335 परमेश्वर के वचनों के मूल की थाह पा नहीं सकता कोई
कौन है संसार में रहता नहीं जो परमेश्वर के अनुग्रह के भीतर?
1
भौतिक आशीषें न दी होतीं परमेश्वर ने अगर,
तो कौन उठा पाता सुख जगत में पर्याप्तता, समृद्धि का?
क्या तुम लोगों को जगह लेने का,
परमेश्वर की प्रजा के तौर पर
अपनी जगह लेने का अवसर प्रदान करना ही,
आशीष है परमेश्वर की?
तुम लोग परमेश्वर की प्रजा न होकर, सेवा करने वाले होते अगर,
क्या इसके मायने ये होते, तुम लोग उसकी आशीष के भीतर न रह रहे होते?
परमेश्वर के वचनों के मूल को, समझ नहीं सकता तुम लोगों में से कोई अभी।
2
परमेश्वर के दिये नामों को संजोकर रखने से बहुत दूर है इंसान।
"सेवा करने वाले" कहलाने से चिढ़ होती है बहुतों को।
प्रेम करना शुरू करते हैं परमेश्वर से बहुत से
"परमेश्वर की प्रजा" जब कहा जाता है उनको।
देख लेती हैं, पढ़ लेती हैं सबकुछ आँखें परमेश्वर की,
इसलिये कभी मूर्ख बनाने की कोशिश न करो उसको।
है कौन तुम लोगों में जो ख़ुशी से ग्रहण करता है,
है कौन जो उसका आज्ञापालन करता है?
समझ लो राज्य की सलामी न गूँजती अगर,
तो क्या तुम लोग आज्ञापालन कर पाते,
अंत तक आज्ञापालन कर पाते?
ये सब कर दिया है परमेश्वर ने पूर्व-नियत:
इंसा क्या सोच, क्या कर सकता है, जा सकता है कहाँ तक।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 10 से रूपांतरित