440 एक सही आध्यात्मिक जीवन हमेशा बनाये रखना चाहिए
1 परमेश्वर के कार्य में, चाहे वह कुछ भी करे या कोई भी बदलाव लाए, लोगों को एक सामान्य आध्यात्मिक जीवन की एक आधार-रेखा अवश्य बनाए रखनी चाहिए। शायद तुम अपने आध्यात्मिक जीवन के इस वर्तमान चरण में शिथिल नहीं हुए हो, लेकिन तुमने अभी भी बहुत-कुछ प्राप्त नहीं किया है, और बहुत अच्छी फसल नहीं काटी है। इस तरह की परिस्थितियों में तुम्हें अभी भी नियमों का पालन करना चाहिए; तुम्हें इन नियमों के अनुसार चलना चाहिए, ताकि तुम अपने जीवन में नुकसान न झेलो और ताकि तुम परमेश्वर की इच्छा पूरी करो। यदि तुम्हारा आध्यात्मिक जीवन असामान्य है, तो तुम परमेश्वर के वर्तमान कार्य को नहीं समझ सकते; बल्कि हमेशा महसूस करते हो कि यह तुम्हारी धारणाओं के अनुरूप नहीं है, और यद्यपि तुम उसका अनुसरण करने के लिए तैयार होते हो, लेकिन तुममें अंत:प्रेरणा का अभाव रहता है।
2 तो भले ही परमेश्वर वर्तमान में कुछ भी कर रहा हो, लोगों को सहयोग अवश्य करना चाहिए। यदि लोग सहयोग नहीं करते, तो पवित्र आत्मा अपना कार्य नहीं कर सकता, और यदि लोगों के पास सहयोग करने वाला दिल नहीं है, तो वे शायद ही पवित्र आत्मा के कार्य को प्राप्त कर सकते हैं। यदि तुम अपने अंदर पवित्र आत्मा का कार्य चाहते हो, और यदि तुम परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त करना चाहते हो, तो तुम्हें परमेश्वर के सम्मुख अपनी मूल भक्ति बनाए रखनी चाहिए। अब, तुम्हारे पास गहन समझ, उच्च सिद्धांत, या ऐसी अन्य चीजों का होना आवश्यक नहीं है—बस इतना ही आवश्यक है कि तुम परमेश्वर के वचन को मूल आधार पर बनाए रखो। यदि लोग परमेश्वर के साथ सहयोग नहीं करते और गहरे प्रवेश की कोशिश नहीं करते, तो परमेश्वर उन चीजों को छीन लेगा, जो मूलत: उसकी थीं।
3 अंदर से लोग हमेशा सुविधा के लोभी होते हैं और उसका आनंद लेते हैं, जो पहले से ही उपलब्ध होता है। वे बिना कोई भी कीमत चुकाए परमेश्वर के वादे प्राप्त करना चाहते हैं। ये अनावश्यक विचार हैं, जो मनुष्य रखता है। बिना कोई कीमत चुकाए स्वयं जीवन प्राप्त करना—पर क्या कभी कुछ भी इतना आसान रहा है? जब कोई व्यक्ति परमेश्वर में विश्वास करता है और जीवन में प्रवेश करने का प्रयास करता है और अपने स्वभाव में बदलाव चाहता है, तो उसे उसकी कीमत अवश्य चुकानी चाहिए और वह अवस्था प्राप्त करनी चाहिए, जहाँ वह हमेशा परमेश्वर का अनुसरण करेगा, चाहे परमेश्वर कुछ भी करे। यह ऐसा काम है, जिसे लोगों को अवश्य करना चाहिए। यहाँ तक कि यदि तुम इस सबका एक नियम के रूप में पालन करते हो, तो भी तुम्हें हमेशा इस पर टिके रहना चाहिए, और चाहे परीक्षण कितने भी बड़े हों, तुम परमेश्वर के साथ अपने सामान्य संबंध को जाने नहीं दे सकते। तुम्हें प्रार्थना करने, अपने कलीसिया-जीवन को बनाए रखने, और अपने भाइयों और बहनों को कभी न छोड़ने में सक्षम होना चाहिए। जब परमेश्वर तुम्हारी परीक्षा ले, तब भी तुम्हें सत्य की तलाश करनी चाहिए। आध्यात्मिक जीवन के लिए यह न्यूनतम अपेक्षा है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम्हें परमेश्वर के प्रति अपनी भक्ति बनाए रखनी चाहिए से रूपांतरित