567 मनुष्य में परमेश्वर की महिमा बहुत महत्व रखती है
1 सामान्य लोगों के स्वभाव में कोई कुटिलता या धोखेबाज़ी नहीं होती, लोगों का एक-दूसरे के साथ एक सामान्य संबंध होता है, वे अकेले नहीं खड़े होते, और उनका जीवन न तो साधारण होता है और न ही पतनोन्मुख। इसलिए भी, परमेश्वर सभी के बीच ऊँचा है, उसके वचन मनुष्यों के बीच व्याप्त हैं, लोग एक-दूसरे के साथ शांति से, परमेश्वर की देखभाल और संरक्षण में रहते हैं, पृथ्वी, शैतान के हस्तक्षेप के बिना, सद्भाव से भरी है, और मनुष्यों के बीच परमेश्वर की महिमा बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसे लोग स्वर्गदूतों की तरह हैं: शुद्ध, जोशपूर्ण, परमेश्वर के बारे में कभी भी शिकायत नहीं करने वाले, और पृथ्वी पर पूरी तरह से परमेश्वर की महिमा के लिए अपने सभी प्रयास समर्पित करने वाले।
2 "जब मैं मनुष्य के हृदय में सिंहासन पर चढ़ूँगा तो उस पल मेरे पुत्र और लोग पृथ्वी पर शासन करेंगे।" यहाँ उस समय का उल्लेख किया जा रहा है जब पृथ्वी पर स्वर्गदूत स्वर्ग में परमेश्वर की सेवा के आशीष का आनंद लेंगे। क्योंकि मनुष्य स्वर्गदूतों की आत्माओं की अभिव्यक्ति है, परमेश्वर कहता है कि मनुष्य के लिए, पृथ्वी पर होना स्वर्ग में होने जैसा है, उसका पृथ्वी पर परमेश्वर की सेवा करना स्वर्गदूतों का स्वर्ग में सीधे परमेश्वर की सेवा करने जैसा है—और इस प्रकार, पृथ्वी पर अपने दिनों के दौरान, मनुष्य तीसरे स्वर्ग के आशीषों का आनंद लेता है। दरअसल यही इन वचनों में कहा जा रहा है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों” के रहस्यों की व्याख्या, अध्याय 16 से रूपांतरित