568 तुम्हें अपने हर काम में परमेश्वर की निगरानी को स्वीकार करना चाहिए

1

डरते हैं अधिकतर लोग आज

अपने कर्मों को लाने में परमेश्वर के सामने।

धोखा दे सकता है तू उसकी देह को,

मगर धोखा नहीं दे सकता तू उसके आत्मा को।

परमेश्वर की जाँच को सह न सके जो, नहीं है सत्य के अनुरूप वो,

इसलिये कर देना चाहिए दरकिनार उसको।

वरना परमेश्वर के ख़िलाफ़ पाप है वो।

चाहे तू बोले, प्रार्थना करे, भाई-बहनों से संगति करे,

अपना फ़र्ज़ निभाए या मामले निपटाए,

दिल अपना तू परमेश्वर को समर्पित कर दे।

जब पूरा करता है तू काम अपना, तो साथ होता है परमेश्वर तेरे।

गर तेरा इरादा सही है और परमेश्वर के काम के लिये है,

तो स्वीकार कर लेगा वो सब काम तेरे।

इसलिये कर ईमानदारी से काम अपने।

हर काम, इरादा, प्रतिक्रिया तेरी,

रोज़ाना का आत्मिक जीवन तेरा,

परमेश्वर के वचनों को खाना-पीना तेरा,

सब लाया जाना चाहिये सामने परमेश्वर के।

कलीसिया का जीवन जिस तरह जीता है तू, साझेदारी में सेवा तेरी,

सब लाया जाना चाहिये सामने, और परमेश्वर की जाँच के लिये,

मदद मिलेगी परिपक्व बनने में इस अभ्यास से तुझे।


2

शुद्धिकरण की विधि है, स्वीकारना परमेश्वर की जाँच को।

अधिक स्वीकारेगा, तू अधिक शुद्ध बनेगा,

और परमेश्वर की इच्छा के अधिक अनुरूप बनेगा।

बुलावा तू विलासिता का, आसक्ति का नहीं सुनेगा,

और दिल तेरा उसकी हाज़िरी में रहेगा।

दिल तेरा उसकी हाज़िरी में रहेगा।

उसकी जाँच को तू जितना स्वीकारेगा,

उतना ही ज़्यादा शैतान शर्मिंदा होगा,

उतना ही ज़्यादा शरीर को तू त्याग सकेगा।

इसलिये, स्वीकार ले परमेश्वर की जाँच को तू।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर उन्हें पूर्ण बनाता है, जो उसके हृदय के अनुसार हैं से रूपांतरित

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