4. झूठे नेताओं से कैसे संपर्क करें
अंतिम दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन
किसी अगुआ या कार्यकर्ता के साथ पेश आने के तरीके के संबंध में लोगों का क्या रवैया होना चाहिए? कोई अगुआ या कार्यकर्ता जो करता है, अगर वह सही और सत्य के अनुरूप हो, तो तुम उसका आज्ञापालन कर सकते हो; अगर वह जो करता है वह गलत है और सत्य के अनुरूप नहीं है, तो तुम्हें उसका आज्ञापालन नहीं करना चाहिए और तुम उसे उजागर कर सकते हो, उसका विरोध कर एक अलग राय रख सकते हो। अगर वह वास्तविक कार्य करने में असमर्थ हो या कलीसिया के काम में बाधा डालने वाले बुरे कार्य करता हो, और पता चल जाता है कि वह एक नकली अगुआ, नकली कार्यकर्ता या मसीह-विरोधी है, तो तुम उसे पहचानकर उजागर कर सकते हो और उसकी रिपोर्ट कर सकते हो। लेकिन, परमेश्वर के कुछ चुने हुए लोग सत्य नहीं समझते और विशेष रूप से कायर होते हैं। वे नकली अगुआओं और मसीह-विरोधियों द्वारा दबाए और सताए जाने से डरते हैं, इसलिए वे सिद्धांत पर बने रहने की हिम्मत नहीं करते। वे कहते हैं, “अगर अगुआ मुझे बाहर निकाल दे, तो मैं खत्म हो जाऊँगा; अगर वह सभी लोगों से मुझे उजागर करवा दे या मेरा त्याग करवा दे, तो फिर मैं परमेश्वर में विश्वास नहीं कर पाऊँगा। अगर मुझे कलीसिया से निकाल दिया गया, तो फिर परमेश्वर मुझे नहीं चाहेगा और मुझे नहीं बचाएगा। और क्या मेरी आस्था व्यर्थ नहीं चली जाएगी?” क्या ऐसी सोच हास्यास्पद नहीं है? क्या ऐसे लोगों की परमेश्वर में सच्ची आस्था होती है? कोई नकली अगुआ या मसीह-विरोधी जब तुम्हें निकाल देता है, तो क्या वह परमेश्वर का प्रतिनिधित्व कर रहा होता है? जब कोई नकली अगुआ या मसीह-विरोधी तुम्हें दंडित कर निकाल देता है, तो यह शैतान का काम होता है, और इसका परमेश्वर से कोई लेना-देना नहीं होता; जब लोगों को कलीसिया से निकाला या निष्कासित किया जाता है, तो यह परमेश्वर के इरादों के अनुरूप सिर्फ तभी होता है, जब यह कलीसिया और परमेश्वर के चुने हुए लोगों के बीच एक संयुक्त निर्णय होता है, और जब निकालना या निष्कासन पूरी तरह से परमेश्वर के घर की कार्य-व्यवस्थाओं और परमेश्वर के वचनों के सत्य सिद्धांतों के अनुरूप होता है। किसी नकली अगुआ या मसीह-विरोधी द्वारा निष्कासित किए जाने का यह अर्थ कैसे हो सकता है कि तुम्हें बचाया नहीं जा सकता? यह शैतान और मसीह-विरोधी द्वारा किया जाने वाला उत्पीड़न है, और इसका यह मतलब नहीं कि परमेश्वर द्वारा तुम्हें बचाया नहीं जाएगा। तुम्हें बचाया जा सकता है या नहीं, यह परमेश्वर पर निर्भर करता है। कोई इंसान यह निर्णय लेने के योग्य नहीं कि तुम्हें परमेश्वर द्वारा बचाया जा सकता है या नहीं। तुम्हें इस बारे में स्पष्ट होना चाहिए। और नकली अगुआ और मसीह-विरोधी द्वारा तुम्हारे निष्कासन को परमेश्वर द्वारा किया गया निष्कासन मानना—क्या यह परमेश्वर की गलत व्याख्या करना नहीं है? बेशक है। और यह परमेश्वर की गलत व्याख्या करना ही नहीं है, बल्कि परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह करना भी है। यह एक तरह से परमेश्वर की निंदा भी है। और क्या परमेश्वर की इस तरह गलत व्याख्या करना अज्ञानतापूर्ण और मूर्खता नहीं है? जब कोई नकली अगुआ या मसीह-विरोधी तुम्हें निष्कासित करता है, तो तुम सत्य क्यों नहीं खोजते? कुछ विवेक प्राप्त करने के लिए तुम किसी ऐसे व्यक्ति को क्यों नहीं खोजते, जो सत्य समझता हो? और तुमने उच्च अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट क्यों नहीं करते? यह साबित करता है कि तुम्हें इस बात पर विश्वास नहीं है कि परमेश्वर के घर में सत्य सर्वोच्च है, यह दर्शाता है कि तुम्हें परमेश्वर में सच्ची आस्था नहीं है, कि तुम ऐसे व्यक्ति नहीं हो जो वास्तव में परमेश्वर में विश्वास करता है। अगर तुम परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता पर भरोसा करते हो, तो तुम नकली अगुआ या मसीह-विरोधी के प्रतिशोध से क्यों डरते हो? क्या वे तुम्हारे भाग्य का निर्धारण कर सकते हैं? अगर तुम भलीभाँति समझने, और यह पता लगाने में सक्षम हो कि उनके कार्य सत्य के विपरीत हैं, तो परमेश्वर के उन चुने हुए लोगों के साथ संगति क्यों नहीं करते जो सत्य समझते हैं? तुम्हारे पास मुँह है, तो तुम बोलने की हिम्मत क्यों नहीं करते? तुम नकली अगुआ या मसीह-विरोधी से इतना क्यों डरते हो? यह साबित करता है कि तुम कायर, बेकार, शैतान के अनुचर हो। अगर किसी झूठे नेता या मसीह-विरोधी द्वारा धमकी दिए जाने पर, तुम उच्च अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट करने की हिम्मत नहीं करते, तो इससे पता चलता है कि तुम पहले से ही शैतान से बंधे हुए हो और तुम उनके साथ एक दिल हो; क्या यह शैतान का अनुसरण करना नहीं है? ऐसा व्यक्ति परमेश्वर के चुने हुए लोगों में से एक कैसे हो सकता है? सीधे-सरल रूप में कहें तो वह नीच है। वे सभी लोग जो झूठे अगुआओं और मसीह-विरोधियों के साथ एकदिल हैं, कभी भी अच्छे नहीं हो सकते; वे कुकर्मी होते हैं। ऐसे लोग शैतान के अनुचर बनने के लिए ही पैदा हुए हैं—वे शैतान के नौकर हैं और उन्हें छुटकारा नहीं मिल सकता। ... मैंने सुना है कि पिछले दो वर्षों में चीन महादेश के कुछ देहाती इलाकों में परमेश्वर के चुने हुए लोग झूठे अगुआओं और मसीह-विरोधियों को उनके पद से हटाने के लिए एकजुट हुए थे; कुछ झूठे अगुआ और मसीह-विरोधी तो निर्णय लेने वाले समूहों के मुखिया भी थे लेकिन फिर भी उन्हें परमेश्वर के चुने हुए लोगों ने वैसे ही हटा दिया। परमेश्वर के चुने हुए लोगों को ऊपरवाले की तरफ से मंजूरी मिलने की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी; सत्य सिद्धांतों के आधार पर वे इन झूठे अगुआओं और मसीह-विरोधियों को पहचानने में सक्षम थे—जो वास्तविक कार्य नहीं करते थे और हमेशा भाई-बहनों को परेशान करते थे, जो बेकाबू हो गए थे और परमेश्वर के घर के कार्य को बिगाड़ रहे थे—उनका उन्होंने तुरंत निपटान किया। कुछ को निर्णय लेने वाले समूहों से बाहर धकेल दिया गया और कुछ को कलीसिया से निकाल दिया गया—जो बहुत अच्छी बात है! इससे पता चलता है कि परमेश्वर के चुने हुए लोग पहले ही परमेश्वर में विश्वास के सही रास्ते पर कदम रख चुके हैं। परमेश्वर के कुछ चुने हुए लोग पहले ही सत्य को समझ चुके हैं और अब उनका थोड़ा आध्यात्मिक कद भी है, शैतान अब उन्हें नियंत्रित नहीं करता और मूर्ख नहीं बनाता, वे शैतान के सामने खड़े होने और उसकी बुरी ताकतों के साथ युद्ध करने का साहस करते हैं। इससे यह भी पता चलता है कि कलीसिया में झूठे अगुआओं और मसीह-विरोधियों की ताकतों का पलड़ा अब भारी नहीं रहा। इसलिए अब वे अपने शब्दों और कार्यों में इतने बेशर्म होने का साहस नहीं रखते। अब जैसे ही वे कोई चाल चलेंगे, कोई न कोई उन पर नजर रखने, उन्हें पहचानने और उन्हें अस्वीकार करने के लिए वहाँ होगा। कहने का मतलब यह है कि जो लोग वास्तव में सत्य को समझते