149  जो परमेश्वर के सामने शांत रहते हैं, केवल वही जीवन पर ध्यान केंद्रित करते हैं

1

शांत रह सकते हैं जो लोग परमेश्वर के सामने,

मुक्त हो पाते हैं वे संसारी बंधनों से, अपना सकता है परमेश्वर उन्हें।

नहीं रह सकता शांत जो परमेश्वर के सामने,

आवारा है, निरंकुश है ऐसा इंसान।

पूरी तरह डूबा है भोगों में ऐसा इंसान।

शांत रह सकते हैं जो लोग परमेश्वर के सामने,

तरसते हैं परमेश्वर के लिये, श्रद्धालु हैं ऐसे इंसान।

शांत रह सकते हैं जो लोग परमेश्वर के सामने,

हैं वे जिन्हें परवाह है ज़िंदगी की, और करते हैं संगति आत्मा में।

शांत रह सकते हैं जो लोग परमेश्वर के सामने,

प्यासे हैं ऐसे लोग परमेश्वर के वचनों के।

करते हैं अनुसरण सत्य का वे लोग।


2

अनदेखा करते हैं शांत रहना जो लोग परमेश्वर के सामने,

अमल नहीं करते जो लोग इस पर, बेकार हैं वो लोग

फँसे हैं मोह में पूरी तरह संसार के।

जीवन नहीं है उनका, जीवन से वंचित हैं वे लोग।

भले ही दावा करें वे परमेश्वर में आस्था का,

मगर सच्ची नहीं है आस्था उनकी,

महज़ खोखले शब्द हैं आसानी से बोले गए।

शांत रह सकते हैं जो लोग, बनाता है पूर्ण उन्हें परमेश्वर।

महान आशीषों का अनुग्रह पाते हैं वे लोग।

परमेश्वर के वचनों को कभी-कभार ही खाते-पीते हैं जो लोग,

लेन-देन पर ध्यान देते हैं, जीवन प्रवेश की परवाह नहीं करते जो लोग,

भविष्य नहीं है जिनका, ऐसे ढोंगी हैं वे लोग।

सचमुच संगति कर सकते जो परमेश्वर से,

और शांत रह सकते हैं जो सामने उसके,

हैं वही परमेश्वर के लोग, हैं वही परमेश्वर के लोग।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के समक्ष अपने हृदय को शांत रखने के बारे में से रूपांतरित

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