169 जेल में परीक्षण

1

सुसमाचार फैलाने और परमेश्वर की गवाही देने के कारण, मुझसे स्वीकारोक्ति पाने के लिए सीसीपी द्वारा मुझे गिरफ्तार और प्रताड़ित किया गया था।

मेरे हाथों पर ठंडी ज़ंजीरें लगाकर, उन्होंने मुझे लटका दिया।

जब लोहे की ज़ंजीरें मेरी कलाइयों में गहराई से काटने लगीं, लाल खून बह निकला; दर्द सहन करना मुश्किल था।

मेरा पूरा शरीर बार-बार बिजली के झटकों से तड़पता था, मैं बस मुश्किल से ज़िन्दा था।

दुष्ट पुलिस की अमानवीय क्रूरता का एक ही उद्देश्य था: मुझे एक यहूदा बनने और परमेश्वर को धोखा देने के लिए मजबूर करना।

बार-बार, उन्होंने मुझे चीखकर गालियाँ दीं, मुझे मारा-पीटा, और मेरी उंगलियों में सुइयाँ चुभाईं।

मुझे विक्षिप्त करने और मेरी इच्छा-शक्ति को पूरी तरह नष्ट करने के लिए उन्होंने बार-बार ड्रग्स के इंजेक्शन लगाए।

थक कर, मेरा मन धीरे-धीरे धुंधला पड़ गया; मुझे डर था कि मैं इसे और बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगा।

मेरे लिए इस दुष्ट पुलिस की यातना को अब और झेलना संभव न था, और मेरी केवल एक ही इच्छा थी, मर जाने और उस दर्द से बच निकलने की।


2

उस धुंध के बीच, परमेश्वर के वचन मेरी आत्मा को फिर से प्रज्वलित करते हुए, मेरे कानों में गूंजने लगे।

परमेश्‍वर ने कहा, "अपनी अंतिम सांस तक भी तुम्हें परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य बने रहना आवश्यक है।"

अपने शरीर की पीड़ा के बीच इस मुकदमे से भागने की कामना करते हुए, जैसे मैं शैतान के लिए हँसी का पात्र बन गया था।

परमेश्‍वर का प्रेम अभी तक लौटाया नहीं गया था—इतनी आसानी से मैं हार कैसे मान सकता था?

परीक्षणों का आगमन मेरे विश्वास को परिपूर्ण करेगा; सत्य को हासिल करने के लिए मुझे पीड़ित होने का आशीर्वाद मिला था।

परमेश्वर में सच्ची आस्था के बिना, मैं एक विश्वासघाती कायर बना हुआ था।

हालाँकि मेरे शरीर में पीड़ा थी, परमात्मा मेरे साथ था; मैंने परमेश्‍वर की इच्छा को समझा और मेरी आत्मा ने अपनी शक्ति को पा लिया।

दुष्ट शैतान को शर्मिंदा करते हुए, मैं परमेश्‍वर के लोगों जैसी शूरता को जगाकर, परमेश्‍वर के लिए गवाही दूँगा।

मैं परमेश्वर के प्रति पूर्ण निष्ठा और आज्ञाकारिता बनाए रखूँगा; मेरा जीवित रहना या मरना परमेश्‍वर के हाथों में था।


3

उत्पीड़न का अनुभव करते हुए, मैंने सीसीपी की दुष्टता को देखा; यह शैतान का मूर्त रूप है।

परमेश्वर और सत्य के प्रति अपनी पूरी घृणा के साथ, यह मसीह को मार डालने के लिए उसके पीछे पड़ जाती है।

यह ईसाइयों का शिकार करने और उन्हें सताने के लिए हर साधन का इस्तेमाल करती है, हमारे साथ बेहद क्रूरता का व्यवहार करती है।

परमेश्‍वर के वचनों ने मुझे हर कदम पर निर्देशित किया; केवल उसके वचनों की बदौलत मैं दृढ़ रह सका।

शैतान की नीचता और बेशर्मी के प्रति मेरा विकर्षण मुझे परमेश्‍वर से प्रेम करने और उसके प्रति समर्पित होने के लिए प्रेरित करता है।

केवल परमेश्वर ही सत्य और जीवन है, केवल वही मनुष्य को शैतान के प्रभाव से बचा सकता है।

परमेश्‍वर बहुत बुद्धिमान है: वह विजेताओं का एक समूह बनाने के लिए शैतान का अपनी सेवा में इस्तेमाल करता है।

मैंने पहले से ही परमेश्‍वर के नेक इरादों को देखा है, और मैंने परमेश्‍वर के प्रेम और प्यारेपन को महसूस किया है।

यदि मैं अपना शेष जीवन जेल में बिता दूँ, तो भी मैं हार नहीं मानूँगा। मैं जीवन के अंत तक परमेश्वर का अनुसरण करने की शपथ लेता हूँ!

पिछला: 168 अ‍पनी पसंद पर अ‍फ़सोस नहीं

अगला: 170 जीवन की गवाही

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें