168 अपनी पसंद पर अफ़सोस नहीं
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जब शैतान की दुष्टता बढ़ती जाये, ईसाइयों को गिरफ़्तार करे, ज़ुल्म ढाए,
जब शहर अंधेरे ख़ौफ़ में होता है, और मैं जहाँ भाग सकूँ वहाँ भागूंगा,
जब आज़ादी को भयानक जेल में कैद कर दिया जाएगा,
जब मेरी एकमात्र साथी एक लम्बी दर्द भरी रात होगी
तब मैं परमेश्वर में अपने विश्वास से डिगूँगा नहीं।
मैं अपने प्रभु, अपने परमेश्वर को कभी धोखा नहीं दूँगा।
हे सर्वशक्तिमान सच्चे परमेश्वर, मेरा हृदय तुझे अर्पित है।
कारागार सिर्फ़ मेरे जिस्म पर पाबंदी लगा सकता है।
यह मेरे कदमों को तेरा अनुसरण करने से नहीं रोक सकता।
दुखदायी कष्टों में, पथरीले रास्तों पर,
तेरे वचनों के मार्गदर्शन, मेरा दिल निर्भय रहता है।
तेरे प्रेम के संग, मेरा दिल परितृप्त रहता है।
II
शैतानों के अत्याचार और बढ़ते जाते हैं,
जब भयानक पीड़ा मुझे बार-बार
सताएगी,
जब जिस्म की दुर्बलता और पीड़ा अपने चरम पर पहुँचेगी,
आख़िरी पल में, जब मेरी जान जाने वाली होगी,
मैं बड़े लाल अजगर से कभी हार नहीं मानूँगा।
मैं कभी परमेश्वर की शर्मिंदगी का निशान, यहूदा नहीं बनूँगा।
हे सर्वशक्तिमान सच्चे परमेश्वर, मैं आख़िरी साँस तक तेरे प्रति निष्ठावान रहूँगा।
शैतान सिर्फ़ मेरे जिस्म को पीड़ा देकर मार सकता है, लेकिन मेरी आस्था और प्रेम सदा तेरे लिए हैं।
जीवन और मृत्यु सदा तेरे प्रभुत्व में रहेंगे।
मैं तेरी गवाही देने के लिये सब-कुछ त्याग दूँगा।
अगर इससे शैतान शर्मिंदा होता है, तो मैं बिना शिकायत के जान दे दूँगा।
समूहगान
इस जीवन में मसीह का अनुसरण और परमेश्वर को प्रेम करने का अनुशीलन करना कितने गौरव की बात है!
पूरे दिल और आत्मा से मुझे परमेश्वर को प्रतिदान देना चाहिये; परमेश्वर की गवाही देने के लिये मैं सब-कुछ त्यागने को तैयार हूँ।
जब तक मैं ज़िंदा हूँ, परमेश्वर के प्रति अपने पूरे अस्तित्व के समर्पण की अपनी पसंद पर मुझे कभी अफ़सोस न होगा।