367 परमेश्वर लोगों को धरती के नारकीय जीवन से बचाता है
1 हजारों वर्षों से चीनी लोगों ने गुलामों का जीवन जीया है, और इसने उनके विचारों, धारणाओं, जीवन, भाषा, व्यवहार और कार्यों को इतना जकड़ दिया है कि उनके पास थोड़ी-सी भी स्वतंत्रता नहीं रही है। हजारों वर्षों के इतिहास ने महत्वपूर्ण लोगों को एक आत्मा के वश में कर दिया है और उन्हें आत्मा-विहीन शवों के समान जीर्ण-शीर्ण कर डाला है। कई लोग ऐसे हैं जो शैतान रूपी कसाई की छुरी के नीचे अपना जीवन जीते हैं, कई लोग ऐसे हैं जो जंगली जानवरों की माँद सरीखे घरों में रहते हैं, कई लोग ऐसे हैं जो बैलों और घोड़ों जैसा भोजन करते हैं और कई लोग ऐसे हैं जो बेसुध और अव्यवस्थित ढंग से "मृतकों के संसार" में पड़े रहते हैं। बाहरी तौर पर लोग आदिम मनुष्य से अलग नहीं है, उनका रहने का स्थान नरक के समान है, और जहाँ तक उनके साथियों का सवाल है, वे हर तरह के गंदे पिशाचों और बुरी आत्माओं से घिरे रहते हैं।
2 बाहर से मनुष्य उच्चतर "जानवरों" के समान प्रतीत होते हैं; वास्तव में, वे गंदे पिशाचों के साथ रहते और निवास करते हैं। बिना किसी की चौकसी के लोग शैतान की घात के भीतर रहते हैं, उसके चंगुल में फँसने के बाद उनके निकलने का कोई मार्ग नहीं होता। यह कहने के बजाय कि वे अपने प्रियजनों के साथ आरामदायक घरों में रहते हैं, सुखद और संतोषप्रद जीवन जीते हैं, यह कहना चाहिए कि मनुष्य नरक में रहते हैं, पिशाचों के साथ व्यवहार करते हैं और शैतान के साथ जुड़े हैं। वास्तव में, लोग अभी भी शैतान द्वारा जकड़े हुए हैं, वे वहाँ रहते हैं जहाँ पिशाच एकत्र होते हैं और उन पिशाचों द्वारा उनका गलत इस्तेमाल किया जाता है। मनुष्य मृतकों के इस संसार में सुबह जल्दी बाहर जाते और देर से लौटते हुए दशकों से या सदियों से, बल्कि सहस्राब्दियों से रह रहा है। परमेश्वर लोगों को बदलना चाहता है, उन्हें बचाना चाहता है, उन्हें मृत्यु की कब्र से छुड़ाना चाहता है, ताकि वे उस जीवन से बच जाएँ, जो वे अधोलोक और नरक में बिताते हैं।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (5) से रूपांतरित