756 परमेश्वर द्वारा प्राप्त किए जाने के लिए सत्य द्वारा शैतान को हराओ
स्थायी पोषण और सहारा देते हुए,
ईश्वर इंसान को बताए अपनी इच्छा और अपेक्षा।
दिखाये उसे अपने कर्म, स्वभाव, और अपना स्वरूप।
1
इसका लक्ष्य है इंसान को आध्यात्मिक कद देना,
ईश्वर का अनुसरण करते हुए सभी सत्यों को पाने देना।
ये सत्य हैं हथियार, ईश्वर देता जो इंसान को शैतान से जंग करने को।
सत्य से युक्त होकर, इंसान को ईश-परीक्षा देनी होगी।
इंसान को जाँचने के कई तरीके हैं उसके पास,
लेकिन सभी में चाहिए उसे "मदद" ईश्वर के शत्रु, शैतान की।
क्या इंसान को बचाया जा सकेगा,
निर्भर है इस पर कि वो शैतान को हरा सके या नहीं;
क्या वो अपनी आज़ादी पा सकेगा,
निर्भर है इस पर कि वो हथियारों द्वारा
शैतान के बंधनों को तोड़ सकता या नहीं
जिससे शैतान निराश होकर उसे छोड़ दे।
ओ, ओ, ओ।
2
इंसान को हथियार देकर, ईश्वर उसे शैतान को सौंप देता।
ईश्वर शैतान को इंसान का आध्यात्मिक कद जाँचने दे
देखने को कि क्या इंसान शैतान के जाल से बच सके?
अगर इंसान शैतान के घेरे से बचकर भी ज़िंदा रहे,
तो वह परीक्षा में सफल हो जाएगा।
लेकिन अगर वो ये न कर सका,
शैतान के आगे समर्पण किया, तो असफल होगा वो।
ईश्वर इंसान में चाहे जिसकी भी जाँच करे,
परीक्षा लेकर वो देखना चाहे कि जब शैतान इंसान पर हमला करे,
तो क्या वो अपनी गवाही में खड़ा रहे,
या शैतान के जाल में फँसकर हार मानकर ईश्वर को छोड़ दे।
क्या इंसान को बचाया जा सकेगा,
निर्भर है इस पर कि वो शैतान को हरा सके या नहीं;
क्या वो अपनी आज़ादी पा सकेगा,
निर्भर है इस पर कि वो हथियारों द्वारा
शैतान के बंधनों को तोड़ सकता या नहीं
जिससे शैतान निराश होकर उसे छोड़ दे।
3
शैतान का निराश होकर किसी को छोड़ देने
का मतलब है कि वो उस इंसान को ईश्वर से नहीं लेगा,
फिर कभी आरोप नहीं लगाएगा, दखल नहीं देगा,
कभी उसे यातना न देगा, हमला न करेगा।
ऐसे ही लोग प्राप्त होंगे ईश्वर को।
इसी तरीके से ईश्वर लोगों को पाता है।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II से रूपांतरित