हैं उनके दिलों में इंसान की हैसियत, प्रतिष्ठा और सत्ता का कोई खास महत्व नहीं होता। ऐसे लोग इन चीजों पर भरोसा नहीं करते। जब कोई व्यक्ति सक्रिय रूप से सत्य की खोज कर सकता है और उस पर संगति कर सकता है, और जब वह इस बात का पुनर्मूल्यांकन करना और आत्म-चिंतन करना शुरू कर देता है कि परमेश्वर में विश्वास रखने वाले लोगों को किस रास्ते पर चलना चाहिए और उसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए और वह यह सोचना शुरू कर देता है कि लोगों को किसका अनुसरण करना चाहिए, कौन से व्यवहार मनुष्य का अनुसरण करने वाले और कौन से परमेश्वर का अनुसरण करने वाले हैं, और फिर कई वर्षों तक इन सत्यों को टटोलने और उनका अनुभव करने के बाद जब वह अनजाने में ही कुछ सत्यों को समझने और पहचानने लगता है—तब उसका आध्यात्मिक कद थोड़ा बढ़ जाता है। सभी चीजों में सत्य की खोज करने में सक्षम होना परमेश्वर के प्रति विश्वास के सही मार्ग में प्रवेश करना होता है।
—वचन, खंड 4, मसीह-विरोधियों को उजागर करना, मद तीन : सत्य का अनुसरण करने वालों को वे निकाल देते हैं और उन पर आक्रमण करते हैं
कुछ नकली अगुआ पेटू और आलसी होते हैं, जो कड़ी मेहनत के बजाय आराम पसंद करते हैं। वे न तो काम करना चाहते हैं और न ही चिंता करना चाहते हैं, कोशिश करने और जिम्मेदारी लेने से बचते हैं, केवल आराम में लिप्त रहना चाहते हैं। उन्हें खाना और खेलना पसंद है और वे निहायत आलसी होते हैं। एक नकली अगुआ था जो सुबह तभी उठता जब और सारे लोग खाना खा चुके होते और रात में वह तब भी टीवी देखता रहता जब बाकी लोग आराम कर रहे होते। खाना पकाने की जिम्मेदारी वाला एक भाई इसे और बर्दाश्त नहीं कर सका और उसने अगुए की आलोचना की। क्या तुम लोगों को लगता है कि वे एक रसोइए की बात सुनेंगे? (नहीं।) मान लो किसी अगुआ या कार्यकर्ता ने उन्हें यह कहकर डाँटा होता, “तुम्हें और अधिक परिश्रमी होने की जरूरत है; जो काम करने की जरूरत हो, उसे जरूर किया जाना चाहिए। एक अगुआ के रूप में तुम्हें अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करनी चाहिए, फिर चाहे कोई भी कार्य हो; तुम्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि उसमें कोई समस्या न हो। अब जब यह समस्या पता चल चुकी है और तुम इसे हल करने के लिए मौजूद नहीं हो, तो इससे काम प्रभावित होता है। यदि तुम लगातार इस तरह से काम करोगे तो क्या इससे कलीसिया के कार्य में देरी नहीं होगी? क्या तुम यह जिम्मेदारी उठा सकते हो?” क्या वे इसे सुनेंगे? जरूरी नहीं है कि वे सुनें। ऐसे नकली अगुआओं के मामले में निर्णय लेने वाले समूह को उन्हें तुरंत बरखास्त कर देना चाहिए और उनके लिए अन्य कार्य व्यवस्थाएँ करनी चाहिए, उन्हें वही करने देना चाहिए जो वे करने में सक्षम हों। यदि वे किसी काम के लायक नहीं हैं, जहाँ भी जाते हैं मुफ्तखोरी करना चाहते हैं, कुछ भी करने में असमर्थ हैं, तो उन्हें कोई भी कर्तव्य निभाने की अनुमति दिए बिना दफा कर दो। वे कर्तव्य निभाने के सुपात्र नहीं हैं; वे मनुष्य नहीं हैं, उनमें सामान्य मानवता की अंतरात्मा और विवेक नहीं हैं, वे बेशर्म हैं। कामचोरों जैसे इन नकली अगुआओं की असलियत पहचान लिए जाने के बाद इन्हें सीधे बरखास्त कर दिया जाना चाहिए; इन्हें प्रेरित करने की कोशिश करने की कोई आवश्यकता नहीं होती और उन्हें निगरानी में रहने का कोई अवसर नहीं दिया जाना चाहिए, न ही उनके साथ सत्य पर संगति करना आवश्यक