा है। तुम लोगों ने मेरे आश्चर्यजनक कामों को देखा है और जान गए हो कि मैं प्रताप और क्रोध से भरपूर हूँ। इतना ही नहीं, तुम लोग जानते हो कि मैंने एक बार इजराइल के घराने पर अपने क्रोध का प्रकोप उड़ेला था, और आज यह तुम लोगों पर आ गया है। तुम लोग यशायाह और यूहन्ना की अपेक्षा स्वर्ग के मेरे रहस्यों को कहीं ज़्यादा समझते हो; पिछली पीढ़ियों के सभी संतों की अपेक्षा तुम लोग मेरी मनोरमता और पूजनीयता को कहीं ज़्यादा जानते हो। तुम लोगों ने केवल मेरे सत्य, मेरे मार्ग और मेरे जीवन को ही प्राप्त नहीं किया है, अपितु मेरी उस दृष्टि और प्रकटीकरण को भी प्राप्त किया है, जो यूहन्ना को प्राप्त दृष्टि और प्रकटीकरण से भी बड़ा है। तुम लोग कई और रहस्य समझते हो, और तुमने मेरा सच्चा चेहरा भी देख लिया है; तुम लोगों ने मेरे न्याय को अधिक स्वीकार किया है और मेरे धर्मी स्वभाव को अधिक जाना है। और इसलिए, यद्यपि तुम लोग इन अंत के दिनों में जन्मे हो, फिर भी तुम लोग पूर्व की और पिछली बातों की भी समझ रखते हो, और तुम लोगों ने आज की चीजों का भी अनुभव किया है, और यह सब मेरे द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया गया था। जो मैं तुम लोगों से माँगता हूँ, वह बहुत ज्यादा नहीं है, क्योंकि मैंने तुम लोगों को इतना ज़्यादा दिया है और तुम लोगों ने मुझमें बहुत-कुछ देखा है। इसलिए, मैं तुम लोगों से कहता हूँ कि सभी युगों के संतों के लिए मेरी गवाही दो, और यह मेरे हृदय की एकमात्र इच्छा है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम विश्वास के बारे में क्या जानते हो?
अब मैं तुम्हारी निष्ठा और आज्ञाकारिता, तुम्हारा प्रेम और गवाही चाहता हूँ। यहाँ तक कि अगर तुम इस समय नहीं जानते कि गवाही क्या होती है या प्रेम क्या होता है, तो तुम्हें अपना सब-कुछ मेरे पास ले आना चाहिए और जो एकमात्र खजाना तुम्हारे पास है : तुम्हारी निष्ठा और आज्ञाकारिता, उसे मुझे सौंप देना चाहिए। तुम्हें जानना चाहिए कि मेरे द्वारा शैतान को हराए जाने की गवाही मनुष्य की निष्ठा और आज्ञाकारिता में निहित है, साथ ही मनुष्य के ऊपर मेरी संपूर्ण विजय की गवाही भी। मुझ पर तुम्हारे विश्वास का कर्तव्य है मेरी गवाही देना, मेरे प्रति वफादार होना, और किसी और के प्रति नहीं, और अंत तक आज्ञाकारी बने रहना। इससे पहले कि मैं अपने कार्य का अगला चरण आरंभ करूँ, तुम मेरी गवाही कैसे दोगे? तुम मेरे प्रति वफादार और आज्ञाकारी कैसे बने रहोगे? तुम अपने कार्य के प्रति अपनी सारी निष्ठा समर्पित करते हो या उसे ऐसे ही छोड़ देते हो? इसके बजाय तुम मेरे प्रत्येक आयोजन (चाहे वह मृत्यु हो या विनाश) के प्रति समर्पित हो जाओगे या मेरी ताड़ना से बचने के लिए बीच रास्ते से ही भाग जाओगे? मैं तुम्हारी ताड़ना करता हूँ ताकि तुम मेरी गवाही दो, और मेरे प्रति निष्ठावान और आज्ञाकारी बनो। इतना ही नहीं, ताड़ना वर्तमान में मेरे कार्य के अगले चरण को प्रकट करने के लिए और उस कार्य को निर्बाध आगे बढ़ने देने के लिए है। अतः मैं तुम्हें समझाता हूँ कि तुम बुद्धिमान हो जाओ और अपने जीवन या अस्तित्व के महत्व को बेकार रेतकी तरह मत समझो। क्या तुम सही-सही जान सकते हो कि मेरा आने वाला काम क्या होगा? क्या तुम जानते हो कि आने वाले दिनों में मैं किस तरह काम करूँगा और मेरा कार्य किस तरह प्रकट होगा? तुम्हें मेरे कार्य के अपने अनुभव का महत्व और साथ ही मुझ पर अपने विश्वास का महत्व जानना चाहिए। मैंने इतना कुछ किया है; मैं उसे बीच में कैसे छोड़ सकता हूँ, जैसा कि तुम सोचते हो? मैंने ऐसा व्यापक काम किया है; मैं उसे नष्ट कैसे कर सकता हूँ? निस्संदेह, मैं इस युग को समाप्त करने आया हूँ। यह सही है, लेकिन इससे भी बढ़कर तुम्हें जानना चाहिए कि मैं एक नए युग का आरंभ करने वाला हूँ, एक नया कार्य आरंभ करने के लिए, और, सबसे बढ़कर, राज्य के सुसमाचार को फैलाने के लिए। अतः तुम्हें जानना चाहिए कि वर्तमान कार्य केवल एक युग का आरंभ करने और आने वाले समय में सुसमाचार को फैलाने की नींव डालने तथा भविष्य में इस युग को समाप्त करने के लिए है। मेरा कार्य उतना सरल नहीं है जितना तुम समझते हो, और न ही वैसा बेकार और निरर्थक है, जैसा तुम्हें लग सकता है। इसलिए, मैं अब भी तुमसे कहूँगा : तुम्हें मेरे कार्य के लिए अपना जीवन देना ही होगा, और इतना ही नहीं, तुम्हें मेरी महिमा के लिए अपने आपको समर्पित करना हगा। लंबे समय से मैं उत्सुक हूँ कि तुम मेरी गवाही दो, और इससे भी बढ़कर, लंबे समय से मैं उत्सुक हूँ कि तुम सुसमाचार फैलाओ। तुम्हें समझना ही होगा कि मेरे हृदय में क्या है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम विश्वास के बारे में क्या जानते हो?
