658 सच्चा विश्वास क्या है
1
क्या मायने हैं विश्वास के?
जब देख-छू न सके इंसान
जब इंसानी धारणाओं के अनुरूप न हो
परमेश्वर का काम, हो पहुँच से बाहर,
तब हो इंसान में सच्ची आस्था हो इंसान का दिल सच्चा।
इसी विश्वास की बात करता है परमेश्वर।
शुद्धिकरण और मुश्किलों में पड़ती है ज़रूरत विश्वास की,
आए शुद्धिकरण विश्वास संग।
जुदा ना हो सकते ये एक दूजे से।
चाहे जैसा परिवेश हो तुम्हारा, जैसे चाहे काम करे तुम में ईश्वर,
सत्य और जीवन को खोजो, ख़ुद में ईश्वर का काम कराओ।
ईश्वर के कर्मों को समझो, सत्य के अनुसार कार्य करो।
दिखे इससे सच्चा विश्वास, नहीं खोते उम्मीद तुम ईश्वर में।
हर समय जीवन का अनुसरण करो ईश्वर की इच्छा पूरी करो,
है यही सच्चा विश्वास, है यही सच्चा-सुंदर प्रेम।
2
जब हो शुद्धिकरण तुम्हारा, तो परमेश्वर पर शक न करो,
फिर भी सत्य का अनुसरण करो ईश्वर से सचमुच प्रेम करो।
कुछ भी करे परमेश्वर चाहे, सत्य का अभ्यास करो,
उसकी इच्छा पर विचार करो, यही सच्चा विश्वास है उसमें।
हर समय जीवन का अनुसरण करो ईश्वर की इच्छा पूरी करो,
है यही सच्चा विश्वास, है यही सच्चा-सुंदर प्रेम।
3
तुम राज करोगे राजा की तरह, कहा जब परमेश्वर ने,
तब प्रेम किया तुमने परमेश्वर से।
जब दर्शन दिये तुम्हें परमेश्वर ने, अनुसरण किया ईश्वर का,
जब छुपा है परमेश्वर, देख न पाते तुम उसे,
जब आई है मुसीबत तो, क्या खोते हो विश्वास ईश्वर में?
हर समय जीवन का अनुसरण करो ईश्वर की इच्छा पूरी करो,
है यही सच्चा विश्वास, है यही सच्चा-सुंदर प्रेम।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जिन्हें पूर्ण बनाया जाना है उन्हें शोधन से गुजरना होगा से रूपांतरित