है। क्या उन्होंने पर्याप्त सत्य नहीं सुने हैं? यदि उनकी काट-छाँट की जाए तो क्या वे बदल सकते हैं? वे नहीं बदल सकते। अगर किसी की काबिलियत कम है, कभी-कभी वह बेतुके विचार रखता है या अज्ञानता के कारण पूरी तस्वीर देखने में विफल रहता है, लेकिन वह मेहनती है, बोझ उठाता है और आलसी नहीं है तो ऐसा व्यक्ति अपने कर्तव्य निभाने में विचलन के बावजूद अपनी काट-छाँट होने पर पश्चात्ताप कर सकता है। कम-से-कम वह एक अगुआ की जिम्मेदारियों को जानता है और यह जानता है कि उसे क्या करना चाहिए, उसके पास अंतरात्मा और जिम्मेदारी का बोध है और उसके पास दिल है। परंतु जो लोग आलसी हैं, कड़ी मेहनत के बजाय आराम पसंद करते हैं और बोझ से मुक्त हैं, वे बदल नहीं सकते। उनके दिल में कोई बोझ नहीं है; चाहे कोई भी उनकी काट-छाँट कर ले, सब बेकार है।
—वचन, खंड 5, अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ, अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (4)
अगर किसी कलीसिया में मसीह-विरोधियों को दुराग्रही और मनमाना होने दिया जाता है तो वे भाई-बहनों को नियंत्रित करने और धमकाने के लिए या उन्हें गुमराह और भ्रमित करने के लिए कोई भी नारा लगा सकते हैं और कोई भी तर्क दे सकते हैं, और अगुआ और कार्यकर्ता इसे अनदेखा कर कोई कार्रवाई नहीं करते और मसीह-विरोधियों को नाराज करने के डर से उन्हें उजागर करने या प्रतिबंधित करने की हिम्मत नहीं करते, और इसी कारण उस कलीसिया के भाई-बहन मसीह-विरोधियों के हाथों मनमाने ढंग से खिलौने बनकर परेशान होते हैं तो फिर उस कलीसिया के अगुआ खुशामदी लोग हैं, वे ऐसा कचरा हैं जिन्हें हटा दिया जाना चाहिए। अगर किसी कलीसिया के अगुआओं में मसीह-विरोधियों और बुरे लोगों का भेद पहचान सकते हैं और वे परमेश्वर के चुने हुए लोगों को मजबूती से खड़े होकर मसीह-विरोधियों को उजागर करने और परमेश्वर के घर के कार्य की रक्षा करने के लिए शैतानों को बाहर करने में सक्षम बनाते हैं तो इससे राक्षस और शैतान शर्मिंदा होंगे और यह परमेश्वर के इरादे को भी पूरा करेगा। इस कलीसिया के अगुआ सुयोग्य अगुआ हैं जिनमें सत्य वास्तविकता है। अगर कोई कलीसिया किसी मसीह-विरोधी के विघ्नों से पीड़ित है और भाई-बहनों द्वारा पहचाने और अस्वीकार किए जाने के बाद मसीह-विरोधी पागलों की तरह उन भाई-बहनों से प्रतिशोध लेता है, उन पर अत्याचार करता है और उनकी निंदा करता है, ऐसे में अगर कलीसिया के अगुआ कुछ नहीं करते हैं, वे आँखें मूंद लेते हैं और किसी को भी नाराज न करने का प्रयास करते हैं तो वे झूठे अगुआ हैं। वे कचरा हैं और उन्हें हटा दिया जाना चाहिए। कलीसिया अगुआ होने के नाते अगर कोई समस्याएँ हल करने के लिए सत्य का उपयोग करने में सक्षम नहीं है, अगर वह मसीह-विरोधियों की पहचान करने, उन्हें सीमित करने और उनकी छँटाई करने में सक्षम नहीं है, अगर वह मसीह-विरोधियों को कलीसिया में अपनी मनमर्जी से काम करने, बेलगाम होने की खुली छूट देता है और अगर वह परमेश्वर के चुने हुए लोगों को गुमराह होने से बचाने में असमर्थ है, परमेश्वर के चुने हुए लोगों की रक्षा करने में असमर्थ है ताकि वे सामान्य रूप से अपना कर्तव्य कर सकें—और इसके अलावा वह कलीसिया के कार्य की सामान्य प्रगति बनाए रखने में असमर्थ है—तो वह अगुआ कचरा है और उसे हटा दिया जाना चाहिए। अगर किसी कलीसिया के अगुआ किसी मसीह-विरोधी को उजागर करने, उसकी काट-छाँट करने, उसे सीमित करने और उसके खिलाफ कार्रवाई