26 ईश्वर की सात तुरहियाँ फिर बजती हैं

1

सात तुरहियाँ बजकर, सोए हुओं को जगाएँ।

जल्दी उठो! ज्यादा देर नहीं हुई!

अपने जीवन पर ध्यान दो। देखो, क्या समय हुआ है।

तुम क्या खोजते? सोचने के लिए क्या रखा है?

क्या नहीं देखा तुमने अंतर

ईश-जीवन पाने में और जिनसे तुम चिपके रहते, उनमें?

जानबूझकर खेलना बंद करो! ये अवसर मत चूको।

ऐसा अच्छा समय फिर न आएगा!

शैतान के छल को समझो, विजय पाओ, उस पर विजय पाओ!

ईश्वर का अनुसरण करो, मजबूत बनो, बढ़ते चलो, अंत तक।


स्वर्ग और धरती मिट जाएँगे, पर ईश-वचन रहेगा!

स्वर्ग और धरती मिट जाएँगे, पर ईश-वचन रहेगा!

स्वर्ग और धरती मिट जाएँगे, पर ईश-वचन रहेगा!

स्वर्ग और धरती मिट जाएँगे, पर ईश-वचन रहेगा!


2

जब तुरहियाँ फिर बजेंगी, तो ये न्याय की पुकार होगी।

बागी, देश, लोग सब झुक जाएँगे।

ईश्वर का मुखमंडल सभी देशों, लोगों के सामने होगा।

पूरे आश्वस्त होकर सब उसका नाम पुकारेंगे।

ईश्वर और उसके पुत्र महिमा पाएँगे, मिलकर राज करेंगे,

सभी देशों का न्याय करेंगे, बुराई को दंडित करेंगे,

ईश्वर के लोगों को बचाएँगे, उन पर दया दिखाएँगे, राज्य में स्थिरता लाएँगे।

सात तुरहियों से बहुत, बहुत लोग बचाए जाएँगे,

ईश-पूजा और स्तुति के लिए लौट आएँगे,

ईश-पूजा और स्तुति के लिए लौट आएँगे!


स्वर्ग और धरती मिट जाएँगे, पर ईश-वचन रहेगा!

स्वर्ग और धरती मिट जाएँगे, पर ईश-वचन रहेगा!

स्वर्ग और धरती मिट जाएँगे, पर ईश-वचन रहेगा!

स्वर्ग और धरती मिट जाएँगे, पर ईश-वचन रहेगा!


3

जब सात तुरहियाँ एक बार फिर बजेंगी,

ये शैतान पर विजय होगी, एक युग का अंत होगा।

ये धरती पर राज्य के जीवन की शुरुआत को सलामी है!

ये तूर्यनाद स्वर्ग और धरती को हिलाता हुआ,

सिंहासन के चारों ओर गूँजता है।

ये ईश-प्रबंधन-योजना की विजय का संकेत है।

ये शैतान के साथ किया गया न्याय, पुरानी दुनिया के लिए मौत की सजा है।


इसका अर्थ है, अनुग्रह का द्वार बंद हो रहा,

राज्य का जीवन शुरू होगा धरती पर, जो है सही और उचित।

ईश्वर बचाता उन्हें, जो उसे प्रेम करते।

उनके लौटने पर धरती वालों का अकाल से होगा सामना।

ईश्वर की सात विपत्तियाँ और कटोरे प्रभावी होंगे, प्रभावी होंगे।


स्वर्ग और धरती मिट जाएँगे, पर ईश-वचन रहेगा!

स्वर्ग और धरती मिट जाएँगे, पर ईश-वचन रहेगा!

स्वर्ग और धरती मिट जाएँगे, पर ईश-वचन रहेगा!

स्वर्ग और धरती मिट जाएँगे, पर ईश-वचन रहेगा!


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 36 से रूपांतरित

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