263 तुम्हारे दिल का राज़
एक राज़ है तुममें, जिसे तुमने न जाना
क्योंकि तुम रहे अन्धेरी दुनिया में।
दुष्ट ने छीना तुम्हारा दिल और आत्मा।
अंधेरे में, न दिखते तुम्हें सूरज, न तारे चमकते।
छल से भरी बातें तुम्हें सुनने न दें
आवाज़ ईश्वर की या सिंहासन से बहते पानी की।
1
ईश्वर ने जो दिया, तुमने वो खो दिया।
आ गए दर्द के अनंत समुंदर में;
न खुद को बचाने की हिम्मत रही, न जीने की आशा,
तुम बस संघर्ष करते, बेवजह भागते।
उस पल से, तुम दुष्ट द्वारा चोट पहुंचाए
जाने को अभिशप्त थे,
ईश्वर के आशीष और प्रावधान से दूर,
लौट न सको उस राह पर चलते।
कई बुलाहटें तुम्हारे दिल और आत्मा को जगा न सकें,
दुष्ट के हाथों में हो सोए हुए,
जो फुसलाकर ऐसी दशा में ले गया है
जहां नहीं हैं कोई दिशाएँ, न चिह्न जो दिशा दिखाएँ।
उस दुष्ट को तुम पिता मानते,
अब उससे तुम अलग नहीं रह सकते।
यही तुम्हारे दिल में छिपा राज़ है।
यही तुम्हारे दिल में छिपा राज़ है।
2
नादानी और शुद्धता तुमने खो दी
ईश्वर की देख-रेख से छिपने लगे।
दुष्ट के कब्जे में तुम्हारा दिल है
वो बन गया है जीवन तुम्हारा।
नहीं तुम उससे डरते, न बचते, न शक करते,
मन में तो उसे ही तुम ईश्वर मानते।
उसे बलि देने, पूजने लगे हो।
तुम एक हो, जीवन-मरण में बंधे हुए।
तुम्हें पता नहीं कि तुम आये कहाँ से हो
क्यों जन्म हुआ तुम्हारा, क्यों मर जाओगे।
उस दुष्ट को तुम पिता मानते,
अब उससे तुम अलग नहीं रह सकते।
यही तुम्हारे दिल में छिपा राज़ है।
यही तुम्हारे दिल में छिपा राज़ है।
3
ईश्वर को तुम अजनबी समझते,
उसके उद्गम, अपने लिए उसके काम को न जानते।
उससे जो भी आता, तुम्हें नफरत उससे।
तुम न सँजोते, न उसकी कीमत समझते।
जिस दिन से ईश्वर की आपूर्ति पाई,
तबसे दुष्ट के संग चले हो तुम,
तूफानों में, युगों तक हाथों में हाथ डाले चले हो तुम,
तुम्हारा जीवन स्त्रोत ईश्वर था,
उसी के खिलाफ खड़े हो तुम।
तुम न जानते पछतावा क्या है,
न ही कि तुम तबाही की कगार पर हो।
उस दुष्ट को तुम पिता मानते,
अब उससे तुम अलग नहीं रह सकते।
यही तुम्हारे दिल में छिपा राज़ है।
यही तुम्हारे दिल में छिपा राज़ है।
4
तुम्हें चोट पहुंचाई और फुसलाया, ये भूल गए हो;
तुम अपना आरंभ ही भूल गए हो।
इस तरह, कदम-दर-कदम आज तक
दुष्ट तुम्हें चोट पहुंचा रहा है।
तुम्हारे दिल और आत्मा सुन्न हो गए और सड़ गए हैं।
अब दुनिया अन्यायी, तुम्हें ना लगे,
दुनिया के संताप की शिकायत नहीं करते,
ईश्वर है या नहीं इसकी परवाह नहीं करते।
उस दुष्ट को तुम पिता मानते,
अब उससे तुम अलग नहीं रह सकते।
यही तुम्हारे दिल में छिपा राज़ है।
यही तुम्हारे दिल में छिपा राज़ है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सर्वशक्तिमान की आह से रूपांतरित