368 क्या युगों की घृणा को भुला दिया गया है?
1 मनुष्य दुर्भाग्य का सामना कर चुका है, लेकिन उसे पता नहीं है, और इस अंधियारे समाज में उसे एक के बाद एक दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है, फिर भी वह इससे जाग नहीं पाया है। कब वह अपनी आत्म-दया और दासता के स्वभाव से छुटकारा पाएगा? क्यों उसे परमेश्वर के दिल की कोई चिंता नहीं है? क्या वह चुपचाप इस दमन और कठिनाई को अपना लेता है? क्या वह उस दिन की इच्छा नहीं रखता जब वह अंधेरे को प्रकाश में बदल सके? क्या वह एक बार फिर धार्मिकता और सत्य के विरुद्ध हो रहे अन्याय को रोकना नहीं चाहता? जब लोग सत्य को त्याग देते हैं और तथ्यों को तोड़-मरोड़ देते हैं, तो क्या वह देखते रहने और कुछ न करने के लिए तैयार है? क्या वह इस दुर्व्यवहार को सहते रहने में खुश है? क्या वह दास बने रहना चाहता है? क्या वह इस असफल राज्य के गुलामों के साथ परमेश्वर के हाथ नष्ट होने को तैयार है? तुम्हारा संकल्प कहां है? तुम्हारी महत्वाकांक्षा कहां है? तुम्हारी गरिमा कहां है? तुम्हारा सम्मान कहां है? तुम्हारी स्वतंत्रता कहां है? क्या तुम शैतानों के राजा, बड़े लाल अजगर के लिए अपने पूरे जीवन को अर्पित करना चाहते हो? क्या तुम ख़ुश हो कि वह तुम्हें यातना देते-देते मौत के घाट उतार दे?
2 गहराई का चेहरा अराजक और अंधियारा है, सामान्य लोग ऐसे दुखों का सामना करते हुए, स्वर्ग की ओर देखकर रोते हैं और पृथ्वी को शिकायत करते हैं। मनुष्य कब अपने सिर को ऊँचा रख पाएगा? मनुष्य कमज़ोर और दुर्बल है, वह इस क्रूर और अत्याचारी शैतान से कैसे संघर्ष कर सकता है? वह क्यों नहीं जितनी जल्दी हो सके परमेश्वर को अपना जीवन सौंप देता है? वह क्यों अभी भी डगमगाता है, जब वह परमेश्वर का कार्य समाप्त कर सकता है? इस प्रकार बिना किसी उद्देश्य से दंड और दमन सहते हुए, उसका पूरा जीवन अंततः व्यर्थ हो जाएगा; वह आने के लिए इतनी जल्दी में क्यों है, और जाने की उसे इतनी जल्दी क्यों है? क्यों नहीं वह परमेश्वर को देने के लिए कुछ अनमोल रखता है? क्या वह घृणा की सहस्त्राब्दियों को भूल गया है? तुम्हारा संकल्प कहां है? तुम्हारी महत्वाकांक्षा कहां है? तुम्हारी गरिमा कहां है? तुम्हारा सम्मान कहां है? क्यों नहीं वह परमेश्वर को देने के लिए कुछ अनमोल रखता है? क्या वह घृणा की सहस्त्राब्दियों को भूल गया है?
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "कार्य और प्रवेश (8)" से रूपांतरित