164 अंत के दिनों में परमेश्वर के देहधारण के पीछे का उद्देश्य
1 अंत के दिनों में परमेश्वर ने वह कार्य करने के लिए, जो उसे करना चाहिए, और अपने वचनों की सेवकाई करने के लिए देहधारण किया। वह अपने हृदय के अनुरूप लोगों को पूर्ण बनाने के लक्ष्य के साथ व्यक्तिगत रूप से मनुष्यों के मध्य कार्य करने के लिए आया। सृष्टि के समय से लेकर आज तक केवल अंत के दिनों में ही उसने इस तरह का कार्य किया है। केवल अंत के दिनों के दौरान ही परमेश्वर ने इतने बड़े पैमाने का कार्य करने के लिए देहधारण किया है। यद्यपि वह ऐसी कठिनाइयाँ सहता है, जिन्हें सहना लोगों को मुश्किल लगेगा, और यद्यपि एक महान परमेश्वर होते हुए भी उसमें एक साधारण मनुष्य बनने की विनम्रता है, फिर भी उसके कार्य का कोई भी पहलू विलंबित नहीं किया गया है और उसकी योजना किसी भी तरह से अव्यवस्था की शिकार नहीं हुई है। वह अपनी वास्तविक योजना के अनुसार ही कार्य कर रहा है।
2 इस देहधारण के उद्देश्यों में से एक उद्देश्य लोगों को जीतना है और दूसरा उद्देश्य उन लोगों को पूर्ण बनाना है, जिनसे वह प्रेम करता है। वह अपनी आँखों से उन लोगों को देखने की इच्छा रखता है, जिन्हें वह पूर्ण बनाता है, और वह खुद यह देखना चाहता है कि जिन लोगों को वह पूर्ण बनाता है, वे उसके लिए किस तरह गवाही देते हैं। वे केवल एक या दो व्यक्ति नहीं हैं, जिन्हें पूर्ण बनाया जाता है। बल्कि, यह एक समूह है, जिसमें कुछ ही लोग शामिल हैं। इस समूह के लोग संसार के विभिन्न देशों और संसार की विभिन्न राष्ट्रीयताओं से आते हैं। इतना अधिक कार्य करने का उद्देश्य इस समूह के लोगों को प्राप्त करना है, उस गवाही को प्राप्त करना है जो इस समूह के लोग उसके लिए देते हैं, और उस महिमा को प्राप्त करना है जो वह लोगों के इस समूह से हासिल कर सकता है।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में 'केवल उन्हें ही पूर्ण बनाया जा सकता है जो अभ्यास पर ध्यान देते हैं' से रूपांतरित