483 चाहे बड़ा हो या छोटा, सबकुछ मायने रखता है जब परमेश्वर की राह का पालन कर रहे हो
1
करने को परमेश्वर की राह का पालन,
जाने मत दो अपने निकट की किसी चीज़ को,
या जो कुछ भी घटता है तुम्हारे आस-पास, भले ही हो अल्प और लघु।
जब तक ऐसा होता है,
चाहे तुम्हें महसूस हो यह तुम्हारे ध्यान के योग्य है या नहीं, इसे जाने मत दो।
देखो इसे जैसे हो यह परमेश्वर की एक परीक्षा।
देखो इसे जैसे हो यह परमेश्वर की एक परीक्षा।
अगर तुमने बनाए रखा यही नज़रिया,
तो फिर इससे होती है साबित एक बात,
तुम्हारा दिल आदर करता है परमेश्वर का और चाहता है बुराई से दूर रहना।
अगर हो तुम में इच्छा परमेश्वर को खुश करने की,
तो फिर तुम नहीं हो बहुत दूर, तो फिर तुम नहीं हो बहुत दूर
बुराई को दूर हटाने और परमेश्वर के आदर में रहने से।
2
चीज़ें जो बड़ी हों या छोटी, जब पालन हो रहा हो परमेश्वर की राह का,
नहीं होता है इनका कोई फर्क, नहीं होता है इनका कोई फर्क।
चीज़ें जिनकी तुम्हें परवाह नहीं, या नहीं करते हो बात उनकी,
तुम मानते हो वे हैं सच से बहुत दूर, तुम जाने देते हो उन्हें,
बिना बहुत सोचे, जब घटती हैं वे तुम्हारे साथ।
बिना बहुत सोचे, जब घटती हैं वे तुम्हारे साथ।
तुम उनको छोड़ देते हो बिना बहुत सोचे।
तुम उनको छोड़ देते हो बिना बहुत सोचे।
3
एक चीज़ जो तुम्हें समझनी चाहिए: जो कुछ तुम्हें होता है,
एक चीज़ जो तुम्हें समझनी चाहिए: जो कुछ तुम्हें होता है,
तुम्हें मानना चाहिए उसे सीखने का एक मौका
कि कैसे परमेश्वर का भय माने और बुराई से दूर रहें।
और तुम्हें जानना चाहिए तब परमेश्वर क्या कर रहा है।
और तुम्हें जानना चाहिए तब परमेश्वर क्या कर रहा है।
वह है तुम्हारे करीब, देख रहा है तुम्हारे वचनों और कर्मों को,
और तुम्हारे दिल के बदलाव को।
यही है परमेश्वर का कार्य जो वह करता है।
यही है परमेश्वर का कार्य जो वह करता है,
जो वह करता है, जो वह करता है।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का स्वभाव और उसका कार्य जो परिणाम हासिल करेगा, उसे कैसे जानें से रूपांतरित