करने से इसलिए डरते हैं कि मसीह-विरोधी खौफनाक और निर्दयी है और इस प्रकार उसे कलीसिया में बेलगाम और निरंकुश होने देते हैं, उसे जो जी में आए वह करने देते हैं और कलीसिया के अधिकांश कार्य को पंगु बनाकर उसे ठप करने देते हैं तो इस कलीसिया के अगुआ भी कचरा हैं और उन्हें हटा दिया जाना चाहिए। अगर किसी कलीसिया के अगुआ प्रतिशोध के डर से कभी मसीह-विरोधी को उजागर करने का साहस नहीं करते और वे कभी भी मसीह-विरोधी के बुरे कर्मों पर अंकुश लगाने की कोशिश नहीं करते हैं, जिससे कलीसियाई जीवन में और भाई-बहनों के जीवन प्रवेश में बड़ी बाधा, परेशानी और क्षति होती है तो इस कलीसिया के अगुआ भी कचरा हैं और उन्हें हटा दिया जाना चाहिए। क्या तुम लोग ऐसे लोगों की निरंतर अगुआई का समर्थन करोगे? (नहीं।) तो फिर इस तरह के अगुआओं का सामना करने पर तुम लोगों को क्या करना चाहिए? तुम्हें उनसे पूछना चाहिए, “मसीह-विरोधी इतनी बड़ी बुराई करते हैं, वे कलीसिया में बेलगाम हो जाते हैं, उस पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं—क्या तुम उन्हें रोक पाते हो? क्या तुममें उन्हें उजागर करने का साहस है? अगर तुममें उनके खिलाफ कार्रवाई करने का साहस नहीं है तो तुम्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। तुम्हें अपना पद छोड़ने में कतई समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। अगर तुम अपने दैहिक हितों की रक्षा करते हो और मसीह-विरोधियों के डर से भाई-बहनों को मसीह-विरोधियों और बुरे लोगों के हवाले कर देते हो तो तुम्हें धिक्कारा जाना चाहिए। तुम अगुआ बनने के लायक नहीं हो—तुम कचरा हो, तुम मुर्दा इंसान हो!” ऐसे झूठे अगुआओं को उजागर करके बरखास्त कर दिया जाना चाहिए। वे वास्तविक कार्य नहीं करते; बुरे लोगों का सामना करने पर वे भाई-बहनों की रक्षा नहीं करते, बल्कि बुरे लोगों के सामने घुटने टेक देते हैं, उन्हें छूट देते हैं और उनसे दया की भीख माँगते हैं और अपने अधम अस्तित्व को घिसटते रहते हैं। ऐसे अगुआ कचरा हैं। वे गद्दार हैं और उन्हें नकार दिया जाना चाहिए।
—वचन, खंड 4, मसीह-विरोधियों को उजागर करना, मद नौ (भाग आठ)
तुम एक नकली अगुआ से जुड़ी समस्याओं का एक शिकायत-पत्र लिखते हो, और नकली अगुआ तुम्हें यह कहकर धौंस देना चाहता है, “अगर तुम औकात में न रहे, अगर तुम मेरी कमियों के बारे में ऊपर वालों से शिकायत करते रहे, मेरी चुगली करते रहे, या मेरे मूल्यांकन में कुछ नकारात्मक लिखते रहे, तो मैं तुम्हारी जान ले लूँगा! मेरे पास तुम्हें निष्कासित करने की ताकत है। क्या तुम नहीं डरते?” तुम ऐसी स्थिति को कैसे सँभालोगे? वह तुम्हें धमकी दे रहा है; विशेष रूप से कहें तो वह तुम्हें धौंस दे रहा है। उसके पास ताकत है, और तुम एक साधारण विश्वासी हो, तो वह मनमाने ढंग से बिना किसी सिद्धांत या आधाररेखा के तुम्हें सताता है। वह तुमसे वैसे ही पेश आता है जैसे शैतान लोगों से पेश आता है। इसे ठोस ढंग से कहें, तो क्या वह तुम्हें धौंस नहीं दे रहा है? क्या वह तुम्हें सताने की कोशिश नहीं कर रहा है? (बिल्कुल।) तो तुम इसे कैसे सँभालोगे? तुम समझौता करोगे या सिद्धांतों पर दृढ़ रहोगे? (सिद्धांतों पर दृढ़ रहूँगा।) सैद्धांतिक रूप से लोगों को सिद्धांतों पर दृढ़ रहना चाहिए और इस नकली अगुआ से नहीं डरना चाहिए। इसका आधार क्या है? तुम्हें उससे क्यों नहीं डरना चाहिए? अगर वह तुम्हें सचमुच निष्कासित कर दे तो क्या तुम भयभीत हो