110 मानव जीवन के सही पथ पर चलना
Ⅰ
ईश-वचन हैं सत्य, जितना पढ़ूँ उन्हें,
दिल मेरा उतना ही उज्ज्वल बने।
ईश-वचन जीवन का रहस्य उजागर करते हैं,
अचानक रोशनी दिखे मुझे।
जो है मेरे पास, सब मिला परमेश्वर से।
सब मिला परमेश्वर की कृपा से।
मसीह के पीछे चलूँ मैं,
करूँ सत्य और जीवन का अनुसरण;
मानव जीवन के सही पथ पर चलती हूँ मैं।
मसीह के पीछे चलूँ मैं,
करूँ परमेश्वर के कार्य का अनुभव।
जितना पथ पर बढ़ती,
रास्ता उतना ही उजला हो जाता।
जितना पथ पर बढ़ती,
रास्ता उतना ही उजला हो जाता।
Ⅱ
परमेश्वर के वचनों का न्याय और खुलासा,
देखने देता मुझे इंसान की भ्रष्टता।
शैतान के तरीकों से कभी देह के लिए जीती थी मैं,
किसी जानवर की तरह पाप का आनंद लेती थी मैं।
दौलत-शोहरत की प्यास थी मुझमें,
भ्रष्टता का ऐसा स्वाद चखा था मैंने।
परमेश्वर के वचनों ने जगाया मुझे,
अंधकार से फिर रोशनी दिखी मुझे।
मसीह के पीछे चलूँ मैं,
करूँ सत्य और जीवन का अनुसरण;
मानव जीवन के सही पथ पर चलती हूँ मैं।
मसीह के पीछे चलूँ मैं,
करूँ परमेश्वर के कार्य का अनुभव।
जितना पथ पर बढ़ती,
रास्ता उतना ही उजला हो जाता।
जितना पथ पर बढ़ती,
रास्ता उतना ही उजला हो जाता।
Ⅲ
ईश्वर के वचनों के न्याय से,
अब देख पाऊँ मैं भ्रष्टता अपनी।
सत्य जानने से साफ होता दूषण मेरा।
कितना अनमोल है ये सत्य!
सत्य का अभ्यास कर,
अपने कर्तव्यों का पालन कर,
मेरे दिल में शांति और सुकून है।
परीक्षा और शुद्धिकरण में गवाही देती मैं।
सुरक्षा, परवाह के लिए परमेश्वर का शुक्रिया।
कष्टों में परमेश्वर के वचन साथ होते मेरे,
मैं देख पाती ईश्वर की मनोहरता।
मसीह के पीछे चलूँ मैं,
करूँ सत्य और जीवन का अनुसरण;
मानव जीवन के सही पथ पर चलती हूँ मैं।
मसीह के पीछे चलूँ मैं,
करूँ परमेश्वर के कार्य का अनुभव।
जितना पथ पर बढ़ती,
रास्ता उतना ही उजला हो जाता।
जितना पथ पर बढ़ती,
रास्ता उतना ही उजला हो जाता।
चाहे दर्द हो जितना,
ईश्वर के वचन राह दिखाएंगे मुझे।
उसके न्याय ने मुझे बचाया;
मेरा दिल सदा उसकी स्तुति करेगा।
मसीह के पीछे चलूँ मैं,
करूँ सत्य और जीवन का अनुसरण;
मानव जीवन के सही पथ पर चलती हूँ मैं।
मसीह के पीछे चलूँ मैं,
करूँ परमेश्वर के कार्य का अनुभव।
जितना पथ पर बढ़ती,
रास्ता उतना ही उजला हो जाता।
जितना पथ पर बढ़ती,
रास्ता उतना ही उजला हो जाता।