755 केवल उन लोगों को बचाया जाता है जो शैतान को हरा देते हैं

लोगों को बचाए जाने से पहले ही,

शैतान उनके जीवन में दख़ल देता है, काबू करता है।

वो सब उसके कैदी हैं।


1

उन्हें कोई आज़ादी नहीं होती, छोड़ता नहीं शैतान उन्हें,

वो ईश-आराधना के काबिल या हकदार नहीं होते,

शैतान उनका पीछा करता है।

उसके हमलों से दुखी, ऐसा इंसान ख़ुश नहीं रहता,

वो सामान्य जीवन नहीं जी पाता, उसकी कोई गरिमा नहीं होती।


ज़िंदगी और मौत की इस लड़ाई में,

और आस्था, आज्ञापालन और ईश्वर-भय के हथियारों से

तुम सामना करो, शैतान से लड़ो, इनसे तुम शैतान को हरा सकते हो।

तुम जब ऐसा करोगे, उसे हराओगे,

तो वो कायरों की तरह दुम दबाकर भागेगा,

फिर वो हमला न करेगा, इल्ज़ाम न लगाएगा।

तभी तुम्हें आज़ादी मिलेगी, बचाए जाओगे।


2

अगर तुम शैतान से आज़ाद होना चाहो,

पर तुम्हारे पास सही हथियार न हों, तो तुम पर ख़तरा बना रहेगा।

वो तुम्हें सताएगा, तुम्हारी शक्ति छीन लेगा, तुम गवाही न दे पाओगे,

उसके हमलों, इल्ज़ामों में फँसे तुम, आज़ाद न हो पाओगे।

तुम्हारे पास उद्धार की बस हल्की-सी उम्मीद होगी।


जब ईश-कार्य के अंत का ऐलान होगा,

तब भी तुम पर शैतान का कब्ज़ा होगा,

उद्धार पाने की उम्मीद या मौका न होगा। ऐसे लोग शैतान के कब्ज़े में होंगे।


ज़िंदगी और मौत की इस लड़ाई में,

और आस्था, आज्ञापालन और ईश्वर-भय के हथियारों से

तुम सामना करो, शैतान से लड़ो,

इनसे तुम शैतान को हरा सकते हो।

तुम जब ऐसा करोगे, उसे हराओगे,

तो वो कायरों की तरह दुम दबाकर भागेगा,

फिर वो हमला न करेगा, इल्ज़ाम न लगाएगा।

तभी तुम्हें आज़ादी मिलेगी, बचाए जाओगे।


—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II से रूपांतरित

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