जाओगे? चूँकि वह तुम्हें सचमुच निष्कासित कर सकता है, इसलिए तुम शायद सिद्धांतों पर दृढ़ रहने की हिम्मत न करो और डर जाओ। यह मामला कहाँ अटक जाता है? तुम कैसे डर सकते हो? (क्योंकि मुझे यकीन नहीं है कि परमेश्वर के घर में सत्य का शासन चलता है।) यह इसका एक पहलू है। तुम्हें यह आस्था रखकर कहना चाहिए, “तुम बुरे व्यक्ति हो। यह मत सोचो कि सिर्फ इसलिए कि तुम एक अगुआ हो, अब तुम्हारे पास मुझे निष्कासित करने की ताकत है। मुझे निष्कासित करना गलत होगा। यह मामला देर-सवेर उजागर हो जाएगा। परमेश्वर का घर अकेले तुम्हारे अधिकार में नहीं है। अगर आज तुम मुझे निष्कासित करोगे, तो अंततः तुम्हें दंड मिलेगा। अगर तुम्हें इस पर यकीन नहीं है, तो रुको और देखो। परमेश्वर के घर में सत्य का शासन है, परमेश्वर का शासन है। लोग तुम्हें दंड नहीं दे सकते, मगर परमेश्वर तुम्हारा खुलासा कर तुम्हें हटा सकता है। जब तुम्हारे गलत कर्म उजागर हो जाएँगे, तभी तुम्हें दंड मिलेगा।” क्या तुम्हें यह विश्वास है? (हाँ।) तुम्हें है? तो फिर तुम लोग यह क्यों नहीं कह सकते? लगता है ऐसी स्थितियों का सामना होने पर तुम खतरे में पड़ जाओगे; तुम्हारे अंदर साहस और सच्ची आस्था नहीं है। जब तुम सच में इन मामलों का सामना करोगे, बुरे लोगों और ऐसे खूंख्वार मसीह-विरोधियों से मिलोगे जिनके लोगों को सताने के तरीके बड़े लाल अजगर के तरीकों जैसे ही हों, तब तुम क्या करोगे? तुम यह कहकर रोने लगोगे, “अरे, मैं आध्यात्मिक कद में छोटा हूँ, दब्बू हूँ, हमेशा मुसीबत से डरता रहा हूँ, मुझे अपने सिर पर गिरते हुए पत्ते के टकराने से भी डर लगता है। काश! मुझे ऐसे लोगों का सामना न करना पड़े। अगर वे लोग मुझे धौंस दें तो मैं क्या करूँगा?” क्या वे तुम्हें धौंस दे रहे हैं? वे तुम्हें धौंस नहीं दे रहे हैं; यह तो शैतान है जो तुम्हें सता रहा है। इंसानी नजरिये से देखें तो तुम कहोगे, “यह व्यक्ति ताकतवर है, हैसियत वाला है, और यह उन निष्कपट लोगों को धौंस देता है जिनकी कोई हैसियत नहीं है।” क्या यही हो रहा है? सत्य के दृष्टिकोण से, यह धौंस देना नहीं है; यह शैतान का लोगों को दुख देना है, सताना है, बेवकूफ बनाना है, भ्रष्ट करना है और उन्हें कुचलना है। शैतान के इन कार्यों से तुम्हें कैसे निपटना चाहिए, उन्हें कैसे सँभालना चाहिए? क्या तुम्हें डरना चाहिए? (मुझे नहीं डरना चाहिए; मुझे शिकायत कर उन्हें उजागर करना चाहिए।) तुम्हारे दिल में उनसे डर नहीं होना चाहिए। अगर उन मसलों की शिकायत करना और उनके विरुद्ध संघर्ष करना इस वक्त उपयुक्त न हो, तो तुम्हें फिलहाल उन्हें सहकर बाद में उनकी शिकायत का सही समय ढूँढ़ना चाहिए। अगर भाई-बहनों के बीच तुम जैसे समझ-बूझ वाले लोग हों, तो उनके बुरे कर्मों की शिकायत कर उन्हें उजागर करने के लिए तुम सबको एकजुट हो जाना चाहिए। अगर किसी और में समझ-बूझ न हो, और जब उनकी शिकायत करने के लिए तुम आगे बढ़ो और हर कोई तुम्हें ठुकरा दें, तो थोड़े समय के लिए सब्र रखो। जब आला अगुआ तुम्हारी कलीसिया में आकर कामकाज की जाँच करें, तो उनसे इन मसलों के बारे में शिकायत करने का सही समय ढूँढ़ो, पूरे विस्तार से उनके कुकर्मों का स्पष्ट वर्णन करके अगुआओं को उन लोगों को हटाने का मौका दो। क्या यह बुद्धिमानी है? (बिल्कुल।) एक लिहाज से तुम्हें आस्था रखकर बुरे लोगों, मसीह-विरोधियों या शैतान से नहीं डरना चाहिए। दूसरे लिहाज से तुम्हें अपने प्रति उनके कर्मों को एक व्यक्ति द्वारा