170 जीवन की गवाही

1

परमेश्वर की गवाही देने के कारण

मुझे ले लिया जाएगा हिरासत में एक दिन।

अपने दिल में मुझे है पता यह पीड़ा है

धार्मिकता के लिए।

अगर मेरी ज़िंदगी पलक झपकते ही गुज़र जाती है,

मुझे फिर भी है फ़ख्र मसीह के पीछे चलने का

इस जीवन में उसकी गवाही देने का।

अगर मैं राज्य के सुसमाचार का विस्तार

देखने के लिए जीवित नहीं रहता,

मैं फिर भी ख़ूबसूरत कामनाएं अर्पित करूंगा।

अगर मैं उस दिन को नहीं देख पाया

जब राज्य असलियत बनता है,

फिर भी आज मैं शैतान को शर्मिंदा कर सकता हूं।

फिर, खुशी और शांति से भर जाएगा मेरा दिल, मेरा दिल।


2

अगर कभी मैं शहीद हो जाऊं, परमेश्वर की गवाही न दे पाऊं,

अनगिनत सन्त राज्य के सुसमाचार

की ज्योत से ज्योत जलाएंगे।

हालांकि मुझे पता नहीं

इस ऊँची नीची सड़क पर मैं कितनी दूर चल सकता हूं,

मैं फिर भी परमेश्वर की गवाही दूंगा,

परमेश्वर-प्रेमी अपना दिल अर्पित करूंगा।


3

मसीह के प्रचार और गवाही के लिये,

ख़ुद को समर्पित कर, सम्मानित महसूस करता हूँ मैं।

मैं बस चाहता हूं परमेश्वर की इच्छा पूरी करना,

मसीह के प्रकट होने और काम की गवाही देना।

विपत्ति के सामने निडर,

भट्टी में बने शुद्ध सोने की तरह,

शैतान के असर से निकलकर,

विजयी सैनिकों का एक समूह प्रकट हो रहा है।

परमेश्वर के वचन पूरी दुनिया में फैले हैं,

प्रकाश प्रकट हुआ है इंसान के बीच।

मसीह का राज्य खड़ा हो रहा है, विपत्ति के बीच स्थापित हो रहा है।

अंधेरा गुज़रने वाला है, एक धार्मिक सुबह आ चुकी है।

समय और वास्तविकता ने परमेश्वर की गवाही दी है, गवाही दी है,

गवाही दी है, गवाही दी है, गवाही दी है।

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