171 दिल की इच्छा
1
सीसीपी की यातना से गुज़रते हुए, मैंने परमेश्वर में विश्वास रखने की चुनौती का स्वाद लिया है।
जब मैं सभा में जाती हूँ या सुसमाचार का प्रचार करती हूँ, मुझ पर हर वक्त गिरफ़्तारी और कैद मे डाले जाने का खतरा होता है।
मेरा घर मेरा अपना कब होगा, एक ऐसी जगह जहाँ हम सामान्य रूप से इकट्ठे हो कर परमेश्वर से प्रार्थना कर सकें?
मैं गिरफ़्तारी के डर के बगैर सुसमाचार का प्रचार-प्रसार और परमेश्वर की गवाही कब दूँगी?
मैं कब भाग-दौड़ छोड़कर, शांति से अपना कर्तव्य निभा सकूँगी?
आस्था की आज़ादी, मानवाधिकार और लोकतंत्र के झूठ का तमाशा कब बंद होगा?
ओह, मुझे अपनी बहनों के जल्दी जेल से रिहा होने की कितनी उम्मीद है!
ओह, मुझे अपने शहीद भाइयों के लिए इंसाफ़ की कितनी तड़प है!
दरिंदों से शासित यह इस देश कितना दुष्ट है; मानव जीवन का प्रकाश कहाँ है?
मसीह का अनुसरण करते हुए, मुझे परमेश्वर की ज़ोरदार गवाही देनी चाहिए, चाहे कितनी भी बड़ी मुसीबतें क्यों न आएँ।
2
उत्पीड़न और पीड़ा सहते हुए, मैं देखती हूँ कि सीसीपी शैतान का मूर्त रूप है।
यह मसीह का पीछा करती है, ईसाइयों को सताती और मारती है; इसकी दुष्टता का कोई अंत नहीं।
जब तक सीसीपी सत्ता में है, चीन में आस्था की स्वतंत्रता असंभव है।
मसीह का अनुसरण, सत्य और जीवन का अनुशीलन करने के दौरान, मैं अपने जीवन की देखभाल कैसे कर सकती हूँ?
मसीह के सभी वचन सत्य हैं, और वे मेरे दिल की गहराइयों में बसे हैं।
अंतिम पड़ाव में, कितने भी कष्ट क्यों न आएँ, मैं प्रचार करूँगी और परमेश्वर की गवाही दूँगी।
सीसीपी कितनी भी उन्मत्त क्यों न हो, फिर भी यह परमेश्वर-जनों की पूर्णता के लिए सेवा करती है।
परमेश्वर की गवाही देने के लिए परमेश्वर ने पहले ही विजेताओं का समूह बना दिया है।
परमेश्वर–जन जितने अधिक परिपक्व होंगे, शैतान उतना ही परास्त होगा। परमेश्वर के वचन अवश्य पूरे होंगे।
मैं जानती हूँ कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है, और मैं फ़ौलादी दिल से परमेश्वर का अनुसरण करती हूँ।