दूसरे को धौंस देने के रूप में नहीं देखना चाहिए; तुम्हें इसका सार इस रूप में देखना चाहिए कि शैतान लोगों को बेवकूफ बनाकर सता और कुचल रहा है। फिर स्थिति के आधार पर तुम्हें उनकी यातना से निपटने के लिए बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए, उन्हें उजागर कर उनकी शिकायत करने, और परमेश्वर के घर और कलीसिया कार्य के हितों को सुरक्षित रखने का सही समय देखना चाहिए। यही वह गवाही है, जिस पर तुम्हें दृढ़ रहना चाहिए और यही वह कर्तव्य और दायित्व है, जो तुम्हें एक व्यक्ति के रूप में पूरा करना चाहिए।
—वचन, खंड 6, सत्य के अनुसरण के बारे में, सत्य का अनुसरण कैसे करें (14)
इन लोगों को चाहे इसलिए बरखास्त किया गया हो कि वे वास्तविक कार्य करने में अक्षम हैं और उन्हें नकली अगुआओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है, या इसलिए कि वे मसीह-विरोधियों के मार्ग का अनुसरण करते हैं और उन्हें मसीह-विरोधियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, इन्हें उचित रूप से अन्य कार्य सौंपना और इनके लिए उचित व्यवस्थाएँ करना आवश्यक है। यदि वे बहुत से बुरे काम करने वाले मसीह-विरोधी हैं, तो निश्चित रूप से उन्हें निष्कासित कर दिया जाना चाहिए; यदि उन्होंने बहुत से बुरे काम नहीं किए हैं, लेकिन उनमें मसीह-विरोधी का सार है और वे मसीह-विरोधी के रूप में चिह्नित होते हैं, तो जब तक वे कोई विघ्न-बाधा पैदा किए बिना छोटे-मोटे तरीके से सेवा करते रह सकते हैं, तब तक उन्हें निकालने की आवश्यकता नहीं है—उन्हें सेवा प्रदान करते रहने दो और उन्हें पश्चात्ताप करने का मौका दो। जिन नकली अगुआओं को बरखास्त किया गया है, उन्हें उनकी क्षमताओं और वे जो कर्तव्य करने के लिए उपयुक्त हैं, उस के आधार पर उनके भिन्न काम करने की व्यवस्था करो, लेकिन उन्हें अब कलीसिया के अगुआ के रूप में सेवा करने की अनुमति नहीं होगी; ऐसे अगुआओं और कार्यकर्ताओं के मामले में जिन्हें इसलिए बरखास्त किया गया है कि उनमें काबिलियत बहुत कम है और वे कोई भी काम करने में अक्षम हैं, उनकी क्षमताओं और वे जो कर्तव्य करने के लिए उपयुक्त हैं, उस के आधार पर उनके भिन्न काम करने की व्यवस्था करो, लेकिन उन्हें अब अगुआ या कार्यकर्ता के रूप में पदोन्नत नहीं किया जा सकता। ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता? उन्हें पहले ही आजमाया जा चुका है। उन्हें बेनकाब किया गया था, और यह पहले से ही स्पष्ट है कि ऐसे लोगों की काबिलियत और कार्य क्षमता ऐसी है जो उन्हें अगुआ बनने के लिए अयोग्य ठहराती है। यदि वे अगुआ बनने के योग्य नहीं हैं, तो क्या वे अन्य कर्तव्य करने में असमर्थ हैं? जरूरी नहीं। उनकी खराब काबिलियत उन्हें अगुआ बनने के अयोग्य बनाती है, लेकिन वे दूसरे कर्तव्य कर सकते हैं। ऐसे लोगों को बरखास्त किए जाने के बाद वे जो भी करने लायक हैं, कर सकते हैं। उन्हें कर्तव्य करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए; भविष्य में उनका आध्यात्मिक कद बढ़ने पर उन्हें फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ लोगों को इसलिए बरखास्त किया जाता है कि वे युवा हैं और उन्हें जीवन का कोई अनुभव नहीं है, और उनके पास कार्य अनुभव की भी कमी है, इसलिए वे कार्य करने में असमर्थ होते हैं और अंततः बरखास्त कर दिए जाते हैं। इस तरह के लोगों को सेवामुक्त करने में कुछ छूट होती है। अगर उनकी मानवता मानक के अनुसार है और उनमें