मैं पूरे ब्रह्मांड में अपना कार्य कर रहा हूँ, और पूरब से असंख्य गर्जनाएं निरंतर गूँज रही हैं, जो सभी राष्ट्रों और संप्रदायों को झकझोर रही हैं। यह मेरी वाणी है जो सभी मनुष्यों को वर्तमान में लाई है। मैं अपनी वाणी से सभी मनुष्यों को जीत लेता हूँ, उन्हें धारा में बहाता और अपने सामने समर्पण करवाता हूँ, क्योंकि मैंने बहुत पहले पूरी पृथ्वी से अपनी महिमा को वापस लेकर इसे नये सिरे से पूरब में जारी किया है। भला कौन मेरी महिमा को देखने के लिए लालायित नहीं है? कौन बेसब्री से मेरे लौटने का इंतज़ार नहीं कर रहा है? किसे मेरे पुनः प्रकटन की प्यास नहीं है? कौन मेरी सुंदरता को देखने के लिए तरस नहीं रहा है? कौन प्रकाश में नहीं आना चाहता? कौन कनान की समृद्धि को नहीं देखना चाहता? किसे उद्धारकर्ता के लौटने की लालसा नहीं है? कौन उसकी आराधना नहीं करता जो सामर्थ्य में महान है? मेरी वाणी पूरी पृथ्वी पर फैल जाएगी; मैं अपने चुने हुए लोगों के सामने आकर और अधिक वचन बोलूँगा। मैं पूरे ब्रह्मांड के लिए और पूरी मानवजाति के लिए अपने वचन बोलता हूँ, उन शक्तिशाली गर्जनाओं की तरह जो पर्वतों और नदियों को हिला देती हैं। इस प्रकार, मेरे मुँह से निकले वचन मनुष्य का खज़ाना बन गए हैं, और सभी मनुष्य मेरे वचनों को सँजोते हैं। बिजली पूरब से चमकते हुए दूर पश्चिम तक जाती है। मेरे वचन ऐसे हैं कि मनुष्य उन्हें छोड़ना बिलकुल पसंद नहीं करता, पर साथ ही उनकी थाह भी नहीं ले पाता, लेकिन फिर भी उनमें और अधिक आनंदित होता है। सभी मनुष्य खुशी और आनंद से भरे होते हैं और मेरे आने की खुशी मनाते हैं, मानो किसी शिशु का जन्म हुआ हो। अपनी वाणी के माध्यम से मैं सभी मनुष्यों को अपने समक्ष ले आऊँगा। उसके बाद, मैं औपचारिक तौर पर मनुष्य जाति में प्रवेश करूँगा ताकि वे मेरी आराधना करने लगें। मुझमें से झलकती महिमा और मेरे मुँह से निकले वचनों से, मैं ऐसा करूँगा कि सभी मनुष्य मेरे समक्ष आएंगे और देखेंगे कि बिजली पूरब से चमकती है और मैं भी पूरब में "जैतून के पर्वत" पर अवतरित हो चुका हूँ। वे देखेंगे कि मैं बहुत पहले से पृथ्वी पर मौजूद हूँ, यहूदियों के पुत्र के रूप में नहीं, बल्कि पूरब की बिजली के रूप में। क्योंकि बहुत पहले मेरा पुनरुत्थान हो चुका है, और मैं मनुष्यों के बीच से जा चुका हूँ, और फिर अपनी महिमा के साथ लोगों के बीच पुनः प्रकट हुआ हूँ। मैं वही हूँ जिसकी आराधना असंख्य युगों पहले की गई थी, और मैं वह शिशु भी हूँ जिसे असंख्य युगों पहले इस्राएलियों ने त्याग दिया था। इसके अलावा, मैं वर्तमान युग का संपूर्ण-महिमामय सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ! सभी लोग मेरे सिंहासन के सामने आएँ और मेरे महिमामयी मुखमंडल को देखें, मेरी वाणी सुनें और मेरे कर्मों को देखें। यही मेरी संपूर्ण इच्छा है; यही मेरी योजना का अंत और उसका चरमोत्कर्ष है, यही मेरे प्रबंधन का उद्देश्य भी है : कि सभी राष्ट्र मेरी आराधना करें, हर ज़बान मुझे स्वीकार करे, हर मनुष्य मुझमें आस्था रखे और सभी लोग मेरी अधीनता स्वीकार करें!
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सात गर्जनाएँ होती हैं—भविष्यवाणी करती हैं कि राज्य का सुसमाचार पूरे ब्रह्मांड में फैल जाएगा