पर्याप्त काबिलियत है, तो पदावनत करने के बाद उनका उपयोग किया जा सकता है, या उन्हें उनके लायक किसी दूसरे काम पर लगाया जा सकता है। उनकी सत्य की समझ स्पष्ट हो जाने पर और कलीसिया के काम से थोड़ा-बहुत परिचित हो लेने और अनुभव कर लेने पर ऐसे लोगों को उनकी क्षमता के आधार पर फिर से पदोन्नत और विकसित किया जा सकता है। यदि उनकी मानवता मानक के अनुसार है, लेकिन काबिलियत बहुत खराब है, तो उन्हें विकसित करने का कोई फायदा नहीं है, और उन्हें बिल्कुल विकसित नहीं किया जा सकता और काम पर नहीं रखा जा सकता।
बरखास्त किए गए लोगों में दो तरह के लोग होते हैं जिन्हें बिल्कुल भी पदोन्नत या फिर से तैयार नहीं किया जा सकता। एक वे जो मसीह-विरोधी हैं, और दूसरे वे जिनकी काबिलियत बहुत कम है। कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिन्हें मसीह-विरोधी नहीं माना जाता, लेकिन वे केवल खराब मानवता वाले, स्वार्थी और कपटी होते हैं, और उनमें से कुछ लोग आलसी होते हैं, देह सुख का लालच करते हैं और कठिनाई सहन करने में असमर्थ होते हैं। भले ही ऐसे लोग अत्यधिक अच्छी काबिलियत वाले हों, उन्हें दोबारा से पदोन्नत नहीं किया जा सकता। अगर उनमें थोड़ी काबिलियत है, तो उनके लिए उपयुक्त व्यवस्था किए जाने तक उन्हें वह करने दो जो करने में वे सक्षम हों; संक्षेप में, उन्हें अगुआ या कार्यकर्ता के रूप में पदोन्नत न करो। काबिलियत होने और कार्य क्षमता होने से बढ़ कर अगुआओं और कार्यकर्ताओं में सत्य को समझने, कलीसिया के प्रति जिम्मेदारी का बोझ उठाने, कड़ी मेहनत करने और पीड़ा सहने में सक्षम होना चाहिए, और उन्हें लगन से मेहनत करने वाला होना चाहिए और आलसी नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, उन्हें अपेक्षाकृत ईमानदार और निश्छल होना चाहिए। तुम कपटी लोगों का चयन बिलकुल भी नहीं कर सकते। जो लोग बहुत कुटिल और कपटी होते हैं, वे हमेशा भाई-बहनों, अपने उच्च अधिकारियों और परमेश्वर के घर के विरुद्ध षड्यंत्र रचते रहते हैं। उनका समय केवल कुटिल विचारों में ही बीतता है। ऐसे किसी व्यक्ति से निपटते समय तुम्हें हमेशा अनुमान लगाना चाहिए कि वे वास्तव में क्या सोच रहे हैं, तुम्हें यह पूछते रहना चाहिए कि वे हाल ही में वास्तव में क्या करते रहे हैं, और तुम्हें हमेशा उन पर नजर रखनी चाहिए। उन्हें काम पर लगाना बहुत थकाऊ और बहुत चिंताजनक काम होता है। यदि इस तरह के व्यक्ति को कर्तव्य करने के लिए पदोन्नत किया जाता है, तो भले ही वह थोड़ा धर्म-सिद्धांत समझता हो, वह उसका अभ्यास नहीं करेगा, और वह अपने हर काम के बदले सभी तरह के लाभों की अपेक्षा करेगा। ऐसे लोगों का उपयोग करना बहुत चिंताजनक और समस्यामूलक होता है, इसलिए ऐसे लोगों को पदोन्नत नहीं किया जा सकता। इसलिए जब मसीह-विरोधियों की बात आती है, तो जो बहुत खराब काबिलियत वाले हैं, जिनकी मानवता खराब है, जो आलसी हैं, देह सुख की लालसा रखते हैं और कठिनाइयाँ नहीं झेल सकते, और जो अत्यधिक कुटिल और कपटी हैं—उन लोगों का जब खुलासा हो चुका होता है और उन्हें काम पर रखने के बाद बरखास्त कर दिया जाता है, तो उन्हें दूसरी बार पदोन्नत न करो; जब एक बार उनका पूरी तरह से पता चल जाए तो उनका दोबारा गलत उपयोग न करो।
—वचन, खंड 5, अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ, अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ (6)
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